किसी देश की मुद्रा क्या है?

राज्यों के बजाए केंद्र में UCC लागू करने के सवाल पर गृहमंत्री ने कहा कि भाजपा का मुख्य उद्देश्य इसे बहस में लाना है। राज्य इसे लागू करते हैं तो इस पर बहस होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा की आइडियोलॉजी के आधार पर इतना बड़ा फैसला लेने के बजाय अच्छा हो कि इस पर एक सार्वजनिक बहस हो। अन्य लोगों के विचारों का भी महत्व है और उस पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समय देखकर इस पर संसद में भी चर्चा होगी।
गिरता रुपया, चढ़ता डॉलर
देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारामण के हाल के एक बयान ने खलबली मचा दी है। रिकॉर्ड स्तर पर गिरते जा रहे रुपए का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा है, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है। रुपए के गिरने, रसोई गैस, पेट्रोल आदि के दाम बढऩे, महंगाई के आसमान छूने जैसे मुद्दों पर कांग्रेस की खिल्ली उड़ाकर ही बीजेपी सत्ता में आयी थी। आज मियां की जूती, मियां के सर पड़ रही है। इस पर दूसरी प्रतिक्रिया आर्थिक विशेषज्ञों की है। वे खुले तौर पर या फिर मजबूरी में बताते हैं कि मुद्रा या करेंसी का व्यापार हमेशा जोड़ी में होता है। यदि डॉलर ऊपर जाएगा तो उसके सामने जो भी मुद्रा होगी, वह नीचे आएगी ही। दुनिया भर की मुद्राएं अपने रिकॉर्ड स्तर पर नीचे जा पहुंची हैं, क्योंकि दुनिया में डॉलर की मांग बढ़ गई है। आलम यह है कि लोग दूसरी मुद्राएं बेच-बेचकर डॉलर खरीद रहे हैं। डॉलर-रुपए की इस उठापटक को देखने का एक और नज़रिया भी है- आम आदमी का नजरिया! दुनिया का आर्थिक कारोबार इतना जटिल हो गया है कि आम आदमी केवल लल्लू बनकर रह गया है। महंगाई हो, बेरोजगारी हो, शिक्षा हो या स्वास्थ्य, सामाजिक समरसता हो कि घर का बजट- इनमें से कुछ भी नहीं है जो आम आदमी के क़ाबू में हो। आप कहेंगे, आम आदमी में इतनी काबिलियत है क्या कि वह वैश्विक कारोबार की पेचीदगियां समझ पाए? लेकिन अगर मैं यह पूछूं कि क्या आप आम आदमी मतलब समझते हैं, तो? यह आम आदमी दुनिया का 95 फीसदी है! दुनिया का आर्थिक कारोबार यदि मात्र 3 से 5 फीसदी लोगों की समझ में ही आता है तो बात खतरनाक बन जाती है और उनके निहित स्वार्थ की बात भी खुल जाती है। जो खेल 3 से 5 फीसदी की मु_ी में बंद है तो कहानी ऐसी बन जाती है कि उनका मुनाफा हमारी जेब खाली करके पूरा होता है! सारी दुनिया के आम लोग उसकी कीमत चुकाते हैं, रोज-रोज चुका रहे हैं। महंगा पेट्रोल हो कि फर्टिलाइजर, इलाज हो कि शिक्षा, बेरोजग़ारी हो कि विस्थापन, सभी मुनाफा कमाने की उस अंधी, अनैतिक दौड़ पर आधारित लंगड़ी अर्थव्यवस्था की वह क़ीमत है जो दुनिया का हर आम आदमी चुकाता रहता है। दुनिया के सारे विशेषज्ञ सर के बल खड़े हो जाएं तो भी यही दिखेगा कि मु_ी भर लोगों के हाथों में, दुनिया के सभी संसाधन- जल, जंगल, ज़मीन, साफ हवा, पैसा, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि कैद हो गए हैं। बची अरबों-अरब की दुनिया रोटी के चंद टुकड़ों के लिए लड़ रही है। प्राकृतिक ढलानों पर संसार की सारी नदियां बहती हैं। आधुनिक वैश्विक समाज का ढलान प्राकृतिक नहीं है। 