शेयर बाजार के महत्व

Stock Market : शेयर बाजार से मुनाफा पाना है तो अमल में लाएं कुछ जरूरी बातें
बाजार की परख, धैर्य की कुंजी के जरिए शेयर मार्केट की तिजोरी से कमाई को पंख लगाए जा सकते हैं. निवेश का तरीका क्या है और कौन सी सावधानियां अपनानी हैं, इसके कुछ मामूली टिप्स जानकार आप लाभ उठा सकते हैं.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 03 Jul 2021 10:31 PM (IST)
stock market : शेयर मार्केट में निवेश सिर्फ लाभ बनाना भर नहीं है. इसके लिए आपके पास सही स्टॉक चुनने की समझ भी जरूरी है. शेयर बाजारों में निवेश के साथ जोखिम भी काफी है, लेकिन इसके मुकाबले होने वाले बड़े लाभ नुकसान का असर कम कर देते हैं. दअसल, शेयर बाजार राष्ट्रीय वित्तीय एक्सचेंजों पर लिस्टेँड कंपनी के शेयरों की खरीद-बिक्री है. जब कोई कंपनी सार्वजनिक होती है तो वह अपने शेयर जनता को बिक्री के लिए जारी करती है, इन्हें खरीदने या बेचने वाले स्टॉक कारोबारी कहे जाते हैं. वे बाजार के जानकार होने के साथ यह भी समझते है कि अपने पैसे का सही निवेश कब और कहां करना चाहिए. स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग से पहले पुख्ता प्लानिंग जरूरी है.
निवेश से पहले यह करना जरूरी
सभी पेंडिंग लोन खत्म कर लें: शेयर बाजार में निवेश शुरू करने से पहले एहतियातन आपको अपने सभी हाई इंट्रेस्ट वाले लोन, जैसे पर्सनल, क्रेडिट कार्ड क्लीयरेंस आदि चुकता कर लेने चाहिए. जिससे क्रेडिट लायबिलिटी न हो.
एक्स्ट्रा सेविंग ही इंवेस्ट करें: स्मार्ट निवेश का एक जरूरी नियम है कि मार्केट में आप उसी बजट का
उपयोग करें, जो आपकी एक्स्ट्रा सेविंग है. ऐसी सूरत में आपको स्टॉक खरीदने के लिए कभी भी रकम उधार नहीं लेनी होगी. किसी दूसरी जरूरत के लिए रखा पैसा भी र्मोकेट में लगाना ठीक नहीं.
कुछ रकम बचाकर रखें: एक इमरजेंसी फंड भी मेनटेन करें. इसके लिए कुछ नगदी पूरी तरह अलग रखें. आप शेयर बाजार में सारा पैसा निवेश करते हैं, तो इमरजेंसी की सूरत में खुद को मुसीबत में डाल सकते हैं.
News Reels
लक्ष्य तय करना जरूरी
निवेश से पहले तय करिए कि शेयर बाजार के महत्व लंबी अवधि के लिए निवेश कर हाई रिटर्न पाना चाहते हैं? या लाभांश के रूप में सिर्फ कमाई के लिए अलग सोर्स. ऐसे निवेश के लक्ष्य आपको समझने में मदद करेंगे कि आपको निवेश कितना और कब तक करना चाहिए. वर्तमान वित्तीय स्थिति देखकर तय करें कि आप एकमुश्त निवेश चाहते हैं या छोटे नियमित मासिक. एक छोटी राशि से शुरुआत करना ही समझदारी है, जिसे समय के साथ आप धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं.
ट्रेडिंग खाता खोलें
शेयर बाजार में निवेश के लिए ब्रोकर रख सकते हैं या ट्रेडिंग खाता बना सकते हैं, जो आपको खुद ऑपरेट करने की छूट देगा. निवेश के लिए एक बजट तय कर लें औ तय करें कि आप दिन के दौरान कारोबार करते समय उसी बजट को उपयोग करें.
