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चलती औसत तुलना

चलती औसत तुलना

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प्रश्न:1 सामान्यत: किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है?

  1. प्रतिव्यक्ति आय
  2. औसत साक्षरता दर
  3. लोगों की स्वास्थ्य स्थिति
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: उपरोक्त सभी

प्रश्न:2 निम्नलिखित पड़ोसी देशों में से मानव विकास के लिहाज से किस देश की स्थिति भारत से बेहतर है?

  1. बांग्लादेश
  2. श्रीलंका
  3. नेपाल
  4. पाकिस्तान

उत्तर: श्रीलंका

प्रश्न:3 मान लीजिए कि एक देश में चार परिवार हैं। इन परिवारों की प्रतिव्यक्ति आय 5,000 रुपये है। अगर तीन परिवारों की आय क्रमश: 4,.000, 7,000 और 3,000 रुपये है, तो चौथे परिवार की आय क्या है?

  1. 7.500 रुपये
  2. 3,000 रुपये
  3. 2,000 रुपये
  4. 6,0000 रुपये

उत्तर: 6,000 रुपये

प्रश्न:4 विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिये किस प्रमुख मापदण्ड का प्रयोग करता है? इस मापदण्ड की, अगर कोई हैं, तो सीमाएँ क्या हैं?

उत्तर: विश्व बैंक विभिन्न वर्गों का वर्गीकरण करने के लिये प्रति व्यक्ति आय का प्रयोग करता है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जीवन के स्तर को ऊँचा उठाने के लिये केवल आय ही काफी नहीं है। कई चलती औसत तुलना अन्य कारक विकास को प्रभावित करते हैं; जैसे शिशु मृत्यु दर, साक्षरता, स्वास्थ्य सुविधाएँ, आदि। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि विश्व बैंक द्वारा प्रयोग किये गये मापदण्ड की अपनी सीमाएँ हैं।

प्रश्न:5 विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदण्ड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदण्ड से अलग है?

उत्तर: यू.एन.डी.पी. जीवन स्तर को प्रभावित करने वाले अन्य कारकों का प्रयोग भी करता है। यह अन्य कारको; जैसे शिशु मृत्यु दर, स्वास्थ्य सेवाएँ, स्कूल में नामांकण, आदि को उनका महत्व देता है। इस तरह से यू.एन.डी.पी. उन सभी कारकों की विवेचना करता है जिससे लोगों के जीवन स्तर पर प्रभाव पड़ता है और लोगों की उत्पादकता बढ़ती है।

प्रश्न:6 हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? इनके प्रयोग करने की क्या कोई सीमाएँ हैं? विकास से जुड़े अपने उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जब भी हमें एक बड़े सैम्पल का आकलन करना होता है तो एक एक आँकड़े का आकलन मुश्किल होता है। इसलिए ऐसी स्थिति में औसत का प्रयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। औसत की अपनी सीमाएँ भी होती हैं। कई बार औसत से सही चित्र सामने नहीं आता है। उदाहरण के लिए; प्रति व्यक्ति आय से आय के वितरण का पता नहीं चल पाता है। इससे जनसंख्या में गरीबों के अनुपात का पता नहीं चलता है। भारत में पिछले दो दशकों में प्रति व्यक्ति आय में जबरदस्त वृद्धि हुई है लेकिन इसके साथ ही गरीबों की संख्या में भी तेजी से वृद्धि हुई है।

प्रश्न:7 प्रतिव्यक्ति आय कम होने पर भी केरल का मानव विकास क्रमांक पंजाब से ऊँचा है। इसलिए प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिलकुल नहीं है। राज्यों की तुलना के लिये इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। क्या आप सहमत हैं? चर्चा कीजिए।

