शेयर मार्किट कैंडल चार्ट इन हिंदी

Japanese Candlestick क्या हैं ? – 400 साल पुराणी तकनीक।
Japanese Candlestick क्या हैं ?
शेयर बाजार में कई प्रकार के चार्ट होते हैं जैसे की Line Chart, Renko Chart, Heikin Ashi Chart, Kegi Chart इत्यादि।
इनमेसे सबसे ज्यादा प्रसिद्द इस्तमाल किया जाने वाला चार्ट हैं Japanese Candlestick Chart.
Share Market में चाहे बडेसे बड़ा Trader या Investor क्यों न हो, ज्यादा तौर पर Candlestick Chart का ही उपयोग करते हैं।
शायद से Candlestick को शेयर मार्किट में मोमबत्ती पैटर्न या मोमबत्ती कहना ठीक नहीं होगा।
इस आर्टिकल मे हम पढ़ेंगे – Japanese Candlestick क्या हैं ? हिंदी मे, Japanese Candlestick की जानकारी, Candlestick सीखना क्यों जरुरी हैं ?, कैंडलस्टिक कितने प्रकार के होते हैं ?, Candlestick के भाग, Candlestick को कैसे समझे ?,Candlestick से हमें क्या पता चलता हैं ?
Table of Contents
1. Candlestick सीखना क्यों जरुरी हैं ?
स्टॉक ट्रेडिंग को सिखने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस सिखने की जरुरत होती हैं और टेक्निकल एनालिसिस अच्छेसे सिखने के लिए हमें Candlestick को अच्छेसे सीखना बोहोत जरुरी हैं।
क्योकि Candlestick टेक्निकल एनालिसिस की जड़े होती हैं।
2. कैंडलस्टिक कितने प्रकार के होते हैं ?
कैंडलस्टिक के २ प्रकार होते हैं।
एक Bullish कैंडल जो की हरी रंग की होती हैं।
और दूसरी Bearish कैंडल जो की लाल रंग की होती हैं।
जब प्राइस बढ़ कर रुक जाती हैं तो वह हरे रंग की कैंडल यानि के Bullish Candle बनाती हैं।
जब प्राइस घट कर रुक जाती हैं तो वह लाल रंग की कैंडल यानि के Bearish Candle बनाती हैं।
3. Candlestick के भाग
कैंडल स्टिक के ३ भाग होते है।
4. Candlestick को कैसे समझे ?
कैंडलस्टिक में कुल ४ चीजे रहती हैं।
Open, Close, High और Low .
एक उदहारण के तौर पर अगर एक कैंडलस्टिक एक प्राइस पे खुलता या शुरू होता हैं तो उसे हम ओपनिंग प्राइस कहते हैं
उसे दिन प्राइस जितना निचे गया हैं तो शेयर मार्किट कैंडल चार्ट इन हिंदी उसे हम Lowest Price कहते हैं।
और प्राइस उस दिन जितना ऊपर गया हैं तो उसे हम Highest Price कहेंगे।
और कैंडल जहापे ख़तम हुआ हैं तो उसे हम Closing Price कहेंगे।
5. Japanese Candlestick से हमें क्या पता चलता हैं ?
जब शेयर बाजार खुलता हैं और जिस प्राइस पे कैंडलस्टिक खुलती हैं तब हमें उसका Opening Price पता चलता हैं।
जब शेयर बाजार ऊपर या निचे जाता हैं तब शेयर मार्किट कैंडल चार्ट इन हिंदी हमें Candlestick का Highest Price और Lowest Price पता चलता हैं।
और जब शेयर बाजार बंद हो जाता हैं तब हमें Candlestick का Closing Price पता चलता हैं।
और सारे पिछले Japanese Candlestick से मिलकर एक Candlestick Chart Pattern बनता हैं।
हर एक कैंडलस्टिक स्टॉक में होने वाले उतार चढाव को दिखता हैं एक समय के जरिये।
जैसे की 1 Min,1 Hour,1 Day,1 Week या 1 Month.
6. निष्कर्ष
अगर आप नए ट्रेडर या इन्वेस्टर हो तो Candlestick से अपने शेयर मार्किट सिखने की शुरवात करना बहुत ही अच्छा पर्याय हैं। क्योकि Candlestick Technical Analysis की जढ़ हैं। Candlestick सबसे आसान और जल्दी समझने वाली चार्ट पद्धति हैं।
- (आप Candlestick की प्रैक्टिस Tradingview.com पर कर सकते हैं ।)
अन्य पढ़े :-
7. अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
Q.1. Japanese Candlestick क्या हैं ?
