विदेशी मुद्रा व्यापार युक्तियाँ

विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं

विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं
  1. व्यापार संतुलन
  2. विदेशी संपत्ति
  3. अदृश्य का संतुलन
  4. विशेष आहरण अधिकार

डेली अपडेट्स

RBI ने रुपए में व्यापार निपटान की अनुमति दी | 14 Jul 2022 | भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रिलिम्स के लिये:

विदेश व्यापार, मुद्रा मूल्यह्रास और अधिमूल्यन, वैश्विक अनुमोदन, भुगतान संतुलन

मेन्स के लिये: विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं

भारत की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक अनुमोदनों का प्रभाव, रुपये में व्यापार को निपटाने के लाभ और चुनौतियाँ, अर्थव्यवस्था में सरकार का हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

  • हालाँकि ऐसे लेन-देन के लिये डीलर के रूप में कार्य करने वाले अधिकृत बैंकों को इसका उपयोग कर इसे सुविधाजनक बनाने के लिये नियामक से पूर्वानुमति लेनी होगी।
  • RBI द्वारा प्रस्तावित संशोधित फ्रेमवर्क के अनुसार, विदेशीमुद्राप्रबंधनअधिनियम(FEMA),1999 के तहत कवर किये गए क्रॉस-बॉर्डर निर्यात और आयात को भारतीय रुपए में डिनॉमिनेट और इनवॉइस किया जा सकता है. हालाँकि RBI ने निर्धारित किया है कि दोनों व्यापार भागीदार देशों की मुद्राओं के बीच विनिमय दर बाज़ार के अनुसार निर्धारित की जाएगी

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रुपया भुगतान तंत्र:

  • भारत में अधिकृत डीलर बैंकों को रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने की अनुमति दी गई है (एक खाता जो एक अधिकृत विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं बैंक दूसरे बैंक की ओर से रखता है)।
    • इस तंत्र के माध्यम से आयात करने वाले भारतीय आयातक भारतीय रुपए में भुगतान करेंगे जो विदेशी विक्रेता से माल या सेवाओं की आपूर्ति के लिये चालान भागीदार देश के अधिकृत बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा किया जाएगा।
    • तंत्र का उपयोग करने वाले भारतीय निर्यातकों को भागीदार विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं देश के अधिकृत बैंक के नामित विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा शेष राशि से भारतीय रुपए में निर्यात का भुगतान किया जाएगा।
    • निर्यात के लिये अग्रिम भुगतान की ऐसी किसी भी प्राप्ति की अनुमति देने से पहले भारतीय बैंकों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इन खातों में उपलब्ध धनराशि का उपयोग पहले से ही निष्पादित निर्यात विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं आदेशों/पाइपलाइन में निर्यात भुगतान से उत्पन्न भुगतान दायित्वों के लिये किया जाता है।
    • विशेष वोस्ट्रो अकाउंट में शेष राशि का उपयोग निम्नलिखित के लिये किया जा सकता है: परियोजनाओं और निवेशों के लिये भुगतान, निर्यात/आयात अग्रिम प्रवाह प्रबंधन, सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश आदि।

    मौजूदा तंत्र:

    • यदि कोई कंपनी निर्यात या आयात करती है, तो लेन-देन (नेपाल और भूटान जैसे देशों को छोड़कर) हमेशा एक विदेशी मुद्रा में होता है।
    • इसलिये आयात के मामले मेंभारतीय कंपनी को विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है (मुख्य रूप से डॉलर में और इसमें पाउंड, यूरो, येन आदि मुद्राएँ भी शामिल हो सकती हैं)।
    • निर्यात के मामले में भारतीय कंपनी को विदेशीमुद्रामेंभुगतानकियाजाताहै और कंपनी उस विदेशी मुद्रा को रुपए में परिवर्तित कर देती है क्योंकि उ से ज़्यादातर मामलों में अपनी ज़रूरतों के लिये रुपए की आवश्यकता होती है।

    मौजूदा तंत्र के लाभ:

    • विकास को बढ़ावा:विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं
      • यह वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देगा और भारतीयरुपएके प्रतिवैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन करेगा।
      • जब से रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं , भुगतान की समस्या के कारण रूस के साथ व्यापार लगभग ठप है।
        • RBI द्वारा शुरू किये गए व्यापार सुविधा तंत्र के परिणामस्वरूप रूस के साथ भुगतान संबंधी मुद्दे को हल करना आसान हो गया है।
        • इस कदम सेविदेशीमुद्रामेंउतार-चढ़ाव का जोखिम भी कम होगा, विशेष रूप से यूरो-रुपया सममूल्यता को देखते हुए।
        • इस तंत्र का उद्देश्य रुपए में लगातार गिरावट के दौरान व्यापार प्रवाह हेतु रुपए मेंनिपटान को बढ़ावा देकर विदेशी मुद्रा की मांग को कम करना है।

        अंतर्राष्ट्रीय व्यापार हेतु भारत की पहल:

