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विदेशी मुद्रा स्वैप

विदेशी मुद्रा स्वैप
फ्रैंकफर्ट : अमेरिका के फेडरल रिजर्व सहित दुनिया के छह प्रमुख केन्द्रीय बैंकों ने कहा है कि वह आपस में एक दूसरे को विदेशी मुद्रा की आपूर्ति की आपसी सुविधा प्रदान करेंगे। इन बैंकों ने वर्ष 2007 में हुई उठापटक के बाद विदेशी मुद्रा स्वैप वैश्विक वित्तीय प्रणाली को स्थिरता प्रदान करने के लिए जो व्यवस्था की विदेशी मुद्रा स्वैप गई थी उसका आगे विस्तार किया है।
आज जो निर्णय लिया गया उसमें मुद्राओं की अदला बदली की भी व्यवस्था है। अब तक इस व्यवस्था को अस्थाई उपाय के तौर पर लिया जाता रहा है। यह व्यवस्था, अमेरिका के फेडरल रिजर्व, यूरोपीय सैंट्रल बैंक, दि बैंक ऑफ जापान, दि बैंक ऑफ इंग्लैंड, दि बैंक ऑफ कनाडा और दि स्विस नेशनल बैंक के बीच हुई है।
बैंकों के बीच मौजूदा स्वैप व्यवस्था में केन्द्रीय बैंकों को उनके अपने देश में किसी भी मुद्रा में नकदी उपलब्ध कराने की व्यवस्था होगी। उन्हें जिस भी मुद्रा में नकदी की आवश्यकता होगी वह उपलब्ध कराई जाती है। फेडरल रिजर्व और ईसीबी ने डालर.यूरो की अदला बदली व्यवस्था पहली बार दिसंबर 2007 में शुरू की थी। (एजेंसी)

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श्रीलंका के सबसे बड़े विदेशी मुद्रा स्वैप ऋणदाता के रूप में उभरा भारत, इतने करोड़ की दी मदद

नई दिल्ली। भारत (India) साल 2022 के पहले चार महीनों में श्रीलंका (Sri Lanka) के सबसे बड़े ऋणदाता (largest lender) के रूप में उभरा है। भारत ने श्रीलंका को इन चार महीनों में 37.69 करोड़ डॉलर का ऋण विदेशी मुद्रा स्वैप दिया। वहीं चीन (China) ने केवल 6.790 करोड़ डॉलर का कर्ज श्रीलंका को दिया है। द्वीप राष्ट्र श्रीलंका (island nation sri lanka) अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विदेशी मुद्रा (foreign currency) की कमी के चलते 2.2 करोड़ की आबादी वाले श्रीलंका की हालत खराब है। भोजन, दवा और विदेशी मुद्रा स्वैप पेट्रोल डीजल की भारी कमी से विदेशी मुद्रा स्वैप जनजीवन अस्त व्यस्त है।

पिछले महीने, श्रीलंका विदेशी कर्ज चुकाने से चूक गया था विदेशी मुद्रा स्वैप और इसकी मुद्रास्फीति (inflation) में लगभग 50% की वृद्धि हुई है। आर्थिक स्थिति बिगड़ने से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ जिसके कारण राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

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2022 के पहले चार महीनों यानी 30 अप्रैल तक दिए गए पैसों के अनुसार, भारत ऋणदाताओं की सूची में सबसे ऊपर है। एशियाई विकास बैंक (ADB) इस अवधि में 35.96 करोड़ डॉलर के साथ दूसरा सबसे बड़ा ऋणदाता था। इसके बाद विश्व बैंक है जिसने श्रीलंका को 6.73 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया है। चीन द्वारा दिए गए कर्ज को अखबार ने “मामूली” बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब श्रीलंका ने इस साल की विदेशी मुद्रा स्वैप शुरुआत में विदेशी मुद्रा की भारी कमी का सामना करना शुरू किया तो भारत इसके बचाव में आया था। 2022 के पहले चार महीनों में, श्रीलंका को 96.81 करोड़ डॉलर का विदेशी ऋण मिला है जिसमें 0.7 मिलियन डॉलर का अनुदान भी शामिल है।

2022 की शुरुआत से श्रीलंका के लिए भारत की विदेशी विदेशी मुद्रा स्वैप सहायता का पूरा पैकेज शामिल है। भारत ने इस दौरान श्रीलंका को ईंधन, भोजन और दवाओं की आपातकालीन खरीद के लिए ऋण दिया, एशियाई समाशोधन संघ के भुगतान को आगे बढ़वाया और एक करेंसी स्वैप भी है। भारत ने श्रीलंका के साथ 3.8 बिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप की थी। रिपोर्ट में कहा गया है, “जब श्रीलंका साल की शुरुआत से ही डॉलर की कमी से विदेशी मुद्रा स्वैप जूझ रहा था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘पड़ोस पहले नीति’ के तहत भारत उसका सबसे बड़ा मददगार बनकर आगे आया। श्रीलंका को अन्य सभी द्विपक्षीय भागीदारों ने डॉलर की कमी से बाहर निकलने के लिए कर्ज नहीं दिया तो भारत आगे आया।”

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