खुद की नॉलेज बढ़ाएं
नियमित शेयर बाजार के कामकाज के बारे में पढ़ें, उन कंपनियों की चेकलिस्ट रखें, जिनमें आपकी रुचि है. उनकी परफार्मेंस के लिए स्टॉक चेक करें. समय के साथ जैसे-जैसे आप अधिक से अधिक कारोबार करेंगे, समझ जाएंगे कि अपने लक्ष्य के लिए बेहतर क्या है.
भावुकता नहीं तर्क से समझें
आप शेयर में निवेश शुरू करते हैं तो बेहद खुद दिमाग से फैसले लेने होंगे. यहां चीजें लगातार बदलती हैं. कठिन परिस्थितियों में आपको तर्कशीलता से काम करना चाहिए. कोई भी विशेषज्ञ आपको यही बताएगा कि कारोबार का पहला नियम है आपके दिमाग के साथ कारोबार करना है, न कि दिल के साथ.
जानिए क्या हैं स्टॉक ब्रोकर
यह दो तरह के होते हैं, पहला कम्लीट सर्विस ब्रोकर और दूसरा डिस्काउंट ब्रोकर. कम्लीट सर्विस ब्रोकर पारंपरिक ब्रोकर हैं, जो शेयरों की खरीद-बिक्री, निवेश सलाह, वित्तीय योजना, पोर्टफोलियो मेंटेनेंस, बाजार रिसर्च-एनालिसिस आदि करते हुए अधिक से अधिक सेवाओं की विविधता देते हैं। ये आपकी जरूरत और वित्तीय लक्ष्य के अनुरूप पर्सनल टिप्स देकर निवेश सेवाएं देते हैं. वहीं डिस्काउंट ब्रोकर ऑनलाइन ब्रोकर हैं, जो नो-फ्रिल शेयर ब्रोकिंग खातों पर काम करते शेयर बाजार के महत्व हैं। वे ग्राहक को पर्सनल सर्विस नहीं देते हैं. वे कम से कम संभव लागत पर जरूरी कारोबार सुविधा देते हैं। डिस्काउंट ब्रोकर चुनकर, आप कम ब्रोकरेज से भी मार्केट देख सकते हैं.
ये शेयर बाजार के महत्व भी पढ़ें:
Published at : 03 Jul 2021 10:31 PM (IST) Tags: Finance Budget Stock Market stock exchange company Return market profit listed amount broker caution buy-sell हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
स्टॉक मार्केट ट्रेंड को समझना
भंडारमंडी न केवल शुरुआती लोगों के लिए बल्कि विशेषज्ञों के लिए भी जुए का पर्याय माना जा सकता है। इसलिए, कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले इस बाजार की कार्यप्रणाली और कार्यप्रणाली को समझना आवश्यक है।
नहीं, चिंता न करें, आपको स्टॉक के बारे में शोध करने के लिए कोई क्लास लेने या घंटों बैठने की ज़रूरत नहीं होगी; हालाँकि, थोड़ा सा गुणवत्तापूर्ण शोध, विचार, और आपके पक्ष में एक विशेषज्ञ होने से काम हो सकता है। साथ ही, परिदृश्य का पता लगाने में आपकी मदद करने के लिए शेयर बाजार के रुझान हमेशा मौजूद रहते हैं।
इसलिए, यदि आप इन प्रवृत्तियों को समझना और उनका विश्लेषण करना नहीं जानते हैं, तो यहां आपकी सहायता करने के लिए एक अंतिम मार्गदर्शिका है।
स्टॉक मार्केट ट्रेंड को परिभाषित करना
जैसा कि प्रचलित है, स्टॉक की कीमतें अस्थिर हो सकती हैं, और उनके लिए अल्पावधि में एक सीधी रेखा में चलना आवश्यक नहीं है। हालांकि, यदि आप कीमतों के दीर्घकालिक पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो आप एक स्पष्ट बाजार प्रवृत्ति की खोज करने जा रहे हैं।
