प्रसार कम है

China Corona : चीन में कोरोना संक्रमण से मुश्किलें बढ़ी , 35 हजार के करीब नए केस
China Corona : चीन में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों ने सरकार के लिए चिंता पैदा कर दी है। लगातार बढ़ते संक्रमण के नए केस की संख्या ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। देश में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू की गई जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने शुक्रवार को कहा कि देश में 1 दिसंबर को 34,980 नए कोरोना संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें 4,278 लक्षणों वाले और 30,702 बिना लक्षणों वाले थे। एक दिन पहले चीन में 36,061 नए मामलों को दर्ज किया गया था, जो मौजूद आंकड़ों से कम है।
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प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस्तीफे की भी मांग की है। दशकों बाद यह सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के विरोध में सबसे बड़ा प्रदर्शन हो रहा है। विरोध प्रदर्शन बीजिंग और शंघाई समेत 8 शहरों में फैल चुका है, जिसके बाद से जनता के गुस्से को शांत करने के उद्देश्य से नियमों में कुछ ढील दी गई है, लेकिन जीरो कोविड रणनीति बरकरार रहेगी।
ककून मार्केट में रेशम कोया विक्रय से रेशम कृषकों में भारी उत्साह
4 दिसम्बर 2022, भोपाल । ककून मार्केट में रेशम कोया विक्रय से रेशम कृषकों में भारी उत्साह – रेशम उत्पादन एक प्रसार कम है ग्रामीण कृषि आधारित उद्योग है जो कि विश्व स्तर पर अपनाया जा रहा है। इससे बहुत ही अधिक मांग में रहा प्राकृतिक रेषम जो कि वस्त्रों की रानी भी कहलाता है। यह ग्रामीण कृषकों के लिए अद्वितीय कार्यकलाप है और निर्धनों को पर्याप्त आय व रोजगार का अवसर प्रदान करता है। जिससे कम समय अधिक धनराषि से प्रायः मासिक अंतराल में अधिक रोजगार और आकर्षक आय प्राप्त होती है। भारत लगभग 35,000 मी. टन वार्षिक उत्पादन करने के साथ दुनिया में द्वितीय स्थान पर है और रेशमका बड़ा उपभोक्ता भी है। रेषम का उत्पादन जम्मू व कष्मीर, पष्चिम बंगाल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में परम्परागत रूप से हो रहा है। यह उद्योग दक्षिण भारत के राज्यों के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी लोकप्रिय हो रहा है।
केन्द्रीय रेषम बोर्ड एवं राज्य रेषम विभाग के सख्त सहयोग से तथा कृषकों के अथक प्रयासों से भी देष के उतरी मध्य राज्यों में खासकर मध्यप्रदेष में विगत 20 वर्षों से कृषकों द्वारा रेषम कार्य अपनाया जा रहा है। मध्यप्रदेष राज्य की विशेषता यह है कि भारत देष में पाया जाने वाला चारो प्रकार का वाणिज्यिकी फसल जैसे षहतूत, एरी, मूगा एवं तसर की पैदावार होषंगाबाद जिले में होती है।
