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FOMC क्या है

FOMC क्या है
US Fed के फैसले से भारत पर क्या होगा असर

US Fed द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से कैसे प्रभावित होते हैं दुनिया के बाजार, भारत पर क्या पड़ता है असर

US Fed Rate Hike Impact on India अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का सीधा असर विकासशील देशों के बाजारों पर पड़ता है। इससे अमेरिका में बॉन्ड यील्ड पर सकारात्मक प्रभाव होता है और निवेशक FOMC क्या है अपने ही देश में पूंजी लगाने के लिए प्रेरित होते हैं।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। हाल ही में अमेरिका में महंगाई के आंकड़े जारी हुए। इनमें अनुमान से कम गिरावट देखी गई, जिसके बाद यह संभावना बढ़ गई है कि अमेरिका का फेडरल रिजर्व बैंक (अमेरिका का केंद्रीय बैंक) जल्द ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है। इस चिंता के कारण अमेरिका के साथ-साथ भारतीय शेयर बाजार में भी बड़ा उतार- चढ़ाव देखने को मिल रहा है।

ऐसे में बहुत से लोगों के मन में ये सवाल FOMC क्या है उठता है कि आखिर दुनिया के शेयर बाजार अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से प्रभावित होते हैं? सबसे पहले बात भारत की।

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भारत और अमेरिका के बाजार में अंतर

अमेरिका एक विकसित देश है। वहां पर विकास की सीमित संभावनाएं हैं। दूसरी तरफ भारत एक विकासशील देश है और यहां विकास की असीमित संभावनाएं हैं। विकास की सीमित संभावना होने के कारण अमेरिका में ब्याज दरें भारत की तुलना काफी कम है। इसी का फायदा उठाकर निवेशक अमेरिका के बैंकों से पैसा उठाकर भारतीय बाजारों में अधिक रिटर्न के लिए निवेश करते हैं।

Air India to lease 12 more aircraft comprising A320 neo Boeing 777 (Jagran File Photo)

अमेरिका के बाजार निवेश को कैसे प्रभावित करते हैं?

ब्याज दर बढ़ने का प्रभाव

1. अमेरिकी में ब्याज दरों में इजाफा होना भारत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के बाजारों को प्रभावित करता है। ब्याज दर बढ़ने के कारण निवेशकों को अधिक ब्याज का भुगतान करना होता है, इस कारण उनका रिटर्न कम हो जाता है और भारतीय बाजार उन्हें कम आकर्षक लगते हैं।

Dabur International CEO Krishan Kumar Chutani resigns (Jagran File Photo)

2. अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के कारण बॉन्ड यील्ड भी बढ़ जाती है, जो वहां के निवेशकों को उनकी अपने देश में निवेश करने के लिए प्रेरित करती है।

3. ब्याज दर बढ़ने का नकारात्मक प्रभाव रुपये पर पड़ता है और इससे डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरती है। इससे विदेश निवेशकों का रिटर्न भी कम हो जाता है।

4. ब्याज दरों में होने वाले इस बदलाव से लंबी अवधि के विदेशी निवेशक प्रभावित नहीं होते हैं, वे बाजार में बने रहते हैं।

India

ब्याज दर घटने का प्रभाव

ऐसा नहीं है कि अमेरिका के बाजार भारत पर हमेशा नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जब भी अमेरिका में ब्याज दर घटी है तो इसका सकारात्मक प्रभाव भी होता है। उदाहरण के लिए 30 अक्टूबर 2019 में FOMC क्या है अर्थव्यवस्था को मंदी में जाने से रोकने के लिए फेड ने 25 आधार अंक अमेरिका में ब्याज दर घटाई थी, जिसके अगले ही दिन सेंसेक्स रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।

US Fed Meet : अमेरिकी केंद्रीय बैंक आज 0.75 फीसदी बढ़ा सकता है FOMC क्या है ब्‍याज दर, क्‍यों आई ऐसी नौबत और क्‍या होगा असर?

अमेरिका की महंगाई दर अभी 8.2 फीसदी चल रही है.

अमेरिका और आसपास के देशों में अभी महंगाई दर करीब 70 साल के शीर्ष पर चल रही है. इससे पार पाने के लिए केंद्रीय बैंक लगाता . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 27, 2022, 15:11 IST

हाइलाइट्स

अमेरिका में अभी खुदरा महंगाई की दर 42 साल के शीर्ष पर है.
अमेरिका में ब्‍याज दरें इस साल 3.75 फीसदी तक जा सकती हैं.
इससे पहले बैठक में फेड रिजर्व ने 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी.

नई दिल्‍ली. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व आज 27 जुलाई को होने वाली बैठक में अपनी ब्‍याज दरों को एक बार फिर बढ़ाएगा. एक्‍सपर्ट का अनुमान है कि इस बार ब्‍याज दर में 0.75 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि ज्‍यादा दबाव को देखते हुए फेड रिजर्व 1 फीसदी की बढ़ोतरी का भी फैसला कर सकता है.