3 से 5 फीसदी लोगों ने अपनी सुविधा, अपने मुनाफे के लिए पूंजी के बहाव का रास्ता बनाया है। नहर, बांध, उद्योग या फिर शहरीकरण की तरफ ढलान बना रखा है तो पूंजी भी उधर ही बहेगी। कुछ समर्थ लोगों व सत्ताओं ने मिलीभगत से पूंजी को ऐसे ढलान पर डाल रखा है कि वह उसी तरफ बहे जिधर पहले से ही इफरात है। पूंजी बढ़ती किसी देश की मुद्रा क्या है? है तो भी लौटती वहीं है जहां से वह चली थी। नतीजे में अमीर ज्यादा अमीर और गरीब ज्यादा गरीब होते जाते हैं। अब इस रोशनी में हम मुद्रा बाजार को देखें। दुनिया की मुद्राओं का बाजार कितना बड़ा है, इसका ठीक-ठीक अंदाज़ा किसी किसी देश की मुद्रा क्या है? को नहीं है, क्योंकि इस बाजार पर कोई नियंत्रण नहीं है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद विजयी राष्ट्रों ने अपने लाभ का हिसाब लगाकर दुनिया का सारा कारोबार कुल छह मुद्राओं में नियंत्रित कर दिया था, जिन्हें आज रिज़र्व करेंसी के नाम से जाना जाता है। मतलब यह कि दो देशों के बीच कोई भी व्यापार केवल इन छह मुद्राओं में हो सकता है। विश्वयुद्ध से सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरे अमरीका ने अपने डॉलर को सबसे आगे रखा।
मेरी टीम में जब किसी को मौका मिलेगा तो पूरा मिलेगा: हार्दिक पांड्या
नेपियर, 23 नवम्बर : भारत के कार्यवाहक कप्तान हार्दिक पांड्या (Hardik Pandya) न्यूजीलैंड के खिलाफ वर्षा से प्रभावित सीरीज में अपनी निरंतरता आधारित चयन मंत्र पर कायम रहे. हालांकि भारतीय दल में संजू सैमसन और उमरान मलिक जैसे नाम थे, जिन्हें एक भी मैच में खेलने का मौका नहीं मिला. अपने फैसले के बारे में पूछे जाने पर, हार्दिक ने कहा, "यह मेरी टीम है. अगर हम उस टीम का चयन करते हैं जो कोच और मुझे लगता है कि सही है, तो यह फैसला ज्यादा कठिन नहीं है. अभी काफी समय है, सभी को मौका मिलेगा और जब उन्हें मौका मिलेगा तो पूरा मौका मिलेगा."
हार्दिक आईपीएल चैंपियन गुजरात टाइटंस के भी कप्तान हैं. रोहित शर्मा के नेतृत्व में टी20 विश्व कप में सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद उन्हें कप्तान बनाया गया था. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि हार्दिक कप्तान बने रहेंगे किसी देश की मुद्रा क्या है? या नहीं, लेकिन उन्हें एक आक्रामक कप्तान माना जाता है जो टीम की अगुवाई सुरक्षात्मक अंदाज में नहीं करेंगे और उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया है कि खिलाड़ियों को लंबे समय तक मौका देना उनका तरीका है. यह भी पढ़ें : साउदी नेपियर में बारिश के कारण धुले तीसरे टी20 पर बोले, मैच में कुछ भी हो सकता था
‘ISIS विचारधारा हो या जिहादी, देश की सुरक्षा के लिए खतरा बनने पर क्रूरता से कुचल दिया जाएगा’: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा- गुजरात में BJP अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ेगी
अमित शाह ने कहा कि अब देश में साजिश करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि ISIS हो या जिहादी हो, अगर वे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए किसी देश की मुद्रा क्या है? खतरा बनेंगी तो उन्हें क्रूरता के साथ कुचल दिया जाएगा। उन्हें बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गृहमंत्री अमित शाह (फोटो साभार: ANI)