मध्यप्रदेष के रेशम उत्पादक कृषकों के सामने मुख्य समस्या उचित कोया विक्रय बाजार की रही है। विगत वर्षों में मध्यप्रदेष सिल्क फैडरेषन द्वारा कोया खरीद चार्ट के अनुसार अनुमोदित (कोया की गुणवत्ता के आधार पर) द्विप्रज संकर रेषम कोया की अधिकतम दर प्रति किलाग्राम रूपये 350.00 एवं न्यूनतम दर रूपये 130.00 की दर से एवं बहुफसलीय कोया की दर रूपये 220/-व रूपये 90/-की दर पर खरीद की जा रही थी। अनुसंधान प्रसार केन्द्र, होषंगाबाद के अध्ययन के आधार पर एक किलोग्राम रेषम कोया उत्पादन के लिये न्यूनतम रूपये 220/-से रूपये 250/-तक की लागत खर्च का आंकलन किया गया है। क्योंकि रेषम कृषको ने विक्रय दर कम होने पर अपेक्षा अनुरूप आय/लाभ प्राप्त नहीं होने से समय≤ पर असंतोष प्रकट किया था। इस संबंध में मध्यप्रदेष सरकार के रेषम विभाग ने संज्ञान में लेते हुए रेषम कृषकों के हित में षासकीय ककून मार्केट, जिला रेषम कार्यालय परिसर मालाखेड़ी, नर्मदापुरम में व्यवस्थित रेषम प्रसार कम है कोया क्रय-विक्रय मार्केट की व्यवस्था को वर्तमान में चालु की गई है। उक्त ककून मार्केट में सरकार की ओर सभी सुविधायें के साथ रेषम उत्पादक कृषक एवं मध्यप्रदेष एवं अन्य राज्यों के पश्चिम बंगाल, कर्नाटक के रीलर्स/व्यापारियों द्वारा नीलामी प्रक्रिया में भाग लेकर रेषम कोया की खरीद की जा रही हैं। विगत माह में खुले बाजार में द्विप्रज संकर रेषम कोया का औसत दर प्रति किलोग्राम लगभग रूपये 500.00 की दर से व्यापारियों द्वारा खरीद की की गई है। कोया बाजार में रेषम उत्पादक कृषक अपना उत्पादित रेषम कोया को उचित दर पर विक्रय कर अधिक लाभ अर्जित कर रहे है। रेषम कृषकों को दुगुना (डबल आय) लाभ मिलने से रेषम उत्पादक कृषकों में नई उमंग के साथ उत्साह का संचार हुआ है। इस व्यवस्था का खुले मन से रेषम कृषकों ने स्वागत कर प्रषंसा व्यक्त की है। देष के माननीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी का कृषकों को खेती से डबल आय का मंत्र वर्तमान में रेषम खेती से संभव हो रहा है। आगे रेषम कृषक नये ढंग से रेषम की खेती करने मे ओर अधिक रूचि अपनाएंगे। इस संबंध में पूर्व आयुक्त, श्रीमान विषेष गढ़पाले, (आई.ए.एस.) महोदय ने संज्ञान में लेकर कोया मार्केट की व्यवस्था में अपना योगदान देकर मार्केट को सफलतापुर्वक संचालन कराने में अहम भूमिका का निर्वहन के लिए रेषम उद्योग मध्यप्रदेश की ओर से सादर आभार।
इसी प्रयास का वैज्ञानिक-डी अनुसंधान प्रसार केन्द्र, केन्द्रीय रेशम बोर्ड, होषंगाबाद ने भी विस्तार क्षेत्र के समस्त रेषम हितग्राहियों, रीलर्स एवं जिला रेषम कार्यालय का सादर आभर ज्ञापित किया। वैज्ञानिक-डी की ओर से समस्त रेषम कृषकों को संबोधित करते हुए आग्रह किया कि षहतूत बगीचे का उचित रख-रखाव के साथ ही रेषम कीटपालन कार्य में नवीन प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर अधिक से अधिक मात्रा में गुणवत्तायुक्त रेषम कोया उत्पादन कर ओर अधिक आय अर्जित कर सकते है। आगे उन्होने बताया कि कृषक दो एकड़ षहतूत बगीचे से हर माह 250 डी.एफ.एल्स का कीटपालन कर लगभग 200 किलोग्राम कोया उत्पादित कर उक्त विक्रय दर से प्रति माह लगभग एक लाख रूपये की कमाई की जा सकती है जो कि शुद्ध लाभ प्रतिमाह लगभग रूपये 60,000 से 70,000 तक मिल सकता है।
Municipal Corporation Elections : हर वार्ड में प्रत्याशी बेशुमार, टिकट के लिए सभी तैयार
नगर निकाय चुनाव को लेकर वार्ड आरक्षण सूची का इंतजार है. संभावित दावेदारों ने पब्लिक मूवमेंट तेज कर रखा है. हालांकि, फिलहाल वार्ड आरक्षण को लेकर सबकी सांसें अटकी हुई हैं. अब दावेदार टिकट के लिए पार्टी मुख्यालय से लेकर पदाधिकारियों से जुगाड़ लगा रहे हैं.