उत्तर: सबसे धनी राज्य होने के बावजूद पंजाब में केरल की तुलना में शिशु मृत्यु दर अधिक है। पंजाब की तुलना में केरल में कक्षा 1 से 4 में निवल उपस्थिति दर अधिक है। इससे पता चलता है कि मानव विकास सूचकांक में केरल एक बेहतर राज्य है। इसलिए यह कहा जा सकता है कि प्रतिव्यक्ति आय एक उपयोगी मापदण्ड बिलकुल नहीं है। राज्यों की तुलना के लिये इसका उपयोग करना चाहिए लेकिन इसे अन्य मापदण्डों के चलती औसत तुलना परिप्रेक्ष्य में देखना जरूरी है।

प्रश्न:8 भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?चलती औसत तुलना

उत्तर: ग्रामीण क्षेत्रों में जलावन की लकड़ी ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। शहरी क्षेत्रों में रसोई के ईंधन के रूप में एलपीजी का इस्तेमाल अधिकतर घरों में होता है। इसके अलावा वाहनों के लिये पेट्रोलियम उत्पादों का इस्तेमाल होता है। आज से पचास वर्ष बाद जलावन की लकड़ी मिलना कठिन हो जायेगा क्योंकि तेजी से वनोन्मूलन हो रहा है। जीवाश्म ईंधन भी तेजी से घट रहा है। इसलिए हमें किसी वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत को जल्दी ही विकसित करना होगा। गाँवों में गोबर गैस इसका एक अच्छा समाधान हो सकता है। सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से पूरे देश की ऊर्जा की जरूरत को आसानी से पूरा किया जा सकता है।

प्रश्न:9 धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर: विकास का मतलब केवल वर्तमान को खुशहाल बनाना ही नहीं है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिये एक बेहतर भविष्य बनाना भी है। धारणीयता का मतलब होता है ऐसा विकास करना जो आने वाले कई वर्षों तक सतत चलता रहे। यह तभी संभव होता है जब हम संसाधन का दोहन करने की बजाय उनका विवेकपूर्ण इस्तेमाल करते हैं।

प्रश्न:10 धरती के पास सब लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन एक भी व्यक्ति के लालच को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। यह कथन विकास की चर्चा में कैसे प्रासंगिक है? चर्चा कीजिए।

उत्तर: यह मशहूर कथन महात्मा गांधी का है। हम जानते हैं कि धरती के पास इतने संसाधन हैं कि वे हमारे जीवन में कम नहीं पड़ने वाले। लेकिन हमें अपनी जिंदगी के आगे भी सोचना होगा और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिये सोचना होगा। यदि हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते रहेंगे तो आने वाली पीढ़ियों के लिये कुछ नहीं बचेगा। इसलिए हमें अपने लोभ पर काबू पाना होगा और प्रकृति से केवल उतना ही लेने की आदत डालनी होगी जितना जरूरी है।

प्रश्न:11 पर्यावरण में गिरावट के कुछ ऐसे उदाहरणों की सूची बनाइए जो आपने अपने आसपास देखे हों।

उत्तर: मेरे शहर में हरियाली का नामोनिशान नहीं है। यहाँ की हवा इतनी प्रदूषित है कि मेरे आस पड़ोस में रहने वाले अधिकतर लोगों को सांस की बीमारी है। मेरे शहर से होकर बहने वाली नदी किसी गंदे नाले की तरह लगती है। इससे पता चलता है कि मेरे शहर के पर्यावरण में कितनी गिरावट आई है।

प्रश्न:12 तालिका 1.6 में दी गई प्रत्येक मद के लिए ज्ञात कीजिए कि कौन सा देश सबसे ऊपर है और कौन सा सबसे नीचे।

उत्तर: विभिन्न मापदण्डों पर सबसे ऊपर और सबसे नीचे के देश नीचे दिये गये हैं:

मापदण्डसबसे ऊपरसबसे नीचे
प्रति व्यक्ति आयश्रीलंकाम्यानमार
अधिकतम आयुश्रीलंकाम्यानमार
साक्षरता दरश्रीलंकाबांग्लादेश
स्कूल में नामांकन की दरश्रीलंकापाकिस्तान

