इनकम ट्रेडर

क्या कैपिटल मार्केट से हुई इनकम के लिए भरना चाहते हैं ITR? मदद के लिए आगे आई Zerodha
Zerodha के Nithin Kamath ने कहा, ITR भरने के लिए आपकी टैक्स पीएंडएल रिपोर्ट में कैपिटल गेंस, स्पेकुलेटिव और बिजनेस इनकम, टर्नओवर रिपोर्ट्स आदि सब कुछ है। वर्तमान में टैक्सपैयर्स के लिए वित्त वर्ष 22 (एसेसमेंट ईयर 2022-23) का आईटीआर फाइल करना जरूरी है
ITR Filing : इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने की डेडलाइन में अभी तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। अब आईटीआर भरने के लिए सिर्फ 5 दिन बचे हैं। ऐसे में आयकर विभाग (Income Tax department) ने टैक्सपेयर्स से अंतिम समय की हड़बड़ी से बचने के लिए अपना आईटीआर भरने की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कहा है।
लॉस हुआ है तो भी भरें आईटीआर
जिरोधा (Zerodha) के नितिन कामत (Nithin Kamath) ने मंगलवार को कहा कि अगर आपको लॉस हुआ है तो भी आईटीआर भरने से न चूकें। नहीं तो आपको आईटी डिपार्टमेंट से नोटिस मिल सकता है। कामत ने कहा कि ITR भरने के लिए आपकी टैक्स पीएंडएल रिपोर्ट में कैपिटल गेंस, स्पेकुलेटिव और बिजनेस इनकम, टर्नओवर रिपोर्ट्स आदि सब कुछ है। वर्तमान में टैक्सपैयर्स के लिए वित्त वर्ष 22 (एसेसमेंट ईयर 2022-23) का आईटीआर फाइल करना जरूरी है।
Editor's Take: नए ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट क्यों जरूरी, अनिल सिंघवी ने बताया कैसे बने सफल ट्रेडर
Editor's Take: अनिल सिंघवी ने बताया कि नए ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट लेना क्यों जरूरी है और शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाला कोई भी शख्स सफल ट्रेडर कैसे बन सकता है.
Editor's Take: मंगलवार के ट्रेडिंग सेशन के दौरान शेयर बाजार में तीन दिनों से हो रही लगातार गिरावट पर ब्रेक लगा था. ये बड़ी बात इसलिए है क्योंकि कल के ट्रेडिंग सेशन में ग्लोबल बाजारों में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली थी. ग्लोबल बाजार एक से डेढ़ फीसदी तक फिसले थे लेकिन उसके बाद भी भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में अच्छी क्लोजिंग देखने को मिली. इस मामले पर ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने कहा कि कल के ट्रेडिंग सेशन में भारतीय बाजारों की चाल और ग्लोबल बाजारों में गिरावट की वजह से कंफ्यूजन पैदा हो रहा था कि ट्रेडर्स को आखिर क्या करना चाहिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय कई बार इस पर कॉल लेनी पड़ती है कि आप कितना रिस्क ले सकते हो. ऐसे में अनिल सिंघवी ने बताया कि शेयर बाजार में नए ट्रेडर्स को किन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.
R2R फैक्टर पर जोर दें
अनिल सिंघवी ने बताया कि शेयर बाजार में R2R फैक्टर काफी अहम है और ट्रेडर्स के लिए इसकी अलग-अलग परिभाषा है. R2R यानी कि रिस्क टू रिवॉर्ड या रिवॉर्ड टू रिस्क, ये दोनों तरीकों से ही इस्तेमाल किया जा सकता है.
किन बातों का ख्याल रखने से आप बनेंगे सफल #Trader ?🔥
🎯नए ट्रेडर्स को क्यों जरूर सीखना चाहिए रिस्क मैनेजमेंट?
ओवर नाइट पोजीशन में रिस्क मैनेजमेंट करना कितना अहम?
