बाजार अर्थव्यवस्था क्या है?

आरबीआई के ताजा बुलेटिन में प्रकाशित लेख में यह भी कहा गया कि दुनिया भर के आर्थिक परिदृश्य में गिरावट का जोखिम बना हुआ है, वित्तीय स्थितियां सख्त होती जा रही हैं और बाजार की नकदी में कमी वित्तीय कीमतों में उतार-चढ़ाव को बढ़ा रही है. हालांकि इस सब चुनौतियों के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था में आपूर्ति प्रतिक्रिया मजबूत हो रही है, लेख में अर्थशास्त्रियों के हवाले से लिखा गया कि ”सकल मुद्रास्फीति (हेडलाइन इंफ्लेशन) में कमी के संकेत दिखने के साथ ही घरेलू व्यापक आर्थिक परिदृश्य में मजबूती है, लेकिन यह वैश्विक चुनौतियों के प्रति संवेदनशील भी है.”
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घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत, लेकिन ग्लोबल इकोनॉमी में दबाव बढ़ने का दिख सकता है: आरबीआई लेख
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Nov 18, 2022 | बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? 6:11 PM
भारत की इकोनॉमी फिलहाल मजबूत बनी हुई है लेकिन विदेशी संकेतों के बिगड़ने पर इसका असर अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल सकता है. ये मानना है भारतीय रिजर्व बैंक के अर्थशास्त्रियों का. अर्थव्यवस्था को लेकर चुनौतियों और इसकी स्थितियों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के एक लेख में कहा गया है कि इंफ्लेशन में कमी के संकेत मिलने के साथ ही घरेलू स्तर पर अर्थव्यवस्था में मौजूदा हालातों के हिसाब से खुद को ढालने का क्षमता दिख रही है. लेकिन यह अभी भी विदेशी बाजारों में होने वाले उतार-चढ़ाव को लेकर संवेदनशील बनी हुई है.
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डॉलर के मजबूत होने से रुपया कमजोर, अर्थव्यवस्था को दोष नहीं दे सकते: गोयल
शेयर बाजार 24 नवंबर 2022 ,22:15
© Reuters. डॉलर के मजबूत होने से रुपया कमजोर, अर्थव्यवस्था को दोष नहीं दे सकते: गोयल
में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:
नई दिल्ली, 24 नवंबर (आईएएनएस)। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि रुपये की कमजोरी के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था को दोष नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह मुख्य रूप से डॉलर के मजबूत होने के कारण है।टाइम्स नाउ शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, मंत्री ने बढ़ती मुद्रास्फीति के बावजूद एक आशावादी टिप्पणी की, यह देखते हुए कि कई देशों में आसमान छूती मुद्रास्फीति की तुलना में, जहां यह 8 से 10 प्रतिशत के बीच है, भारत ने मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के बीच एक उचित संतुलन बनाए रखा है और देश में मूल्य वृद्धि अन्य की तुलना में बहुत कम है।
Economy News: भारतीय अर्थव्यवस्था पर ऊंची ब्याज दरों का रहेगा दबाव, लेकिन मंदी की आंशका नहीं- रिपोर्ट
मूडीज के अनुसार आने वाले साल के दौरान एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र में मंदी की आशंका नहीं है.
Indian Economy: महंगाई, रेट हाइक और जियो पॉलिटिकल टेंशन जैसे फैक्टर्स के चलते दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका जताई जा रही है. लेकिन इस बीच भारत के लिए कुछ हद तक राहत वाली रिपोर्ट आ रही है. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत में मंदी की आशंका से इनकार किया है. हालांकि मूडीज ने महंगाई पर चिंता जताई है और कहा है कि अगर ब्याज दरें ऊंची बनी रहती हैं तो आने वाले दिनों में देश की GDP ग्रोथ पर असर पड़ सकता है.