प्रश्न:13 नीचे दी गई तालिका में भारत के अल्प-पोषित वयस्कों का अनुपात दिखाया गया है। यह वर्ष 2001 में देश के विभिन्न राज्यों के एक सर्वेक्षण पर आधारित है। तालिका का अध्ययन करके निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

राज्यपुरुष (%)महिला (%)
केरल2219
कर्नाटक3638
मध्य प्रदेश4342
सभी राज्य3736

प्रश्न:a) केरल और मध्य प्रदेश के लोगों के पोषण स्तरों की तुलना कीजिए।

उत्तर: मध्य प्रदेश की तुलना में केरल के लोगों का पोषण स्तर बेहतर है।

प्रश्न:b) क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश के लगभग 40 प्रतिशत लोग अल्पपोषित क्यों हैं, यद्यपि यह तर्क दिया जाता है कि देश में पर्याप्त खाद्य है? अपने शब्दों में विवरण दीजिए।

जिले में अब तक औसत से 33 मिमी कम बारिश

धमतरी। जिले में 21-22 जुलाई को हुई भारी बारिश और उसके बाद 2-3 दिन तक रुक-रुककर हुई बारिश का ग्राफ पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो गया था। लेकिन अब बारिश में कमी होने के कारण फिर से जिले की औसत वर्षा पिछड़ने लगी है। भू-अभिलेख शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक मौजूदा साल में 28 जुलाई की स्थिति में धमतरी जिले में 593.20 मिमी औस

जिले में अब तक औसत से 33 मिमी कम बारिश

धमतरी। जिले में 21-22 जुलाई को हुई भारी बारिश और उसके बाद 2-3 दिन तक रुक-रुककर हुई बारिश का ग्राफ पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो गया था। लेकिन अब बारिश में कमी होने के कारण फिर से जिले की औसत वर्षा पिछड़ने लगी है।

भू-अभिलेख शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक मौजूदा साल में 28 जुलाई की स्थिति में धमतरी जिले में 593.20 मिमी औसत वर्षा हुई है। जबकि पिछले वर्ष2013 में इसी समय तक यहां 626.48 मिमी औसत बारिश हो चुकी थी। इस लिहाज से जिले की वर्षा इस साल 13 मिमी पिछड़ गई है। 28 जुलाई 2014 की अवधि तक धमतरी में 484 मिमी, नगरी में 602 मिमी, कुरुद में 640 मिमी तथा मगरलोड में 645 मिमी कुल वर्षा दर्ज की गई है। जबकि बीते साल 2013 में इसी अवधि तक धमतरी में 648 मिमी, नगरी में 710 मिमी, कुरुद में 537 मिमी एवं मगरलोड में 619 मिमी वर्षा हो चुकी है। इन आंकड़ों को तुलना करने पर पता चलता है कि धमतरी जिला वर्षा के मामले में पिछले साल की तुलना में काफी पिछड़ा हुआ है। उल्लेखनीय है कि 20 जुलाई के बाद से जिले के आसमान पर लगातार बादल सक्रिय है। 9 दिनों की अवधि में ऐसा कोई भी दिन नहीं रहा जब तेज या हल्की बारिश न हुई हो लेकिन तेज बारिश में निरंतरता नहीं होने के कारण पिछले साल की तुलना में वर्षा का आंकड़ा कम होता जा रहा है। तेज बारिश अभी तक घंटा से ज्यादा समय के लिए नहीं हुआ है। सिर्फ 20, 21, 22 और 23 जुलाई को ही अच्छा पानी बरसा था। इन 4 दिनों की बारिश से ही जिले के गंगरेल बांध, मुरूमसिल्ली बांध, सोंढूर और कांकेर जिले के दुधावा बांध में जलभराव हुआ है। नदी, नाले, तालाब और अन्य जलाशयों में भी पानी भरा।