रिस्क मैनेजमेंट है जरूरी
अनिल सिंघवी ने कहा कि नए निवेशकों को रिस्क और रिवॉर्ड पर खास ध्यान देना चाहिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि मान लीजिए कि बाजार में तेजी को देखते हुए ट्रेडर ने मुनाफा वसूल कर लिया है लेकिन अगले इनकम ट्रेडर दिन मार्केट फिर तेजी के साथ खुला तो इस पर दुख होता है लेकिन कॉल यहां ये लेनी है कि अगर बाजार में तेजी के साथ ना खुलकर गिरावट के साथ खुलता तो इस स्थिति में ओवरनाइट पोजीशन कितनी रखनी है और रिस्क को मैनेज करना है तो कितना करना है.
ट्रेडिंग के समय अनुशासन रखे बरकरार
अनिल सिंघवी ने कहा कि पिछले 2 दिनों बाजार में तेजी देखने को मिली तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों के बीच हाहाकार मच गया. लेकिन बाजार में ट्रेडिंग की है तो 30 दिनों में से एक या दो दिन ऐसे आएंगे, जहां ट्रेडिंग आपके विपरीत होगी.
अनिल सिंघवी ने कहा कि पिछले 1-1.5 साल में जितने लोगों ने ट्रेडिंग शुरू की है और जो ओवरनाइट पोजीशन इनकम ट्रेडर ले रहे हैं, उन्हें पहले रिस्क मैनेजमेंट सीखना चाहिए. रिस्क मैनेजमेंट सीखने का एक ही तरीका है कि अगर मेरे मार्केटिंग स्ट्रैटेजी के विपरीत बाजार में काम करता है तो आपको क्या करना है. ट्रेडर के तौर पर कितनी पोजीशन होनी चाहिए.
ओवर नाइट रिस्क लेते हैं ट्रेडर्स
अनिल सिंघवी ने कहा कि कई मामलों में देखा गया है कि ट्रेडर्स ओवरनाइट रिस्क लेते हैं. लेकिन इंट्राडे में मौका मिलने पर रिस्क नहीं लेते. अनिल सिंघवी ने कहा कि अगर आपको सफल ट्रेडर बनना है तो आपको पता होना चाहिए कि आपको कहां रिस्क लेना है और कितना लेना है.
ITR Filing: कैपिटल मार्केट से होने वाली Income की जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देना जरूरी
अगर आपकी कमाई शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन है तो आपको 15 फीसदी टैक्स देना होगा, जबकि अगर आपकी कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन है तो 1 लाख से अधिक की रकम पर 10 फीसदी का टैक्स देना होगा.
Updated on: Jul 28, 2022 | 1:47 PM
शेयरों के लेन-देन से दो तरह के कैपिटल गेन होते हैं, पहला है शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और दूसरा है लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन. एक साल से कम की अवधि में हुई कमाई को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहते हैं और एक साल या उससे अधिक की अवधि में हुई कमाई को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं. 31 जुलाई को इनकम टैक्स रिटर्न भरने की मियाद खत्म होने जा रही है. इसलिए हम आपके लिए इससे जुड़ी काम की खबर लेकर आए हैं. मसलन, अगर आपकी कैपिटल मार्केट से इनकम होती है, तो इसकी जानकारी इनकम टैक्स रिटर्न में देनी जरूरी है.
वहीं, एक ट्रेडर के रूप में आपको लॉस हुआ है या प्रॉफिट, आपके लिए टैक्स भरना जरूरी है. ज्यादातर लोगों को लगता है कि उन्हें नुकसान हुआ है, इसलिए उनके लिए टैक्स भरना जरूरी नही है. ऐसा करने पर आपको आयकर विभाग से नोटिस मिल सकता है. ध्यान रखना चाहिए कि टैक्स पीएंडएल रिपोर्ट में स्पेकुलेटिव इक्विटी इंट्राडे ट्रेड्स, नॉन स्पेकुलेटिर एफएंडअ ट्रेड, डिलिवरी ट्रेड्स से कैपिटल गेन और चार्जेस, टैक्स आदि सब कुछ अलग-अलग होता है.
