विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार

कठिन समय में बुनियादी बातें आवश्यक
श्रीलंका का सामना एक भीषण तूफान से हुआ है। श्रीलंका का राजनीतिक नेतृत्व एकदम निर्बल था और वह नीतियों में नहीं बल्कि लोकलुभावनवाद में यकीन रखता था। सत्ता के गलियारों में पश्चिम विरोधी सिद्धांतों का गहरा प्रभाव था और लंबे गृहयुद्ध तथा उसके बाद देश के पुनर्निर्माण के क्रम में वह भारी भरकम कर्ज में डूब गया था। पर्यटन देश के लिए विदेशी मुद्रा जुटाने का एक प्रमुख जरिया था लेकिन वह भी महामारी के कारण बुरी स्थिति में आ गया। चाय निर्यात विदेशी मुद्रा का दूसरा माध्यम था लेकिन उर्वरकों के इस्तेमाल पर प्रतिबंधों के कारण चाय का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। पश्चिमी देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में इजाफा करने से विदेशी पूंजी वापस जाने लगी। इसके चलते डॉलर मजबूत हुआ और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के कारण आयातित खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में तेजी आई। किसी भी छोटी अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार इन हालात में संभलना मुश्किल होता, राजपक्षे परिवार और उनके सहयोगियों द्वारा शासित श्रीलंका की बात तो छोड़ ही दी जाए।
लेकिन श्रीलंका तो बस शुरुआत है। सच तो यह है कि यह सूनामी जल्दी ही दुनिया के अन्य देशों को अपनी चपेट में ले सकती है। कुछ देश तो बुरी तरह प्रभावित भी होंगे। ऐसे ही कुछ देशों पर नजर डालना उचित रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार करीब एक तिहाई उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में सॉवरिन बॉन्ड प्रतिफल 10 फीसदी से अधिक है। श्रीलंका का 10 वर्ष का डॉलर बॉन्ड प्रतिफल इस वर्ष यूक्रेन के बाद दुनिया में सबसे अधिक बढ़ा है। उसके बाद अल सल्वाडोर का नंबर है। श्रीलंका में राष्ट्रपति के सलाहकारों ने आईएमएफ से बात करने से इनकार किया और केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने नकदी छापना जारी रखा। उधर अल सल्वाडोर में कुछ महीने पहले राष्ट्रपति ने अमेरिकी डॉलर को मृत घोषित कर दिया और बिटकॉइन में भरोसा जताया। बिटकॉइन के मूल्य में जल्दी ही 60 फीसदी गिरावट आई और सल्वाडोर के लोगों का मुद्रा भंडार भी उसके साथ नष्ट हो गया।
लाओस में भोजन और ईंधन आयात की लागत उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही है। यह छोटा सा देश 14.5 अरब डॉलर के कर्ज में है। लाओस पर चीन का कर्ज श्रीलंका से भी अधिक है। इससे दोनों देशों को बहुपक्षीय ढंग से उबारना भी मुश्किल हुआ है।
राजनीतिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में भी यह एक समस्या है जहां सार्वजनिक ऋण और जीडीपी का अनुपात बमुश्किल 70 फीसदी से अधिक है जबकि ब्राजील में यह 90 प्रतिशत है। लेकिन इसके साथ ही पाकिस्तान की निर्यात आय अत्यंत कमजोर है और उसे अपने आयात की भरपाई में मुश्किल होती है तथा कर्ज पर ब्याज चुकाना पड़ता है। ।
ब्याज भुगतान मिस्र और घाना जैसी बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भी एक समस्या है। तेजी से विकसित होते घाना में सरकार ने गत मई में एक कड़ा आईएमएफ विरोधी रुख अपनाया और सभी इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर पर 1.5 प्रतिशत का विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार कर यानी ई-लेवी लगाने की घोषणा की। घाना के वित्त मंत्री को भरोसा था कि इससे देश की वित्तीय हालत में स्थिरता आएगी। श्रीलंका की तरह घाना का निर्यात भी विविधतापूर्ण नहीं है और वह पारंपरिक तौर पर कोकोआ और सोने का ही निर्यात करता है। ऐसे में देश मूल्य अस्थिरता को लेकर संवेदनशील है। उसका कर्ज और जीडीपी अनुपात 84.6 प्रतिशत है और ब्याज भुगतान जीडीपी के सात फीसदी से अधिक है।
