शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग

क्या तकनीकी विश्लेषण मौलिक विश्लेषण का विकल्प है?

क्या तकनीकी विश्लेषण मौलिक विश्लेषण का विकल्प है?

Swing trading क्या है? स्विंग ट्रेडिंग में स्टॉक सिलेक्शन कैसे करें?

आप चाहें तो mutual funds मे भी निवेश कर सकते हैं परंतु यह सिर्फ एक पुराना तरीका है जिसमें सिर्फ लॉन्ग टर्म में ही लाभ प्राप्त किया जा सकता है। परंतु स्विंग ट्रेडिंग एक ऐसा कारगर विकल्प है जिससे मदद से आप अपने पैसे पर कम समय में अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं ।

स्विंग ट्रेडिंग इंट्राडे ट्रेडिंग तथा scalping समान ही है परंतु जो इसे अन्य प्रकारों से भिन्न बनाती है वह यह है कि इसमें आपके पास अपने निवेश संबंधी निर्णय को लेने के लिए पर्याप्त समय होता है जिसमें आप अपने तार्किक विश्लेषण के आधार पर निर्णय लेते हैं

आज के इस आर्टिकल में हम स्विंग ट्रेडिंग क्या है तथा उससे संबंधित विषयों के बारे में अध्ययन करेंगे ।

Table of Contents

Swing trading क्या है?

Swing trading, trading एक ऐसा प्रकार है जिसमें किसी कंपनी के शेयर को 1 दिन से अधिक समय के लिए खरीदा जाता है शेयर को खरीदने से लेकर बेचने की अवधि 1 दिन से लेकर कुछ हफ्तों तक के लिए हो सकती है।

यह ट्रेडिंग मार्केट में short term gain तथा medium term gains के लिए की जाती है यह ट्रेडिंग का एक ऐसा रूप होता है जिसमें ट्रेडिंग एक तय समय के लिए की जाती है स्विंग ट्रेडिंग मे इस तय समय में हुए मार्केट में शेयर के प्राइस मूवमेंट से लाभ प्राप्त किया जाता है।

स्विंग ट्रेडिंग कम समय में ज्यादा प्रभावी होती है क्योंकि जहां एक तरफ निवेशकों को अपने निवेश पर 15 से 20 प्रतिशत रिटर्न अर्जित करने के लिए 1 साल या उससे अधिक का समय देना होता है वही एक स्विंग ट्रेडर का उद्देश्य कम समय में अच्छे लाभ कमा कर अपने लक्ष्यों की पूर्ति करना होता है क्योंकि स्विंग ट्रेडिंग की मदद से आप हफ्ते मैं अच्छा रिटर्न पा सकते हैं।

इस ट्रेडिंग का उपयोग कोई भी आम व्यक्ति लॉयर डॉक्टर, बिजनेसमैन ,आर्किटेक्ट या कोई भी व्यक्ति जो किसी भी प्रकार की जॉब करता है वह कर सकता है।

इस ट्रेडिंग की मदद से आप शॉर्ट टर्म में शेयर के प्राइस मूवमेंट से पैसे कमा सकते हैं जिसमें टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करके आप शेयर के प्राइस मूवमेंट का पता लगाकर यह अनुमान लगा सकते हैं कि आने वाले समय में किसी शेयर में कितनी वृद्धि हो सकती है।

Swing trading में stock selection कैसे करें?

स्विंग ट्रेडिंग अन्य ट्रेडिंग के सिद्धांतों पर ही कार्य करती है ।परंतु इसमें व्यक्ति के पास अपने निर्णय लेने हेतु समय होता है। जिससे वह अपने नुकसान को सीमित कर सकता है। जिस प्रकार अन्य ट्रेडिंग प्रकारों में लाभ तथा हानि दोनों हो सकती हैं उसी प्रकार इसमें भी जोखिम रहता है। इसलिए यदि आप अच्छी तरह से स्टॉक का चयन करें तो आप अपने नुकसान को कम तो कर ही सकते हैं ।साथ ही साथ अपने लाभ की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

स्टॉक चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।

मौलिक विश्लेषण

सर्वप्रथम किसी कंपनी के स्टॉक के चयन हेतु आपके पास उस कंपनी के विषय में कुछ मौलिक विश्लेषण होने चाहिए जैसे कि उस कंपनी का वैल्यूएशन कितना है वह कंपनी किस क्षेत्र में कार्यरत है तथा इससे पहले उसने कैसा कार्य किया है।

लिक्विडिटी

स्विंगट्रेडिंग करने से पहले आपको उसकी तरलता यह लिक्विडिटी के बारे में जान लेना चाहिए यदि उस शेयर की लिक्विडिटी अच्छी है तो आप कम समय में उससे अच्छा रिटर्न कमा पाएंगे।