ऊंची ब्याज दरों का असर
मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार आने वाले साल के दौरान एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र में मंदी की आशंका नहीं है. हालांकि, पूरे क्षेत्र पर ऊंची ब्याज दरों बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? और ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ धीमी रहने का असर जरूर पड़ेगा. ‘APAC Outlook: A Coming Downshift’ टाइटल वाली रिपोर्ट में मूडीज ने कहा है कि अगले साल भारत धीमी ग्रोथकी दिशा में बढ़ रहा है जो इसकी दीर्घकालिक संभावना के अनुरूप है. पॉजिटिप पक्ष को देखें तो निवेश का फ्लो और टेक्नोलॉजी व कृषि में उत्पादन लाभ से ग्रोथ को गति मिलेगी.
रिपोर्ट में कहा गया कि अगर महंगाई ऊंचे स्तर पर बनी रहती है तो भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट को 6 फीसदी के ऊपर रखना होगा. जिससे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की ग्रोथ स्लो पड़ जाएगी. मूडीज ने अगस्त में अनुमान जताया था कि 2022 में भारत की ग्रोथ धीमी पड़कर 8 फीसदी रहेगी, 2023 में यह और धीमी होकर 5 फीसदी पर आ जाएगी. 2021 में यह 8.5 फीसदी रही थी.
ग्लोबल ट्रेड में सुस्ती का असर
अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने कहा कि एशिया-पैसिफिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था की गति धीमी पड़ रही है और ट्रेड पर निर्भर यह क्षेत्र ग्लोबल ट्रेड में सुस्ती के असर को झेल रहा है. मूडीज एनालिटिक्स में प्रमुख अर्थशास्त्री (एपीएसी) स्टीव कोचरेन ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में केवल चीन ही कमजोर कड़ी नहीं है बल्कि भारत समेत एशिया की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का निर्यात मूल्य अक्टूबर में सालाना आधार पर गिरा है. हालांकि, भारत की निर्यात पर निर्भरता कुछ कम है.
क्षेत्रीय आउटलुक के बारे में मूडीज ने कहा कि भारत समेत एपीएसी क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं भले ही महामारी संबंधी पाबंदियों को हटाने में देरी करने के बाद विस्तार कर रही है, यूरोप और उत्तर अमेरिका में मंदी की आशंका के कारण 2022 की तुलना में 2023 आर्थिक ग्रोथ के लिहाज से सुस्त रहने वाला है. उन्होंने कहा कि आगामी साल में एपीएसी क्षेत्र में मंदी की कोई आशंका नहीं है हालांकि इस क्षेत्र को ऊंची ब्याज दरों और ग्लोबल ट्रेड ग्रोथ में नरमी से प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा.
अशांत बाजारों में निवेश को नेविगेट करना
पिछले कुछ वर्षों में निवेश बाजार अर्थव्यवस्था क्या है? की दुनिया को नेविगेट करने या अवैध संपत्तियों के कब्जे में रहने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए एक कठिन समय रहा है; वैश्विक महामारी, राजनीतिक अशांति और आर्थिक अनिश्चितता सहित विघटनकारी घटनाओं के संयोजन ने एक अशांत बाजार का निर्माण किया है जिसकी भविष्यवाणी करना लगभग असंभव हो गया है।
द्वारा Advertiser, in बिजनेस · 25 Month11 2022, 09:01 · 0 टिप्पणियाँ
अशांत बाजारों में निवेश को नेविगेट करना
कई निवेशकों के लिए, देखने के लिए स्वचालित प्रतिक्रिया कम समय में उनके शेयरों के मूल्य में नाटकीय रूप से गिरावट आती है दहशत, इसके बाद एक के नुकसान में कटौती करने के लिए सहज आग्रह और इनमें नकदी अतिरिक्त नुकसान के संपर्क में आने से पहले निवेश। अधिकांश परिदृश्यों में, यह कार्रवाई का सबसे अच्छा तरीका नहीं है और इससे आपको कहीं अधिक लागत आ सकती है लंबी दौड़। लेकिन आप ऐसे समय में बेचने की इच्छा का विरोध कैसे कर सकते हैं?