मार्केट ऑर्डर

वॉल्यूम को कुछ समय पहले के आंकड़ों के संदर्भ में देखा जा सकता है. आज के वॉल्यूम की तुलना 10 साल पहले के आंकड़े से करने पर सही डेटा नहीं मिलेंगे. डेटा जितना हाल का होगा, नतीजे उतने ठोस मिलेंगे. यह समझना जरूरी है कि सिर्फ वॉल्यूम से हमें ठोस संकेत नहीं मिल सकता. वॉल्यूम और प्राइस के साथ हमें एंट्री और एग्जिट सिग्नल भी देखना होगा. इसमें संदेह नहीं कि वॉल्यूम का एक ट्रेंड होता है. हम यह कह सकते हैं कि दोनों एक सिक्के के दो हिस्से हैं. निवेशक को ट्रेडिंग में दोनों का ध्यान रखने की जरूरत है.
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स्टॉप-लिमिट ऑर्डर (Stop Limit Order) एक निर्धारित समय सीमा पर एक सशर्त व्यापार है जो स्टॉप की सुविधाओं को एक सीमा आदेश के साथ जोड़ता है और जोखिम को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह अन्य ऑर्डर प्रकारों से संबंधित है, जिसमें लिमिट ऑर्डर (किसी दिए गए मूल्य पर निर्दिष्ट संख्या में शेयर खरीदने या बेचने का ऑर्डर) और स्टॉप-ऑन-कोट ऑर्डर (एक ऑर्डर के बाद सुरक्षा खरीदने या बेचने का ऑर्डर) शामिल है।
- स्टॉप-लिमिट ऑर्डर (Stop Limit Order) एक सशर्त व्यापार है जो जोखिम को कम करने के लिए स्टॉप लॉस (Stop Loss) की विशेषताओं के साथ एक लिमिट ऑर्डर की विशेषताओं को जोड़ता है।
- स्टॉप-लिमिट ऑर्डर (Stop Limit Order) व्यापारियों को मार्केट ऑर्डर ऑर्डर भरने के समय पर सटीक नियंत्रण रखने में सक्षम बनाता है, लेकिन यह निष्पादित होने की गारंटी नहीं है।
- ट्रेडर्स अक्सर मुनाफे को लॉक करने या डाउनसाइड लॉस को सीमित करने के लिए स्टॉप-लिमिट ऑर्डर (Stop Limit Order) का इस्तेमाल करते हैं।
स्टॉप-लिमिट ऑर्डर कैसे काम करते हैं ( How does Stop Limit Orders Work)
स्टॉप-लिमिट ऑर्डर (Stop Limit Order) के लिए दो मूल्य बिंदुओं की सेटिंग की आवश्यकता होती है।
लिमिट (Limit) : व्यापार के लिए निर्दिष्ट लक्ष्य मूल्य की शुरुआत।
सीमा: व्यापार के लिए मूल्य लक्ष्य के बाहर।
एक समय सीमा भी निर्धारित की जानी चाहिए, जिसके दौरान स्टॉप-लिमिट ऑर्डर (Stop Limit Order) को निष्पादन योग्य माना जाता है।
स्टॉप-लिमिट ऑर्डर का प्राथमिक लाभ यह है कि ऑर्डर कब भरना चाहिए, इस पर ट्रेडर का सटीक नियंत्रण होता है।
सभी सीमा आदेशों के साथ, नकारात्मक पक्ष यह है कि यदि स्टॉक/कमोडिटी निर्दिष्ट समय अवधि के दौरान स्टॉप प्राइस तक नहीं पहुंचती है तो व्यापार को निष्पादित करने की गारंटी नहीं है।
स्टॉप-लिमिट ऑर्डर (Stop Limit Order) एक स्टॉप प्राइस तक पहुंचने के बाद एक निर्दिष्ट मूल्य पर निष्पादित किया जाता है। एक बार स्टॉप प्राइस पर पहुंचने के बाद, स्टॉप-लिमिट ऑर्डर लिमिट प्राइस या बेहतर पर खरीदने या बेचने का लिमिट ऑर्डर बन जाता है। इस प्रकार का ऑर्डर विकल्प लगभग हर ऑनलाइन ब्रोकर के पास उपलब्ध होता है।
स्टॉप लिमिट ऑर्डर की विशेषताएं ( Features of Stop Limit Orders)
स्टॉप ऑर्डर एक ऐसा ऑर्डर है जो एक निर्धारित मूल्य तक पहुंचने के बाद निष्पादन योग्य हो जाता है और फिर मौजूदा बाजार मूल्य पर बेचा जाता है। ट्रेडों के पूरा होने पर मौजूदा बाजार मूल्य में मार्केट ऑर्डर किसी भी बदलाव की परवाह किए बिना, एक पारंपरिक स्टॉप ऑर्डर पूरी तरह से बेचा जाएगा।
एक सीमा आदेश वह है जो एक निश्चित मूल्य पर निर्धारित किया जाता है। यह केवल उस समय निष्पादन योग्य होता है जब व्यापार सीमा मूल्य पर या उस मूल्य पर किया जा सकता है जिसे सीमा मूल्य से अधिक अनुकूल माना जाता है। यदि ट्रेडिंग गतिविधि के कारण कीमत सीमा मूल्य के संबंध में प्रतिकूल हो जाती है, तो ऑर्डर से संबंधित गतिविधि बंद कर दी जाएगी।
