ट्रेडिंग क्या होती है?

भास्कर एक्सप्लेनर: आप शेयर ट्रेडिंग करते हैं तो यह जानना आपके लिए जरूरी है; एक सितंबर से बदल रहा है मार्जिन का नियम
शेयर बाजार में एक सितंबर से आम निवेशकों के लिए नियम बदलने वाले हैं। अब वे ब्रोकर की ओर से मिलने वाली मार्जिन का लाभ नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। इसे लेकर कई शेयर ब्रोकर आशंकित है कि वॉल्युम नीचे आ जाएगा। आइए समझते हैं क्या है यह नया नियम और आपकी ट्रेडिंग को किस तरह प्रभावित करेगा?
सबसे पहले, यह मार्जिन क्या है?
- शेयर मार्केट की भाषा में अपफ्रंट मार्जिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले शब्दों में से एक है। यह वह न्यूनतम राशि या सिक्योरिटी होती है जो ट्रेडिंग शुरू करने से पहले निवेशक स्टॉक ब्रोकर को देता है।
- वास्तव में यह राशि या सिक्योरिटी, बाजारों की ओर से ब्रोकरेज से अपफ्रंट वसूली जाने वाली राशि का हिस्सा होती है। यह इक्विटी और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग से पहले वसूली जाती है।
- इसके अलावा स्टॉक्स में किए गए कुल निवेश के आधार पर ब्रोकरेज हाउस भी निवेशक को मार्जिन देते थे। यह मार्जिन ब्रोकरेज हाउस निर्धारित प्रक्रिया के तहत तय होती थी।
- इसे ऐसे समझिए कि निवेशक ने एक लाख रुपए के ट्रेडिंग क्या होती है? स्टॉक्स खरीदे हैं। इसके बाद भी ब्रोकरेज हाउस उसे एक लाख से ज्यादा के स्टॉक्स खरीदने की अनुमति देते थे।
- अपफ्रंट मार्जिन में दो मुख्य बातें शामिल होती हैं, पहला वैल्यू एट रिस्क (वीएआर) और दूसरा एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम)। इसी के आधार पर किसी निवेशक की मार्जिन भी तय होती है।
अब तक क्या है मार्जिन लेने की प्रक्रिया?
- मार्जिन दो तरह की होती है। एक तो है कैश मार्जिन। यानी आपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है, उसमें कितना सरप्लस है, उतने की ही ट्रेडिंग आप कर सकते हैं।
- दूसरी है स्टॉक मार्जिन। इस प्रक्रिया में ब्रोकरेज हाउस आपके डीमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं और क्लियरिंग हाउस के लिए प्लेज मार्क हो जाती है।
- इस सिस्टम में यदि कैश मार्जिन के ऊपर ट्रेडिंग में कोई नुकसान होता है तो क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क किए स्टॉक को बेचकर राशि वसूल कर सकता है।
नया सिस्टम किस तरह अलग होगा?
- सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे।
- नए सिस्टम में स्टॉक्स आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक्स नहीं जाएंगे। मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेगा।
- प्लेज ब्रोकर के फेवर में मार्क हो जाएगी। ब्रोकर को अलग डीमैट अकाउंट खोलना होगा- ‘टीएमसीएम- क्लाइंट सिक्योरिटी मार्जिन प्लेज अकाउंट’। यहां टीएमसीएम यानी ट्रेडिंग मेंबर क्लियरिंग मेंबर।
- तब ब्रोकर को इन सिक्योरिटी को क्लियरिंग कॉर्पोरेशन के फेवर में री-प्लेज करना होगा। तब आपके खाते में अतिरिक्त मार्जिन मिल सकेगी।
- यदि मार्जिन में एक लाख रुपए से कम का शॉर्टफॉल रहता है तो 0.5% पेनल्टी लगेगी। इसी तरह एक लाख से अधिक के शॉर्टफॉल पर 1% पेनल्टी लगेगी। यदि लगातार तीन दिन मार्जिन शॉर्टफॉल रहता है या महीने में पांच दिन शॉर्टफॉल रहता है तो पेनल्टी 5% हो जाएगी।
नई व्यवस्था में आज खरीदो, कल बेचो (बीटीएसटी) का क्या होगा?