अमेरिका में अभी खुदरा महंगाई की दर 42 साल के शीर्ष पर है और इस पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक को ताबड़तोड़ ब्‍याज दरें बढ़ानी पड़ रहीं. माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्‍याज दरें इस साल 3.5 फीसदी से 3.75 फीसदी तक जा सकती हैं. इससे पहले बैठक में फेड रिजर्व ने 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. हालांकि, इसके बावजूद महंगाई दर में नरमी के बजाए और तेजी आती दिखी.

इसलिए बढ़ रही ब्‍याज दर
महंगाई में हो रही बेतहाशा वृद्धि का कारण सप्‍लाई पर असर पड़ना है. इसके अलावा कमोडिटी की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हो चुकी है और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन पर काफी असर पड़ा है. उत्‍तरी अमेरिका और यूरोप के विकसित देशों में इस समय महंगाई 7 दशक के शीर्ष पर दिख रही है. यही कारण है कि इन देशों केंद्रीय बैंक ताबड़तोड़ ब्‍याज दरें बढ़ा रहे हैं.

भारत जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर ज्‍यादा दबाव नहीं
एक तरफ अमेरिकी और यूरोपीय देश महंगाई से बुरी तरह प्रभावित हैं तो भारत, चीन जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर इसका ज्‍यादा असर नहीं दिख रहा है. ऑस्‍ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में राजकोषीय घाटा उनकी जीडीपी का 14 से 25 फीसदी पहुंच गया है. भारत में यह 6 फीसदी के दायरे में चल रहा है. इससे आने वाले समय में यहां और मांग बढ़ेगी. साथ ही सरकार के पास भी ज्‍यादा फंड खर्च FOMC क्या है करने की गुंजाइश बनी रहेगी.

सुस्‍त हो जाएगी अमेरिका की विकास दर
अमेरिक फेड रिजर्व महंगाई पर तत्‍काल प्रभाव से काबू पाने के लिए ब्‍याज दरें तो बढ़ा देगा लेकिन इसका असर उसकी विकास दर पर पड़ेगा. इस साल की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में अमेरिका की विकास पहले ही शून्‍य से 1.6 फीसदी नीचे जा चुकी है और इसके बाद से लगातार दो बार ब्‍याज दरें भी बढ़ाई जा चुकी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अप्रैल-जून तिमाही में भी विकास दर माइनस में ही रहेगी. ऐसा होता है तो अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था तकनीकी तौर पर मंदी में चली जाएगी और इसका यूरोप सहित पूरे एशिया की विकास दर पर असर दिखेगा.

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US Fed Meet: दरों में हो सकती है तेज बढ़त, क्या होगा अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इसका असर

अमेरिका में महंगाई दर फिलहाल 4 दशकों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. जिसकी वजह से दरों में करीब एक प्रतिशत की बढ़त की आशंका जताई जा रही है.

US Fed Meet: दरों में हो सकती है तेज बढ़त, क्या होगा अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इसका असर

आज दुनिया भर के निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर है. दरअसल आज फेड ब्याज दरों को लेकर अपना फैसला सुनाएगा. बाजार के जानकार मान रहे हैं कि दरों में बढ़ोतरी होना तय है लेकिन वो ये देखना चाहते हैं कि दरो में कितनी बढ़ोतरी हो सकती है. फिलहाल अमेरिका में महंगाई दर रिकॉर्ड स्तरों पर है इसी वजह से एक्सपर्ट मान रहे हैं कि फेड दरों को लेकर सख्त रुख रख सकता है और दरों में 0.75 से एक प्रतिशत की बढ़त कर सकता है. माना जा रहा है कि FOMC क्या है अगर फेड तेज बढ़त का फैसला लेता है तो बाजारों में इससे सेंटीमेंट्स गिरेंगे और दरें बढ़ने से ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ेगा. भारतीय समय के अनुसार 27 जुलाई रात 11.30 बजे मीटिंग शुरू होगी और इसके आधे घंटे के बाद फेडरल रिजर्व फैसले का ऐलान कर सकता है.

क्यों है दरों में तेज बढ़त का अनुमान

फेडरल रिजर्व ने इस साल की शुरुआत के साथ दरों में बढ़ोतरी शुरू की थी . फेड ने ये कदम महंगाई दर पर नियंत्रण के लिए उठाया था और पिछली बैठक में दरों में आधा फीसदी की बढ़ोतरी की थी हालांकि इस कदम के बावजूद महंगाई दर पर कोई खास असर नहीं पड़ा और वो रिकॉर्ड ऊंचाई पर ही बनी हुई है. फेडरल रिजर्व पहले ही संकेत दे चुका है कि FOMC क्या है उसकी प्राथमिकता महंगाई पर नियंत्रण की है ऐसे में पूरी संभावना है कि फेडरल रिजर्व इस बार दरों में तेज बढ़त कर सकता है.

4 दशक के रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई

अमेरिका में मुद्रास्फीति मई महीने में चार दशकों के रिकॉर्ड स्तर 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. गैस, खानपान और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होने से अमेरिका में महंगाई काफी FOMC क्या है बढ़ गई है. अमेरिकी श्रम विभाग की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई 2022 में उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की तुलना में 8.6 प्रतिशत बढ़ गईं. इसके एक महीने पहले अप्रैल में उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 8.3 प्रतिशत बढ़ी थीं.