इसे सरल शब्दों में कहें तो एक प्रवृत्ति समय के साथ किसी शेयर की कीमत का व्यापक नीचे या ऊपर की ओर गति है। ऊपर की ओर गति को अपट्रेंड के रूप में जाना जाता है; जबकि नीचे की ओर बढ़ने वाले लोगों को डाउनट्रेंड स्टॉक के रूप में जाना जाता है। आम तौर पर, बाजार के विशेषज्ञ पंडित उन शेयरों में अधिक निवेश करते हैं जिनमें ऊपर की ओर गति होती है और नीचे की ओर गति वाले शेयरों को बेचते हैं।
भारतीय शेयर बाजार प्रवृत्ति विश्लेषण का महत्व
शेयर बाजार में इन हालिया रुझानों को समझने के पीछे प्राथमिक कारणों में से एक यह है कि वे आपको बताते हैं कि कौन सा स्टॉक अपेक्षित रूप से नीचे या ऊपर जा सकता है और उनमें से प्रत्येक में जोखिम की संभावना हो सकती है। यदि आप इन प्रवृत्तियों को नहीं समझते हैं, तो स्टॉक के चरम पर पहुंचने से पहले आप अपना शेयर बेच सकते हैं; इसलिए नुकसान उठा रहे हैं। उसी तरह, यदि आप कीमतों में गिरावट से पहले खरीदारी करते हैं, तो आपको अपेक्षा से कम लाभ प्राप्त हो सकता है।
स्टॉक ट्रेंड इंडिकेटर को समझने के लिए प्राथमिक शब्दजाल
चोटियाँ या चोटी
चोटी की बात करें तो स्टॉक चार्ट में आपको कई पहाड़ और पहाड़ियां दिखाई देंगी। इसके सिरे को शिखर कहा जाता है। चूंकि शिखर उच्चतम बिंदु है, यदि कीमत अपने चरम पर है, तो स्टॉक ने उच्चतम मूल्य को छू लिया है।
ट्रफ्स या बॉटम्स
यदि आप किसी पहाड़ को उल्टा कर देते हैं, तो आपको एक गर्त या एक घाटी मिलेगी - जिसे सबसे निचला बिंदु माना जाता है। इसलिए, स्टॉक चार्ट में, यदि आप किसी स्टॉक को गर्त में गिरते हुए देखते हैं, तो इसका मतलब है कि यह नीचे की ओर जा रहा है और सबसे कम कीमत को छू गया है।
बाजार के रुझान के प्रकार
अपट्रेंड
यदि कोई अपट्रेंड है, तो चार्ट के गर्त और शिखर दोनों लगातार बढ़ेंगे। इस प्रकार, समय की अवधि के भीतर, स्टॉक की कीमत एक नई ऊंचाई को छू जाएगी और पिछली कीमतों की तुलना में कम हो जाएगी।
लेकिन, आपको जो पता होना चाहिए वह यह है कि यह उच्च जीवन के लिए नहीं है। यह कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों के विपरीत उच्च हो सकता है। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि बाजार अनुकूल स्थिति में है। इस तरह, आप मूल्यह्रास के बजाय स्टॉक की सराहना की उम्मीद कर सकते हैं।
डाउनट्रेंड
डाउनट्रेंड एक ऐसा पैटर्न है जहां स्टॉक लगातार गिरता है। इस प्रवृत्ति में, क्रमिक चोटियों के साथ-साथ क्रमिक ट्रफ भी कम होते हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि निवेशकों को स्टॉक में और गिरावट की उम्मीद है।
यहां तक कि कीमतों में थोड़ी सी भी वृद्धि निवेशकों को अपने मौजूदा शेयरों को बेचने के लिए मजबूर करेगी। इन स्तरों में कोई अतिरिक्त खरीदारी नहीं होगी।
क्षैतिज या बग़ल में रुझान
इस प्रवृत्ति में, स्टॉक एक अवधि के दौरान किसी भी दिशा में नहीं चलते हैं। गर्त और शिखर लगातार बने रहते हैं, और ऐसा लगता है कि यह समझने के लिए कोई ठोस कदम नहीं है कि किसी को स्टॉक खरीदना चाहिए या नहीं।
धर्मनिरपेक्ष रुझान
ये ऐसे चलन हैं जो पूरी तरह से दशकों तक चल सकते हैं। वे अपने पैरामीटर के भीतर कई आवश्यक रुझान रखते हैं और उनकी समय सीमा के कारण आसानी से पहचाने जा सकते हैं।
