विदेशी मुद्रा

विदेशी मुद्रा
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निम्नलिखित में से एक भारत की व .
भारतीय रिजर्व बैंक की विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति सरकार की विदेशी मुद्रा परिसम्पत्ति : भारतीय रिजर्व बैंक का स्वर्ण स्टॉक सरकार की विशेष आहरण अधिकार ,
Solution : आरबीआई के स्वामित्व वाली विदेशी मुद्रा/ परिसंपत्तियों, आरबीआई की स्वर्ण सम्पत्ति, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDRs) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में जमा भारतीय मुद्रा को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल किया जाता है। 29 जनवरी, 2016 तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार ₹23,528 बिलियन था। 3 अक्टूबर, 2017 को भारतीय रिजर्व बैंक के पास विदेशी विनिमय भंडार 400 बिलियन डॉलर को पार कर गया इस प्रकार भारत विदेशी विनिमय भंडार के मामले में आठवें स्थान पर पहुंच गया है।
सिकुड़ता विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल खतरे की घंटी नहीं, मगर RBI को संभलकर चलना होगा
अमेरिकी फेडरल बैंक दरें बढ़ा रहा है, तो रिजर्व बैंक को भी रुपये में गिरावट और विदेशी मुद्रा के भंडार को सिकुड़ने से रोकने के लिए दरें बढ़ानी पड़ेंगी लेकिन इससे आर्थिक वृद्धि की रफ्तार थम सकती है.
ग्राफिक्स: प्रज्ञा घोष/ दिप्रिंट
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सातवें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई और 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा में यह गिरकर 45.6 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. यह 2 अक्तूबर 2020 के बाद का न्यूनतम स्तर है. इसका बड़ा कारण यह है कि रिजर्व बैंक ने रुपये की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा बाजार में बढ़चढ़कर दखल दी. कुछ दिनों पहले तक तो रिजर्व बैंक ने रुपये की कीमत को 80 डॉलर की सीमा पर रोके रखा.
डॉलर की कीमत में निरंतर उछाल के कारण रिजर्व बैंक को रुपये को बाजार के फंडामेंटल्स से जुड़ने की छूट देनी पड़ेगी और उसे संभालने के लिए दूसरे उपाय अपनाने पड़ेंगे. यह महत्वपूर्ण है क्योंकि रिजर्व चालू खाते में सरप्लस की वजह से नहीं बना है विदेशी मुद्रा बल्कि पूंजी की आवक के कारण बना है, और इस पूंजी में हाल के महीनों में काफी उथल पुथल मची है.
डॉलर में तेजी
कैलेंडर वर्ष के शुरू से, अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों में वृद्धि की घोषणाएं कर रहा है. फेडरल फंड रेट अब 3 से 2.25 प्रतिशत के बीच है. फेडरल ओपेन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) के सदस्यों का कहना है कि फेडरल फंड रेट 2022 के अंत तक 4.4 फीसदी और 2023 में 4.6 फीसदी होगी. इसका अर्थ हुआ कि अभी दरों में और वृद्धि होगी.
इससे डॉलर ज्यादा आकर्षक बन जाता है. दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी दरों में वृद्धि कर रहे हैं लेकिन अमेरिकी फेड की विदेशी मुद्रा तुलना में धीमी गति से.
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उदाहरण के लिए, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने दरों में 1.5 फीसदी की वृद्धि की, ऑस्ट्रेलियन सेंट्रल बैंक ने 2.25 फीसदी की वृद्धि की, यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने 1.25 फीसदी की वृद्धि की. नतीजतन, कई मुद्राओं के बीच डॉलर की ताकत का अंदाजा देने वाले डॉलर इंडेक्स में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई. अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों में हाल में 75 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की तो डॉलर इंडेक्स दो दशक में सबसे ऊंचे स्तर, 111.8 पर पहुंच गया.
ग्राफिक्स: रमनदीप कौर/ दिप्रिंट
रुपये में गिरावट
डॉलर इंडेक्स में उछाल से रुपये में गिरावट का दबाव बनता है. यूक्रेन युद्ध के बाद से रुपये की कीमत में 8.9 फीसदी की गिरावट आई है. वैसे, समकक्ष देशों की मुद्राओं की तुलना में रुपया बेहतर हाल में है. लेकिन यह स्थिति उसकी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री के कारण है.
ग्राफिक्स: रमनदीप कौर/ दिप्रिंट
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 86 अरब डॉलर की कमी आई है. जुलाई विदेशी मुद्रा में रिजर्व बैंक ने 19 अरब डॉलर बेची. डॉलर की वास्तविक बिक्री के अलावा, डॉलर के तुलना में यूरो और येन जैसी मुद्राओं में गिरावट से भी रिजर्व पर असर पड़ता है.