ट्रेंड व मार्केट चाल

स्विंग ट्रेड करते समय आपको टेक्निकल एनालिसिस की आवश्यकता होती है जिसकी मदद से आप उस कंपनी के पुराने डाटा के आधार पर आने वाले समय में उस शेयर में होने वाले बदलाव का अनुमान लगा सकते हैं इसके आधार पर आपको उसके ट्रेंड शेयर की औसत चाल तथा उसके प्राइस मूवमेंट की जानकारी मिल जाएगी।

अन्य स्टॉक के साथ तुलना

किसी कंपनी को चयन करने से पहले आपको उस कंपनी के सेक्टर की अन्य कंपनियों के साथ उसकी तुलना करनी चाहिए जिससे आपको शेयर की जानकारी अच्छी तरीके से हो सके।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस टाइम फ्रेम का उपयोग करें?

मार्केट में स्विंग ट्रेडिंग करने से पहले आपको यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि इसका समय काल 1 दिन से कुछ हफ्ते तक का होता है अतः आपको इसके विश्लेषण हेतु टाइम फ्रेम की आवश्यकता होती है। जिससे आप उसका सटीक आंकलन करके लाभ प्राप्त कर सकें।

चार्ट का अध्य्यन मे आपको मार्केट का विस्तृत आंकलन करने की आवश्यकता होती है इसके लिए आप चार्ट के weekly टाइम फ्रेम या day time frame का उपयोग कर सकते हैं साथ ही ट्रेडिंग की प्लानिंग हेतु 1घंटे या 4घंटे के टाइम फ्रेम का उपयोग कर सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग करते समय एंट्री और एग्जिट कहां करें?

यदि आपको स्विंग ट्रेडिंग से लाभ प्राप्त करना है तो आपको सही समय पर शेयर में एंट्री करने की आवश्यकता होती है।यह तय करने हेतु आपको मार्केट में विभिन्न रणनीतियां का उपयोग करना है। तथा किसी की सहायता से आप अपना लाभ भी तय कर सकते हैं।

Support and resistance

शेयर बाजार में सपोर्ट और रेजिस्टेंस बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ।क्योंकि सपोर्ट मार्केट में खरीदारी को प्रदर्शित करता है ।अर्थात यहां खरीदारी का ज्यादा दबाव होता है ।तथा रेजिस्टेंस सप्लाई को अर्थात् बिकवाली को प्रदर्शित करता है तो यदि आप किसी शेयर मे एंट्री लेते हैं तो क्या तकनीकी विश्लेषण मौलिक विश्लेषण का विकल्प है? आप यह सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस की सहायता से कर सकते हैं।यदि मार्केट कहीं स्ट्रांग सपोर्ट बना रहा है तो आप वहां छोटे स्टॉपलॉस के साथ एंट्री लेने की योजना बना सकते हैं तथा रेजिस्टेंस पर उसको बेच सकते हैं।

मूविंग एवरेज

मूविंग एवरेज मार्केट की औसत चाल को बताने का कार्य करता है चार्ट के तकनीकी विश्लेषण में 21,33,50 ,100,एवं 200 मूविंग एवरेज का उपयोग किया जाता है। यह मार्केट के पिछले कुछ दिनों की औसत चाल के अनुसार आपको भविष्य में आने वाले उतार चढ़ाव का डाटा बताता है।इसकी सहायता से आप अपनी एंट्री की योजना बना सकते हैं।

इंडिकेटर का उपयोग

मार्केट में कई तरह के इंडिकेटर उपलब्ध हैं जो आपको मार्केट की भिन्न-भिन्न दशाओं से अवगत कराते हैं आप इन इंडिकेटर्स का उपयोग करके प्रवेश करने तथा बाहर निकलने की रणनीति को बना सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग मार्केट में कम समय में निवेश करके मुनाफा कमाने हेतु कारगर है। परंतु यदि आपस में सफल होना चाहते हैं तो आपको इसे सावधानी के साथ रिस्क मैनेजमेंट की सहायता से करना चाहिए। क्योंकि यदि आपको अपने लाभ के साथ-साथ अपने नुकसान के बारे में भी पता रहेगा तो आप मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव से अपनी भावनाओं को नियंत्रित कर सकेंगे।

बिना विकल्प के कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना का कोई अर्थ नहीं: पूर्व सीजेआई टीएस ठाकुर

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि कोई भी यह नहीं कह सकता है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली सबसे उत्तम प्रणाली है, लेकिन इस प्रणाली में सुधार किया जा सकता है जैसा कि प्रधान न्यायाधीश क्या तकनीकी विश्लेषण मौलिक विश्लेषण का विकल्प है? ने हाल ही में उल्लेख किया था. The post बिना विकल्प के कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना का कोई अर्थ नहीं: पूर्व सीजेआई टीएस ठाकुर appeared first on The Wire - Hindi.