हिमाचल चुनाव: शहरी मतदाताओं में उदासीनता एक बार फिर आयी सामने

नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर के विधानसभा चुनाव के दौरान हालांकि, रिकॉर्ड 75.6 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, लेकिन पर्वतीय राज्य के शहरी मतदाताओं की उदासीनता एक बार फिर सामने आयी। यह बात निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से सामने आयी।

आंकड़ों से पता चलता है कि शिमला में 62.53 प्रतिशत मतदान न केवल राज्य में सबसे कम था, बल्कि 2017 के चुनावों की तुलना में भी 1.4 प्रतिशत कम है।

सरकारी कॉलोनियों सहित शहरी शिमला के महत्वपूर्ण इलाकों में लगभग 50 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया जो सबसे कम मतदान प्रतिशत में से एक है। इससे शिमला विधानसभा सीट का मतदान प्रतिशत राज्य में सबसे कम रहा।

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि हालांकि 75.6 प्रतिशत मतदान राज्य का अब तक का सबसे अधिक मतदान है लेकिन शहरी क्षेत्रों से अधिक भागीदारी से बेहतर मतदान प्राप्त करने में मदद मिल सकती थी।

इसके अलावा, महत्वपूर्ण शहरी क्षेत्रों में औसत मतदान ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान की तुलना में लगभग आठ प्रतिशत कम था।

अधिकारियों ने कहा कि यदि शिमला, सोलन, कसुम्प्टी और धर्मशाला के कुछ वर्ग के मतदाता यदि इस बार समान उत्साह के साथ घरों से बाहर निकलते तो मतदान प्रतिशत रिकॉर्ड बहुत अधिक हो सकता था।

आंकड़ों से पता चलता है कि महिला मतदाताओं का मतदान पुरुष मतदाताओं की तुलना में चलती औसत तुलना लगभग 4.5 प्रतिशत अधिक था और कुल मतदान प्रतिशत की तुलना में लगभग दो प्रतिशत अधिक था। जहां 76.8 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, वहीं केवल 72.4 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया।

अधिकारियों ने कहा कि 15,265 फुट की ऊंचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊंचे मतदान केंद्र ताशीगंग में 100 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, जहां मतदाता खराब मौसम के बावजूद मतदान के लिए अपने घरों से बाहर आये।

उन्होंने बताया कि चंबा की भरमौर विधानसभा सीट के चसाक भटोरी में मतदान केंद्र 14 चलती औसत तुलना किलोमीटर दूर था और 11,948 फुट की ऊंचाई पर स्थित था लेकिन इसके बावजूद वहां 75.26 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, 10,000 फुट से अधिक ऊंचाई पर स्थापित 85 मतदान केंद्रों में औसत मतदान राज्य के औसत के करीब था।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘बहादुर, समर्पित और मेहनती मतदान कर्मियों की टीम को नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने इसे संभव बनाया। हिमाचल प्रदेश की इस शानदार उपलब्धि के लिए 50,000 से अधिक कर्मियों को लगाया गया था।’’

हिमाचल प्रदेश ने 1951 में विधानसभा चुनावों के साथ अपनी चुनावी यात्रा शुरू की थी, जब 25.16 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। बाद के चुनावों में मतदान प्रतिशत में लगातार वृद्धि देखी गई है।

मुख्य चुनाव चलती औसत तुलना आयुक्त राजीव कुमार शहरी और युवाओं की उदासीनता के मुद्दे को हल करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं।

कुमार राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से कम मतदान प्रतिशत वाली सीटों और मतदान केंद्रों की पहचान करने का आग्रह कर रहे हैं जिससे मतदाताओं तक पहुंच बनाकर जागरूकता बढ़ायी जा सके।

निर्वाचन आयोग ने शहरी उदासीनता पर ध्यान केंद्रित करने और मतदान के महत्व को उजागर करने के लिए निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में मतदाता जागरूकता मंच स्थापित करने की वकालत की है।

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

Penis Size: क्या अमेरिकी पुरुषों की तुलना में भारतीय पुरुषों के पेनिस का आकार होता है बड़ा? जानें लेटेस्ट अध्ययन की रिपोर्ट

क्या लिंग का आकार मायने रखता है? यह एक बड़ा सवाल है जिसे कभी सुलझाया नहीं जा सकता, लेकिन जो तय किया जा सकता है वह दुनिया भर में औसत लिंग का आकार है और कम से कम इससे संबंधित शोध मौजूद हैं. हाल ही के एक अध्ययन से पता चला है कि भारतीय पुरुषों के लिंग अमेरिकी पुरुषों की तुलना में लंबे हो सकते है.

