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स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके

स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके
फिजिकल गोल्ड नहीं लेना चाहते तो इन तीन तरीकों से करें निवेश

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गोल्ड में कैसे 3 अलग-अलग तरीकों से इन्वेस्ट करें?

दिवाली की शुरुआत मानी जाने वाली धनतेरस धन और समृद्धि का उत्सव है। दशकों से, भारतीय इस दिन अपने स्थानीय ज्वैलर्स से सोना खरीदने के लिए जाते हैं। यह गोल्ड की खरीद के लिए साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है, यही वजह है कि आपको ज्वेलरी की दुकानों पर महिलाओं की भारी भीड़ देखी जाती हैं, जिनमें पुरुष भी पीछे नहीं हैं।

हालांकि, समय बदल रहा हैं। इन दिनों सोना खरीदने के कई तरीके हैं, खासकर अगर आप इसे निवेश के नजरिए से देख रहे हैं। तो यहां इस धनतेरस पर सोना खरीदने के तीन गैर-पारंपरिक तरीके बताए गए हैं, जो भविष्य में आपके लिए लाभदायक साबित होंगे:

गोल्ड का सिक्का और बार

परंपरागत रूप से, लोगों ने हमेशा किसी अन्य क़ीमती सामान की तुलना में गोल्ड के ज्वैलरी खरीदना पसंद किया है। हालांकि, गहनों में इस्तेमाल किया जाने वाला सोना कभी भी 100% शुद्ध नहीं होता है और इसमें मेकिंग चार्ज भी शामिल होता है। अगर आप किसी आपात स्थिति में अपने ज्वैलरी बेचने का फैसला लेते हैं तो यह फायदेमंद नहीं हो सकता है।

सोने में निवेश का सबसे अच्छा समय: जब भविष्य की थाह लेना मुश्किल हो तो गोल्ड का सहारा लेना बेहतर, एक्सपर्ट से जानिए निवेश करने का तरीका

यूरोप में तकनीकी तौर पर मंदी शुरू हो गई है और अमेरिकी GDP भी लगातार दो तिमाही घटी है। ये दोनों आर्थिक ताकतें महंगाई और इसे कम करने के लिए लागू नीतियों की चलते इस हालत में पहुंची हैं। यही स्थिति कमोबेश पूरी दुनिया की है। जाहिर है, अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता बढ़ी है।

ऐसे में सोने में निवेश मददगार साबित हो सकता है, क्योंकि यह महंगाई और अनिश्चितता दोनों से बचाव का भरोसेमंद साधन (हेजिंग टूल) रहा है। आपने गौर किया होगा कि जब कोविड महामारी चरम पर थी, उस दौरान सोने की कीमत रोजाना बढ़ रही थी।

दूसरी तरफ शेयर बाजार में गिरावट आ रही थी। इस साल मार्च में भी जब रूस और अमेरिका के बीच युद्ध शुरू हुआ तो सोने की कीमत बढ़ने लगी थी। अब एक बार फिर न केवल वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा रहा है, बल्कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन में तकरार भी बढ़ी है।

Investment Tips: गोल्ड ईटीएफ क्या है? इसमें निवेश करने की जानिए 5 वजहें

स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके

Updated Nov 19, 2022 | 09:05 AM IST

Gold etf

गोल्ड ईटीएफ में निवेश के टिप्स जानिए

यह सभी जानते हैं कि भारतीय लोग गोल्ड को पसंद करते हैं। इसके परम्परागत महत्व को देखते हुए, सदियों से विशेष रूप से विशेष अवसरों पर जैसे विवाह या त्योहारों पर गोल्ड एक पसंदीदा उपहार और निवेश रहा है। निवेश के तौर पर, यह मेटल पसंदीदा विकल्पों में आता है क्योंकि इसके साथ लिक्विडिटी की सुविधा के साथ-साथ जब मार्केट में उतार-चढ़ाव होता है, तो आपके पोर्टफोलियों को स्थिरता भी मिलती है। गोल्ड में निवेश करना अब वास्तविक रूप से गोल्ड खरीदने तक सीमित नहीं रहा है। अन्य विकल्प जो अब उपलब्ध हैं, उनसे शुद्धता के साथ समझौता किए बिना सुविधा भी प्राप्त होती है। एक प्रकार का विकल्प गोल्ड ईटीएफ है। ये क्या हैं और क्या ये आपके लिए सही विकल्प है, जानने के लिए पढ़िए।

गोल्ड ईटीएफ क्या है?