महामारी के समय को छोड़ दें तो हाल के वर्षों में घाना छह फीसदी से अधिक दर से विकसित हुआ है। महामारी के पहले मिस्र भी पांच से छह फीसदी की दर से विकसित हो रहा था। 2021-22 में तो उसने छह फीसदी का स्तर भी पार कर लिया था लेकिन यह देश जो एक समय रोमन साम्राज्य को अनाज मुहैया कराता विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार था, अब वह आयातित गेहूं पर निर्भर है और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद इसकी कीमत में भारी इजाफा हुआ है। उसका कर्ज और जीडीपी का अनुपात 90 प्रतिशत के करीब है और ब्याज भुगतान जीडीपी के आठ फीसदी के बराबर है।
ट्यूनीशिया पर भी डिफॉल्ट का खतरा है। उसका ऋण और जीडीपी अनुपात मिस्र के बराबर है। बॉन्ड प्रतिफल 30 फीसदी बढ़ा हुआ है। वहां ब्रेड और ईंधन पर सब्सिडी दी जा रही है। वैश्विक बाजारों में इन दोनों चीजों की बढ़ती कीमत के कारण सरकार की वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ा है। वहां के लोकलुभावनवादी राष्ट्रपति को लगता है कि वे सारी समस्याएं खुद हल कर सकते हैं। वह सत्ता पर पकड़ मजबूत करने और विपक्ष को नतमस्तक करने में जुटे हुए हैं। जाहिर है वह आईएमएफ के साथ ढांचागत सुधारों को लेकर चर्चा नहीं कर सकते।
इन सबसे यही सबक लिया जा सकता है कि बुनियादी अर्थशास्त्र अभी भी किस देश के वृहद आर्थिक भविष्य का सबसे बेहतर सूचक है। बहुत अधिक कर्ज न लें। सब्सिडी और पात्रता योजनाओं पर व्यय न बढ़ाएं। निर्यात को यथासंभव विविधतापूर्ण बनाएं। टेक्नोक्रेट्स की सलाह सुनें और लोकलुभावन नेतृत्व से बचें। एक और सबक: अकेले जीडीपी वृद्धि बचाव नहीं कर सकती। घाना और मिस्र तथा तुर्की आदि इसके उदाहरण हैं।
भारत इस सूनामी से सुरक्षित नहीं है। रुपया रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 15 महीने के निचले स्तर पर पहुंच चुका है। अब 10-11 महीने के आयात के बराबर ही मुद्रा भंडार शेष है। अगर यह आंकड़ा आठ या नौ महीने से कम हुआ तो खतरा उत्पन्न हो जाएगा। लेकिन अगर हमारे नीति निर्माता पारंपरिक और समझदारी भरी नीतियों पर टिके रहें तो हम सुरक्षित रह सकते हैं। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को सीमित रखा है और इसलिए कीमतें नियंत्रण से बाहर नहीं हुई हैं। केंद्र सरकार की दृष्टि राजकोषीय घाटे पर भी है, यानी ब्याज भुगतान असहज तो हैं लेकिन वे प्रबंधन के दायरे से बाहर नहीं हैं। आने वाले वर्षों में हम किस हद तक संकट से बचेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि नीति निर्माण में कितनी समझदारी बरती जाती है। यानी घाटे विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार में कमी, ब्याज दरों में इजाफा, निर्यात को बढ़ावा और उत्पादकता बढ़ाने वाले सुधारों पर भविष्य में किस प्रकार ध्यान दिया जाता है। संकट के समय समझदारी यही है कि बुनियादी बातों पर टिके रहा जाए।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर पर पहुंचा
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक इस भंडार से मदद ले रहा है. एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था. The post भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर पर पहुंचा appeared first on The Wire - Hindi.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक इस भंडार से मदद ले रहा है. एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था.
(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)
मुंबई: देश का विदेशी मुद्रा भंडार चार नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.99 अरब डॉलर रह गया. इसका कारण स्वर्ण भंडार में आई भारी गिरावट है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है.
इससे पहले केंद्रीय बैंक ने कहा था कि 28 अक्टूबर, 2022 को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.561 अरब डॉलर बढ़कर 531.081 अरब डॉलर हो गया था, जो वर्ष के दौरान किसी एक सप्ताह में आई सबसे अधिक तेजी थी.
