अधिमानी शेयर

अधिमान अंश क्या है?
इसे सुनेंरोकें(रु.) कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 43 के अंर्तगत, एक अधिमान अंश वह होता है, जो कि दी गई शर्तों की पूर्ति करता है। (अ) अधिमानी अंशधारियों को एक निश्चित राशि का लाभांश पाने का अथवा प्रत्येक अंश के अंकित मूल्य पर निश्चित दर से परिकलित किए गए लाभांश पाने, समता अंशधारियों को लाभांश भुगतान से पूर्व, अधिमानी शेयर का अधिकार होता है।
वरीयता अंश कितने प्रकार के होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंशेयर, अंश या हिस्सा व्यक्ति की चलसंपत्ति दो प्रकार की होती है – भोगाधीन वस्तु (Chose in possession) और वादप्राप्य स्ववस्तु (Chose in action)।
स्वैट समता अंश का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंExplanation: एक ग्राफ का एक समता उपसमूह एक विशाल उपसमूह है, जैसे कि प्रत्येक शीर्ष की डिग्री में उपसमूह और मूल ग्राफ दोनों में समान समानता होती है। ज्ञात परिणामों में शामिल है कि हर ग्राफ में न्यूनतम समता उपसमूह की एक विषम संख्या होती है।
पूर्वाधिकार अंशो के भुगतान से आप क्या समझते हैं ऐसे भुगतान हेतु वैधानिक आवश्यकता क्या है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. पूर्वाधिकारी अंशों के शोधन का आशय एक कम्पनी द्वारा अपने अधिमान अंशधारियों को उनका इन अशा म लगा धन वापस करने से होता है। कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 55 अंशों द्वारा सीमित एक कम्पनी को शोध्य आधमान अश निर्गमित करने का अधिकार प्रदान करती है, बशर्ते कि उसके अन्तर्नियम उसे इसके लिये अधिकत करते हों। इस धारा के अनुसार।
संचयी वरीयता शेयर क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसंचयी वरीयता शेयरों का मतलब है कि जब कोई व्यवसाय किसी वित्तीय वर्ष में नुकसान के कारण वरीयता शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान नहीं कर सकता है, तो लाभांश की राशि को कम किया जाएगा और आगामी लाभदायक वित्तीय वर्षों में भुगतान किया जाएगा।
वरीयता शेयर क्या है विभिन्न प्रकार के वरीयता शेयरों का वर्णन करें?
इसे सुनेंरोकेंवरीयता शेयरों को उन शेयरों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिन्हें लाभांश के भुगतान के संदर्भ में अन्य इक्विटी शेयरों पर प्राथमिकता दी जाती है। वरीयता शेयर वरीयता शेयरधारकों के पास होते हैं जो भुगतान प्राप्त करने के मामले में पहले होते हैं यदि कंपनी अपने निवेशकों को किसी भी लाभांश का भुगतान करने का फैसला करती हैं।
संचयी अधिमान शेयर का अंग्रेजी अर्थ
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और देखें
संचयी अधिमान शेयर का अंग्रेजी मतलब
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"संचयी अधिमान शेयर" के बारे में
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Share क्या हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं ?