दो आदेशों को मिलाकर, निवेशक के पास व्यापार को निष्पादित करने में बहुत अधिक सटीकता होती है।
स्टॉप प्राइस हिट होने के बाद बाजार मूल्य पर एक स्टॉप ऑर्डर भरा जाता है, भले ही कीमत प्रतिकूल स्थिति में बदल जाए या न बदले । इससे बाजार में तेजी से समायोजन होने पर वांछनीय कीमतों से कम पर ट्रेडों को पूरा किया जा सकता है। इसे लिमिट ऑर्डर की विशेषताओं के साथ जोड़कर, निवेशक की सीमा के आधार पर मूल्य निर्धारण के प्रतिकूल होने पर ट्रेडिंग रोक दी जाती है। इस प्रकार, स्टॉप-लिमिट ऑर्डर में, स्टॉप प्राइस ट्रिगर होने के बाद, लिमिट ऑर्डर प्रभावी होता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऑर्डर पूरा नहीं हुआ है,।
शेयर ट्रेडिंग में कीमत और वॉल्यूम के बीच क्या है संबंध?
बुनियादी रूप से जब संस्थागत निवेशक बाजार में आते हैं तो वे असर डालते हैं, क्योंकि उनके ऑर्डर काफी बड़े होते हैं. इससे शेयर की कीमत चढ़ जाती है.
वॉल्यूम में बदलाव से शेयर से जुड़े सेंटिमेंट का पता चलता है. इसके चलते ही शेयर की कीमत में बदलाव आता है. ट्रेडिंग वॉल्यूम का बढ़ना अच्छे बाय ऑर्डर का संकेत देता है. दूसरी तरफ, यदि ट्रेडिंग वॉल्यूम घटता है तो उसे बिकवाली का सही समय नहीं माना जाता है. ध्यान देने वाली एक दूसरी बात यह है कि जब किसी शेयर में वॉल्यूम नीचे से ऊपर की तरफ जाता है तो यह मजबूत खरीदारी का संकेत होता है.
बुनियादी रूप से जब संस्थागत निवेशक बाजार में आते हैं तो वे असर डालते हैं, क्योंकि उनके ऑर्डर काफी बड़े होते हैं. इससे शेयर की कीमत चढ़ जाती है. इसलिए वॉल्यूम का मतलब समझना और प्राइस और वॉल्यूम के बीच का संबंध समझना मार्केट ऑर्डर ट्रेडिंग और इनवेस्टिंग (निवेश) दोनों के लिए बहुत जरूरी है. एक निश्चित समय तक वॉल्यूम पैटर्न को देखने से किसी खास शेयर या बाजार में तेजी और गिरावट के पीछे की ताकत का पता चलता है.
L&T: स्टॉक पर असर डालेंगे ऑर्डर मूवमेंट और क्रूड के भाव, ब्रोकरेज का दांव, 26% उछल सकता है शेयर
Brokerage Report on L&T: ब्रोकरेज कंपनियों ने L&T के शेयर पर रिपोर्ट जारी की है और 26 फीसदी तक रिटर्न कमाने के लिए पैसा लगाने की सलाह दी है.
Brokerage Report on L&T: शेयर बाजार में ग्लोबल बाजारों की सुस्ती का संकेत देखने को मिला है. ग्लोबल बाजारों में सुस्ती की वजह से शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. ऐसे में किन शेयरों में पैसा लगाए और कहां निवेशकों का पैसा बन सकता है. इसके लिए ब्रोकरेज कंपनियों की रिपोर्ट आपके बड़े काम आ सकती हैं. इसी सिलसिले में ब्रोकरेज कंपनियों ने L&T के शेयर पर रिपोर्ट जारी की है और 26 फीसदी तक रिटर्न कमाने के लिए पैसा लगाने की सलाह दी है. ब्रोकरेज कंपनी का कहना है कि क्रू़ड ऑयल (Crude Oil) के भाव से इस शेयर पर असर देखने को मिल सकता है. इसके अलावा ऑर्डर मूवमेंट और क्रूड के भाव का असर शेयर पर देखने को मिल सकता है.
Nomura ने शेयर पर दी ये राय
ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने इस शेयर पर खरीदारी की राय दी है. ब्रोकरेज कंपनी ने इस पर 1995 रुपए का टारगेट प्राइस दिया है. ब्रोकरेज कंपनी का कहना है कि अगर क्रूड की कीमतें 80-100 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहती हैं कैपेक्स लेवल सस्टेन कर सकता है.
