सिगनल को उपलब्ध कराने वाले

- CBI का पूरा नाम Central Bureau of Investigation होता है, जिसे हिंदी में केद्रीय जांच ब्यूरो के नाम से जाना जाता है।
- यह पूरे भारत की जांच एजेसी है, देश और विदेश स्तर पर होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों और अष्टाचार के मामलो और राष्ट्रीय हितों से संबंधित अपराधों की भारत सरकार की तरफ से जांच करती है।
- सीबीआई की स्थापना 1963 में हुई थी ।
- भारत सरकार राज्य सरकार की सहमति से किसी भी आपराधिक मामले की जांच करने कि जिम्मेदारी CBI को देती है।
कौन है भारत की सुरक्षा एजेंसियां ?
- CBI का पूरा नाम Central Bureau of Investigation होता है, जिसे हिंदी में केद्रीय जांच ब्यूरो के नाम से जाना जाता है।
- यह पूरे भारत की जांच एजेसी है, देश और विदेश स्तर पर होने वाले अपराधों जैसे हत्या, घोटालों और अष्टाचार के मामलो और राष्ट्रीय हितों से संबंधित अपराधों की भारत सरकार की तरफ से जांच करती है।
- सीबीआई की स्थापना 1963 में हुई थी ।
- भारत सरकार राज्य सरकार की सहमति से किसी भी आपराधिक मामले की जांच करने कि जिम्मेदारी CBI को देती है।
2.इंटेलिजेंस ब्यूरो(Intelligence Bureau)
- आसूचना ब्यूरो या इंटेलिजेंस ब्यूरो, भारत की आन्तरिक खुफिया एजेन्सी हैं और ख्यात रूप से दुनिया की सबसे पुरानी खुफिया एजेंसी है, इसे प्रायः ‘आईबी(IB)’ कहा जाता है।
- इसका गठन 1887 ई में किया गया था इसे 1947 में गृह मंत्रालय के अधीन केन्द्रीय खुफिया ब्यूरो के रूप में पुनर्निर्मित किया गया।
- भारत के अंदर से सुरक्षा संबंधी गुप्त जानकारियां प्राप्त करना।
- भारत पर होने वाले किसी भी अतांक वादी हमले का सिगनल को उपलब्ध कराने वाले पता लगाना।
- सुरक्षा संबंधी गुप्त जानकारियां हमारी सेना बल को देना ताकि बाहरी सुरक्षा भी बनी रहे।
3.रिसर्च एंड एनालिसिस विंग(RAW)
- रिसर्च एंड एनालिसिस विंग(RAW) भारत की अंतर्राष्ट्रीय गुप्तचर संस्था है।
- इसका गठन सितंबर 1968 में किया गया था जब अन्वेषण ब्यूरो (जो पहले घरेलु व अत्तर्राष्ट्रीय मामले संभालती थी) 1962 के भारत-चीन युद्ध व 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अच्छी तरह कार्य नहीं कर पाई थी जिसके चलते भारतीय सरकार को एक ऐसी संस्था की ज़रूरत महसूस हुई जो स्वतन्त्र और सक्षम तरीके से बाहरी जानकारियाँ जमा कर सके।
- रॉ का मुख्य कार्य जानकारी इकट्ठा करना, आतंकवाद को रोकना व गुप्त ऑपरेशनों को अंजाम देना है।
- यह विदेशी सरकारों कंपनियों व इंसानों से मिली जानकारी पर कार्य करना है, ताकि भारतीय नीति निर्माताओं को सलाह दी जा सके।
- रॉ का मुख्यालय नई दिल्ली में है
4.नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी(NIA))
-
नैशनल इन्वेसिटगेशन एजेंसी (एनआईए) का गठन 2008 के मुंबई हमलों के बाद हुआ।
5.नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO)
- साल 2004 में टेक्निकल इंटेलिजेंस एजेंसी का गठन हुआ था।
- यह अन्य एजेंसियों को खुफिया जानकारी मुहैया कराती है और देश-विदेश में खुफिया सूचनाएं एकत्रित करने में समन्वय करती है।
- 2014 में इसने आईसीजी को खुफिया जानकारी दी थी जिसकी मदद से 2014 में नए साल की पूर्व संध्या पर पाकिस्तानी जहाज को उड़ाने में मदद मिली थी। यह इसका एक अहम ऑपरेशन था।
6.नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)
7.डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA)
- DIA का गठन 2002 में किया गया था।
- यह देश-विदेश में डिफेंस से जुड़ी खुफिया जानकारी जुटाने का काम करती है।
- यह सिविल इंटेलिजेंस एजेंसियों पर सशस्त्र बलों की निर्भरता को कम करती है।
- डायरेक्टोरेट ऑफ सिगनल्स इंटेलिजेंस, डिफेंस इमेज प्रोसेसिंग ऐंड अनैलिसिस सेंटर और डिफेंस इन्फर्मेशन वारफेयर इसके नियंत्रण में हैं।
8.डायरेक्टोरेट ऑफ एयर इंटेलिजेंस
- यह वायु सेना से संबंधित इंटेलिजेंस एजेंसी है।
- इसने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।
- यह देश के आंतरिक और सीमा से सटे इलाकों की निगरानी करती है।
- एयरस्पेस एरिया पर नजर रखने के लिए यह इंटेलिजेंस एजेंसी अवाक्स और ड्रोन्स का इस्तेमाल करती है।
9.डायरेक्टोरेट ऑफ नेवल इंटेलिजेंस
- यह भारतीय नौसेना का खुफिया अंग है जो सामुद्रिक क्षेत्र में सूचनाएं एकत्रित करने का काम करती है।
- कराची बंदरगाह पर बमवारी में इसने अहम भूमिका निभाई थी।
10.डायरेक्टोरेट ऑफ मिलिट्री इंटेलिजेंस
- यह भारतीय थल सेना की इंटेलिजेंस विंग है।
- इसका गठन 1941 में किया गया था। सिगनल को उपलब्ध कराने वाले
- आजादी के बाद इसे सेना में भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार दिया गया।
- एजेंसी ने कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई।
11.जॉइंट साइफर ब्यूरो (जेसीबी)
- जेसीबी गठन 2002 में किया गया था।
- यह सिगनल अनैलिसिस और क्रिप्टअनैलिसिस को हैंडल करती है।
सिगनल को उपलब्ध कराने वाले
पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट में खुलासा
नाशिक। पर्यावरण विभाग द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में शहर में ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया है. इससे शहर में रहने वाले नागरिकों के साथ बीमार लोगों के स्वास्थ्य का खतरा बढ़ता जा रहा सिगनल को उपलब्ध कराने वाले है। शहर को मॉडर्न बनाने और आम लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मेट्रो का जाल बिछाया जा रहा है. लेकिन दूसरी तरफ जल और ध्वनि प्रदूषण की समस्या गंभीर हो गई है.