मध्यवर्ती रुझान
सभी प्राथमिक प्रवृत्तियों के भीतर मध्यवर्ती रुझान। ये बाजार विश्लेषकों को जवाब की तलाश में रखते हैं कि क्यों बाजार तुरंत विपरीत दिशा की ओर जाता है जैसे कि कल या पिछले सप्ताह भी।
तल - रेखा
पूरा शेयर बाजार अलग-अलग रुझानों से बना है। और, यह उन सभी को पहचानने के बारे में है जो यह निर्धारित करते हैं कि आप कितने सफल होने जा रहे हैं या आप अपने निवेश के साथ कैसे उछालने जा रहे हैं। साथ ही, ये शेयर बाजार के रुझान अल्पकालिक और दीर्घकालिक निवेश दोनों के साथ काम करते हैं; इस प्रकार, बेहतर निर्णय लेने के लिए आपके पास केवल बुनियादी ज्ञान शेयर बाजार के महत्व होना चाहिए।
विश्व व्यवस्था में आर्थिकी का महत्व, बाजार पर प्रभुत्व कायम करने की होड़; एक्सपर्ट व्यू
पिछली सदी के अंतिम दशक तक विश्व व्यवस्था की दिशा और दशा को तय करने में रक्षा और विदेश नीति की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। परंतु धीरे-धीरे यह परिदृश्य बदलता गया और इसमें आर्थिकी का योगदान भी महत्वपूर्ण होता गया।
डा. रहीस सिंह। पिछले तीन दशकों में दुनिया ने जियो-स्ट्रेटजी और जियो-पालिटिक्स के बहुत से खेल देखे, जिनका गहरा दुष्प्रभाव विश्व व्यवस्था से लेकर वैश्विक राजनीति और मानव जीवन पर भी पड़ा। इनमें से अधिकांश खेल ऐसे थे जिनके दुष्प्रभाव तो दिखाई दे रहे थे, लेकिन इनका संचालन करने वाली शक्तियां अदृश्य थीं। संभवतः इन्हीं शक्तियों को लेकर एक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहावर ने अपने विदाई समारोह के अवसर पर यह टिप्पणी की थी कि प्रमुख निर्णय पर्दे के पीछे की शक्तियां लेती हैं, उन्हें (यानी व्हाइट हाउस में बैठे राष्ट्रपति को) तो केवल अवगत कराया जाता है। अब समय बदल चुका है और अदृश्य शक्तियां, दृश्य रूप में दिखने लगी हैं। इसलिए अब पहले शेयर बाजार के महत्व की तुलना में जियो-इकोनमिक्स अधिक प्रभावशाली हो गई है। दूसरे शब्दों में कहें तो पिछले कुछ वर्षों से ‘2 प्लस 2’ (अर्थात रक्षा और विदेश नीति) डिप्लोमेसी द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रमुख घटक बन चुकी है। लेकिन ऐसा लगता है कि अब समय ‘3 प्लस 3’ डिप्लोमेसी एक निर्णायक चर (वैरिएबल) बन रही है जो नई विश्व व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है।
चूंकि इस तीसरे घटक को भारत के अंदर विश्लेषकों के एक बड़े वर्ग ने गंभीरता से नहीं परखा, इसीलिए जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में एक प्रश्न के जवाब में यह कहा कि रुपया कमजोर नहीं, बल्कि डालर मजबूत हो रहा है, तो उसे गंभीरता से नहीं लिया गया, बल्कि नकारात्मक नजरिए से भी देखा गया। जबकि वित्त मंत्री के शब्द थे, 'सबसे पहले, मैं इसे रुपये की गिरावट के रूप में नहीं देखूंगी, इसे मैं डालर की मजबूती के रूप में देखूंगी। डालर की मजबूती में लगातार वृद्धि हुई है। अन्य सभी मुद्राएं मजबूत डालर के मुकाबले प्रदर्शन कर रही हैं। आप जानते हैं, दरें बढ़ रही हैं और एक्सचेंज रेट भी डालर की मजबूती के पक्ष में है। भारतीय रुपये ने कई अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।' इस वक्तव्य को बड़े कैनवास पर देखने की आवश्यकता थी, पर ऐसा हुआ नहीं।