डॉलर में उछाल डॉलर के सिवा दूसरी मुद्राओं के डॉलर मूल्य को गिराता है.
इसके उलट, अप्रैल 2013 से सितंबर 2013 के बीच विदेशी मुद्रा हुए ‘टेपर टैंट्रम’ प्रकरण के दौरान रुपये की कीमत करीब 16 फीसदी कम हो गई. उस दौरान रिजर्व में मामूली, 21.5 अरब डॉलर की कमी आई.
कितना रिजर्व पर्याप्त है
अधिकतर देश विदेशी मुद्रा भंडार को अपनी अर्थनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं. बाजार में उथलपुथल का सामना करने, मुद्रा में भरोसा कायम करने, विनिमय दर विदेशी मुद्रा को प्रभावित करने जैसे कई कारणों से उन्हें रोक कर रखा जाता है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश (आइएमएफ) ने कई शोधपत्रों के जरिए बताया है कि रिजर्व की पर्याप्तता को मापने के तीन पारंपरिक पैमाने हैं. जिन देशों में कैपिटल एकाउंट्स पर नियंत्रण रखा जाता है उनमें आयात को प्रासंगिक पैमाना माना जाता है. यह बताता है कि विदेशी मुद्रा झटके के मद्देनजर आयात के लिए कितने समय तक वित्त उपलब्ध कराया जा सकता है. विकासशील देशों में तीन महीने तक आयात करने लायक रिजर्व को पर्याप्त मानने का नियम चलता है. लेकिन वित्तीय समेकीकरण में वृद्धि के कारण इस पैमाने को अब कम उपयोगी माना जाता है.
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में दूसरा पैमाना बकाया अल्पकालिक बाहरी कर्ज की 100 फीसदी कवरेज है. यह खासकर उन देशों के लिए लागू है जो दूसरे देशों के साथ बड़े अल्पकालिक लेन-देन करते हैं. तीसरा पैमाना है व्यापक धन में रिजर्व के अनुपात का. इसका उपयोग पूंजी के बाहर जाने से उभरे संकट में रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन करने के लिए किया जाता है. हाल के संकट के साथ स्थानीय डिपॉजिट के भी बाहर जाने से संकट पैदा हुआ. इस जोखिम से बचने के लिए रिजर्व व्यापक धन (जनता के पास और डिपॉजिट में मुद्रा) के 20 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए.
भारत के पास पर्याप्त रिजर्व
भारत में रिजर्व अब तक 3 महीने से ज्यादा के आयात बिल भरने लायक रहता आया है. अक्तूबर 2021 में रिजर्व 642 अरब डॉलर के शिखर पर था और 16 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता था. अब यह 545.6 अरब डॉलर पर आ गया है और 9 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता है. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के के बीच आयात में वृद्धि ने आयात कवर को घटा दिया है. हालांकि फिलहाल रिजर्व तीन महीने के आयात कवर की सीमा से ज्यादा है, लेकिन रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन उथलपुथल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक की पहल से किया जाएगा.
उपरोक्त दूसरे पैमाने के हिसाब से भारत का रिजर्व अल्पकालिक बाहरी कर्ज से ज्यादा है. हाल के अनुमानों के मुताबिक, अल्पकालिक बाहरी कर्ज उसके रिजर्व के अनुपात में आधे से भी कम के बराबर है. रिजर्व व्यापक धन के 20 प्रतिशत की सीमा से ठीक विदेशी मुद्रा ऊपर है. रिजर्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसे भी समय आए जब रिजर्व इस सीमा से नीचे था.
नीति का हासिल और चुनौतियां
डॉलर में तेज उछाल ने न केवल रुपये को बल्कि पाउंड, यूरो, येन जैसी मुद्राओं को भी कमजोर किया है. चालू खाते के घाटे के बीच पूंजी की विस्फोटक आवक ने रिजर्व में वृद्धि की गति को धीमा किया. जुलाई में, रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा की आवक को बढ़ाने और रुपये में गिरावट को रोकने के उपायों की घोषणा की थी. इन उपायों में, सरकारी तथा कॉर्पोरेट बॉन्डों में विदेशी निवेश की शर्तों को ढीला करना, विदेशी मुद्रा में उधार की सीमा में छूट देना, और बैंक आप्रवासियों से बड़े डिपॉजिट ले सकें इसकी छूट देना शामिल है. लेकिन डॉलर में तेजी के कारण इन उपायों का विदेशी मुद्रा की आवक पर फर्क नहीं विदेशी मुद्रा पड़ा.
रिजर्व बैंक को शायद रुपये को सहारा देने के लिए दरों में शायद अतिरिक्त 50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि करनी पड़ेगी. यह चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि इससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता पर ऐसे समय में दबाव बढ़ेगा जब क्रेडिट की मांग बढ़ रही है. और ज्यादा विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए बॉन्डों को उभरते बाजार के बॉन्ड सूचकांक में शामिल करना बेहतर होगा.