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क्या होगा दरों में बढ़ोतरी का असर

दरें बढ़ने से दुनिया भर के बाजारों से रकम निकालने की रफ्तार तेज हो सकती है इससे शेयर बाजारों पर असर पड़ सकता है. दूसरी तरफ इससे संकेत जाएगा कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक भी दरें बढ़ा सकते हैं. सिस्टम से नकदी घटने से ग्रोथ पर सीधा असर पड़ेगा FOMC क्या है और संभावना है कि अगले कुछ समय तक अर्थव्यवस्थाओं की रफ्तार सुस्त पड़ सकती है.

US Fed रिजर्व क्या ब्याज दरों में करेगा कटौती, जानें भारत पर क्या होगा असर

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US Fed के फैसले से भारत पर क्या होगा असर

घरेलू शेयर बाजार सहित दुनियाभर के बाजारों की निगाहें US Fed के फैसले पर टिकी हैं. US Fed रिजर्व की फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (FOMC) ब्याज दरों को लेकर बुधवार को अहम फैसला सुनाने जा रही है. मंगलवार को शुरू हुई 2 दिन की मीटिंग के बाद माना जा रहा है कि यूएस फेड दरों में कम से कम 25 बेसिस प्वॉइंट की कटौती कर सकता है. हालांकि कुछ एक्सपर्ट मान रहे हैं कि जून की मीटिंग में दरें स्थिर रह सकती हैं, लेकिन यूएस फेड की कमेंट्री में सितंबर में होने वाली मीटिंग में दरें घटाए जाने की बात हो सकती है. आखिर यूएस फेड के इस निर्णय का भारत पर क्या असर होगा…..

लगातार 6 बार बढ़ चुकी हैं दरें

डेट कितनी बढ़ोत्तरी कितनी हुई दर

जून 2017 25 बेसिस प्वॉइंट 1.25%
दिसंबर 2017 25 बेसिस प्वॉइंट 1.50%
मार्च 2018 25 बेसिस प्वॉइंट 1.75%
जून 2018 25 बेसिस प्वॉइंट 2.00%
सितंबर 2018 25 बेसिस प्वॉइंट 2.25%
दिसंबर 2018 25 बेसिस प्वॉइंट 2.50%

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इक्विटी में बढ़ सकता है इनफ्लो

फॉर्च्यून फिस्कल के डायरेक्टर जगदीश ठक्कर का कहना है कि इस बार यूएस फेड ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. यूएस की बात करें तो इकोनॉमी को लेकर डाटा बहुत अच्छे नहीं आ रहे हैं. लिक्विडिटी बढ़ाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है. ऐसे में फेड पर यह दबाव है कि इस बार या अगली मीटिंग में दरें घटाई जाएं. फिलहाल दरें घटती हैं तो इससे दूनिया के दूसरे बाजारों को फायदा होगा. यूएस के निवेशक दूसरे बाजारों में ज्यादा रिटर्न की लालच पैसा लगाएंगे. इसका फायदा घरेलू बाजार को भी होगा.

बता दें कि इस साल के शुरू में यूएस फेड ने टोन डाउन करते हुए ब्याज दरें घटाए जाने की बात कही थी, जिसके बाद बाजार में शानदार तेजी देखने को मिली थी. वहीं बुधवार की बात करें तो रेट कट की उम्मीद में एशियाई बाजारों में शानदार तेजी रही. घरेलू बाजार में भी दोपहर तक अच्छी तेजी रही और सेंसेक्स कल के स्तर से 350 अंकों से ज्यादा मजबूत हुआ. हालांकि कारोबार के अंत में सेंसेक्स की बढ़त कम हो गई.

गोल्ड के लिए पॉजिटिव

केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि यूएस फेड द्वारा रेट कट किया जाना गोल्ड के लिए पॉजिटिव सेंटीमेंट है. अगर यूएस फेड ब्याज दरें घटाता है तो अमेरिका में लोग इक्विटी और बॉन्ड से पैसे निकालकर दूसरे एसेट क्लास मसलन गोल्ड, सिल्वर में लगाएंगे. इससे गोल्ड की कीमतों को सपोट्र मिलेगी. इस 14 जून 2017 से दिसंबर 2018 तक लगातार ब्याज दरें बढ़ाए जाने के बाद जब इस साल के शुरू में यूएस फेड ने अपना टोन बदला तो गोल्ड में अच्छी तेजी दर्ज हुई थी.

रुपये को भी मिलेगा सपोर्ट

केडिया का कहना है कि यूएस फेड के नरम रुख से रुपये को भी सपोर्ट मिलेगा. ब्याज दरों का घटना डॉलर के लिए निगेटिव सेंटीमेंट होगा. वहीं मौजूदा समय में क्रूड के भाव भी नीचे आए हैं. आगे भी कीमतें स्थिर रहने का अनुमान है. ऐसे में यूएस फेड के निर्णय से रुपये में भी मजबूती आती दिख सकती है.

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