Ans: Japanese Candlestick Technical Analysis में एक तकनीक हैं जिससे हमें किसी शेयर की Open, Close, High और Low Price का पता चलता हैं .
Q.2. Candlestick सीखना क्यों जरुरी हैं ?
Ans: स्टॉक ट्रेडिंग को सिखने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस सिखने की जरुरत होती हैं और टेक्निकल एनालिसिस अच्छेसे सिखने के लिए हमें Candlestick को अच्छेसे सीखना बोहोत जरुरी हैं।
Q.3. Candlestick के कितने भाग होते हैं ?
Ans: कैंडल स्टिक के ३ भाग होते है।
1. Upper Shadow
2. Body
3. Lower Shadow
Japanese Candlestick क्या हैं ? – 400 साल पुराणी तकनीक।
Japanese Candlestick क्या हैं ?
शेयर बाजार में कई प्रकार के चार्ट होते हैं जैसे की Line Chart, Renko Chart, Heikin Ashi Chart, Kegi Chart इत्यादि।
इनमेसे सबसे ज्यादा प्रसिद्द इस्तमाल किया जाने वाला चार्ट हैं Japanese Candlestick Chart.
Share Market में चाहे बडेसे बड़ा Trader या Investor क्यों न हो, ज्यादा तौर पर Candlestick Chart का ही उपयोग करते हैं।
शायद से Candlestick को शेयर मार्किट में मोमबत्ती पैटर्न या मोमबत्ती कहना ठीक नहीं होगा।
इस आर्टिकल मे हम पढ़ेंगे – Japanese Candlestick क्या हैं ? हिंदी मे, Japanese Candlestick की जानकारी, Candlestick सीखना क्यों जरुरी हैं ?, कैंडलस्टिक कितने प्रकार के होते हैं ?, Candlestick के भाग, Candlestick को कैसे समझे ?,Candlestick से हमें क्या पता चलता हैं ?
Table of Contents
1. Candlestick सीखना क्यों जरुरी हैं ?
स्टॉक ट्रेडिंग को सिखने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस सिखने की जरुरत होती हैं और टेक्निकल एनालिसिस अच्छेसे सिखने के लिए हमें Candlestick को अच्छेसे सीखना बोहोत जरुरी हैं।
क्योकि Candlestick टेक्निकल एनालिसिस की जड़े होती हैं।
2. कैंडलस्टिक कितने प्रकार के होते हैं ?
कैंडलस्टिक के २ प्रकार होते हैं।
एक Bullish कैंडल जो की हरी रंग की होती हैं।
और दूसरी Bearish कैंडल जो की लाल रंग की होती हैं।
जब प्राइस बढ़ कर रुक जाती हैं तो वह हरे रंग की कैंडल यानि के Bullish Candle बनाती हैं।
जब प्राइस घट कर रुक जाती हैं तो वह लाल रंग की कैंडल यानि के Bearish Candle बनाती हैं।
3. Candlestick के भाग
कैंडल स्टिक के ३ भाग होते है।
4. Candlestick को कैसे समझे ?
कैंडलस्टिक में कुल ४ चीजे रहती हैं।
Open, Close, High और Low .
एक उदहारण के तौर पर अगर एक कैंडलस्टिक एक प्राइस पे खुलता या शुरू होता हैं तो उसे हम ओपनिंग प्राइस कहते हैं
उसे दिन प्राइस जितना निचे गया हैं तो उसे हम Lowest Price कहते हैं।
और प्राइस उस दिन जितना ऊपर गया हैं तो उसे हम Highest Price कहेंगे।
और कैंडल जहापे ख़तम हुआ हैं तो उसे हम Closing Price कहेंगे।
5. Japanese Candlestick से हमें क्या पता चलता हैं ?
जब शेयर बाजार खुलता हैं और जिस प्राइस पे कैंडलस्टिक खुलती हैं तब हमें उसका Opening Price पता चलता हैं।
जब शेयर बाजार ऊपर या निचे जाता हैं तब हमें Candlestick का Highest Price और Lowest Price पता चलता हैं।
और जब शेयर बाजार बंद हो जाता हैं तब हमें Candlestick का Closing Price पता चलता हैं।
और सारे पिछले Japanese Candlestick से मिलकर एक Candlestick Chart Pattern बनता हैं।
हर एक कैंडलस्टिक स्टॉक में होने वाले उतार चढाव को दिखता हैं एक समय के जरिये।
जैसे की 1 Min,1 Hour,1 Day,1 Week या 1 Month.