        • रुपया-रूबल समझौता:
          • रुपया-रूबल व्यापार व्यवस्था डॉलर या यूरो के बजाय देय राशि का निपटान रुपए में करने के लिये वैकल्पिक भुगतान तंत्र है।
            • रूस का स्टेट बैंक भारत में एक या एक से अधिक वाणिज्यिक बैंकों, जो कि विदेशी मुद्रा में व्यापार करने के लिये अधिकृत हैं, के साथ खातों का रखरखाव करेगा।इसके अलावायदि बैंक आवश्यक समझता है तो भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ स्टेट बैंक ऑफ रूस एक और खाता बनाए रखेगा।
              • भारत और रूस के निवासियों द्वारा भुगतान को केवल उन्हीं निर्दिष्ट खातों में डेबिट//क्रेडिट किया जाएगा।
              • भारत ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त अरब अमीरात के साथ मुक्तव्यापारसमझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
                • FTA दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात और निर्यात की बाधाओं को कम करने के लिये एक समझौता है।
                • मुक्त व्यापार नीति के तहत वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार किया जा सकता है, जिसमें उनके विनिमय को बाधित करने के लिये बहुत कम या कोई सरकारी शुल्क, कोटा, सब्सिडी या निषेध नहीं है।
                • मुक्त व्यापार की अवधारणा व्यापार संरक्षणवाद या आर्थिक अलगाववाद (Economic Isolationism) के विपरीत है।
                • भारत एक हिंद-प्रशांतआर्थिकढाँचा (IPEF) स्थापित करने के लिये अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल में शामिल हो गया विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं है, इस कदम से आर्थिक संबंधों को और बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
                • सेवाओं के निर्यात के लिये अमेरिका लगातार भारत का सबसे बड़ा बाज़ार रहा है, हाल ही में अमेरिका को सामान की बिक्री के मामले में भी इसने चीन को पीछे छोड़ विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं दिया, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक भागीदार बन गया।

                UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

                प्रश्न. भुगतान संतुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं से कौन चालू खाते का गठन करता है? (2014)

                1. व्यापार संतुलन
                2. विदेशी संपत्ति
                3. अदृश्य का संतुलन
                4. विशेष आहरण अधिकार

                नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

                (a) केवल 1
                (b) केवल 2 और 3
                (c) केवल 1 और 3
                (d) केवल 1, 2 और 4

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                भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार, जानें इसके 5 फायदे

                देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.074 अरब डॉलर बढ़कर 608.081 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही भारत ने रूस को पीछे छोड़ते हुए विदेशी मुद्रा रखने वाले दुनिया के देशों में चौथे स्थान पर.

                भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार, जानें इसके 5 फायदे

                देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.074 अरब डॉलर बढ़कर 608.081 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसके साथ ही भारत ने रूस को पीछे छोड़ते हुए विदेशी मुद्रा रखने वाले दुनिया के देशों में चौथे स्थान पर पहुंच गया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और निजी निवेशकों द्वारा शेयर बाजार में रिकॉर्ड निवेश से विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल आया है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह सुस्‍त पड़ी भारतीय इकोनॉमी के लिए राहत की खबर है। आइए जानते हैं मुद्रा भंडार बढ़ने के मायने।

                विदेशी मुद्रा भंडार के पांच बड़े फायदे

                1. विदेशी मुद्रा भंडार का विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं बढ़ना किसी देश की अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेते होता है। साल 1991 में देश को सिर्फ 40 करोड़ डॉलर जुटाने के लिए 47 टन सोना इंग्लैंड के पास गिरवी रखना पड़ा था। लेकिन मौजूदा स्तर पर, भारत के पास एक वर्ष से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त मुद्रा भंडार है। यानी इससे एक साल से अधिक के आयात खर्च का बोझ उठाया जा सकता है।

                2. बड़ा विदेशी मुद्रा रखने वाला देश विदेशी व्यापार को आकर्षित करता है और व्यापारिक साझेदारों का विश्वास अर्जित करता है। इससे वैश्विक निवेशक देश में और अधिक निवेश के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।

                3. सरकार जरूरी सैन्य सामान की तत्काल खरीदी का निर्णय भी ले सकती है क्योंकि भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है। इसके साथ कच्चा तेल, दूसरी जरूरी सामान की आयत में बढ़ा नहीं आती है।

                4. अतिरिक्त विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार प्रभावी भूमिका निभा सकता है।

                5.विदेशी मुद्रा व्यापार के क्या लाभ हैं विदेशी मुद्रा बढ़ने से आम लोगों को भी फायदा मिलता है। इससे सरकारी योजनाओं में खर्च करने के लिए पैसा मिलता है।

                विदेशी मुद्रा भंडार का घटक

                देशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, बॉन्ड, बैंक जमा, सोना और वित्तीय एसेट होते हैं। भारत के मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 563.46 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इसक साथ ही स्वर्ण भंडार बढ़कर 38.10 अरब डॉलर का हो गया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास आरक्षित निधि 5.01 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इसके चलिते विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड 608.081 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।

                इस तरह बढ़ा मुद्रा भंडार

                साल 1991 में भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 1.2 अरब डॉलर था जो बीते 20 साल में बढ़कर 604.80 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत का मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार देश के 15 महीने के आयात बिल को संभालने का मद्दा रखता है। लगातार बढ़ता विदेशी मुद्रा भंडार देश की मजबूत होती स्थिति का इशारा कर रहा है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि आगे भी यह रफ्तार बने रहने की उम्मीद है।

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