विदेशी मुद्रा भंडार 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.9 अरब डॉलर पर
मुंबई (एजेंसी)। विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि घटने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.9 अरब डॉलर रह गया जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 6.6 अरब डॉलर बढ़कर 531.1 अरब डॉलर पर रहा था। रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 12 करोड़ डॉलर विदेशी मुद्रा कम होकर 470.73 अरब डॉलर रह गयी।
इसी तरह इस अवधि में स्वर्ण भंडार में 70.5 करोड़ डॉलर की गिरावट आई और यह घटकर 37.06 अरब डॉलर हो गया। आलोच्य सप्ताह एसडीआर में 23.5 करोड़ डॉलर की कमी हुई और यह घटकर 17.4 अरब डॉलर पर आ गया। इस अवधि में आईएमएफ के पास आरक्षित निधि 2.7 करोड़ डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर पर आ गई।
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Foreign Currency Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल में सबसे कम! भारत के लिए यह बहुत बुरी खबर है?
देश का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। जो 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया।
Written By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: October 08, 2022 14:12 IST
Photo:FILE Forex
रिजर्व बैंक इस समय दोराहे पर आ खड़ा हुआ है। एक और रुपया पाताल में धंसता नजर आ रहा है, वहीं घटते निर्यात और बढ़ते आया से विदेशी मुद्रा भंडार भी दिनों दिन सिकुड़ता नजर आ रहा है। उस पर विदेशी निवेशकों की रवानगी ने रिजर्व बैंक और सरकार का सिर चकरा दिया है। रुपये को 80 के स्तर से नीचे गिरने से रोकने के लिए पिछले महीने रिजर्व बैंक करीब 100 अरब डॉलर झोंक चुका है। लेकिन इसके बावजूद रुपया 82 से नीचे फिसल चुका है।अब रिजर्व बैंक का पूरा जोर रुपये को बचाने की बजाए विदेशी मुद्रा भंडार को बचाने पर है।
लगातार नौवें सप्ताह आई गिरावट
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रहने के बीच 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर रह गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। विदेशी मुद्रा भंडार इससे पिछले सप्ताह में 8.134 अरब डॉलर कम होकर 537.
518 अरब डॉलर पर रहा था।
Image Source : FILE
1 साल में 100 अरब डॉलर की गिरावट
वैश्विक घटनाक्रमों के कारण रुपये की विनियम दर में गिरावट को रोकने के जारी प्रयासों के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी आई है। देश की विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 में 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। आरबीआई की तरफ से शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, फॉरेन करंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए दरअसल समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 4.406 अरब डॉलर घटकर 472.807 अरब डॉलर रह गया।
स्वर्ण भंडार में भी आई कमी
डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है। आंकड़ों के अनुसार, सोने के भंडार का मूल्य 28.1 करोड़ डॉलर घटकर 37.605 अरब डॉलर पर आ गया है। समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 16.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.427 अरब डॉलर हो गया। आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के पास सुरक्षित देश का मुद्रा भंडार 4.826 अरब डॉलर पर अपरिवर्तित रहा।
विदेशी मुद्रा भंडार में अब भी जारी है गिरावट जबकि गोल्ड रिजर्व में दर्ज हुई बढ़ोतरी
राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में गिरावट के बाद पिछले सप्ताह दर्ज हुई बढ़त के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में इस बार बढ़त दर्ज हुई है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से होता है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।
RBI के ताजा आंकड़े :
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर पर आ पहुंचा है। जबकि, 29 जुलाई 2022 को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.315 अरब डॉलर कि बढ़त दर्ज हुई थी और यह 573.875 अरब डॉलर पर पहुच गया था। उससे पहले 22 जुलाई 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर पर आ पहुंचा है। वहीं, 1 जुलाई, 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 5.008 अरब डॉलर घटकर 588.314 अरब डॉलर पर आ गया था जबकि, 24 जून को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज हुई थी, जो 2.734 अरब डॉलर से बढ़कर 593.323 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :
बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय से गिरावट दर्ज होने के बाद एक बार की बढ़त के बाद अब समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 67.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.313 अरब डॉलर पर जा पहुंची हैं। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में गिरावट ही दर्ज की गई थी। रिजर्व बैंक ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन अब जब FCA में बढ़त दर्ज हुई है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।
आंकड़ों के अनुसार FCA :
रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़त होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 4.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.031 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि, IMF में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 30 लाख डॉलर घटकर 4.987 अरब डॉलर हो गया। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 1.611 अरब डॉलर घटकर 509.646 अरब डॉलर रह गई है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है, इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है, यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :
विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।
यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान को तत्काल खरीदने का निर्णय ले सकती है।
विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।
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