गौरतलब हो कि मनपा के पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट में इस तरफ इशारा किया गया है. दोनों तरह के प्रदूषण में बढ़ोत्तरी हुई है. वह भी तब जब शहर के विकास को लेकर मनपा की जनरल बॉडी में 7 से 8 घंटे तक चर्चा होती है, लेकिन विकास के नाम पर होने वाली समस्याओं पर बगैर चर्चा के रिपोर्ट मंजूर की जाती है। रिपोर्ट के अनुसार ध्वनि की सीमा रात में 45 डेसीबल होनी चाहिए लेकिन शहर के सात क्षेत्रों में यह बढ़ती जा रही है. जिसमें शहर के मुंबई नाका, सीबीएस मेन रोड, पंचवटी, कारंजा, आईटीआई सिगनल, त्रयंबक रोड, द्वारकापुरी क्षेत्र में डिसिबल सीमा रात में 70 के पार हो जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के बीच में बहने वाली 4 नदियों के पानी में भी ऑक्सीजन ज्यादा प्रदूषित होता जा रहा है।
ट्रैन संचालन के लिए, सिग्नलिंग प्रणाली के आधुनिकीकरण का काम शुरू किया गया है, जिसमें शामिल हैं-
वीडियो और डेटा संचार सेवाएं प्रदान करना है। इसका उपयोग निम्नलिखित सिगनल को उपलब्ध कराने वाले उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:
● स्वचालित रेलगाडी सुरक्षा के साथ आधुनिक कैब आधारित सिग्नलिंग प्रणाली की तैनाती जो ट्रेन संचालन में रक्षा और सुरक्षा सिगनल को उपलब्ध कराने वाले को
बढ़ाएगी। साथ ही कोहरे के दौरान भी यह मदद प्रदान करेगी।
● ड्राइवर, सिगनल को उपलब्ध कराने वाले गार्ड, स्टेशन मास्टर, ट्रेन ट्रैफिक कंट्रोलर और मेंटेनेंस स्टाफ के बीच ट्रेन संचालन में निर्बाध सम्पर्क के साथ मिशन
क्रिटिकल वॉयस कम्युनिकेशन।
● यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से सीमित वीडियो निगरानी (लाइव सिगनल को उपलब्ध कराने वाले फीड) के माध्यम से
● विशेष रूप से रोलिंग स्टॉक के लिये आईओटी आधारित एसेट मॉनिटरिंग की व्यवस्था।
● ट्रेनों और स्टेशनों पर यात्री सूचना प्रणाली (पीआईएस)।
एलटीई पहल के अलावा, रेलवे दूरसंचार में अन्य प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं:
● 6002 स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा का विस्तार किया गया है और 101 शेष व्यवहार्य स्टेशनों को जल्द ही शामिल किया
जाएगा। जिसमें से 70 प्रतिशत स्टेशन ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इस सुविधा का उपयोग यात्रियों, स्थानीय विक्रेताओं, कुली आदि
द्वारा किया जा रहा है।
● सुरक्षा में सुधार के लिए 801 स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और शेष स्टेशनों पर भी इसकी योजना है।
● रेलवे के 92 प्रतिशत मार्गों को ओएफसी आधारित प्रणाली (62,205 किलोमीटर सिगनल को उपलब्ध कराने वाले रेलमार्ग) के साथ कवर किया गया है।
इसका उपयोग रेलवे के आंतरिक संचार के लिए किया जा रहा है और अतिरिक्त क्षमता का आरसीआईएल द्वारा व्यावसायिक
रूप से उपयोग किया जा रहा है।
● भारतीय रेलवे बड़े पैमाने पर ई-फाइलिंग सिस्टम को लागू कर रहा है। प्रशासनिक कार्यों में सुधार के लिए सभी सिगनल को उपलब्ध कराने वाले संभागों,
अंचलों, सीटीआई और पीयू सहित 185 इकाइयों में ई-ऑफिस उपलब्ध कराया गया है। 1.35 लाख से अधिक उपयोगकर्ता
इसका उपयोग कर रहे हैं और सिगनल को उपलब्ध कराने वाले अब तक 15.0 लाख से अधिक ई-फाइलें बनाई गई हैं। मौजूदा भौतिक फाइलों को डिजिटल
फाइलों में बदला जा रहा है।
सिग्नलिंग और दूरसंचार के उपरोक्त आधुनिकीकरण के लिए, भारतीय रेलवे ने लगभग 55,000 करोड़ रुपये के निवेश की