Intraday Trading Meaning in Hindi
भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में इंट्राडे ट्रेडिंग बहुत लोकप्रिय है इसलिए बहुत से बहुत इसे सीखना और समझना चाहते है। इसलिए आज हम Intraday Trading meaning in Hindi लेख में समझेंगे कि इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?
शेयर मार्केट में प्रत्येक सेकेण्ड शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है, जिसके कारण ट्रेडर्स को दिन भर में कई ट्रेड अवसर मिलते हैं। किसी कंपनी के शेयरों में ये उतार-चढ़ाव निवेशकों की धारणा में बदलाव को दर्शाता है।
किसी भी स्टॉक की कीमत उसकी डिमांड और सप्लाई में बदलाव के आधार पर ऊपर नीचे होती है। सरल शब्दों में, जब किसी स्टॉक की डिमांड बढ़ती है तो उसकी प्राइस भी बढ़ती है इसके विपरीत अगर किसी स्टॉक की डिमांड कम है और सप्लाई ज्यादा है तो उसकी प्राइस घटती है।
तो चलिए Intraday Trading meaning in Hindi लेख में पहले समझते है कि इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है?
इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ट्रेडर अपनी पोजीशन को सेम डे मार्केट बंद होने से पहले स्क्वायर ऑफ कर देता है यानि कि जिस दिन वह शेयर्स को खरीदता है उसी दिन मार्केट बंद होने से पहले उसे अपने शेयर्स बेचने होते है चाहे उसे नुकसान ही क्यों न हो रहा हो।
इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ट्रेडर का मुख्य उद्देश्य शेयर्स में चल रहे मूवमेंट से लाभ उठाकर मुनाफा कमाना होता है। इसलिए, एक इंट्राडे ट्रेडर का प्रॉफिट उन शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है जिन शेयर्स में वह ट्रेड कर रहा है।
इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए, आपके पास एक सक्रिय ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट होना अनिवार्य है क्योंकि आपकी सभी ट्रेडिंग गतिविधि ट्रेडिंग अकाउंट में ही होती है ।
नोट :- इंट्राडे ट्रेडिंग को डे ट्रेडिंग के नाम से भी जाना जाता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग को एक उदाहरण की मदद से समझते है :
इंट्राडे ट्रेडिंग का उदाहरण –
इंट्राडे ट्रेडिंग, सरल शब्दों में, आज खरीदने और आज ही बेचने के वारे में है। इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान स्टॉक्स की खरीद और बिक्री एक ही दिन में एक ट्रेडिंग सत्र के भीतर होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, एक ट्रेडर XYZ स्टॉक को 100 रुपये में सुबह 9:25 बजे खरीदता है और उसे 12:45 PM पर 102 रुपये में बेचता है। इस तरह उसे 2 फीसदी प्रॉफिट होगा।
इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेडर्स को बहुत अच्छा प्रॉफिट होता है क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर की तरफ से मार्जिन दिया जाता है। इसके परिणाम स्वरूप अच्छे प्रॉफिट के साथ आपका जोखिम भी बढ़ जाता है।
मार्जिन को आसान शब्दों में समझते है माना इंट्राडे ट्रेडिंग पर ब्रोकर की तरफ से 5x मार्जिन दिया जा रहा है तो इसका मतलव है कि आप अपनी कैपिटल राशि से 5 गुना अधिक ट्रेड वैल्यू के साथ ट्रेड कर सकते है।
जैसे – माना आपके ट्रेडिंग खाते में 10 हजार रुपयें है तो आप इंट्राडे ट्रेडिंग में 50 हजार रूपये तक के शेयर्स वैल्यू के शेयर्स में ट्रेड कर सकते है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में लीवरेज का उपयोग करके ट्रेडर अधिकतम प्रॉफिट बनाते है इसके साथ ही उन्हें ज्यादा नुकसान भी उठाना पड़ता है क्योंकि मार्जिन के साथ ट्रेड करना उतना ही जोखिम भरा है जितना कि यह आकर्षक लगता है।
ऊपर दिए गए उदाहरण की मदद से आप समझ गए होंगे कि इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? (Intraday Trading meaning in Hindi). अभी हम समझते है कोई भी इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुआत कैसे करें?
इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुआत कैसे करें?