अधिमानी शेयर अन्य शेयरों की तुलना मे वरीयता प्राप्त शेयर होते है| उदाहरण के लिए कम्पनी अधिमानी शेयरों पर लाभांश (dividend) का भुगतान (payment) पहले करती है बाद मे साधारण शेयरों पर लाभांश दिया जाता है|
अधिमानी शेयरों पर एक निशिचत लाभांश देय (payable) होता है जिसका भुगतान कम्पनी के सकल लाभ (gross profit) मे से किया जाता है| कम्पनी को जब घाटा होता है और यह लाभांश देने मे असमर्थ होती है तो ऐसी स्थिति (condition) मे अधिमानी अंशधारक (preference share holders) अपने अधिमानी अंशो का प्रयोग करके, साधारण अंशधारकों (ordinary share holder) के अंशो का हिस्सा अपने अधिकार अधिमानी शेयर मे ले लेते है| ऐसी condition उस समय आती है जबकि अधिमानी अंशो के लाभांश (dividend) का भुगतान किया जाता हो और साधारण अंशधारकों का भुगतान बकाया है|
(i) संचित अधिमानी शेयर (Cumulative preference shares)
इस प्रकार के शेयरों पर निशिचत लाभांश (dividend) वर्ष मे एक बार देय होता है| किसी वर्ष कम्पनी के लाभों मे कमी आ जाने के कारण यदि पूरा लाभांश (dividend) नहीं दिया जाता है तो लाभांश की बकाया राशि का भुगतान आगामी वर्षों के अर्जित लाभ से किया जा सकता है|
इस प्रकार के शेयरों पर भी निशिचत लाभांश वर्ष मे एक बार देय होता है| परन्तु अमुक वर्ष मे कम्पनी के सकल लाभ मे कमी होने के कारण यदि कम्पनी लाभांश देने मे असमर्थ होती है तो आगामी वर्षों मे जब कम्पनी को लाभ मे वृद्धि होती है तब ऐसी condition मे अंशधारक बकाया लाभांश प्राप्त करने के हकदार नहीं होते |
इस प्रकार के शेयरों पर एक निशिचत वार्षिक अधिमानी शेयर सामान्य लाभांश (fixed annual dividend) तो देय होता है साथ ही कुछ अतिरिक्त लाभांश भी देय होता है| यह अतिरिक्त लाभ मे से दिया जाता है|
(B) सामान्य शेयर (Ordinary shares)
सामान्य शेयरों पर अंशधारकों को लाभांश का भुगतान अधिमानी शेयरों की अपेक्षा उच्च दर पर किया जाता है परन्तु ऐसे अंशधारकों का लाभांश-भुगतान मे जोखिम भी अधिक होता है|
सामान्य शेयरों पर लाभांश का भुगतान अधिमानी शेयरों के लाभांश का भुगतान करने के बाद किया जाता है| सामान्य शेयरों पर लाभांश की कोई सीमा नहीं होती | सामान्य अंशधारक किसी वर्ष तो अच्छा लाभांश प्राप्त करते है जबकि कम्पनी को अधिक लाभ होता है और हानि वाले वर्ष मे उनका लाभांश शून्य भी हो सकता है|
(C) आस्थगित शेयर (Deferred shares )
आस्थगित शेयर केवल उन व्यक्तियों के लिए होते है जो कम्पनी के संस्थापक (founder) या प्रवर्तक (promoters) होते है|
डेली न्यूज़
हाल ही में गृह मामलों और सहकारिता मंत्री ने शहरी सहकारी बैंकों और ऋण समितियों के राष्ट्रीय संघ (NAFCUB) द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित किया है, जिसमें शहरी सहकारी बैंकों (UCB) के लिये आवश्यक सुधारों पर ज़ोर दिया गया है।
- NAFCUB देश में शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सोसायटी लिमिटेड का एक शीर्ष स्तर का निकाय है। इसका उद्देश्य शहरी सहकारी ऋण की गति को बढ़ावा देना और क्षेत्र के हितों की रक्षा करना है।
सहकारी बैंक:
- परिचय:
- यह साधारण बैंकिंग व्यवसाय से निपटने के लिये सहकारी आधार पर स्थापित एक संस्था है। सहकारी बैंकों की स्थापना शेयरों के माध्यम से धन एकत्र करने, जमा स्वीकार करने और ऋण देने के द्वारा की जाती है।