6. निष्कर्ष
अगर आप नए ट्रेडर या इन्वेस्टर हो तो Candlestick से अपने शेयर मार्किट सिखने की शुरवात करना बहुत ही अच्छा पर्याय हैं। क्योकि Candlestick Technical Analysis की जढ़ हैं। Candlestick सबसे आसान और जल्दी समझने वाली चार्ट पद्धति हैं।
- (आप Candlestick की प्रैक्टिस Tradingview.com पर कर सकते हैं ।)
अन्य पढ़े :-
7. अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :
Q.1. Japanese Candlestick क्या हैं ?
Ans: Japanese Candlestick Technical Analysis में एक तकनीक हैं जिससे हमें किसी शेयर की Open, Close, High और Low Price का पता चलता हैं .
Q.2. Candlestick सीखना क्यों जरुरी हैं ?
Ans: स्टॉक ट्रेडिंग को सिखने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस सिखने की जरुरत होती हैं और टेक्निकल एनालिसिस अच्छेसे सिखने के लिए हमें Candlestick को अच्छेसे सीखना बोहोत जरुरी हैं।
Q.3. Candlestick के कितने भाग होते हैं ?
Ans: कैंडल स्टिक के ३ भाग होते है।
1. Upper Shadow
2. Body
3. Lower Shadow
Types of charts & it's importance of technical analysis- in hindi
किसी भी stock को खरीदने से पहले ट्रेडर उसका technical analysis भी करते हैं। टेक्निकल एनालिसिस शेयर मार्किट कैंडल चार्ट इन हिंदी के लिये charts की जरूरत होती है। आज की पोस्ट इसी बारे में है कि stock market में ज्यादातर कौन से charts का प्रयोग किया जाता है तथा trading में चार्ट्स का क्या महत्व है ?
एक निश्चित समय की अवधि में मूल्य डेटा के साथ किसी भी एसेट जैसे-शेयर या कमोडिटी आदि का चार्ट बनाकर technical analysis किया जा सकता है। चार्ट डाटा का ग्राफिकल रूप में वर्णन करता है जिसे वह सिम्बल-जैसे कि लाइन Line chart,बार्स Bar chart,कैंडलस्टिक Candlestick chart आदि के द्वारा दर्शाता है। Stock market में मुख्यतः तीन प्रकार के चार्ट का प्रयोग किया जाता है।
चार्ट के बारे में जानने से पहले आपको technical analysis के बारे जानना चाहिए इसमें चार्ट की पास्ट परफोर्मेश के बारे में समझाया जाता है जिसे आधार पर आप equity,derivative तथा currency की भविष्य की चाल का अनुमान लगा सकते हैं। टेक्निकल एनालिसिस के बारे में अधिक जानने के लिए आप ये पोस्ट पढ़ सकते हैं -Stock Analysis kya hai tatha Stock Analysis kaise kren in Hindi
Types of Charts:
यूँ तो चार्ट कई प्रकार के होते हैं परन्तु Stock market ज़्यदातर तीन तरह के चार्ट प्रयोग होते हैं एक Line chart दूसरा Bar chart तीसरा Candlestick chart।
Line Charts:
लाइन चार्ट बहुत ही बेसिक और साधारण stock charts होते हैं जिनका उपयोग technical analysis में किया जाता है। लाइन चार्ट किसी भी शेयर के क्लोजिंग (बंद होने )प्राइस को continuous line के द्वारा दर्शाता है। उपर्युक्त इमेज में लाइन चार्ट का चित्र दिया गया है। लाइन चार्ट के द्वारा आप किसी भी शेयर की कम समय से लेकर लम्बे समय तक की प्राइस मूवमेंट को देख सकते है।
इसके द्वारा आप किसी भी stock का trend पता कर सकते हैं तथा support &resistance पता कर सकते हैं। आप ये भी जान सकते हैं कि कौन सा शेयर कब split हुआ तथा किसने कब dividend दिया, साथ ही आप हिस्टोरिक ट्रेडिंग वॉल्यूम भी जान सकते हैं,किसी भी शेयर की और भी बहुत सी जानकारी आप line chart के प्राप्त कर सकते हैं।
Bar Charts:
बार चार्ट किसी भी शेयर के open,high,low तथा close प्राइस को दर्शाता है। प्राइस बार में जो वर्टीकल लाइन्स होती हैं वह किसी टाइम पीरियड के low तथा high प्राइस को दर्शाती हैं। बार चार्ट में जो होरिजेंटल लाइन्स होती हैं वह शेयर के ओपनिंग और क्लोजिंग प्राइस को दर्शाती हैं। इसे OHLC(open-high-low-close chart) चार्ट भी कहते हैं। इसके द्वारा आप किसी भी stock का आसानी से technical analysis कर सकते है।