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि कोई भी यह नहीं कह सकता है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली सबसे उत्तम प्रणाली है, लेकिन इस प्रणाली में सुधार किया जा सकता है जैसा कि प्रधान न्यायाधीश ने हाल ही में उल्लेख किया था.

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने शनिवार को कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर विकल्प मुहैया कराए बिना कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करने का कोई मतलब नहीं है.

उनकी टिप्पणी कॉलेजियम प्रणाली के बारे क्या तकनीकी विश्लेषण मौलिक विश्लेषण का विकल्प है? में सरकार सहित विभिन्न तबकों से आलोचना की पृष्ठभूमि के मद्देनजर आई है.

जस्टिस ठाकुर ने कहा, ‘हर दिन आप किसी को यह कहते हुए सुनेंगे कि कॉलेजियम प्रणाली सही प्रणाली नहीं है. कोई भी यह नहीं कह सकता है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली सबसे उत्तम प्रणाली है, लेकिन कॉलेजियम प्रणाली में सुधार किया जा सकता है जैसा कि प्रधान न्यायाधीश ने हाल ही में उल्लेख किया था.’

वह स्पष्ट रूप से जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की टिप्पणी का जिक्र कर रहे थे, जिन्होंने नौ नवंबर को प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी.

ठाकुर दिसंबर 2015 से जनवरी 2017 तक प्रधान न्यायाधीश थे.

समाचार एजेंसी क्या तकनीकी विश्लेषण मौलिक विश्लेषण का विकल्प है? पीटीआई के मुताबिक, ठाकुर ने राष्ट्रीय राजधानी में एक समारोह में कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि कोई भी संभवत: व्यवस्था में सुधार के प्रयास के खिलाफ बहस कर सकता है.’

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का चयन करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग में लाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन को रद्द करने के बारे में भी उल्लेख किया.

गौरतलब है कि अक्टूबर 2015 में जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की 22 साल पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की जगह लेने वाले संसद के दोनों सदनों द्वारा सर्वसम्मति से पारित एनजेएसी अधिनियम, जिसके तहत उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका को एक प्रमुख भूमिका दी गई थी, को निरस्त कर दिया था.

उन्होंने कहा, ‘अदालत में इसका परीक्षण किया गया और अदालत ने पाया कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता से समझौता कर रहा था. इसका मतलब यह नहीं है कि यदि कोई अन्य अवसर है या यदि वही काम करने का कोई अन्य तरीका नहीं है… ऐसा है तो जैसे हो सके कृपया उसे करें.’

ठाकुर ने कहा, ‘कोई विकल्प दिए बिना व्यवस्था की आलोचना करना हमें कहीं नहीं ले जाता. कुछ मसले हैं, चाहे वह संघवाद का हो या मौलिक अधिकारों या देश की धर्मनिरपेक्ष साख की रक्षा का, ये ऐसे पहलू हैं जिन पर अंततः एक स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा ही ध्यान दिया जा सकता है. यही वह बिंदु है जहां मुझे लगता है कि न्यायपालिका और मीडिया की भूमिका बहुत महत्व रखती है.’

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि देश के लोग कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं और संविधान की भावना के मुताबिक जजों की नियुक्ति करना सरकार का काम है. उनका कहना था, ‘संविधान की भावना को देखा जाए तो न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार का ही काम है. दुनिया में कहीं भी न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायाधीश बिरादरी नहीं करती हैं.’

उन्होंने यह भी कहा था, ‘देश का कानून मंत्री होने के नाते मैंने देखा है कि न्यायाधीशों का आधा समय और दिमाग यह तय करने में लगा रहता है कि अगला न्यायाधीश कौन होगा. मूल रूप से न्यायाधीशों का काम लोगों को न्याय देना है, जो इस व्यवस्था की वजह से बाधित होता है.’

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश करते हैं और इसमें अदालत के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं. इस व्यवस्था को अक्सर इसके आलोचकों द्वारा अपारदर्शी करार दिया गया है.

गौरतलब है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली अक्सर ही आलोचना का केंद्र रहती है. हालांकि, सीजेआई के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान जस्टिस एनवी रमना ने कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों पर उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले जनता के विश्वास को बनाए रखने के मक़सद से होते हैं.

उनका कहना था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है, जहां कई हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाता है.

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