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एक व्यापार प्रणाली तैयार करें

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विभागीय लेखांकन (Departmental Accounting); विभागीय लेखांकन से तात्पर्य कंपनी की एक या अधिक शाखाओं या विभागों के खातों को बनाए रखने से है। विभाग के राजस्व और व्यय को अलग से दर्ज और रिपोर्ट किया जाता है। तब विभागीय खातों को कंपनी के वित्तीय विवरण तैयार करने के लिए प्रधान कार्यालय के खातों में समेकित किया जाता है।

Departmental Stores एक ही छत के नीचे बड़े पैमाने पर खुदरा बिक्री का उदाहरण हैं। अलग-अलग सामान बेचने के लिए अलग-अलग विभाग शामिल हैं। पूरे संगठन के शुद्ध परिणाम की गणना करने के लिए, पूर्ण-व्यापार, और लाभ, और हानि खाता तैयार करना है। लेकिन व्यक्तिगत विभाग का मूल्यांकन करने के लिए, व्यक्तिगत व्यापार और लाभ और हानि खाता तैयार करना श्रेयस्कर होगा।

उदाहरण के लिए, एक कपड़ा मिल जो प्रधान कार्यालय और कारखाने में है। उत्पादन सुविधाओं के लिए अलग खाते बनाए जाते हैं और फिर अंतिम परिणाम प्रधान कार्यालय को भेजे जाते हैं जो बाद में प्रधान कार्यालय द्वारा उनके खातों में शामिल किए जाते हैं। बैंक या वित्तीय संस्थान की प्रत्येक शाखा के लिए अलग-अलग खातों का रखरखाव भी विभागीय लेखांकन की श्रेणी एक व्यापार प्रणाली तैयार करें में आता है। बैंक सभी शाखाओं के खातों को समेकित करने के बाद अपना वित्तीय विवरण तैयार करता है।

एक विभागीय लेखा (Departmental Accounting) प्रणाली एक लेखा सूचना प्रणाली है जो विभाग के बारे में गतिविधियों और वित्तीय जानकारी को रिकॉर्ड करती है। विभागीय लेखांकन बड़े समृद्ध व्यापारिक संगठनों के लिए महत्वपूर्ण है। यह अपव्यय और दुरुपयोग को नियंत्रित करता है, लाभ और कमीशन के मामले में कर्मचारी को मुआवजा देता है, प्रदर्शन और साल-दर-साल की प्रगति और विभाग या इसी प्रकार की फर्म के लिए फर्म की तुलना करता है।

विभागीय लेखांकन का अर्थ (Departmental एक व्यापार प्रणाली तैयार करें Accounting Meaning in Hindi):

जहाँ विभिन्न व्यापारिक गतिविधियों के साथ एक बड़ा व्यवसाय एक ही छत के नीचे किया जाता है, आमतौर पर इसे कई विभागों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक विभाग एक विशेष प्रकार के सामान या सेवा से संबंधित होता है। उदाहरण के लिए, एक कपड़ा व्यापारी सूती, ऊनी और जूट के कपड़ों का व्यापार कर सकता है। हालांकि, इस प्रकार के व्यवसाय के लिए समग्र प्रदर्शन विभागीय दक्षता पर निर्भर करता है।

नतीजतन, इस तरह से खातों को बनाए रखना वांछनीय है कि प्रत्येक व्यक्तिगत विभाग के परिणाम को जाना जा सकता है-साथ में समग्र रूप से परिणाम। लेखांकन की प्रणाली जो इसके लिए अनुसरण की जाती है; उद्देश्य विभागीय लेखा के रूप में जाना जाता है।

लेखांकन की यह प्रणाली वास्तव में मालिक को मदद करती है:

  • पिछले परिणामों के साथ विभिन्न विभागों के बीच परिणामों एक व्यापार प्रणाली तैयार करें की तुलना करें,
  • उचित लाइन में उद्यम को बढ़ाने या विकसित करने के लिए नीति तैयार करें; तथा
  • विभागीय परिणाम के आधार पर विभागीय प्रबंधकों को पुरस्कृत करें।