डालरोनामिक्स
एक फिर से जियो-इकोनमिक्स की बात करते हैं, ताकि डालर इकोनमिक्स (डालरोनमिक्स) के पीछे के रणनीतिक गणित को समझा जा सके। जियो-इकोनमिक्स ने पिछले 30 वर्षों में जो चिन्ह छोड़े हैं, यदि उनका वृहत विश्लेषण किया जाए तो इस निष्कर्ष तक जरूर पहुंचा जा सकेगा कि युद्ध केवल सैन्य साजोसामान से नहीं लड़े जाते हैं और न केवल युद्ध के मैदान में, बल्कि युद्ध वस्तु, मुद्रा और पूंजी के बाजार में इससे कहीं अधिक निर्णायक तरीके से लड़े जाते हैं।
बीते दशक से लेकर अब तक के बीच शेयर बाजार के महत्व चले मुद्रा युद्ध (करेंसी वार) और व्यापार युद्ध (ट्रेड वार) इसके हाल के ही उदाहरण हैं। अभी भी युद्ध के मैदान में लड़े जाने वाले युद्धों का हम एक ही पक्ष देख पाते हैं और वह होता है सत्ता शीर्षों द्वारा लिए गए निर्णय, परंतु उसके पीछे मुद्रा और पूंजी के जो अदृश्य होते हैं, वे सीधे तौर पर दिखाई नहीं देते। इससे जुड़े कुछ उदाहरण देखे जा सकते हैं और ऐसे प्रश्न भी किए जा सकते हैं या पड़ताल की जा सकती है कि बर्लिन दीवार क्यों या कैसे टूटी? सोवियत संघ का पराभव क्यों और कैसे हुआ? क्या ये परिघटनाएं केवल राजनीतिक और सैन्य रणनीतियों का ही परिणाम थीं? स्पष्ट तौर पर नहीं?
यह संघर्ष पूंजीवादी-बाजारवाद और राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था के बीच था, जिसमें पूंजीवादी-बाजारवाद विजयी रहा था। यही कारण है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद पूंजीवाद पूरी दुनिया की नियति बनकर छाया और बाजारवाद पूरी दुनिया की नियामक शक्ति होने जैसा प्रदर्शन करता हुआ नजर आया। इसने कई उथल-पुथल पूरी दुनिया को दिखाए जिनमें हुए नुकसान युद्धों से कहीं अधिक थे।
अमेरिका इस खेल का मुख्य खिलाड़ी रहा जिसने आवश्यकतानुरूप मुद्रा और पूंजी बाजारों के मैकेनिज्म को प्रभावित किया। इस समय भी डालर दूसरी मुद्राओं के मुकाबले जो निरंतर ऊपर चढ़ता हुआ दिख रहा है, वह इसी तरह के खेल का परिणाम है, न कि किसी डिवाइन मैट्रिक्स का हिस्सा। हालांकि अभी अमेरिका यह समझना नहीं चाहता कि डालर के ऊपर चढ़ने का तात्कालिक प्रभाव (शार्ट टर्म इम्पैक्ट) वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं, जबकि दीर्घावधिक (लांग टर्म) अमेरिका के हित में भी नहीं होगा।
डालर की मजबूती
इस विषय पर शायद किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए कि डालर के मुकाबले रुपया अपने ‘सर्वकालिक न्यूनतम स्तर’ पर बना हुआ है। लेकिन यह सिक्के का केवल एक पहलू है। डालर पिछले 22 वर्षों के उच्चतम स्तर पर है। इसके बावजूद जिस पक्ष को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वाशिंगटन (अमेरिका) में हुई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वक्तव्य के माध्यम से रखा, वह सही है। इसके साथ ही उन कारणों को भी शामिल किया जाना चाहिए जो बाहर पैदा हुए। इस तथ्य से सभी अवगत ही होंगे कि यूक्रेन युद्ध से एक नया वैश्विक संकट खड़ा हुआ जिसने सप्लाई चेन को प्रभावित किया जिससे प्रभावी मुद्रास्फीति पैदा हुई। इसी से वैश्विक अस्थिरता आई जिस कारण दुनिया की तमाम मुद्राएं डालर के मुकाबले नीचे गिरीं।