Candlestick Charts:
कैंडलस्टिक चार्ट भी कुछ कुछ बार चार्ट की तरह ही होता है यह भी equity,derivative तथा currency की प्राइस मूवमेंट को दर्शाता है। Candlestick chart में प्रत्येक कैंडल एक सेशन की प्राइस मूवमेंट की रेंज को बताती है।
Candlestick chart में प्रत्येक कैंडल stocks का उस दिन का हाई,low,ओपनिंग तथा क्लोजिंग प्राइस को दर्शाता है यदि शेयर के बंद होने का प्राइस शेयर के खुलने के प्राइस से ऊपर है तो ग्रीन या वाइट कैंडल बनायीं जाएगी और यदि शेयर के बंद होने का प्राइस शेयर के खुलने के प्राइस के नीचे है तो कैंडलस्टिक ब्लैक या रैड बनायीं जाएगी।
कैंडलस्टिक के खाली या भरे सेक्सन को Real Body कहते हैं। Real Body के ऊपर और नीचे जो पतली लाइन होती है उसे shadow (शैडो) कहते हैं। ऊपर वाली शैडो शेयर के हाई प्राइस को दर्शाता है तथा बॉटम का नीचे वाला शैडो शेयर के law प्राइस को दर्शाता है।
लम्बी रियल बॉडी स्ट्रांग बाइंग तथा सेलिंग को दर्शाती है,जबकि छोटी real body कम मात्रा में (weakness of trend)बाइंग और सेलिंग रुझान को दर्शाती है। कुछ technical analysts का ये विश्वास होता है कि long shadow के बाद ट्रेंड रिवर्स होता है तथा शार्ट शैडो के बाद प्राइस rise होगें।
यदि कैंडलस्टिक की निचली शैडो लम्बी होती है तथा ऊपरी शैडो छोटी होती है तो इसका मतलब सेशन की शुरुआत में सेलर हावी रहेंगे और प्राइस को नीचे गिरा देंगे लेकिन सेशन के end में खरीददार वापसी करेंगे तथा प्राइस को वापस ओपन प्राइस के आस -पास कर देंगे।
बहुत से ट्रेडर इसे candlestick chart को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह समझने में बहुत ही आसान है। यदि शेयर का प्राइस गिर कर बंद होता है तो कैंडलस्टिक ज्यादातर काले या लाल रंग की होती है,तथा यदि शेयर का प्राइस चढ़ कर बंद होता है तो कैंडलस्टिक सफेद या हरे रंग की होती है।
आशा है कि आज की पोस्ट से आपको चार्ट के बारे में काफी जानकारी मिली होगी Stock market में ज्यादातर कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग किया जाता है। Candlestick chart pa ttern के बारे में, मैं अभी और भी पोस्ट लिखुंगी क्योंकि ये काफी बड़ा विषय है।
उम्मीद है आज की प्रेरणादायी पोस्ट आपको जरूर पसंद आयी होगी, ऐसी ही प्रेरणादायी पोस्ट पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिये। इस पोस्ट से सम्बन्धित कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर भेजें तथा यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
Share market kaise start kare in hindi | शेयर मार्केट क्या होता है
share market kaise start kare in hindi / शेयर मार्केट कैसे स्टार्ट करे इन हिंदी – शेयर मार्केट एक ऐसा मार्केट है. जहा बहुत सी कंपनी के शेयर खरीदी और बेचे जाते हैं. यह ऐसी जगह जहा बहुत लोग काफी पैसा कमा सकते हैं. या अपने सारे पैसे गवा भी सकता हैं. किसी कंपनी का शेयर खरीदना मतलब उस कंपनी में हमारी हिस्सेदारी बन जाना.
लेकिन काफी लोग ऐसे है. जिन्हें शेयर मार्केट के बारे में जानना है या शेयर खरीदने हैं. वह शेयर मार्केट स्टार्ट करना चाहते है. लेकिन नॉलेज की कमी के कारण नही कर पाते हैं.
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से (Share market kaise start kare in hindi) इसके बारे में हिंदी में स्टेप बाय स्टेप पूरा प्रोसेस बताने वाले हैं.