इंट्राडे ट्रेडिंग शरु करने के लिए सबसे पहले हमें एक ब्रोकर के साथ डीमैट & ट्रेडिंग खाता खोलना होगा। यदि हम डिस्काउंट ब्रोकरों के साथ अपना ट्रेडिंग और डीमैट खाता खोलते हैं, तो हमें उनके औसत से कम ब्रोकरेज शुल्क देना होता है, जबकि अगर आप फुलसर्विस ब्रोकर के पास अपना ट्रेडिंग अकाउंट खोलते है तो ट्रेडिंग क्या होती है? आपको ज्यादा ब्रोकरेज चार्ज देना होता है।
ब्रोकरेज वह राशि होती है जो ब्रोकर के द्वारा शेयर्स खरीदने व बेचने पर ली जाती है।
एक वार जब आप एक ब्रोकर के साथ अपना अकाउंट खुलबा लेते है तो आपका अगला कदम है कि स्टॉक मार्केट के वारे में अच्छे से समझले है और इंट्राडे ट्रेडिंग को विस्तारपूर्वक सीखले। इसके उपरांत ही लाइव मार्केट में ट्रेडिंग की शुरुआत करे क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग जोखिम भरी है इसलिए बिना मार्केट की समझ के आप भारी नुकसान कर सकते है।
क्या इंट्राडे ट्रेडिंग करना सुरक्षित है?
अन्य ट्रेडिंग शैली की तुलना में इंट्राडे ट्रेडिंग में आमतौर पर अधिक जोखिम होता है।
निवेशकों और इंट्राडे ट्रेडर्स के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि निवेशक अपनी संपत्ति को बढ़ाने के लिए लम्बी अवधि का निवेश करते है जबकि इंट्राडे ट्रेडर्स जल्दी पैसा बनाने की उम्मीद से ट्रेडिंग करता है।
अव सबाल यह आता है कि क्या हम इंट्राडे ट्रेडिंग में पैसा कमा सकते हैं? और क्या इंट्राडे ट्रेडिंग सुरक्षित है?
तो जबाव है हाँ ट्रेडिंग क्या होती है? बिल्कुल। ट्रेडर इंट्राडे ट्रेडिंग से बहुत मोटी कमाते करते हैं। लेकिन उसके लिए एक ट्रेडर को मार्केट की अच्छी समझ होनी चाहिए तभी वह मार्केट से पैसा बना सकता है।
अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग को अच्छे से समझते है तो इंट्राडे ट्रेडिंग आपके लिए सुरक्षित है और अगर आपको मार्केट की समझ नहीं है तो यह आपको अपनी बर्षो की जमा पूंजी गवानी भी पड़ सकती है। इसलिए बिना मार्केट को सीखे इंट्राडे से दूर रहे।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लाभ
तुरंत लाभ के अवसरों से लेकर ओवरनाइट जोखिम को समाप्त करने तक, इंट्राडे ट्रेडिंग के बहुत से लाभ हैं। आइए इंट्राडे ट्रेडिंग द्वारा दिए जाने वाले प्राथमिक लाभों को समझते है :
नियमित प्रॉफिट अर्जित करने का मौका: एक उचित ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी और रोजाना कुछ घंटों के लिए ट्रेड करके, एक अनुभवी ट्रेडर जल्दी से आय का एक वैकल्पिक स्रोत बना सकता है।
कोई ओवेरनाइट जोखिम नहीं: चूंकि सभी ट्रेडिंग पोजीशन दिन के भीतर क्लोज हो जाती हैं, इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग में ओवरनाइट जोखिम नहीं है।
उच्च रिटर्न: एक प्रभावी स्ट्रेटेजी और सही मनी मैनेजमेंट अपनाकर कोई भी ट्रेडर अधिक प्रॉफिट कर सकता है। क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग एक ट्रेडर को थोड़े समय के भीतर पर्याप्त प्रॉफिट अर्जित करने की अनुमति देती है।
कम पैसो के शुरुआत कर सकते है : इंट्राडे ट्रेडिंग का एक अन्य लाभ यह है कि ट्रेडर छोटी राशि से ट्रेड शुरू कर सकता है। क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर की तरफ से मार्जिन दिया जाता है जिस कारण काम राशि के साथ आप ट्रेडिंग की शुरुआत कर सकते है।
इंट्राडे ट्रेडिंग रोमांचक और उपयुक्त रूप से फायदेमंद है। लेकिन यह जोखिम भरा है। यदि आप एक इंट्राडे ट्रेडर बनने में रुचि रखते हैं, तो स्टॉक मार्केट के वारे में ज्ञान और अनुभव प्राप्त करें। इसके साथ ही अपने नुकसान को कम करने के लिए इंट्राडे ट्रेडर को अनुशासन के साथ ट्रेड करना चाहिए।