एक साल पहले अक्टूबर, 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था. देश के मुद्रा भंडार में गिरावट आने का मुख्य कारण यह है कि वैश्विक घटनाक्रमों की वजह से रुपये की गिरावट को थामने के लिए केंद्रीय बैंक मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है.
रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, 4 नवंबर को समाप्त के दौरान मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (एफसीए) 12 करोड़ डॉलर घटकर 470.73 अरब डॉलर रह गईं.
डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाली विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और जापानी येन जैसे गैर डॉलर मुद्रा के मूल्य में आई कमी या बढ़त के प्रभावों को दर्शाया जाता है.
आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में देश का स्वर्ण भंडार 70.5 करोड़ डॉलर घटकर 37.057 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार अधिकार (एसडीआर) 23.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.39 अरब डॉलर रह गया है.
आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 2.7 करोड़ डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर रह गया.
S&P Global Ratings ने कहा, भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार; कर्ज का दबाव बर्दाश्त करने में सक्षम
Forex Reserve of India वैश्विक रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ग्लोबल ने कहा है कि भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार पर्याप्त है। इस वजह से वह कर्ज का दबाव झेलने में पूरी तरह सक्षम है। इसने चालू वित्त वर्ष में GDP ग्रोथ्ज्ञ 7.3% रहने का अनुमान किया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने गुरुवार को कहा कि भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserve) है। इसकी बदौलत वह ऋण संबंधी दबाव बर्दाश्त करने में सक्षम है। एसएंडपी सावरेन एंड इंटरनेशनल पब्लिक फाइनेंस रेटिंग्स के निदेशक एंड्रयू वुड ने वेबगोष्ठी - इंडिया क्रेडिट स्पाटलाइट-2022 में कहा कि देश का बाहरी बही-खाता मजबूत है और विदेशी कर्ज सीमित है। इसलिए कर्ज चुकाना बहुत अधिक महंगा नहीं है।
वुड ने कहा कि हम आज जिन चक्रीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, भारत ने उनके खिलाफ बफर का निर्माण किया है। रेटिंग एजेंसी को नहीं लगता है कि निकट अवधि विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार के दबावों का भारत की साख पर गंभीर असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर की गति मध्यम रही है। 12 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 570.74 अरब डालर था।
कर्ज लेकर अधिग्रहण से अदाणी समूह की रेटिंग पर दबाव संभव
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि अदाणी समूह (Adani विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार Group) के पास काफी ठोस बुनियादी ढांचा है, लेकिन कर्ज लेकर अधिग्रहण करने से उसकी रेटिंग पर दबाव पड़ सकता है। गौतम अदाणी के नेतृत्व वाले अदाणी समूह ने अधिग्रहण के जरिये तेजी से वृद्धि की है। अदाणी समूह ने 1988 में एक जिंस कारोबारी के रूप में शुरुआत की थी और आज उसके कारोबारी साम्राज्य में खदान, बंदरगाह और बिजली संयंत्रों से लेकर हवाईअड्डे, डेटा केंद्र और रक्षा क्षेत्र शामिल हैं।
चार सप्ताह बाद विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा में इजाफा, जानें कितना है स्वर्ण भंडार
मुंबई: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने एक बार फिर से भारतीय बाजार का रूख किया है। इसका असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार भी दिखा। 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 2.4 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। इससे पहले लगातार चार सप्ताह तक इसमें कमी हुई थी।
चार सप्ताह बाद आई यह खबर
29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान शेयर बाजार में लगभग हर रोज तेजी रही। उस सप्ताह फॉरेन विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार पोर्टफोलियो इंस्वेस्टर्स (FII) नेट इनवेस्टर (Net Investor) थे। रिजर्व बैंक से मिली सूचना के अनुसार 29 जुलाई 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 573.875 अरब डॉलर पर पहुंच गया। बीते 15 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान अपना विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटा था। यदि 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह की बात करें तो यह 571.5 अरब डॉलर पर था। आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था। इसी महीने एक जुलाई को भी विदेशी मुद्रा भंडार 5.008 अरब डॉलर घटा था। उस समय अपना विदेशी मुद्रा भंडार 588.314 अरब डॉलर पर था।