गोरखपुर (महेंद्र प्रताप सिंह)।माना जा रहा है कि सबसे अधिक टिकट के दावेदार भाजपा में हैं, इसलिए वहां ज्यादा घमासान है। सपा, बसपा कांग्रेस में स्थिति एक जैसी ही है। यहां उम्मीदवारों की संख्या भाजपा से कम है। ऐसे में टिकट के लिए कोई खास घमासान भी नहीं दिख रहा है। पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि समय पर दावेदारों का चयन किया जाएगा। इधर, गुरुवार शाम को लखनऊ में वार्ड आरक्षण जारी होने के बाद दावेदारों की बेचैनी बढ़ गई। किसी भी वक्त गोरखपुर में भी आरक्षण की लिस्ट जारी होने के अनुमान पर चर्चाओं का भी दौर शुरू हो गया है।
भाजपा से हर वार्ड में 10 से ऊपर दावेदार
नए परिसीमन में नगर निगम में 70 से अब 80 वार्ड हो गए हैं। 10 नए वार्ड बने हैं। सभी वार्डों में भाजपा से टिकट के लिए 10 से अधिक दावेदार हैं। कई ने वार्ड में बैनर पोस्टर भी लगवा लिया है। लोगों से जनसपंर्क कर अपने पक्ष में माहौल भी बना रहे हैं। यही नहीं सोशल मीडिया पर भी वह एक्टिव हैं। समय-समय पर पोस्ट भी किया जा रहा है। हालांकि वार्ड आरक्षण ने चुनाव प्रचार में थोड़ा ब्रेक लगा दिया है। सभी आशंकित हैं कि कहीं आरक्षण की वजह से सीट बदल गई तो दिक्कत हो जाएगी। ऐसे में वार्डों में एक्टिविटी फिलहाल कम है।
वार्ड आरक्षण का इंतजार पड़ रहा भारी
वार्ड आरक्षण सूची जारी होने में देरी पर अब दावेदारों के माथे पर चिंताओं की लकीरें भी खिंचने लगी हैं। खास उनको जिन्होंने काफी समय पहले से चुनाव लडऩे की तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव को लेकर जिस तरह से माहौल बन रहा है उससे अब तक वार्ड आरक्षण जारी हो जाना चाहिए था। ऐसे में अब एक-एक दिन वार्ड आरक्षण के इंतजार में बिताना कठिन हो रहा है। इधर, आरक्षण में बड़े उलटफेर ने भी दावेदारों को आशंकित किया हुआ है।
नगर निगम प्रसार कम है में बढ़े 1.62 लाख मतदाता
निकाय चुनाव के लिए प्रकाशित हुए मतदाता सूची में इस बार जिले में तीन लाख 61 हजार 708 मतदाता बढ़े हैं। इनमें सबसे ज्यादा एक लाख 62 हजार 885 मतदाता नगर निगम में बढ़े हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में नगर निगम में आठ लाख 65 हजार 302 मतदाता थे। इस बार मतदाताओं की संख्या 10 लाख 28 हजार 187 हो गई है।
4 दिसंबर के बाद चुनाव के घोषणा की चर्चा
राजनीतिक गलियारों में चार दिसंबर के बाद कभी भी नगर निकाय चुनाव की चर्चा तेजी से चल रही है। सोशल मीडिया पर भी कई लोग अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि इससे पहले ही वार्ड आरक्षण भी जारी कर दिया जाएगा। रोजाना चर्चाओं से अब एक बार फिर चुनावी गतिविधियां तेज होने लगी हैं। इधर, चर्चाओं के बीच दावेदारों ने पार्टी के बड़े पदाधिकारियों के चक्कर लगाना भी शुरू कर दिया है। सभी टिकट के लिए अपना-अपना पक्ष रखकर तर्क दे रहे हैं।
नए बने वार्डों की परिधि जान रहे दावेदार
हाल ही नगर निगम में बने नए 10 वार्डों की स्थिति जानने में भी दावेदार परेशान हैं। कई दावेदारों को वार्ड के बारे में भी पूरी जानकारी नहीं है। वह नगर निगम से लेकर वार्ड के बड़े बुजुर्गों से जानकारी ले रहे हैं। कई दावेदार जो परिधि को समझ चुके हैं वह चुप होकर शांत बैठ गए हैं। वह चुनाव आने पर प्रचार प्रसार परिधि में प्रचार तेज करेंगे। नए बने वार्डों में रानीडीहा, खोराबार, बडग़ो, संझाई, मोहनपुर, गुलरिहा, हरसेवकपुर, भरवलिया, गायघाट, देवी प्रसाद नगर शामिल हैं।
कांग्रेस सभी सीटों पर प्रत्याशी लड़ाएगी। दावेदारों की संख्या अधिक है, इसके चयन के लिए बैठक भी की जा रही है। गुरुवार को भी बैठक की गई। चुनाव की घोषणा होने पर प्रत्याशियों का चयन किया जाएगा।
निर्मला पासवान, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
वार्ड आरक्षण घोषित होने के बाद मंडल की कोर कमेटी बैठक कर नाम देगी। फिर महानगर की बैठक होगी। इसके बाद नामों को क्षेत्र और प्रदेश को भेजा जाएगा। वहां से दावेदारों के नाम पर मुहर लगेगी।
राजेश गुप्ता, महानगर अध्यक्ष, भाजपा