समझें शेयर बाजार की कमाई को
शेयर बाजार से हुई कमाई पर लगने वाले टैक्स से पहले से समझना जरूरी है कि शेयर बाजार से कितने तरह के फायदे होते हैं. शेयरों के लेन-देन से दो तरह के कैपिटल गेन होते हैं, पहला है शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और दूसरा है लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन. 1 साल से कम की अवधि में हुई कमाई को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन कहते हैं और एक साल या उससे अधिक की अवधि में हुई कमाई को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं.
अब इंट्रा-डे ट्रेडिंग के बारे में जान लेते हैं. जैसा कि नाम से ही साफ है कि ये कमाई एक ही दिन में होती है. यानी सुबह से शाम तक के वक्त में आप शेयर बाजार में पैसे लगाकर उसे बेच देते हैं और फायदा कमाते हैं, तो उसे इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहते हैं और इससे हुआ फायदा शॉर्ट टर्म कैटिपल गेन होता है. ऐसे में उन्हें अपने मुनाफे पर 15 फीसदी का इनकम टैक्स चुकाना होगा. ध्यान रहे कि इंट्रा-डे से हुई कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनेस के तौर पर देखा जाता है, इसलिए आईटीआर फाइल करते वक्त आपको आईटीआर-3 फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा.
कब भरना होता है आईटीआर-2
वहीं, अगर आप शेयर बाजार में एक दिन से अधिक के लिए शेयर खरीदते हैं तो उससे हुई कमाई के लिए आपको आईटीआर-2 फॉर्म भरना होगा. अगर आपकी कमाई शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन है तो आपको 15 फीसदी टैक्स देना होगा, जबकि अगर आपकी कमाई लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन है तो 1 लाख से अधिक की रकम पर 10 फीसदी का टैक्स देना होगा. बता दें कि 1 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर आयकर में छूट दिए जाने का प्रावधान है.
कैपिटल ऐसेट्स जैसे म्यूचुअल फंड, स्टॉक्स, सोने और अचल संपत्ति से मिलने वाला लाभ कैपिटल गेन होता है. टैक्सपेयर्स को आईटीआर फॉर्म के CG शेड्यूल में कैपिटल गेन्स को इनकम ट्रेडर भरना होता है. टैक्स एक्सपर्ट बताते हैं कि ऐसे टैक्सपेयर्स जो टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं लेकिन उन्हें लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मिला है और उसकी सीमा छूट की लिमिट से ज्यादा है तो उन्हें आईटीआर जरूर भरना चाहिए.
कैपिटल गेन्स कैलकुलेट करने के लिए एसेट के खरीद मूल्य से इसके बिक्री मूल्य को घटाना होगा. हालांकि यह तरीका अलग-अलग ऐसेट्स के लिए अलग हो सकता है. कैपिटल गेन्स पर टैक्स का रेट इस बात पर भी निर्भर करता है कि लाभ कम अवधि के लिए है या फिर लंबी अवधि के लिए.
दिल्ली, हरियाणा और बंगाल में इनकम टैक्स की बड़ी कार्रवाई, अनरिकॉर्डेड लेनदेन के कई दस्तावेज बरामद
लैपटॉप, मोबाइल फोन और पेरिफेरल भागों के एक इंपोर्टर और ट्रेडर पर तलाशी अभियान के दौरान आयकर विभाग को कई दस्तावेजों में बड़ी गड़बड़ी मिली है. साथ ही अनरिकॉर्डेड लेनदेन, संपत्तियों में बेहिसाब निवेश, लिए गए फर्जी लोग आदि से जुड़े कई सबूत पाए गए हैं.