Penis Size: क्या अमेरिकी पुरुषों की तुलना में भारतीय पुरुषों के पेनिस का आकार होता है बड़ा? जानें लेटेस्ट अध्ययन की रिपोर्ट

Penis Size: क्या लिंग यानी पेनिस का आकार ( Penis Size)मायने रखता है? यह एक बड़ा सवाल है जिसे कभी सुलझाया नहीं जा सकता, दुनिया भर के पुरुषों के औसत लिंग के आकार को तय जरूर किया जा सकता है. पुरुषों के लिंग (Penis) के अकार से संबंधित कई शोध मौजूद हैं. इसी कड़ी में हाल के एक अध्ययन से पता चला है कि भारतीय पुरुषों (Indian Men) के लिंग अमेरिकी पुरुषों (American Men) की तुलना में बड़े हैं. अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय पुरुषों के लिंग की औसत लंबाई 5.40 इंच है, इसके बाद अमेरिकी पुरुष हैं जिनके लिंग की औसत लंबाई 5.35 इंच है. सबसे लंबा लिंग होने की दौड़ में हैती, फ्रेंच और ऑस्ट्रेलिया के पुरुष सबसे आगे हैं. अध्ययन के अनुसार, इन पुरुषों के लिंग सबसे बड़े होते हैं.

सर्वेक्षण के अनुसार, इक्वाडोर (Ecuador) के पुरुषों के लिंग आकार सबसे बड़ा होता है, जिसकी औसतन लंबाई 6.93 इंच है, इसके बाद कैमरून (Cameroon) के पुरुष हैं जिनकी औसत लिंग लंबाई 5.56 है. बोलीविया (Bolivia) के पुरुष 6.50 की औसत लिंग लंबाई के साथ पंक्ति में तीसरे स्थान पर हैं. सर्वेक्षण से यह भी पता चलता है कि सबसे छोटा लिंग कंबोडिया में पाया जा सकता है, जहां पुरुष के लिंग की लंबाई औसतन 3.95 इंच होती है. फ्रांसीसी पुरुषों के लिंग की लंबाई 6.20 इंच है, जबकि ऑस्ट्रेलिया 5.69 इंच के साथ 43वें स्थान पर है. हैती में पुरुषों के लिंग का आकार सीधा होने पर औसतन 6.30 इंच होता है. इन निष्कर्षों का खुलासा एक ऑनलाइन फ़ार्मेसी फ्रॉम मार्स (online pharmacy चलती औसत तुलना From Mars) द्वारा किया गया था. यह भी पढ़ें: Does Penis Size Matter: क्या सेक्स के लिए पेनिस साइज रखता है अत्यधिक महत्व? जानें इसके बारे में कैसी है महिलाओं की पसंद

दरअसल, हर जगह पुरुष इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि उनका लिंग उम्मीद से छोटा है या वे अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाएंगे या नहीं, लेकिन शोध से पता चला है कि ज्यादातर पुरुष अपने लिंग के आकार की वजह से खुद को कम आंकते हैं और उनके आत्मसम्मान को चोट लगती है. पुरुषों ने हमेशा अपने लिंग के आकार को बहुत महत्व दिया है. कई संस्कृतियां लिंग के आकार को मर्दानगी से जोड़ती हैं. कुछ पुरुष अपने लिंग का आकार बढ़ाने के लिए तरह-तरह के उपाय भी करते हैं.