इसके अलावा ब्रोकरेज कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कंपनी के ऑर्डर मोमेंटम में मार्केट ऑर्डर मजबूत देखने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं कंपनी का अनुमान है कि सरकारी के कैपेक्स मोमेंट में मजबूत सुधार आ सकता है, जिससे शेयर का भाव तेजी दिखा सकता है.
26% रिटर्न दे सकता है ये शेयर
ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टैनली ने इस शेयर पर ओवरवेट की रेटिंग को बरकरार रखा है और 1848 रुपए का टारगेट प्राइस दिया है. इसके अलावा ब्रोकरेज कंपनी क्रेडिट सुईस ने इस शेयर पर आउटपरफॉर्म की रेटिंग को बरकरार रखा है और 2000 रुपए का टारगेट प्राइस दिया है.
बता दें कि कंपनी अनुमान से कमजोर नतीजे पेश किए. कंपनी का रेवेन्यू 52,850.7 करोड़ रुपए और यहां 10% की तेजी देखने को मिली. हालांकि ये तेजी ज़ी बिजनेस के अनुमान के मुताबिक कम है. इसके अलावा EBITDA 6,520.5 करोड़ रुपए रहा और यहां 2.1 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. इसके अलावा मार्जिन 12.3 फीसदी रहा. वहीं मुनाफा 3,620.7 करोड़ रुपए और यहां 10% की तेजी दर्ज की गई है. इसके अलावा कंपनी ने 22 रुपए प्रति शेयर के डिविडेंड का भी ऐलान किया है.
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक्स में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस/एक्सपर्ट द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
ट्रिगर प्राइस क्या होता है?
इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।
जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।
जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।
L&T: स्टॉक पर असर डालेंगे ऑर्डर मूवमेंट और क्रूड के भाव, ब्रोकरेज का दांव, 26% उछल सकता है शेयर
Brokerage Report on L&T: ब्रोकरेज कंपनियों ने L&T के शेयर पर रिपोर्ट जारी की है और 26 फीसदी तक रिटर्न कमाने के लिए पैसा लगाने की सलाह दी है.
Brokerage Report on L&T: शेयर बाजार में ग्लोबल बाजारों की सुस्ती का संकेत देखने को मिला है. ग्लोबल बाजारों में सुस्ती की वजह से शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. ऐसे में किन शेयरों में पैसा लगाए और कहां निवेशकों का पैसा बन सकता है. इसके लिए ब्रोकरेज कंपनियों की रिपोर्ट आपके बड़े काम आ सकती हैं. इसी सिलसिले में ब्रोकरेज कंपनियों ने L&T के शेयर पर रिपोर्ट जारी की है और 26 फीसदी तक रिटर्न कमाने के लिए पैसा लगाने की सलाह दी है. ब्रोकरेज कंपनी का कहना है कि क्रू़ड ऑयल (Crude Oil) के भाव से इस शेयर पर असर देखने को मिल सकता है. इसके अलावा ऑर्डर मूवमेंट और क्रूड के भाव का असर शेयर पर देखने को मिल सकता है.
Nomura ने शेयर पर दी ये राय
ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने इस शेयर पर खरीदारी की राय दी है. ब्रोकरेज कंपनी ने इस पर 1995 रुपए का टारगेट प्राइस दिया है. ब्रोकरेज कंपनी का कहना है कि अगर क्रूड की कीमतें 80-100 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में रहती हैं कैपेक्स लेवल सस्टेन कर सकता है.
इसके अलावा ब्रोकरेज कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कंपनी के ऑर्डर मोमेंटम में मजबूत देखने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं कंपनी का अनुमान है कि सरकारी के कैपेक्स मोमेंट में मजबूत सुधार आ सकता है, जिससे शेयर का भाव तेजी दिखा सकता है.
26% रिटर्न दे सकता है ये शेयर
ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टैनली ने इस शेयर पर ओवरवेट की रेटिंग को बरकरार रखा है और 1848 रुपए का टारगेट प्राइस दिया है. इसके अलावा ब्रोकरेज कंपनी क्रेडिट सुईस ने इस शेयर पर आउटपरफॉर्म की रेटिंग को बरकरार रखा है और 2000 रुपए का टारगेट प्राइस दिया है.
बता दें कि कंपनी अनुमान से कमजोर नतीजे पेश किए. कंपनी का रेवेन्यू 52,850.7 करोड़ रुपए और यहां 10% की तेजी देखने को मिली. हालांकि ये तेजी ज़ी बिजनेस के अनुमान के मुताबिक कम है. इसके अलावा EBITDA 6,520.5 करोड़ रुपए रहा और यहां 2.1 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. इसके अलावा मार्जिन 12.3 फीसदी रहा. वहीं मुनाफा 3,620.7 करोड़ रुपए और यहां 10% की तेजी दर्ज की गई है. इसके अलावा कंपनी ने 22 रुपए प्रति शेयर के डिविडेंड का भी ऐलान किया है.
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक्स में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस/एक्सपर्ट द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)