स्तंभकार पुस्तकों में लेखा प्रपत्र।

छोटी ट्रेडिंग इकाई आम तौर पर लेखांकन की इस प्रणाली का उपयोग करती है, जहां सभी विभागों के खातों को स्तंभ खातों के रूप में केंद्रीय लेखा विभाग द्वारा एक साथ रखा जाता है। इस पद्धति के तहत, बिक्री, खरीद, स्टॉक, व्यय आदि को एक स्तंभ रूप में बनाए रखा जाता है।

यह आवश्यक है कि एक विभागीय ट्रेडिंग और लाभ और हानि खाता तैयार करने के लिए, विभिन्न विभाग के लिए अलग-अलग कॉलम वाले खातों की सहायक पुस्तकों की तैयारी आवश्यक है। परचेज बुक, परचेज रिटर्न एक व्यापार प्रणाली तैयार करें बुक, सेल बुक, सेल्स रिटर्न बुक्स आदि सहायक किताबों के उदाहरण हैं।

मेक इन इंडिया

मुख्य पृष्ठ

भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।

'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को एक व्यापार प्रणाली तैयार करें बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:

चुनौतियों का सामना

सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।

सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए एक व्यापार प्रणाली तैयार करें उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।

29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।

कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।

निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य

  • मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
  • 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
  • विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
  • समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और एक व्यापार प्रणाली तैयार करें शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
  • घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
  • भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
  • विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना

आर्थिक विकास के आगे की दिशा

  • भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
  • 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
  • अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
  • जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
  • विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
  • घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
  • शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
  • विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार

भारत में परेशानी मुक्त व्यापार

'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।

अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।

एक व्यापार प्रणाली तैयार करें

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‘वर्क फ्रॉम होम’ व्यापार का बना नया हथियार किंतु इसके लिए नियम बनाने ज़रूरी

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नई दिल्ली/दि.३० – कन्फेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने आज यहाँ कहा की वर्क फ्रोम होम बेशक कोविड आपदाके कारण एक व्यापार प्रणाली तैयार करें मजबूरी में स्वीकार किया गया हो लेकिन अब यह देश में व्यापार करने का बड़ा ज़रिया बनगया है जो न केवल कम लागत , बेहद सक्रिय , समय की बचत सहित अन्य विशेषताओं के लिए जानाजा रहा है इस दृष्टि से इसके लिए सरकार द्वारा एक नीति का बनाया जाना बेहद आवश्यक है जिससेमालिकों और कर्मचारियों के बीच शोषण अथवा उत्पीड़न की किसी भी सम्भावना को ख़त्म किया जासके । कैट ने इस बारे में 9 सितम्बर , 2020 को एक पत्र प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भेजकरअनुरोध किया कि वे संबंधित मंत्रालय और अधिकारियों को निर्देश दें कि वे नवीन रूप से विकसितवर्क फ्रॉम होम कार्यपध्दति के लिए आवश्यक नियम एवं कायदे तैयार करें जिससे उत्पादकता में वृद्धिहो, कार्य कुशलता बढ़े और लोग बिना किसी ज्यादा सोच विचार के तेजी से उभरती इस कार्यपध्दतिको अपनाएँ ।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया ने कहा की प्कोविड अवधि के दौरान विकसित किए गए वर्कफ्रॉम होम की नई कार्य प्रणाली बेहतर है और इसलिए इस नए व्यापारिक मॉडल के लिए एक मजबूतऔर निर्देशित नियमों एवं कायदों की बेहद जरूरत है !