फॉरेन करेंसी असेट भी घटे
29 जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में जो बढ़ोतरी हुई, उसमें फॉरेन करेंसी असेट का बढ़ना भी शामिल है। यह कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा स्वर्ण आरक्षित भंडार बढ़ने से भी विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी किये गये भारत के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 1.121 अरब डॉलर बढ़ कर 511.257 अरब डॉलर पर पहुंच। बीते 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान इसमें 1.426 अरब डॉलर में कमी हुई थी। अमेरिकी डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।
स्वर्ण भंडार में भी इ़़जाफा
आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 1.140 अरब डॉलर बढ़ कर 39.642 अरब डॉलर पर पहुंच गया। समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) भी 2.2 करोड़ डॉलर बढ कर 17.985 अरब डॉलर पर चला गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 3.1 करोड़ डॉलर बढ़ कर 4.991 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
रुपया गिर नहीं रहा, बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है : वित्त मंत्री
शेयर बाजार 16 अक्टूबर 2022 ,18:45
में स्थिति को सफलतापूर्वक जोड़ा गया:
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है। शुक्रवार को भारतीय रुपया आठ पैसे टूटकर 82.32 रुपये प्रति डॉलर पहुंच गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वह इस घटना को डॉलर की मजबूती के रूप में देखती हैं, न कि भारतीय मुद्रा में गिरावट के रूप में।शुक्रवार को वाशिंगटन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सीतारमण ने कहा कि रुपये ने डॉलर की वृद्धि को झेला है और कई उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, मैं इसे रुपये में गिरावट के रूप में नहीं बल्कि डॉलर के मजबूत होने के रूप में देखूंगी। खास बात यह है कि रुपया डॉलर की तेजी को झेल चुका है। लेकिन इसने कई अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि आरबीआई अपनी गिरावट को रोकने और इसकी अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए काम कर रहा है। मैं सिर्फ इतना कहूंगी कि रुपया अपने स्तर पर पहुंच जाएगा। बढ़ती महंगाई और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक बुनियाद अच्छी है। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार आरामदायक स्थिति में है और मुद्रास्फीति भी प्रबंधनीय है।
उन्होंने कहा- बुनियादी बातें ठीक हैं। विदेशी मुद्रा अच्छी है, हालांकि यह नीचे आ गई है। यह एक आरामदायक स्थिति में है। मुद्रास्फीति भी प्रबंधनीय है, हालांकि हम इसे नीचे लाना (कम करना) चाहते हैं.. इसे नीचे लाने के प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, अन्य देशों की मुद्रास्फीति दरों को देखें।
चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे के बारे में पूछे जाने पर, सीतारमण ने कहा: व्यापार घाटा वास्तव में बढ़ रहा है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि आयात निर्यात से अधिक है। हालांकि आयात मध्यस्थ वस्तुओं का अधिक है। इसलिए हम बढ़ते आयात के बारे में चिंतित नहीं हैं क्योंकि वे माल के हैं जो निर्यात उद्देश्यों के लिए मूल्य वर्धित उत्पाद हैं।
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि क्रिप्टो करेंसी पर जी20 वैश्विक संस्थानों से इस पर डेटा का मिलान करेगा और एक ऐसे ढांचे पर पहुंचेगा जो क्रिप्टो व्यापार को सुविधाजनक बनाने वाले प्लेटफार्मों को विदेशी मुद्रा बुनियादी बातों और समाचार देखेगा। भारत अगले महीने जी20 की अध्यक्षता करने वाला है।
उन्होंने कहा, हम मनी ट्रेल को समझने की कोशिश करेंगे, मनी लॉन्ड्रिंग का पता लगाएंगे और कोशिश करेंगे उस पर किसी तरह का नियमन लाएंगे। इस पर जी20 के सदस्यों के बीच आम सहमति है क्योंकि उनमें से कई ने इस पर चिंता जताई है।
आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सजा दरों पर एक सवाल के जवाब में, सीतारमण ने कहा: ईडी जो करता है उसमें स्वतंत्र है। यह विधेय अपराधों पर काम करता है और अन्य एजेंसियों द्वारा मामला उठाए जाने के बाद सामने आता है और अगर ईडी कोई कार्रवाई करती है तो वह सबूत के साथ।