अरविंद ओझा
- नई दिल्ली,
- 16 अक्टूबर 2021,
- (अपडेटेड 16 अक्टूबर 2021, 1:43 PM IST)इनकम ट्रेडर
- लैपटॉप, मोबाइल फोन के ट्रेडर पर आईटी की छापेमारी
- जब्त किए गए 2.75 करोड़ रुपये
आयकर विभाग ने लैपटॉप, मोबाइल फोन और पेरिफेरल भागों के एक इंपोर्टर और ट्रेडर पर तलाशी अभियान चलाया. ये अभियान 10 अक्टूबर 2021 को शुरू हुआ और एनसीआर, हरियाणा और पश्चिम बंगाल तक चला.
तलाशी के दौरान, कई संदिग्ध डॉक्युमेंट, डायरी और डिजिटल सबूत मिले हैं, जिससे पता चलता है कि समूह बड़े पैमाने पर अंडर-इनवॉइसिंग और उसके द्वारा इंपोर्टेड माल के गलत डिक्लेरेशन में लिप्त है. इसके अलावा अनरिकॉर्डेड लेनदेन, संपत्तियों में बेहिसाब निवेश, लिए गए फर्जी लोग आदि से जुड़े कई सबूत मिले हैं.
इसकी कार्यप्रणाली में सीमा शुल्क से बचने के इरादे से कम मूल्य वाले और इंपोर्टेड माल के विवरण की गलत घोषणा पर शेल इनकम ट्रेडर संस्थाओं के नाम पर माल का इंपोर्ट शामिल है. पोर्टों पर मंजूरी मिलने पर, ऐसे माल को आउट-ऑफ-बुक नकद लेनदेन के माध्यम से पूरे भारत में वितरित किया गया है.
कोलकाता पोर्ट पर एक कंटेनर की तलाशी के दौरान ये संदेह और मजबूत हो गया, जहां लदान के बिल में माल को 3.8 लाख रुपये मूल्य के 'एचडीएमआई केबल' के रूप में दिखाया गया था. तलाशी के दौरान मिले और जब्त किए गए सबूतों से पता चलता है कि विदेशी मालवाहकों को ऐसे कम चालान वाले सामानों का भुगतान हवाला चैनलों के माध्यम से किया गया है. लगभग पूरा कारोबार इसी तरह की कार्यप्रणाली से चलता पाया गया है.
हालांकि पिछले 3 वर्षों में ऐसी शेल संस्थाओं के उपयोग से प्रवेश के बंदरगाह पर घोषित आयात का मूल्य लगभग 20 करोड़ रुपये है. यह अनुमान है कि इस अवधि के दौरान वास्तविक मूल्य 2000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है.
इस प्रकार आए पैसे का उपयोग उच्च मूल्य की अचल संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए किया गया है. बता दें कि तलाशी के दौरान लाखों रुपये की बेहिसाबी नकदी बरामद हुई. साथ ही 2.75 करोड़ रुपये भी सीज किए गए हैं. मामले में आगे की जांच जारी है.
शेयर बाजार से हुई कमाई पर कितना लगता है इनकम टैक्स, स्टॉक्स में पैसे लगाने से पहले ये जानना है जरूरी
अगर आप भी शेयर बाजार में पैसे लगाते हैं तो आपको इसका टैक्स सिस्टम पता होना चाहिए. शेयर बाजार में लोग कई तरह से कमाई करते हैं और अलग-अलग तरीकों से हुई कमाई पर टैक्स भी अलग-अलग तरीके से लगता है.
कोरोना काल में पहले तो शेयर बाजार (Share Market) बुरी तरह टूटा, लेकिन फिर उसमें तगड़ी तेजी भी देखने को मिली. इस तेजी की एक वजह यह भी रही कि पहले की तुलना में अधिक लोगों ने शेयर इनकम ट्रेडर बाजार में पैसा लगाना शुरू कर दिया. कुछ साल पहले की तुलना में अब बहुत सारे लोग शेयर मार्केट में पैसे लगाते हैं. बीएसई से पहले 5 करोड़ इन्वेस्टर करीब 12 सालों में जुड़े, जबकि महज दो सालों में ही 5 करोड़ और इन्वेस्टर जुड़ गए. यानी अब शेयर बाजार में पैसे लगाने वाले बहुत अधिक बढ़ चुके हैं. ऐसे में ये जानना भी बहुत जरूरी है कि शेयर बाजार से जो कमाई होती है, उस पर कितना इनकम टैक्स (Taxation on Share Market Earning) लगता है.