भारत यदि वैश्विक सप्लाई चेन का एक सक्रिय और प्रभावशाली घटक है तो स्वाभाविक रूप से भारतीय मुद्रा भी इसमें आने वाले परिवर्तनों से प्रभावित होगी। इसलिए रुपया भी दबाव में दिखा। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन युद्ध जब शुरू हुआ था तब एक डालर 74.64 रुपये के बराबर था अब बीती एक नवंबर को यह 82.53 रुपये के बराबर था। लेकिन रुपये की तुलना में दुनिया की प्रमुख करेंसीज कहीं बहुत अधिक निराशाजनक प्रदर्शन करती हुई दिखीं, फिर वह चाहे ब्रिटिश पाउंड हो, यूरो हो, कनाडियन डालर हो, आस्ट्रेलियन डालर हो, वान हो, येन हो या युआन। यहां एक बात और समझने योग्य है। भारतीय रुपया फरवरी से अब तक डालर के मुकाबले लगभग 10 प्रतिशत गिरा है। जबकि इसी अवधि में ब्रिटिश पाउंड में डालर के मुकाबले लगभग 23 प्रतिशत की गिरावट आई है, यूरो में लगभग 15 प्रतिशत की, जापानी येन में लगभग 20 प्रतिशत की, आस्ट्रेलियाई डालर में करीब 10 प्रतिशत की और चाइनीज युआन शेयर बाजार के महत्व में करीब 11 प्रतिशत की। यानी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि वैश्विक मुद्रा बाजार में दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राएं भी डालर के मुकाबले रुपये की तुलना में कहीं ज्यादा कमजोर प्रदर्शन कर रही हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों का सामना कर रही है। लेकिन फिर भी विशेषज्ञों का एक समूह यह मान रहा है कि दुनिया की जियो-पालिटिक्स अभी इस हद तक खराब नहीं हुई है कि मंदी आ जाए। फिर भी जियो-पालिटिक्स से जुड़ी बहुत सी घटनाएं हैं जो अर्थव्यवस्था के अनुमानों को बदल सकती हैं। इसलिए मेरा मानना है कि जियो-इकोनमिक्स पर नजर रखने की आवश्यकता होगी, उसे ठीक से समझना होगा।
शेयर बाजार में रैली: निवेशकों ने एक ही दिन में कमाए लगभग 3 लाख करोड़ रुपये
आज BSE सेंसेक्स में 786.74 अंकों यानी 1.31 फीसदी का शानदार उछाल आया.
BSE के आंकड़ों के हिसाब से आज निवेशकों को लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. आज BSE सेंसेक्स में 786.74 अंकों यानी 1.31 फीसदी का शानदार उछाल आया और यह 60,746.59 के स्तर पर बंद हुआ.
- News18Hindi
- Last Updated : October 31, 2022, 16:36 IST
हाइलाइट्स
निफ्टी50 में भी आज तगड़ा उछाल देखने को मिला.
BSE लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 2,90,086 करोड़ रुपये बढ़ा.
वैश्विक हालातों में आते सुधारों के चलते बाजारों में दिखी रौनक.
नई दिल्ली. शेयर बाजार में लौटी रौनक से आज निवेशकों की झोली भर गई. सोमवार को BSE के आंकड़ों के हिसाब से (3 बजकर 51 मिनट तक) निवेशकों को लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. मतलब उनकी संपत्ति 3 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई.