- ये सहकारी ऋण समितियाँ हैं जहाँ एक समुदाय समूह के सदस्य एक-दूसरे को अनुकूल शर्तों पर ऋण प्रदान करते हैं।
- वे संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम या बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत हैं।
- सहकारी बैंक निम्न द्वारा शासित होते हैं:
- बैंकिंग कानून (सहकारी समिति) अधिनियम, 1955
- ग्राहक के स्वामित्व वाली संस्थाएंँ: सहकारी बैंक के सदस्य बैंक के ग्राहक और मालिक दोनों होते हैं।
- लोकतांत्रिक सदस्य नियंत्रण: इन बैंकों का स्वामित्व और नियंत्रण सदस्यों के पास होता है, जो लोकतांत्रिक तरीके से निदेशक मंडल का चुनाव अधिमानी शेयर करते हैं। सदस्यों के पास आमतौर पर " एक व्यक्ति, एक वोट" के सहकारी सिद्धांत के अनुसार समान मतदान अधिकार होते हैं।
- लाभ आवंटन: वार्षिक लाभ, लाभ या अधिशेष का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा आमतौर पर आरक्षित करने के लिये आवंटित किया जाता है और इस लाभ का एक हिस्सा सहकारी सदस्यों को भी कानूनी और वैधानिक सीमाओं के साथ वितरित किया जा सकता है।
- वित्तीय समावेशन: उन्होंने बैंक रहित ग्रामीण लोगों के वित्तीय समावेशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को सस्ता ऋण प्रदान करते हैं।
- शहरी सहकारी बैंक (UCB) शब्द औपचारिक रूप से परिभाषित नहीं है, लेकिन शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक सहकारी बैंकों को संदर्भित करता है।
- शहरी सहकारी बैंक ( UCB ), प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ ( PACS ), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) और स्थानीय क्षेत्र बैंक ( LAB ) स्थानीय क्षेत्रों में काम करते हैं इसलिये इन्हें अलग-अलग बैंक माना जा सकता है।
- वर्ष 1996 तक इन बैंकों को केवल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिये धन उधार देने की अनुमति थी।
- पारंपरिक रूप से UCBs का कार्य छोटे समुदायों, क्षेत्र के कार्य समूहों तक केंद्रित थे और इनका उद्देश्य छोटे व्यवसायियों को धन उपलब्ध कराना और स्थानीय लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ना था। आज उनके संचालन का दायरा काफी व्यापक हो गया है।
सहकारी बैंकों के सामने आने वाली चुनौतियाँ:
- वित्तीय क्षेत्र में बदलते रुझान:
- वित्तीय क्षेत्र में परिवर्तन और विकसित होते माइक्रोफाइनेंस, फिनटेक कंपनियाँं, पेमेंट गेटवे, सोशल प्लेटफॉर्म, ई-कॉमर्स कंपनियाँ और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँं (NBFC) UCB की निरंतर उपस्थिति को चुनौती देती हैं, जो ज्यादातर आकार में छोटे, पेशेवर प्रबंधन की कमी और भौगोलिक रूप से कम विविधीकृत हैं।
- UCB स्टेट रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटी और RBI द्वारा दोहरे विनियमन के अंतर्गत आते थे।
- लेकिन वर्ष 2020 में सभी UCB और बहु-राज्य सहकारी समितियों को आरबीआई की सीधी निगरानी में लाया गया।
- सहकारी समितियाँ भी नियामक मध्यस्थता का जरिया बन गई हैं,
- उधार देने और मनी लॉन्ड्रिंग रोधी नियमों को दरकिनार करना। बैंक घोटाले के मामले की जाँच से पता चला है कि इसने सकल वित्तीय कुप्रबंधन और आंतरिक नियंत्रण तंत्र पूरी तरह से भंग कर दिया है।
