Dividend क्या होता है

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नमस्कार दोस्तों स्वागत है , इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि डिविडेंड का मतलब क्या होता है , dividend kya hota hai दोस्तों इसे आपने या तो share market news पर या फिर आपने अगर कभी business news में जरूर सुना होगा डिविडेंड का उपयोग हम वैसे डेली लाइफ में भी कर सकते हैं पर मगर इसका मुख्य प्रयोग शेयर मार्केट में या फिर बिजनेस में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है तो आइए जानते हैं डिविडेंड का मतलब क्या होता है।
dividend ka matalab kya hota hai
दोस्तों अगर डिविडेंड का हिंदी मतलब देखा जाए तो उसका मतलब होता है लाभांश यानी आपको लाभ के अतिरिक्त भी लाभ का कुछ अंश प्राप्त होता है तो उसे हम लाभांश कहते हैं । मान लीजिए आपने एक कंपनी में अपने पैसे निवेश किए अब आपने कुछ सालों तक निवेश को लगातार बढ़ाते रहें अब आपके शेयर का जो प्राइस है वह तो बड़ा ही है । पर आपके इन्वेस्ट किए हुए पैसे से कंपनी को जितना प्रॉफिट हुआ उस प्रॉफिट में से कुछ प्रतिशत कंपनी आपको dividend देती है , और ऐसा तभी होता है जब कंपनी के बोर्ड मेंबर यह डिसाइड करें कि हमें लाभांश यानी डिविडेंड अपने investors को देना है या कंपनी की आगामी ग्रोथ पर निवेश करना है। dividend ka matalab hindi
कंपनी डिविडेंड कब देती हैं।
दोस्तों शेयर मार्केट में ऐसी बहुत सारी कंपनियां हैं जो समय समय पर dividend देती आ रही है पर क्या आपको पता है कि dividend वही कंपनी देती है जो पहले से ही अच्छी खासी ग्रोथ कर चुकी है यानी अब उसके पास अपने इन्वेस्टर को देने के लिए dividend के अतिरिक्त पैसे बचे हुए हैं इसलिए वह अपने इन्वेस्टर dividend pay करके उन्हें शुक्रिया कहती है ताकि उनके दिए हुए पैसे से कंपनी ने इतनी ज्यादा ग्रोथ की है इसलिए कंपनी समय-समय पर डिविडेंड देती है। dividend ka matalab share market
विश्व भर के सबसे बड़े इन्वेस्टर वारेन बुफेट में 27 सौ करोड रुपए मात्र कोको कोला के डिविडेंड से ही कमाए हैं अब आप समझ सकते हैं कि कोकोकोला कितनी बड़ी कंपनी है वह अपने आप में ही एक बहुत बड़ा एंपायर है वह कंपनी डिविडेंड दे सकती है क्योंकि उसे साल भर में इतना ज्यादा प्रॉफिट होता है की यह अगले कुछ सालों के पैसे बचा कर भी डिविडेंड पे कर सकती है।
भारतीय शेयर मार्केट में ऐसी बहुत सारी कंपनी है जो आपको डिविडेंड पर करती है डिविडेंड वही कंपनी दे सकती है जो अच्छी खासी ग्रोथ कर चुकी है।
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दोस्तों हमें आशा है कि आप ने आसान भाषा में dividend kya hota hai और dividend ka matalab समझा होगा आप कमेंट करके बताइए आर्टिकल कैसा लगा बने रहिए हिंदी पेजेस के साथ।
डिविडेंड क्या होता है? डिविडेंड कौन देता है यह कब और कैसे मिलता है ?
जब कंपनी अपने प्रोफिट में से कुछ प्रतिशत अपने शेयर होल्डर को देती है तो इसे ही डिविडेंड कहते हैं। जब किसी कंपनी में आप कोई स्टॉक या शेयर खरीदते हैं तो कंपनी अपने तय किए गए समय पर आपको प्रति शेयर के हिसाब से डिविडेंड देती है।
डिविडेंड कौन तय करता है?
