बाजार को समझें

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शेयर की कीमतों के ट्रेंड को कैसे समझें?
शेयरों के चुनाव में रुझानों की बड़ी भूमिका होती है. जिसने ये रुझान या ट्रेंड समझ लिए, उन्हें पैसा बनाने में वक्त नहीं लगता है.
चूंकि सूचनाओं के इस सफर में वक्त लगता है जो कुछ घंटे से कई दिन तक का हो सकता है. लिहाजा, शेयर कीमतों में बदलाव भी कम रफ्तार से होता है. कुछ मामलों में तो खबर के बाजार में पहुंचने से पहले ही उसे पूरी तरह मान लिया जाता है. यही कारण है बाजार को समझें कि कंपनी के प्रॉफिट घटने या उछलने जैसी बड़ी खबरों पर भी मूल्यों पर कुछ खास असर नहीं दिखता है.
2. ये ट्रेंड क्या हैं?
ये ट्रेंड बाजार को समझें तीन तरह के होते हैं-अपट्रेंड, डाउनट्रेंड और साइडवेज ट्रेंड. साइडवेज ट्रेंड तब देखने में आते हैं जब बाजार में अनिश्चितता होती है. अपट्रेंड तब होता है जब बाजार को समझें बाजार में धीरे से कोई सकारात्मक खबर आती है. वहीं, बुरी खबर आने पर डाउनट्रेंड देखने को मिलता है. अगर शुरुआत में ही आप ट्रेंड पकड़ लें तो गिरावट और तेजी के बुनियादी कारणों को जाने बगैर पैसा बना सकते हैं.
ट्रेडिंग को सट्टा न समझें
शेयर बाजार में ट्रेडिंग को सट्टा लगाने की तरह न समझें. इसमें बेहद अभ्यास और समझदारी की जरूरत होती है. अगर आप ट्रेडिंग से जुड़े नियमों का पालन नहीं करेंगे तो नुकसान हो सकता है. ट्रेडिंग में आपको जोखिम उठाना पड़ता है, लेकिन इसे समझ लें तो इसका फायदा लंबी अवधि में मिलता है. हालांकि कुछ नियमों, बाजार की खबरों और एक्सपर्ट के बाजार को समझें सुझावों के साथ अपनी समझ का इस्तेमाल करते हुए इस जोखिम को कम किया बाजार को समझें जा सकता है.
ट्रेडिंग करते समय सिर्फ एक या दो इंडिकेटर्स पर ही ध्यान देना चाहिए. इससे न केवल आपको बाजार के रूझानों के बारे में जानकारी मिलती है, बल्कि आप सोच समझ कर फैसला ले सकते हैं. वहीं, कई इंडिकेटर्स को ध्यान में रखने से भ्रम पैदा होता है और आप सही दिशा से भटक जाते हैं. अपनी एकाग्रता बनाए रखें, ताकि आप बेस्ट रिजल्ट पा सकें.
सिर्फ गिरावट देखकर पैसा न लगाएं
कभी भी यह सोच कर ट्रेडिंग न करें कि गिरावट के बाद बाजार में तेजी आएगी ही. हो सकता है कि आपको बाजार में तेजी के लिए लंबा इंतजार करना पड़े और बाद में प्रतिकूल स्तर तक पहुंच कर बाहर आना पड़े. गिरावट के बाद बाजार में उछाल आ सकता है, लेकिन कई बार इसमें महीनों लग जाते हैं. इसलिए ट्रेडिंग करते समय हमेशा बाजार के रूझानों पर ध्यान दें और उन कंपनियों में निवेश करें जिनकी नींव मजबूत है.
ज्यादा फायदे का मतलब ज्यादा मुनाफे से है. निवेशकों को उन बेहतर कंपनियों के शेयर में पैसा लगाना चाहिए, जिनका बेस के साथ साथ फंडामेंटल भी मजबूत हों. जो कंपनियां मुनाफा कमा रही हों. यहां पैसा लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए. ज्यादा मुनाफे के लिए गलत जगह पैसा न लगा दें. कम समय में ज्यादा कमाई के चक्कर में आपको एक दो बार तो फायदा हो सकता है, लेकिन इसमें नुकसान ज्यादा है.
ऑनलाइन ट्रेडिंग में फायदे
कई बार निवेशक ट्रेडिंग के लिए पूरी तरह से ब्रोकर पर डिपेंड हो जाते हैं. इस मामले में ऐसा हो सकता है कि ब्रोकर आपसे कमाई की उम्मीद में आपको लंबी अवधि के लिए निवेश की सलाह न दे. इसलिए खुद की रिसर्च पर भरोसा करें. आप खुद ऑनलाइन ट्रेडिंग कर आप अपना पैसा और समय दोनों बचा सकते हैं. सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया, इंटरनेट की पहुंच को बढ़ावा देने से ऑनलाइन ट्रेडर्स को प्रोत्साहन मिल रहा है और इस क्षेत्र में नई तेजी आई है.
(लेखक अमित गुप्ता ट्रेडिंग बेल्स बाजार को समझें के सीईओ और को-फाउंडर हैं.)
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शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा?