सबसे पहले बात इंट्रा-डे की
कोरोना काल में ऐसे बहुत सारे लोग शेयर बाजार से जुड़े, जिनका मकसद निवेश करना नहीं, बल्कि ट्रेडिंग करना था. बता दें जब लोग शेयर बाजार में कम समय के लिए पैसे लगाते हैं इनकम ट्रेडर और मुनाफा मिलते ही उन्हें बेच देते हैं, उसे ट्रेडिंग कहते हैं. यह ट्रेडिंग एक दिन से लेकर कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों तक के लिए भी की जाती है. अगर कोई शख्स एक ही दिन में शेयर को खरीदकर उसे बेच भी देता है, तो इसे इंट्रा-डे ट्रेडिंग कहते हैं. अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग करते हैं तो आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना होगा. यानी अगर आपकी कुल कमाई 2.5 लाख रुपये से भी कम है तो आप पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, जबकि इससे ऊपर की कमाई पर आपको स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना पड़ेगा.
फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग पर कैसे लगता है टैक्स
अगर आप फ्यूचर या ऑप्शन ट्रेडिंग करते हैं तो भी आप पर इंट्रा डे की तरह ही टैक्स लगेगा. यानी फ्यूचर या ऑप्शन ट्रेडिंग से आपको जो मुनाफा होगा, उस पर आपको खुद पर लगने वाले टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा. बता दें कि फ्यूचर-ऑप्शन ट्रेडिंग के तहत आप बाद की यानी आने वाले दिनों की किसी तारीख के लिए डील फाइनल करते हैं. फ्यूचर के तहत अगर आप कोई स्टॉक लेते हैं तो आपको उस डील में फायदा हो या नुकसान, आप समय से पहले उससे बाहर नहीं निकल सकते. वहीं ऑप्शन ट्रेडिंग में आपको अगर नुकसान होने लगता है तो आप डील छोड़ सकते हैं. इनका इस्तेमाल सबसे ज्यादा हेजिंग के लिए होता है, लेकिन बहुत से ट्रेडर इसे मुनाफा कमाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं.
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर कैसे लगता है टैक्स?
अगर आप किसी शेयर को अपने पोर्टफोलियो में कम से कम 1 दिन या अधिक से अधिक 364 दिन मतलिब 1 साल से कम तक रखते हैं तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स कहा जाता है. इस पर आपको फ्लैट 15 फीसदी का टैक्स देना होता है. हालांकि, अगर आपकी कमाई 2.5 लाख रुपये से कम है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा, लेकिन कमाई उससे ऊपर बढ़ते ही फ्लैट 15 फीसदी टैक्स लगेगा, भले ही आप किसी भी स्लैब के दायरे में आते हों.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन हुआ तो कैसे लगेगा टैक्स?
ऐसे भी बहुत सारे लोग हैं जो शेयर बाजार में 1 साल से अधिक की अवधि के लिए शेयर खरीदते हैं. इसे ही निवेश कहा जाता है. बड़े-बड़े दिग्गज निवेशक हर किसी को निवेश की सलाह ही देते हैं. अगर आपको कैपिटल गेन होता है तो उस पर आपको 1 लाख रुपये तक पर कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा. वहीं अगर आपकी कमाई इससे अधिक होती है तो उस पर फ्लैट 10 फीसदी टैक्स चुकाना होगा. इसमें भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं. हालांकि, अगर आपकी कमाई 2.5 रुपये तक ही है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा.
कई गुना सब्सक्राइब हो जाए IPO तो कैसे होता है अलॉटमेंट, जानिए कहां करें चेक कि शेयर मिला या नहीं