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि साल 1990 के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) गुजरात में एक भी चुनाव नहीं हारी है। चाहे वह विधानसभा का चुनाव हो या लोकसभा का। इस बार भाजपा अब तक हासिल किए गए सीटों और वोट प्रतिशत के सारे रिकॉर्ड को तोड़ने जा रही है। उन्होंने कहा कि देश में आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाले किसी भी विचारधारा, चाहे वह ISIS हो या जिहादी, क्रूरता से कुचल दिया जाएगा।
प्राण मुद्रा योग : छोटी-मोटी बीमारियां चुटकियों में होती है ठीक, जानिए इसके फायदे
रायपुर. प्राण मुद्रा योग काफी कारगर योगासन है. इस मुद्रा से छोटी-मोटी बीमारी तो वैसे ही दूर हो जाती है. रोजाना 15 से 20 मिनट दो बार करें या एक ही बार 30 मिनट तक इस मुद्रा को किया जा सकता है. शुरुआती दिनों में दस मिनट से शुरुआत कर किसी देश की मुद्रा क्या है? धीरे-धीरे टाइम पीरियड को बढ़ाया जा सकता है. प्राण मुद्रा की सबसे खास बात ये है कि इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं. गर्भवती महिला भी प्राण मुद्रा नियमित रूप से कर सकती हैं. अगर आप किसी बीमारी से भी पीड़ित हैं, तो भी प्राण मुद्रा कर सकते हैं. इससे शारीरिक नुकसान नहीं होगा.
हम छोटी-मोटी बीमारियों को योग मुद्रा से खुद ठीक कर सकते हैं. इस मुद्रा को हाथ की उंगुलियों से तब बनाते है जब शरीर थकान के कारण नीचे की ओर झुक रहा हो. इस मुद्रा से आंतरिक ऊर्जा और शरीर को रोगों से लड़ने के लिए ताकत मिलती है. इस आसन को करने का कोई सटीक समय नहीं है. हालांकि अकेले और शांत जगह में इस मुद्रा को करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. इस मुद्रा को शांत कमरे में करने से आपके शरीर में ऊर्जा का संचार होता है.
Rewa Teere Chalte Chalte Column : कर्त्तव्य की धारा अविरल
नर्मदा की जलधारा को एकटक निहारते किसी देश की मुद्रा क्या है? संत से किसी ने जिज्ञासावश पूछा- ‘महाराज क्या चल रहा है।' प्रश्न सुनकर उसकी ओर अभिमुख होकर शांत-मुद्रा वाले संत बड़ी सहजता से बोले-‘शिवतनया नर्मदा का प्रवाह रुके तो, उस पार निकलूं, इसी प्रतीक्षा में हूं।'
Rewa Teere Chalte Chalte Column Jabalpur : नर्मदा की जलधारा को एकटक निहारते संत से किसी ने जिज्ञासावश पूछा- ‘महाराज क्या चल रहा है।' प्रश्न सुनकर उसकी ओर अभिमुख होकर शांत-मुद्रा वाले संत बड़ी सहजता से बोले-‘शिवतनया नर्मदा का प्रवाह रुके तो, उस पार निकलूं, इसी प्रतीक्षा में हूं।' यह सुनकर प्रश्न करने वाले ने आश्चर्यचकित भाव से कहा- ‘क्षमा करें महाराज! यह असंभव है, पुण्यसलिला नर्मदा सप्तकल्पों से अविरल प्रवाहित हैं।' यह सुनते ही संत बोले-'यही तो समझाना चाहता हूं कि जन्म से मृत्यु तक जीवन के कर्त्तव्यों की धारा अविरल है। मनुष्य को इसी के मध्य संसार के इस पार से जुड़े सभी कर्त्तव्य कुशलता पूर्वक पूरे करने हैं और उस पार पहुंचने के लिए अनिवार्य आंतरिक कर्त्तव्य के प्रति भी सजग रहना है।‘