शेयर बाजार में पांव रखने से पहले आपको चाहिए डिमैट अकाउंट. जैसे बैंक में बचत, एफडी में निवेश के लिए बैंक अकाउंट चाहिए वैसे ही शेयर मार्केट में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट के जरिए बाजार को समझें बाजार को समझें ही शेयर्स को खरीदा-बेचा जाता है, होल्ड किया जाता है. यह एक तरह से शेयर्स का डिजिटल अकाउंट है.
डीमैट अकाउंट मतलब- डीमटेरियलाइज्ड यानी किसी भी फिजिकल चीज का डिजिटलाइज होना. डिमैट अकाउंट आप चंद सैकेंड में खोल सकते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसी केवाईसी डॉक्यूमेंट लगती हैं. इसके लिए ब्रोकर की जरूरत होती है. अब ब्रोकर कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कंपनी भी. ब्रोकर की वेबसाइट या एप पर जाकर डिमैट अकाउंट आसानी से खोला जा सकता है. अगर आप नेटबैंकिंग करते हैं तो आपके बैंक की वेबसाइट या एप पर भी डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं. आमतौर पर इसकी लिए कोई फीस नहीं देनी होती लेकिन यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे डिमैट के लिए कितना वसूलना चाहते हैं.
किस कंपनी का शेयर खरीदें?
जवाब है किसी अच्छी कंपनी है, क्योंकि अच्छी कंपनी के शेयर्स अच्छा रिटर्न देते हैं. अच्छी कंपनी मतलब जिसका प्रॉफिट, प्रोडक्ट, भविष्य अच्छा हो. शेयर मार्केट की भाषा में इसे कंपनी के फंडामेंटल्स यानी बुनियादी बातें कहते हैं, कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं तो कंपनी का भविष्य अच्छा माना जाता है. इसके लिए आपको कंपनी की सालाना बैलेंस शीट पर नजर रखनी होती है. यानी कंपनी कितना कमा रही है, कितना बाजार को समझें कर्ज है, कितना मुनाफा हो रहा है? कंपनी के शेयर्स ने पहले कैसा प्रदर्शन किया है. ये सब देखना होता है. कई बार खबरें भी कंपनी के शेयर्स को प्रभावित करती हैं. जैसे कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ईलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया तो निवेशकों में ट्विटर के बाजार को समझें शेयर्स को खरीदने की होड़ लग गई. लेकिन निवेशक केवल कंपनी के फंडामेंटल्स पर ध्यान दें तो भी काम बन सकता है. सबसे पहले ऐसे शेयर में निवेश करें जो सुरक्षित हैं. यानी उन बड़ी कंपनियों के शेयर्स खरीदें जो दशकों पुरानी हैं, प्रॉफिट में रहती है और आगे भी रहेंगी. इससे आप नुकसान में नहीं रहेंगे. जब इसमें निवेश कर लें तो शेयर्स को स्टडी करना सीखें, कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ना सीखें.
ट्रेडिंग या निवेश?
एक्सपर्ट कहते हैं कि 5 साल, 10 साल या उससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करने वाले फायदे में रहते हैं. यानी लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट. अब शेयर बाजार को गहनता से समझने वाले और रिस्क उठा सकने वाले ही शॉर्ट टर्म या हर रोज शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. कितना और कितने समय के लिए निवेश? अब सबसे पहले आप ये तय करें कि निवेश कितना करना है और कितने समय के लिए. फिर तय करें कि आप निवेश करना क्यों चाहते हैं यानी कि आपका उद्देश्य क्या है. जैसे, शिक्षा, शादी या घर खरीदने जैसे गोल्स. इसी अनुसार आप आगे बढ़ते हैं और तभी आप फैसला ले पाएंगे कि आपको किस शेयर में निवेश करना है. शेयर मार्केट में शुरुआत बाजार को समझें धीमी रखें.
अगर आपके पास इन सब के लिए समय नहीं है या समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से ही सलाह लें, एक्सपर्ट को बताएं कि आप कितना खर्च करना चाहते हैं और कितने समय के लिए. आपका निवेश का उद्दश्य क्या है और आप निवेश से कितने रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं. एक उपाय म्यूचुअल फंड भी हैं. जिसमें कुछ बाजार को समझें एक्सपर्ट आपके जैसे कई निवशकों के पैसे को कहां लगाना है ये तय करते हैं.
सेंसेक्स
सेंसेक्स BSE यानी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का एक सूचकांक है। सेंसेक्स के सूचकांक में मार्केट कैप के आधार पर देश के 13 अलग अलग सेक्टर से 30 सबसे बड़ी कंपनियों को इंडेक्स किया जाता है।। इसमें रिलायंस, टीसीएस, इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। खबर लिखे जाने के समय सेंसेक्स की वैल्यू 58,786.67 पर चल रही है।
सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी 1986 को की गई थी। इसमें कुल 30 कंपनियां शामिल हैं। इस कारण इसको BSE30 के नाम से भी जाना जाता है। सेंसेक्स के उतार चढ़ाव से ये पता चलता है कि देश की बड़ी कंपनियों और शेयर बाजार की क्या स्थिति है?