श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा कीकोविड 19 ने भारत और दुनिया भर में एक नई कार्यप्रणालीको जन्म दिया है जो वक़्त और हालात को देखते हुए स्वयं ही अस्तित्व में आई है और जिसको देशभर में एक सफल मॉडल के रूप में अपनाया गया है ! वर्क फ्रॉम होम कार्यप्रणाली ने कार्यालय कीजरूरत को बेमानी करार देते हुए के विपरीत परिस्थितियों में भी दूर से काम करने की नई प्रणाली कोविसकसित किया है ! यह प्रणाली केवल कॉर्पोरेट या उद्योग क्षेत्र ही नहीं, बल्कि छोटे व्यवसायों से जुड़ेस्व-संगठित क्षेत्र ने भी इसे एक बेहतर विकल्प के रूप में अपनाया है ! यह मॉडल जिसमें कई अन्यलाभों के साथ बुनियादी ढांचे की लागत को कम करने की क्षमता है, निश्चित रूप से कोविड संकट कासमाधान होने के बाद भी रहने वाला है। यह व्यापार और वाणिज्य का एक अभिन्न अंग बन गया है।कार्यशील मॉड्यूल में इसे एक नए गतिशील कार्य मॉडल बताते हुए कैट ने इसके लिए एक विस्तृतनियम और कायदा तैयार करने का आग्रह किया। चूंकि यह एक नई प्रणाली है और देश में वर्क फ्रॉमहोम कार्य प्रणाली के लिए कोई नियम अथवा कानून नहीं है, इसलिए इससे जुड़े सभी पहलुओं कोध्यान में रखते हुए एक व्यापक और मजबूत नीति और दिशानिर्देशों की आवश्यकता है।

श्री भरतिया और श्री खंडेलवाल ने आगे कहा कि एक अनुमान के अनुसार किसी भी कंपनी के खर्च कालगभग 17% इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक लागत माना जाता है और वर्क फ्रॉम होम कॉन्सेप्ट से कामकराने में कंपनियों को इन्फ्रास्ट्रक्चर लागत में लगभग 12% की बचत होती है जबकि शेष 5% लागत कार्यालय के बुनियादी ढांचे को बनाए रखने और चलाने में खर्च हो जाती है ! इसके अलावा इस कार्यप्रणाली से सड़कों पर यातायात को कम करने, सार्वजनिक परिवहन पर भार को कम करना,प्रदूषणको काफी हद तक कम करने में मदद मिलती है। कोविड लॉक डाउन और उसके बाद भी वर्क फ्रॉमहोम मॉडल सरकार, बैंकिंग क्षेत्र, व्यापार, उद्योग, स्वास्थ्य सेवाओं, शैक्षिक क्षेत्र, मीडिया, मनोरंजन,बीमा, वित्तीय सेवाओं और विभिन्न अन्य क्षेत्रों सहित सभी में समान रूप से चालू है । न केवलव्यक्तिगत बातचीत में बल्कि एक व्यापार प्रणाली तैयार करें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों, सम्मेलनों, बैठकों, संगठनों कीएजीएम और राजनीतिक रैलियों सहित कई अन्य कार्यक्रमों का आयोजन इस वर्चुअल दुनिया परकिया गया, जो वर्क फ्रॉम होम मॉडल की उच्च सफलता और लोगों द्वारा इसे तेजी से अपनाने कोदर्शाता है । इसे सदी के अब तक से नवीनतम और सफलतम प्रयोग के रूप में माना जा सकता हैजिसमें न केवल लागत को कम करने बल्कि मानव शक्ति ऊर्जा के घंटे की बचत और काम के तेजी सेनिष्पादन की क्षमता है। इस मॉडल की सफलता और स्वीकृति को वीडियो कांफ्रेंस के व्यापक उपयोगके दृष्टिकोण से भी एक व्यापार प्रणाली तैयार करें जाना जा सकता है जिसे लोकप्रिय रूप से “वी सी ” के नाम से जाना जाता है औरयह देश भर में एक घरेलू नाम बन गया

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