आज सोमवार को BSE सेंसेक्स में 786.74 अंकों यानी 1.31 फीसदी का शानदार उछाल आया और यह 60,746.59 के स्तर पर बंद हुआ. निफ्टी50 में भी आज तगड़ा उछाल देखने को मिला. यह 225.40 अंक यानी 1.27 फीसदी उछलकर 18,012.20 पर बंद हुआ. सुधरते वैश्विक हालातों के चलते बाजार पर हरा रंग चढ़ते हुए देखा गया.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्डेट सभी कंपनियां का कुल मार्केट कैप शुक्रवार (28 अक्टूबर) को 2,77,04,452 करोड़ रुपये था. आज बाजार बंद होने के बाद कुल मार्केट कैप बढ़कर 2,79,94,538 रुपये रुपये हो गया. इस लिहाज से केवल एक सेशन में यह मार्केट कैप 2,90,086 करोड़ रुपये बढ़ चुका है और निवेशकों की पौ-बारह है.
कौन-से सेक्टरों ने किया कमाल
यदि केवल आज की ही बात करें तो अभी तक अंडरपरफॉर्म कर रहा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) सेक्टर ने सबसे ज्यादा बढ़त दिखाई. यह सेक्टर आज 1.45 फीसदी उछला. निफ्टी ऑटो में आज फिर अच्छी बढ़त देखने को मिली और यह भी 1.45 फीसदी बढ़कर बंद हुआ. निफ्टी का फाइनेंस सर्विसेस सेक्टर 1.39 फीसदी बढ़ा है.
क्या है इस बड़ी तेजी का कारण
बाजार में दिख रही इस तेजी का कोई एक कारण नहीं है. यदि हम मोटे तौर गिनें तो 5 अहम कारण निकलकर सामने आते हैं. पहला, अमेरिकी फेड से नरमी. दूसरा, वैश्विक हालातों में सुधार. तीसरा, डॉलर के मुकालबे रुपये में उछाल. चौथा, विदेशी निवेशकों का वापस लौटना. पांचवां, क्रूड ऑयल की कीमतों में कमी.
इन मुख्य कारणों के चलते अमेरिकी शेयर बाजारों में भी तेजी देखने को मिली है. माना जाता है कि भारत के शेयर बाजार के महत्व शेयर बाजार काफी हद तक अमेरिकी शेयर बाजारों को फॉलो करते हैं. यही वजह है कि भारतीय बाजार भी उछले हैं. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) का नेट बायर बनना एक अच्छा संकेत है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
शेयर मार्केट क्या है सीखें और पैसे कमाए – What Is Share Market In Hindi
Share Market In Hindi: बिना निवेश किए पैसे कमाना थोड़ा मुश्किल है पर शेयर बाजार में निवेश कर पैसे कमाना आसान है.
आज हर कोई व्यक्ति एक खुशहाल जीवन जीने के शेयर बाजार के महत्व लिए बहुत पैसे कमाना चाहता है जिसके लिए वह नौकरी में कड़ी मेहनत भी करता है, लेकिन नौकरी में कड़ी मेहनत करने के बाद भी वह एक खुशहाल जीवन जीने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं कमा पाता है.
लेकिन शेयर बाजार पैसों का एक ऐसा कुआ है जो सारे देश की प्यास बुझा सकता है. जिन लोगों को शेयर बाजार की अच्छी समझ होती है वह शेयर बाजार से करोड़ों रूपये की कमाई करते हैं.
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि Share Market क्या है, शेयर मार्केट कैसे सीखें, शेयर मार्केट में पैसा कैसे लगायें और शेयर मार्केट से पैसा कैसे कमाए तो इस लेख को पूरा अंत तक जरुर पढ़ें. इस लेख में हमने आपको इन सब के अतिरिक्त शेयर मार्केट का गणित और शेयर मार्केट से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दों के बारे में बताया है जिससे कि आपको शेयर बाजार के बारे में अच्छी समझ मिले.
तो चलिए शुरू करते हैं इस लेख को और जानते हैं शेयर बाजार क्या होता है हिंदी में.