तो आइये इस बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं.
Share market kaise start kare in hindi / शेयर मार्केट कैसे स्टार्ट करे इन हिंदी
शेयर मार्केट स्टार्ट करने से पहले सबसे पहले यह जानना जरूरी है की शेयर मार्केट क्या होता हैं.
शेयर मार्केट क्या होता है
दोस्तों शेयर मार्केट एक ऐसा मार्केट है. जहा कंपनी के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं. यहा पर लोग काफी पैसा कमाते भी है और गवाते भी हैं. किसी कंपनी का शेयर खरीदना मतलब हमारी उस कंपनी में हिस्सेदारी बन गई है.
आप जितना पैसा लगाते है उसी हिसाब से कंपनी के कुछ प्रतिशत के मालिक आप उस कंपनी के बन जाते हैं. इसका मतलब यह है की भविष्य में उस कंपनी को मुनाफा होगा तो कंपनी आपको दुगना पैसा देगी. और कंपनी को अगर घाटा हुआ तो नुकसान आपको भी होगा. आपके लगाए हुए पैसे आपको नही मिलेगे. शेयर मार्केट में उतार शेयर मार्किट कैंडल चार्ट इन हिंदी चढाव होते रहते हैं.
आपने शेयर मार्केट के बारे में तो जान लिया अब शेयर मार्केट के संबंधित कुछ और जानकारी जान लीजिए.
सबसे पहले शेयर मार्केट से संबंधित नॉलेज प्राप्त करे
सबसे पहले आपको सही रणनीति बनानी हैं. सही रणनीति तब ही बन सकती है जब आपके पास शेयर मार्केट का सही नॉलेज हो. इसलिए आपको शेयर मार्केट से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त करनी होगी.
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए आपको सबसे पहले डिमैट अकाउंट की जरूरत रहेगी. अगर आप शेयर मार्केट में ज्यादा पैसा invest करना चाहते है तो सीधे अच्छे बैंक जाकर डिमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं.
अगर आप छोटा invest करना चाहते हैं. तो किसी शेयर मार्केट ब्रोकर से भी डिमैट अकाउंट खुलवा सकते हैं. तथा ब्रोकर से नॉलेज भी प्राप्त कर सकते हैं. ब्रोकर से डिमैट अकाउंट खुलवाने से आपको यह फायदा हो सकता है की आपको समय समय पर शेयर से संबंधित जानकारी मिलती रहेगी.
शेयर मार्केट में शेयर कब खरीदे
आपको थोडा बहोत नॉलेज तो मिल गया होगा. अब invest कैसे करते है यह भी जान लेते हैं. लेकिन invest करने से पहले जितना हो सके इस शेयर मार्केट के सभी जानकारी और नॉलेज प्राप्त कर ले.
सबसे पहले यह जान ले की आप जिस कंपनी में invest करने जा रहे है. उस बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर ले. इसके बाद ही उस कंपनी के शेयर खरीदे. किस कंपनी का शेयर गिरा या बढ़ा यह जान ने के लिए Economic Times जैसा न्यूज पेपर पढ़ सकते हैं. या फिर NDTV Business जैसा चेनल देख सकते हैं.
तो इस प्रकार शेयर मार्केट के उतार चढाव जानकर शेयर मार्केट में निवेश कर सकते हैं.
शेयर मार्केट में पैसे कैसे लगाए
जैसे की हमने बताया आपको शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए डिमैट अकाउंट खोलना होगा. जब भी आपको शेयर मार्केट में मुनाफा होगा. आपके डिमैट अकाउंट सभी राशी जमा होगी. डिमैट अकाउंट आपके सेविंग अकाउंट के साथ लिंक होता हैं. अगर आप चाहे तो डिमैट अकाउंट से सेविंग अकाउंट में आपकी धन राशी transfer कर सकते हैं.
शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए आपको ब्रोकर का सहारा लेना होगा. वह आपको निवेश करने के लिए सपोर्ट करेगे. ब्रोकर आपको निवेश करने के लिए अच्छी कंपनी Suggest करेगे. ऐसा करने के लिए वह थोड़ी बहुत फीस लेते है.
भारत में दो शेयर मार्केट हैं. Bombay Stock Exchange (BSE) और National Stock Exchange (NSE). यहा पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं. जो ब्रोकर होते है वह stock exchange के सदस्य होते हैं. हम उनके जरिए शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर सकते हैं. हम सीधे stock market में जाकर शेयर खरीद या बेच नही सकते हैं. यह जो भी प्रोसेस होता है सभी ऑनलाइन माध्यम से होते हैं.