किसको कितना डिविडेंड मिलेगा ये कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तय करते हैं। लेकिन हां शेयर धारकों Dividend क्या होता है Dividend क्या होता है के पास वोट करने का अधिकार होता है। जिसकी मदद से वो डिविडेंड को एप्रूव करते हैं।
डिविडेंड कब मिलता है?
कुछ कंपनी डिविडेंड हर तीन महीने में देती है तो कुछ कंपनी साल में एक बार या फिर हर महीने देती है। डिविडेंड देने वाली कंपनी के आम शेयर धारक डिविडेंड वितरण के एलिजिबल होते हैं, जब तक वे एक्स-डिविडेंड-डेट के पहले तक उस कंपनी के स्टॉक के मालिक होते हैं।
एक्स-डिविडेंड-डेट क्या होता है?
जिस तारीख को डिविडेंड मिलने की पात्रता समाप्त होती है, उसी को एक्स डिविडेंड डेट कहते हैं, या संक्षेप में कहें तो इसे एक्स डेट भी कहते हैं। उदहारण के तौर पर अगर किसी स्टॉक का एक्स डेट सोमवार 5 मई है तो उस तारीख को या उसके बाद जो लोग शेयर खरीदेंगे, उन्हें डिविडेंड नहीं मिलेगा। लेकिन जिन लोगों ने शुक्रवार 2 मई को शेयर खरीदे हैं या उसके पहले से शेयर खरीद कर रखे हैं, तो उन्हें डिविडेंड मिलेगा। सारांश ये है कि एक्स डेट के पहले से आप उस कंपनी के स्टॉक के मालिक होने चाहिए जिस कंपनी से आप डिविडेंड लेना चाहते हैं।
कौन सी कंपनी डिविडेंड देती है?
हर तरह की कंपनी अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड नहीं देती है। जो बड़ी और इसटैब्लिश्ड कंपनी होती है सिर्फ वही डिविडेंड देती हैं। कुछ खास सेक्टर जैसे कि बेसिक मैटेरियल्स, ऑयल एंड Dividend क्या होता है गैस, बैंक्स और फाइनेंस ,हेल्थ केयर, फार्मास्युटिकल और युटिलिटीज वाली कंपनियां आमतौर पर अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देती है। स्टार्टअप जैसे कि टेक्नोलॉजी और बायोटेक वाले ये सब डिविडेंड नहीं देते हैं। क्योंकि इनकी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा रिसर्च एंड डेवलपमेंट में खर्च होता है।
डिविडेंड यील्ड किसे कहते हैं?
किसी भी शेयर का डिविडेंड यील्ड उस डिविडेंड का अनुपात होता हो जो शेयर धारकों को दिया जाता है। दोस्तों यह डिविडेंड आपके स्टॉक इंवेस्टमेंट पर आपकी पैसिव इनकम का जरिया हो सकती है ।
क्या डिविडेंड इनकम टैक्स फ्री है?