- RBI की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका के बावजूद कुल कृषि ऋण में इसकी हिस्सेदारी वर्ष 1992-93 में 64% से कम होकर वर्ष 2019-20 में सिर्फ 11.3% हो गई।
- यह सर्वविदित है कि लेखा परीक्षा पूरी तरह से विभाग के अधिकारियों द्वारा की जाती है और यह न तो नियमित होती है और न ही व्यापक होती है। ऑडिट के संचालन और रिपोर्ट प्रस्तुत करने में व्यापक देरी होती है।
- सरकार ने शुरू से ही आंदोलन को संरक्षण देने का रवैया अपनाया है। सहकारी संस्थाओं के साथ ऐसा व्यवहार किया गया मानो ये सरकार के प्रशासनिक ढाँचें का हिस्सा हों।
- इन समितियों का आकार बहुत छोटा रहा है। इनमें से अधिकांश समितियाँ कुछ सदस्यों तक ही सीमित हैं और उनका संचालन केवल एक या दो गाँवों तक ही सीमित है। परिणामस्वरूप उनके संसाधन सीमित रहते हैं, जिससे उनके लिये अपने साधनों का विस्तार करना तथा अपने संचालन के क्षेत्र का विस्तार करना असंभव हो जाता है।
हालिया घटनाक्रम:
- जनवरी 2020 में, RBI ने UCBs के लिये ‘विशेष पर्यवेक्षी और नियामक संवर्ग ’ ( Supervisory action Framework- SAF ) को संशोधित किया।
- जून 2020 में केंद्र सरकार ने सभी शहरी और बहु-राज्य सहकारी बैंकों को RBI की सीधी निगरानी में लाने के लिये एक अध्यादेश को मंज़ूरी दी।
- वर्ष 2021 में RBI द्वारा एक समिति नियुक्त की गई जिसने UCBs के लिये 4 स्तरीय संरचना का सुझाव दिया।
- टियर 1: सभी यूनिट यूसीबी और वेतन पाने वाले यूसीबी (जमा आकार के बावजूद) तथा अन्य सभी यूसीबी जिनके पास 100 करोड़ रुपए तक जमा हैं।
- टियर 2: 100 करोड़ रुपए से 1,000 करोड़ रुपए के बीच जमा राशि वाले यूसीबी।
- टियर 3: 1,000 करोड़ रुपए से 10,000 करोड़ रुपए के बीच जमा राशि वाले यूसीबी।
- टियर 4: 10,000 करोड़ रुपए से अधिक की जमा राशि वाले यूसीबी।
आगे की राह:
- देश के समर्पित सहकारिता मंत्रालय की स्थापना सहकारिता आंदोलन के इतिहास के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
- RBI को अधिनियम के प्रावधानों की व्याख्या करनी चाहिये ताकि वे UCBs को बाधित न करें और सहकारी बैंकिंग प्रणाली में लोगों का विश्वास बहाल हो।
- एक मज़बूत लेखा प्रणाली के भर्ती और कार्यान्वयन में पारदर्शिता जैसे संस्थागत सुधारों की आवश्यकता है, जो उनके विकास के लिये आवश्यक हैं।
- प्रबंधकीय भूमिकाओं में नए लोगों, युवाओं और पेशेवरों को लाने की ज़रूरत है, जो सहकारिता को आगे अधिमानी शेयर बढ़ाएंँगे।
- NAFCUB को शहरी ऋण सहकारी समितियों पर विशेष रूप से उनके लेखांकन सॉफ्टवेयर और उनके सामान्य उपनियमों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
- हर शहर में एक अच्छा शहरी सहकारी बैंक होना समय और देश की ज़रूरत है। NAFCUB को सहकारी बैंकों की समस्याओं को न केवल उठाना चाहिये बल्कि उनका समाधान करना चाहिये साथ ही सममित विकास के लिये भी बेहतर काम करना चाहिये।
विगत वर्षों के प्रश्न:
प्रश्न: भारत में 'शहरी सहकारी बैंकों' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
- उनका पर्यवेक्षण और विनियमन राज्य सरकारों द्वारा स्थापित स्थानीय बोर्डों द्वारा किया जाता है।
- वे इक्विटी शेयर और वरीयता शेयर जारी कर सकते हैं।
- उन्हें अधिमानी शेयर 1966 में एक संशोधन के माध्यम से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के दायरे में लाया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3