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शेयर मार्केट में invest करने का पूरा प्रोसेस बताया हैं. तथा शेयर मार्केट कैसे स्टार्ट किया जाता हैं. हम आशा करते है की आपको यह सभी जानकरी उपयोगी साबित हुई होगी.
दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह आर्टिकल Share market kaise start kare in hindi / शेयर मार्केट कैसे स्टार्ट करे इन हिंदी अच्छा लगा होगा. धन्यवाद
GAP OPENING CONCEPT
और इस तरह गैप ओपनिंग का सीधा अर्थ है कि मार्केट में BULLS का जोरदार प्रभाव है, और इस तरह किसी स्टॉक का गैप ओपनिंग हमें बताता है कि बुल्स यानी BUYERS उस STOCK को उसके CLOSING PRICE से भी ज्यादा भाव में खरीदना चाहते है,
जैसे –
GAP UP OPENING
अगर किसी STOCK का CLOSING PRICE 100 रूपये था, लेकिन उसकी OPENING PRICE सीधे 103 से शुरू हो रही है,
यानी इस तरह कि 3% के पॉजिटिव अंतर को ही गैप अप OPENING कहते है, और जैसे हमने पहले बात कि गैप अप ओपनिंग का अर्थ है, BUYERS का जोरदार प्रभाव.
GAP UP OPENING का कारण
गैप अप ओपनिंग के पीछे का कारण उस स्टॉक को लेकर BUYERS की POSITIVE सोच होती है, और ये पॉजिटिव सोच उस STOCK से समन्धित किसी अच्छी खबर के कारण हो सकती है,
जैसे उस स्टॉक का अच्छा तिमाही लाभ का न्यूज़, कंपनी के मैनेजमेंट में पॉजिटिव फेरबदल, कुछ ऐसे गवर्मेंट पालिसी की खबर जिस से कंपनी को बहुत फायदा होने वाला है, ऐसे न्यूज़ जिस से कंपनी को फायदा होने वाला है, फायदे की न्यूज़ को ध्यान में रखते हुए ज्यादा से ज्यादा लोग उस कंपनी के शेयर को खरीदने का आर्डर देते है, जिसकी वजह से सबसे highest price पर ही स्टॉक के trading की शुरुआत होती है,
गैप डाउन ओपनिंग – GAP DOWN OPENING
गैप डाउन OPENING का मतलब है, दो कैंडल के बीच जो गैप बना है, वो नीचे की शेयर मार्किट कैंडल चार्ट इन हिंदी तरफ यानी BEARISH गैप बना होता है,
और इस तरह गैप डाउन ओपनिंग का सीधा अर्थ है कि मार्केट में BEARS का जोरदार प्रभाव माना जाता है, और उस स्टॉक का गैप डाउन ओपनिंग हमें बताता है कि बेअर्स यानी SELLERS उस STOCK को उसके CLOSING PRICE से भी कम भाव में बेचना चाहते है,
जैसे –
अगर किसी STOCK का CLOSING PRICE 100 रूपये था, लेकिन उसकी OPENING PRICE सीधे 97 से शुरू हो रही है,
यानी इस तरह कि 3% के NEGATIVE अंतर को ही गैप डाउन OPENING कहते है, और जैसे हमने पहले बात कि गैप डाउन ओपनिंग का अर्थ है, SELLERS का जोरदार प्रभाव.
GAP DOWN OPENING का कारण
गैप डाउन ओपनिंग के पीछे का कारण उस स्टॉक को लेकर SELLERS की NEGATIVE सोच होती है, और ये नेगेटिव सोच उस STOCK से समन्धित किसी बुरी खबर के कारण हो सकती है, जैसे उस स्टॉक से जुडी कंपनी के तिमाही LOSS का न्यूज़,
इस तरह आप समझ सकते है कि – एक तरफ गैप अप ओपनिंग हमें ये बताता है कि लोग किसी भी भाव पर खरीदने को तैयार है, जबकि गैप डाउन ओपनिंग ये बताता है कि मार्केट पार्टिसिपेंट किसी स्टॉक को किसी भी कीमत पर बेचने को तैयार है,
जब इस तरह के गैप अप या गैप डाउन ओपनिंग होती है, तो चार्ट में दो Multiple Cannibalistic Pattern बनते है, जिनको हम अगले पोस्ट में देखेंगे –