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है, और एक उपयोगी इंट्राडे ट्रेडिंग टिप यह है कि आप गलतियों से सीखे और आगे बढ़े।
निष्कर्ष
इंट्राडे ट्रेडिंग की शुरुआत करते समय दूसरों की सलाह पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। किसी भी स्टॉक में ट्रेड करने से पहले आपको टेक्निकल एनालिसिस करने और समझ विकसित करने की आवश्यकता है।
किसी भी डोमेन में शुरुआत करना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन यदि आप ऐसे एक व्यक्ति हैं जो जोखिम को सहन करने की ताकत रखता है, और महत्वपूर्ण घंटे मार्केट के मूवमेंट को पढ़ने के लिए समर्पित करता हैं, तो इंट्राडे ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
हमें उम्मीद है कि Intraday Trading meaning in Hindi लेख से इंट्राडे ट्रेडिंग के वारे में आपके सभी सबालो के जबाव मिल गए होंगे।
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक ट्रेडिंग क्या होती है? में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक ट्रेडिंग क्या होती है? बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग ट्रेडिंग क्या होती है? से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading) पर सेबी ने प्रस्ताव पेश किया, जानिए क्या होती है एल्गो ट्रेडिंग?
ब्रोकरेज हाउसेज के अनुसार, सेबी द्वारा एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) से उत्पन्न होने वाले सभी ऑर्डर को एल्गोरिथम या एल्गो ऑर्डर के रूप में मानने का प्रस्ताव भारत में इस तरह के व्यापार के विकास में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
मुख्य बिंदु
- एल्गो ट्रेडिंग का अर्थ उस ऑर्डर से है जो स्वचालित निष्पादन तर्क (automated execution logic) का उपयोग करके उत्पन्न होता है।
- एल्गो ट्रेडिंग सिस्टम लाइव स्टॉक की कीमतों पर स्वचालित रूप से नज़र रखता है और सभी मानदंडों को पूरा करने पर एक ऑर्डर शुरू करता है।
- यह प्रणाली ट्रेडर को लाइव स्टॉक की कीमतों की निगरानी से मुक्त करती है।
ब्रोकरेज हाउसेज ने क्या चिंता जताई है?
ब्रोकरेज हाउसेज का विचार है कि एल्गो बाजार को विनियमित करने की आवश्यकता है। क्योंकि कुछ वेंडर्स द्वारा किए गए झूठे वादों के चलते कई निवेशकों ने काफी पैसा खो दिया है। हालांकि, कुछ चुनिन्दा बुरे मामलों से निपटने के लिए, सेबी के नियम बाधाएं डाल रहा है जो भारत में एल्गो ट्रेडिंग के विकास को प्रतिबंधित कर सकता है।
एल्गोरिथम ट्रेडिंग ( Algorithmic Trading)
एल्गोरिथम ट्रेडिंग मूल्य, समय और मात्रा जैसे चर (variables) के लिए स्वचालित पूर्व-प्रोग्राम किए गए ट्रेडिंग निर्देशों (automated pre-programmed trading instructions) का उपयोग करके ऑर्डर प्लेस करने का एक तरीका है। इस तरह की ट्रेडिंग मानव व्यापारियों के मुकाबले कंप्यूटर की गति और कम्प्यूटेशनल संसाधनों का लाभ उठती है। यह रिटेल ट्रेडर्स और साथ ही संस्थागत व्यापारियों (institutional traders) में काफी लोकप्रिय हो रहा है। इसका उपयोग निवेश बैंकों, म्यूचुअल फंड, पेंशन फंड और हेज फंड द्वारा किया जाता है। 2019 के एक अध्ययन के अनुसार, विदेशी मुद्रा बाजार में लगभग 92% ट्रेडिंग ट्रेडिंग एल्गोरिदम द्वारा की गई थी।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( Securities and Exchange Board of India – SEBI )