गोल्ड ईटीएफ एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) है जो वास्तविक गोल्ड की घरेलू कीमत से जुड़ा है। गोल्ड ईटीएफ के एक यूनिट की वैल्यू 1 ग्राम वास्तविक गोल्ड से जुड़ी है। स्टॉक की तरह, गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया है, जहां पर उन्हें डीमैट अकाउंट का इस्तेमाल करके खरीदा और बेचा जा सकता है। होल्डिंग और शुद्धता के आश्वासन के संबंध में पूर्ण पारदर्शिता के साथ, इलेक्ट्रॉनिक तरीके से गोल्ड में निवेश करने का यह एक आदर्श विकल्प है। अगर आप गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं, तो गोल्ड ईटीएफ के जरिए ऐसा करने के पांच कारणों पर आपको विचार करना चाहिए।

गोल्ड ईटीएफ 99.5% शुद्धता से समर्थित होते हैं। गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट एक ग्राम वास्तविक गोल्ड की जारी कीमत के बराबर होती है। जब आप गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट को खरीदते हैं, तो कस्टोडियन द्वारा एक ग्राम वास्तविक गोल्ड खरीदा जाता है। भारत में गोल्ड ईटीएफ में कुल निवेश 20,000 करोड़ रूपये का है। जो कि पांच वर्ष पहले की तुलना में यह चार गुणा हो चुका है। यह अपवर्ड ट्रेंड इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड निवेश के तौर पर गोल्ड ईटीएफ के बढ़ते प्रचार-प्रसार को दिखाता है।

निम्न लागत- निम्न जोखिम निवेश

जोखिम और लागत के संदर्भ में, गोल्ड ईटीएफ वास्तविक गोल्ड से बढ़कर है। गोल्ड ईटीएफ डीमैट अकाउंट के माध्यम से बेचे और खरीदे जाने वाला डिजिटल निवेश है। क्योंकि इन्हें इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर किया जाता है, वास्तविक गोल्ड की तुलना में चोरी का जोखिम बहुत कम है। इसके अलावा, वास्तविक गोल्ड में निवेश करने की लागत उच्च है क्योंकि आभूषणों पर मेकिंग चार्ज लगाए जाते हैं। गोल्ड ईटीएफ के साथ इस प्रकार का कोई चार्ज नहीं जुड़ा है, इसलिए ये कम लागत पर निवेश का साधन हैं।

क्योंकि गोल्ड ईटीएफ को ऑनलाइन खरीदा जाता है और उन्हें डीमैट अकाउंट में धारित किया जाता है, किसी भी निवेशक द्वारा कभी भी इसे खरीदा और बेचा जा सकता है। इनसे उच्च लिक्विडिटी भी मिलती है क्योंकि स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों की तरह इनकी भी वर्तमान गोल्ड कीमत पर ट्रेडिंग की जा सकती है।

टैक्स-अनुकूल

ईटीएफ के ज़रिए गोल्ड में निवेश पर वास्तविक गोल्ड निवेश की तरह सम्पदा कर नहीं लगाया जाता है। लेकिन, गोल्ड ईटीएफ से मिलने वाले रिटर्न, इंडेक्सेशन लाभ के साथ दीर्घकालिक पूंजी लाभ के अंतर्गत आते हैं। गोल्ड ईटीएफ के लिए दीर्घकालिक पूंजी कर होल्डिंग के 36 महीनों के बाद बेचे गए यूनिट्स पर मिलने वाले लाभ पर लगाया जाता है, और इस प्रकार ये टैक्स-अनुकूल निवेश (साधन) बन जाते हैं। अल्पकालिक पूंजी लाभ- तीन वर्ष की धारिता अवधि से पहले अर्जित लाभ पर, आपकी आय में इस लाभ को जमा करने के बाद, लागू स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाएगा।

गोल्ड ईटीएफ के कारण गोल्ड में निवेश करना अधिक आसान और अधिक अफॉर्डेबल बन गया है। निवेशक 1000 रूपये की निम्न राशि से एसआईपी के आधार पर गोल्ड स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके ईटीएफ खरीद सकते हैं और समय के साथ एक बड़ा निवेश संचित कर सकते हैं। दूसरी तरफ, वास्तविक गोल्ड को केवल बड़े मौद्रिक निवेश के बाद ही खरीदा जा सकता है।

शेयर बाजार में कौन कौन निवेश कर सकता है ?

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शेयर बाजार में कौन कौन निवेश कर सकता है ? क्या शेयर बाजार में शुरुआत करने के लिए कोई नियम है? क्या किसी तरह की उम्र की सीमा, पढाई लिखाई, या किसी तरह की योग्यता का नियम है?

आइए आज के इस आर्टिकल में हम इस को डिटेल में समझने की कोशिश करते है कि – शेयर बाजार में कौन कौन निवेश कर सकता है ?

शेयर बाजार में निवेश

शेयर बाजार में निवेश करने का मतलब होता है – शेयर बाजार जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड कंपनी के शेयर खरीदना, और उस ख़रीदे गए शेयर को अपने पास रखना, जैसे ही आप किसी कम्पनी का शेयर खरीद लेते है, तो आपको उस कंपनी में कुछ हिस्से के मालिक हो जाता है, और जैसे जैसे कंपनी लाभ कमाती है और डिविडेंड की घोषना करती है तो स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके आपको डिविडेंड का लाभ मिलता है, और बाद में कंपनी के शेयर के भाव बढ़ने पर आप उसे वापस शेयर बाजार (BSE या NSE) पर बेच कर लाभ कमा सकते है,

शेयर बाजार से सम्बंधित इन पोस्ट को जरुर पढ़े –

शेयर बाजार में कौन कौन निवेश कर सकता है ?