सपा से हर वार्ड से टिकट के लिए दावा करने वालों की संख्या अधिक है। ऐसे में वार्ड आरक्षण का पता चलने पर दावेदारों पर विचार विमर्श किया जाएगा। सपा दमदारी से चुनाव लड़ेगी।
Covid-19 से 25 प्रतिशत लोग हैं मानसिक रोगी, इन राज्यों में सबसे ज्यादा
दिल्ली, गुजरात और झारखंड में लगभग 25 प्रतिशत कोविड पीड़ित मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित हैं- ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक- यहां तक कि जब महामारी कम हुई, जिसके परिणामस्वरूप तीनों राज्यों में लिंग आधारित हिंसा अधिक हुई, एक अध्ययन से शुक्रवार को इसकी जानकारी हुई. लिंग आधारित हिंसा के मुद्दों और मानसिक स्वास्थ्य के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित किया गया, क्योंकि लगभग 77 प्रतिशत लिंग आधारित हिंसा प्रभावित व्यक्तियों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पाए गए.
प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन वल्र्ड हेल्थ पार्टनर्स (डब्ल्यूएचपी) के अनुसार, अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कोविड-19 रोगियों के परिवार के 16 प्रतिशत सदस्यों ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की सूचना दी है. डब्ल्यूएचपी की टेली-काउंसलिंग सेवा ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर काबू पाने में कोविड-19 रोगियों, उनके परिवार के सदस्यों और लिंग आधारित हिंसा से प्रभावित लोगों की मदद की.
प्राची शुक्ला, कंट्री डायरेक्टर- वल्र्ड हेल्थ पार्टनर्स ने कहा, सस्ती और समय पर मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करके परियोजना से सीखकर कोविड-19 महामारी के मानसिक स्वास्थ्य प्रभाव पर प्रकाश डाला गया. मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में वृद्धि ने कम लागत वाली डिजिटल तकनीकों को लागू करने के लिए दरवाजे खोल दिए हैं जो मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण में सरकार के प्रयासों का समर्थन कर सकते हैं.
यह परियोजना जून 2021 से नवंबर 2022 तक तीन राज्यों के 26 जिलों में लागू की गई थी. मानसिक स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करने के लिए टीमें 500,000 से अधिक लोगों तक पहुंचीं. परियोजना अवधि के दौरान, डब्ल्यूएचपी के टेली-हेल्थ प्लेटफॉर्म को मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए 70,000 से अधिक कॉल प्राप्त प्रसार कम है हुए. टेली-काउंसलिंग सत्रों को पूरा करने के बाद हल्के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों वाले लगभग 95 प्रतिशत व्यक्तियों को सामान्य पाया गया.
सभी तीन राज्यों में शहरी सेटिंग्स में, 35-59 आयु वर्ग में पुरुषों और महिलाओं के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों का प्रसार 21.2 प्रतिशत अधिक था, जबकि ग्रामीण सेटिंग 13.2 प्रतिशत था. डॉ राजेश सागर, प्रोफेसर और प्रमुख-मनोचिकित्सा, एम्स ने कहा- टेली-मेंटल हेल्थ एक गेम चेंजर है, जब देश के कुछ हिस्सों में सेवाओं की पहुंच को आसान बनाने की बात आती है, जो महानगरों या टियर 1 शहरों में लोगों के लिए उपलब्ध गुणवत्ता देखभाल तक पहुंच नहीं हो सकती है.
सागर ने कहा, देश की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने और प्राथमिक देखभाल सेटिंग में प्रभावी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल वितरण सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, प्रसार कम है ताकि वंचित आबादी तक पहुंचा जा सके. 18 महीने की परियोजना को यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) द्वारा समर्थित किया गया था. इसे सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ साइकियाट्री (सीआईपी) और रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइकियाट्री एंड एलाइड साइंसेज (आरआईएनपीएएस) जैसे संस्थानों से तकनीकी सहायता से लागू किया गया था.
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