सेबी भारत में प्रतिभूतियों और कमोडिटी बाजार के लिए नियामक निकाय है। यह वित्त मंत्रालय के स्वामित्व में काम करता है। सेबी को 12 अप्रैल, 1988 को गैर-सांविधिक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। इसे वैधानिक अधिकार दिए गए थे और सेबी अधिनियम, 1992 द्वारा 30 जनवरी 1992 को यह स्वायत्त निकाय बन गया था।
लगातार 2 दिन से अपर सर्किट में था शेयर, अब ट्रेडिंग पर लगी रोक, कंपनी खरीदने की रेस में ट्रेडिंग क्या होती है? अडानी-अंबानी
भारी भरकम कर्ज में डूबी किशोर बियानी (Kishore Biyani) की कंपनी फ्यूचर ग्रुप (Future group) के शेयरों में पिछले सप्ताह जबरदस्त तेजी थी। हालांकि, आज कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग एक बार फिर से बंद की गई।
Future Retails Share: भारी भरकम कर्ज में डूबी किशोर बियानी (Kishore Biyani) की कंपनी फ्यूचर ग्रुप (Future group) के शेयरों में पिछले सप्ताह जबरदस्त तेजी थी। हालांकि, आज कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग एक बार फिर से बंद कर दी गई है। इससे पहले पिछले महीने फ्यूचर रिटेल की ट्रेडिंग बंद (Future retail trading) कर दी गई थी। दरअसल, कंपनी दिवालियपन की प्रक्रिया से गुजर रही है। बता दें कि आमतौर पर डी-लिस्टिंग तब होता है जब कोई कंपनी अपने संचालन को रोक देती है या मर्जर, विस्तार या पुनर्गठन करना चाहती है। जो कंपनी नियमों का सही पालन नहीं करती है या दिवालिया प्रक्रिया में होती है तब भी ट्रेडिंग पर रोक लगती है।
अडानी और अंबानी हैं खरीदने की रेस में शामिल
आपको बता दें कि शुक्रवार को कंपनी के शेयर शुरुआती कारोबार में लगभग 5% की तेजी के साथ 3.83 रुपये पर पहुंच गए थे। लगातार दो कारोबारी दिन से इसमें अपर सर्किट लग रहा था। अब खबर है कि फ्यूचर रिटेल को खरीदने के लिए मुकेश अंबानी (Mukesh Amabni) और गौतम अडानी (Gautam Adani) जैसे दिग्गजों ने दिलचस्पी दिखाई है।
सूत्रों के मुताबिक, अडानी समूह और फ्लेमिंगो समूह के संयुक्त कारोबार, रिलायंस रिटेल वेंचर्स और अप्रैल मून रिटेल प्राइवेट समेत 13 कंपनियों ने दिवालिया कंपनी का अधिग्रहण करने में रुचि दिखाई है। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा कि इन कंपनियों ने फ्यूचर रिटेल एसेट्स में अपनी रुचि इस उम्मीद में जताई है ताकि उन्हें इसके साथ एक और लिस्टेड कंपनी फ्यूचर सप्लाई चेन सॉल्यूशंस में भी हिस्सा मिल जाएगा। वहीं, ज्यादा बिडर्स नागपुर में सप्लाई चेन के गोदाम पर फोकस कर रहे हैं।
बता दें कि फ्यूचर सप्लाई चेन सॉल्यूशंस को वित्त वर्ष 2022 में 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कंपनी 65 डिस्ट्रब्यूटर सेटर्स का संचालन करता है, इसमें कुल 8.02 मिलियन वर्ग फुट का क्षेत्र शामिल है। कंपनी का देशभर में 13 हब और 123 ब्रांचेंज है। कंपनी फ्रेंचाइजी भी देती है।
50 रुपये का डिविडेंड और 1 बोनस शेयर, आज एक्स-डिविडेंड पर इस कंपनी के शेयर
अब तक 92% टूट चुका शेयर
दिवालियापन से गुजर रही फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर रिटेल के शेयर 10 अक्टूबर से ही BSE-NSE पर कारोबार नहीं कर रहे थे। यानी इस शेयर की ट्रेडिंग बंद कर दी गई थी। उस वक्त फ्यूचर रिटेल के शेयर 3.60 रुपये पर बंद हुए थे। हालांकि, बीच में कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग खोल दी गई थी। इस साल अब तक फ्यूचर रिटेल के शेयरों ने अपने निवेशकों को 95% से ज्यादा का नुकसान करा दिया है।