अगर बात करे कि शेयर बाजार में कौन कौन निवेश कर सकता है, तो एक लाइन में इसका जवाब ये होगा कि- भारतीय शेयर बाजार में अभी तक ऐसा कोई नियम नहीं बना है कि जिसमे किसी तरह की कोई सीमा तय की गई है, कि आपके पास अमुक योग्यता होनी ही चाहिए तभी आप निवेश कर सकते है,

शेयर बाजार बिल्कुल भारतीय लोकतंत्र की तरह ही सबके लिए है, यानि आपको शेयर बाजार में निवेश करने के लिए सिर्फ आपके पास DEMAT अकाउंट और TRADING अकाउंट खुला होना चाहिए,

ताकि आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट की मदद से स्टॉक ब्रोकर को शेयर खरदीने का आर्डर दे सके, और एक बार जब स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके आप शेयर खरीद ले तो वह शेयर आपके DEMAT अकाउंट में जमा हो जाये,

तो इस तरह इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने पढ़े लिखे है, आप कितना कमाते है, आपकी उम्र कितनी है, आप कहा के रहने वाले है, समझने वाली बात ये है कि – फ़िलहाल शेयर बाजार में निवेश की शुरुआत करने के लिए आपके पास सिर्फ बैंक अकाउंट, तथा DEMAT और TRADING अकाउंट होना चाहिए,

जानिए सेंसेक्स (Sensex) क्या है?

आप लोगों ने अक्सर टीवी या न्यूज़पेपर सेंसेक्स के बारे में पढ़ा या देखा हुआ और आपने देखा होगा की सेंसेक्स आज इतने अंक ऊपर चला गया तो कभी आपने सुना हुआ किसान से कितने अंक नीचे गिर गया।

जब भी आप शेयर मार्केट में निवेश करें तो सेंसेक्स के बारे में अच्छे से जानकारी कर ले सेंसेक्स भी एक तरह से निफ्टी की तरह ही काम करता है पर निफ़्टी की तुलना में सन सेक्स में मात्र 30 कंपनियों सूचीबद्ध होती है जहां निफ्टी को Nifty50 भी का जाता है

सेंसेक्स हमारे भारतीय स्टॉक मार्केट का बेंचमार्क इंडेक्स हैं, जोकि BSE (मुंबई स्टॉक एक्सचेंज) मैं सूचीबद्ध शेयर्स के भाव में होने वाली तेजी और मंदी को बताता है और इसी के जरिए हम इसमें सूचीबद्ध 30 सबसे बड़ी कंपनियों के प्रदर्शन की जानकारी हासिल करते हैं सन सेक्स की बात करे तो यह भारत का सबसे पुराना स्टॉक मार्केट इंडेक्स है जिसकी शुरुआत 1986 में हुई

PE (Price earning ratio) क्या है?

PE का मतलब (price earning ratio) प्राइस अर्निंग रेशों है प्राइस अर्निंग रेशों से आपको कंपनी के शेयर के बारे में पता चलेगा और जिसको कंपनी के प्राइस अर्निंग रेशों नहीं पता होंगे वह शेयर बाजार में तरक्की (Growth) नहीं कर पाएगा अगर आपको प्राइस अर्निंग रेशों के बारे में जितना अच्छे से मालूम होगा आप शेयर बाजार में उतना अच्छा मुनाफा निकाल पाओग। और स्टॉक एक्सचेंज में निवेश के तरीके आपको प्राइस अर्निंग रेशों के बारे में बिल्कुल ज्ञान नहीं है तो वह आप बहुत बड़ा लॉस खा सकते हो इसलिए आपको प्राइस अर्निंग रेशों के बारे में बहुत अच्छी जानकारी होनी चाहिए Nifty नीचे है तो इन्वेस्ट कीजिए और निफ्टी ऊपर है तो डिबेस्ड कीजिए

YearPEReturn (Per Year)
199812100%
200311116%
200610130%

PE (price earning ratio) ज्यादा था तब नुकसान

YearPEReturn (Per Year)
Jan 200828-64%
Feb 200828-53%

प्राइमरी मार्केट में कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में पहली बार सूचीबद्ध होती है और अपने शहर जारी करती है कंपनियां IPO आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) के जरिए अपने शेयर पहली बार शेयर बाजार में इशु करती है और बाजार में पूंजी जुटाने का प्रयास करती है।

सेकेंडरी मार्केट को एक्शन मार्केट भी कहते हैं यह एक रेगुलर मार्केट है जहां पर कंपनियों के शेयर्स की ट्रेडिंग रेगुलर बुकिंग पर होती है निवेशक शेयर ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज में अपने ट्रेडिंग ऑर्डर्स पूरा करते हैं

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