हमारे भारत में डिविडेंड इनकम दस लाख से कम हो तो टैक्स फ्री होता है। अगर आपको ये डोमेस्टिक कंपनी मतलब देश के अंदर की कंपनी से मिला है तो, सिर्फ शर्त ये है कि आप इस देश में रहते हो। हां इसमें एक बात ध्यान रखनी होगी कि अगर आप ट्रेडर हैं तो आप पर टैक्स लगेगा, लेकिन अगर आप इंवेस्टर हैं, और स्टॉक खरीद कर बहुत समय के लिए रखते हैं तो आपको टैक्स से राहत मिलेगी।
एनआरआई के लिए डिविडेंड पर टैक्स ।
इंडियन एनआरआई जो यहां की कंपनी के शेयर फोरेन करेंसी में खरीदते हैं, तो उन्हें अपने डिविडेंड वाली कमाई पर दस से बीस प्रतिशत तक का कर देना पड़ता है। डिविडेंड की कमाई पर टैक्स का मुद्दा बहुत बड़ी चर्चा का विषय है, इसलिए अभी हम उसके बारे में बात नहीं करेंगे। वैसे दोस्तों आप बताईए कि आप इंडिया में रहते हैं या Dividend क्या होता है फिर आप एक एनआरआई हैं।
डिविडेंड इनकम का उदाहरण ।
डिविडेंड इनकम को आप इस उदाहरण से और भी बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। मान लीजिए कि हमने मार्च 2009 में टीसीएस के दस शेयर खरीदे। तब उस कंपनी के एक शेयर का दाम 260 रुपया था। इस तरह टीसीएस कंपनी में हमने 2600 रुपए लगाए। फिर हमें उसी साल एक शेयर पर 14 रुपया डिविडेंड मिला तो हमारे पास दस शेयर के कुल 140 रुपये हो गए । फिर Dividend क्या होता है हमने अपने ये खरीदे हुए शेयर 2018 तक नहीं बेचे। इस दौरान सारे शेयर होल्डर्स को 1:1 का बोनस भी मिला और इस तरह टीसीएस कंपनी में हमारे पास 20 शेयर हो गए। हमको अब 2018 में एक शेयर पर 50 रुपये डिविडेंड मिला और हमारे पूरे एक हजार रूपए हो गए, ये बस सिर्फ हमारा डिविडेंड इनकम है, और हमारा खरीदा हुआ स्टॉक अब भी हमारे पास ही है। इस प्रकार डिविडेंड यील्ड अब 38.4% हो गया है, जो कि 2009 में सिर्फ 5.38% था। अगर कोई कंपनी इतने समय में इतना ग्रो करती है, तो इसको आप अपने इंवेस्टमेंट करने के पैसे पे लगा करके देख सकते हैं, कि आपको कितना रिटर्न मिलेगा।
इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि मार्केट में क्या चल रहा है।अगर आप एक अच्छी खासी कंपनी में निवेश करते हैं, जो कि बहुत बढ़िया डिविडेंड दे रही है, तो आप भरोसेमंद कमाई का स्रोत बना सकते हैं।
डिविडेंड शेयर के दाम पर भी असर डालता है। अगर कोई कंपनी पिछली बार से अधिक डिविडेंड देने का अनाउंसमेंट करती है. तो शेयर के दाम उस बढ़े हुए डिविडेंड की दर से बढ़ जाते हैं, और अगर कंपनी डिविडेंड कम कर देती है तो उसी के दर में शेयर के दाम में गिरावट आती है।
Dividend क्या है ?
Dividend कम्पनी का जो भी Dividend क्या होता है नेट प्रॉफिट हुआ है, उसमे से शेअर होल्डर्स को देना | यानी कम्पनी के ग्रॉस इनकम से सभी तरह के खर्चे और टेक्स इत्यादि काटने के बाद जो प्रॉफिट बचता है, जिसमे से किसी और तरह का खर्चा नही निकालना बाकी रह जाता है, उसे नेट प्रॉफिट कहते है | यानी की शुद्ध लाभ, प्रॉफिट ऑफ्टर टेक्स या नेट प्रॉफिट |
अब सवाल यह उठता है की अगर आपके पास सिर्फ 10 शेअर्स हैं और आप देखते हैं की कम्पनी ने 500 करोड़ रूपये का लाभ कमाई है, तो इसका क्या मतलब समझें ?
दरअसल आपको नेट प्रॉफिट की बजाय EPS देखना चाहिए | EPS का मतलब है अर्निंग पर शेअर यानी प्रति शेअर आय (यानी कम्पनी ने एक शेअर पर कितना कमाई की है वह रकम) |
EPS कैसे कॅलक्युलेट किया जाता है ?