ऑनलाइन फार्मेसी फ्रॉम मार्स के प्रवक्ता नवीन खोसला ने द सन से कहा कि ज्यादातर पुरुषों ने कभी न कभी सोचा है कि क्या उनका लिंग काफी बड़ा है. लिंग का आकार आत्मविश्वास और आत्म-छवि पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है. साल 2015 में करीब 15,000 पुरुषों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार, एक वयस्क लिंग का औसत आकार इस प्रकार बताया गया था- लंबाई: 13.12 सेमी (5.16 इंच) जब यह अपने पूरे आकार में होता है और जब इरेक्ट करता है तो इसकी लंबाई 11.66 सेमी (4.59 इंच) होती है.

एक रिपोर्ट के अनुसार लिंग के आकार को लेकर महिलाओं और पुरुषों की सोच में अंतर रखा गया. इसमें कहा गया, 85% महिलाएं अपने साथी के लिंग के आकार से संतुष्ट थीं, जबकि पुरुषों का अपने लिंग के आकार से संतुष्ट होने का प्रतिशत 55% था.

जिले में अब तक औसत से चलती औसत तुलना 33 मिमी कम बारिश

धमतरी। जिले में 21-22 जुलाई को हुई भारी बारिश और उसके बाद 2-3 दिन तक रुक-रुककर हुई बारिश का ग्राफ पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो गया था। लेकिन अब बारिश में कमी होने के कारण फिर से जिले की औसत वर्षा पिछड़ने लगी है। भू-अभिलेख शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक मौजूदा साल में 28 जुलाई की स्थिति में धमतरी जिले में 593.20 मिमी औस

जिले में अब तक औसत से 33 मिमी कम बारिश

धमतरी। जिले में 21-22 जुलाई को हुई भारी बारिश और उसके बाद 2-3 दिन तक रुक-रुककर हुई बारिश का ग्राफ पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो गया था। लेकिन अब बारिश में कमी होने के कारण फिर से जिले की औसत वर्षा पिछड़ने लगी है।

भू-अभिलेख शाखा से मिली जानकारी के मुताबिक मौजूदा साल में 28 जुलाई की स्थिति में धमतरी जिले में 593.20 मिमी औसत वर्षा हुई है। जबकि पिछले वर्ष2013 में इसी समय तक यहां 626.48 मिमी औसत बारिश हो चुकी थी। इस लिहाज से जिले की वर्षा इस साल 13 मिमी पिछड़ गई है। 28 जुलाई 2014 की अवधि तक धमतरी में 484 मिमी, नगरी में 602 मिमी, कुरुद में 640 मिमी तथा मगरलोड में 645 मिमी कुल वर्षा दर्ज की गई है। जबकि बीते साल 2013 में इसी अवधि तक धमतरी में 648 मिमी, नगरी में 710 मिमी, कुरुद में 537 मिमी एवं मगरलोड में 619 मिमी वर्षा हो चुकी है। इन आंकड़ों को तुलना करने पर पता चलता है कि धमतरी जिला वर्षा के मामले में पिछले साल की तुलना में काफी पिछड़ा हुआ है। उल्लेखनीय है कि 20 जुलाई के बाद से जिले के आसमान पर लगातार बादल सक्रिय है। 9 दिनों की अवधि में ऐसा कोई भी दिन नहीं रहा जब तेज या हल्की बारिश न हुई हो लेकिन तेज बारिश में निरंतरता नहीं होने के कारण पिछले साल की तुलना में वर्षा का आंकड़ा कम होता जा रहा है। तेज बारिश अभी तक घंटा से ज्यादा समय के लिए नहीं हुआ है। सिर्फ 20, 21, 22 और 23 जुलाई को ही अच्छा पानी बरसा था। इन 4 दिनों की बारिश से ही जिले के गंगरेल बांध, मुरूमसिल्ली बांध, सोंढूर और कांकेर जिले के दुधावा बांध में जलभराव हुआ है। नदी, नाले, तालाब और अन्य जलाशयों में भी पानी भरा।

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