कम्पनी के नेट इनकम को टोटल नंबर ऑफ शेअर्स से भाग (बांट) दिया जाता है | उदाहरण के लिए अगर कम्पनी ने नेट प्रॉफिट 100 रूपये कमाई है और कम्पनी के (कुल) टोटल शेअर्स 50 हैं | तो 100 बटा 50 (100/50) = 2 |
यानी कम्पनी ने प्रति शेअर 2 रूपये कमा लिए है | अब ऐसा मत सोचिए की कम्पनी ने प्रति शेअर 2 रूपये कमाई Dividend क्या होता है है तो 2 रूपये प्रति शेअर के हिसाब से आपको भी (शेअर होल्डर को) मिल जाएगा | ऐसा नहीं है |
अब कम्पनी की बोर्ड मीटिंग होगी और वहाँ पर यह तय किया जाएगा, की EPS का कितना प्रतिशत शेअर होल्डर को देना है | मान के चलते हैं की फैसला होता है की शेअर होल्डर्स को EPS का 50% ही देना है | तो EPS का 50% प्रतिशत यानी की 2 रूपये का 50% प्रतिशत होता है 1 रुपया जो आपको प्रति शेअर मिलेगा | और इसी “1″ रूपए को Dividend कहाँ जाता है |
Dividend कैसे तय होता है ?
सबसे पहले कम्पनी के प्रमोटर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग होती है | इस मीटिंग में यह तय किया Dividend क्या होता है जाता है की कितना Dividend शेअर होल्डर को देना है | प्रमोटर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा तय किए हुए डिविडेंड को इंटिरिम (अंतरिम) Dividend कहा जाता है | अब क्यूंकि यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है और कम्पनी के मालिक सिर्फ प्रमोटर्स और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ही नहीं है, बल्कि शेअर होल्डर्स भी कम्पनी के मालिक ही है | इसलिए शेअर होल्डर्स का भी एक अधिकार होता है की वो अंतरिम Dividend के साथ सहमत हो |
इसीलिए इंटिरिम डिविडेंड या अंतरिम डिविडेंड की घोषणा के साथ ही शेअर होल्डर्स को वोटिंग राइट भी दिया जाता है | वोटिंग राइट यानी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने जो भी Dividend तय किया है उसके साथ ही, दो और कीमतें दी जाती है, जिन पर शेअर होल्डर्स को वोटिंग करनी होती है |
Voing of Shareholders
उदाहरण के लिए अंतरिम डिविडेंड EPS का 50% प्रतिशत है यानी की “1” एक रुपया | तो फिर शेअर होल्डर्स को ऑप्शन दिया जाता है, शेअर होल्डर्स निम्न तीन ऑप्शन में से किसी एक ऑप्शन पर वोटिंग (मतदान) करते हैं |
ऑप्शन नंबर (1) | 51% प्रतिशत डिविडेंड दिया जाए | |
ऑप्शन नंबर (2) | 52% प्रतिशत डिविडेंड दिया जाए | |
ऑप्शन नंबर (3) | 53% प्रतिशत डिविडेंड दिया जाए | |
जब वोटिंग पूरी हो जाती है तो ये पता चलता हैं की सबसे ज्यादा वोटिंग “51% प्रतिशत” इस पर हुई है | तो डिविडेंड की रकम रूपये के मामले में बहुत ज्यादा नहीं बदल जाएगी |
वोटिंग के बाद जो डिविडेंड प्रतिशत तय होता है उसी को फाइनल डिविडेंड कहा जाता है | प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट देखते हैं तो उसमे आपको EPS और डिविडेंड परसेंटेज भी देखना चाहिए |
Dividend क्या होता है और कैसे दिया जाता है जानिए पूरी जानकारी
शेयर बाजार मे निवेश करके मुनाफा कमाने के काफी सारे अवसर होते है रोजाना ट्रेडिंग करने वाले निवेशक शार्ट सेल्लिंग करके हर दिन मुनाफा कमाते है कुछ लोग लम्बे समय तक निवेश करके एक निवेश लक्ष बनाते है। इसके आलावा डिविडेंड लाभांश देने वाले शेयर मे भी निवेश करके एक रेगुलर इनकम और निवेश लक्ष को पूरा किया जा सकता है। कंपनी अपने शेयर धारक को उसके लिए हुए शेयर के अनुपात मे डिविडेंड देती है जो की हर साल एक तय समय पर दिया जाता है।