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डॉलर की मजबूती

डॉलर की मजबूती
जरा अनुमान लगाइए ये बात किसने कही थी? ये निर्मला सीतारमण ही थीं जिन्होंने 2 सितंबर 2013 को यह ट्वीट किया था. तब वो विपक्षी दल बीजेपी की प्रवक्ता थीं. अब, वो अपनी सत्ताधारी पार्टी की वित्त मंत्री हैं और गिरते रुपया पर बयान को लेकर चर्चा में हैं. सब तरफ हाहाकार मचा हुआ है लेकिन वो अपनी ही धुन में हैं.

रुपये ने तोड़ा प्रति डॉलर 77 का लेवल, रिकॉर्ड लो पर पहुंचा, यूएस फेड के ब्याज दरों में बढ़ोतरी सहित इन फैक्टर्स का दिखा असर

रुपये में कमजोरी की मुख्य वजह वैश्विक स्तर पर डॉलर में मजबूती रही है, जिसमें पिछले हफ्ते यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) के ब्याज दर में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के बाद मजबूती दिख रही है

Rupee hits record low : सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान रुपये ने डॉलर की तुलना में 77 का स्तर तोड़ दिया। इसके साथ ही रुपया प्रति डॉलर 77.58 के साथ अपने नए ऑल टाइम लो पर पहुंच गया।

इससे पहले रुपया का निचला स्तर 7 मार्च को रहा था, जब भारतीय करेंसी प्रति डॉलर की मजबूती डॉलर 76.98 के स्तर पर पहुंच गई थी। अभी तक दिन में रुपया प्रति डॉलर 76.958-77.58 की रेंज में रहा है।

डॉलर में मजबूती का दिख रहा असर

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रुपये में कमजोरी की मुख्य वजह वैश्विक स्तर पर डॉलर में मजबूती रही है, जिसमें पिछले हफ्ते यूएस फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) के ब्याज दर में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के बाद मजबूती दिख रही है। यूएस फेड ने आने वाले महीनों में ब्याज दर में ज्यादा बढ़ोतरी का गाइडैंस भी जारी किया है।

यूएस ट्रेजरी यील्ड्स में लगातार बढ़ोतरी से डॉलर को मजबूती मिल रही है। पिछले डॉलर की मजबूती दो दिन के दौरान 10 साल की यूएस ट्रेजरी में लगभग 14 बेसिस प्वाइंट्स की मजबूती दर्ज की गई है। डीलर्स ने कहा कि घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी से भी रुपये पर दबाव बढ़ा है।

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Rupee-Dollar Update: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा डॉलर हुआ मजबूत पर रुपया कमजोर नहीं! जानें क्या है जानकारों की राय

By: मनीष कुमार, | Updated at : 17 Oct 2022 03:08 PM (IST)

Rupee-Dollar Update: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman) ने अमेरिका दौरे के दौरान डॉलर ( Dollar) के मुकाबले रुपये ( Rupee) में लगातार गिरावट को लेकर एक बयान दिया जिसके बाद उनके बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय करेंसी रुपया कमजोर नहीं हुआ बल्कि डॉलर मजबूत हुआ है. वित्त मंत्री अपने इस बयान को लेकर अब विपक्ष के निशाने पर आ गई हैं.

निर्मला ने कहा रुपया नहीं हुआ कमजोर!
आईएमएफ वर्ल्ड बैंक के सलाना बैठक में भाग लेने अमेरिका दौरे पर गई निर्मला सीतारमण ने कहा कि, भारतीय करेंसी रुपये (INR) ने दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं ( Emerging Economies) के करेंसी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय रुपया विश्व की बाकि करेंसी की तुलना में काफी अच्छा कर रहा है.

ग्लोबल इकनॉमी में डॉलर का कैसे डॉलर की मजबूती है वर्चस्व ?

ये वो सवाल है जिनका बेहतर जवाब पॉपुलर जोक के जरिए समझा जा सकता है?

सवाल: क्या आप सिंगल हैं?

जवाब: कौन पूछ रहा है इस पर निर्भर करता है .

बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आप एक्सपोर्टर हैं या फिर इंपोर्टर या फिर दोनों का मिक्स..या फिर इंपोर्टेड प्रोडक्ट डॉलर की मजबूती के कंज्यूमर. यदि आप फ्रेंच पनीर या इतालवी ओलिव पसंद करते हैं, तो आप अमेरिकी डॉलर में सामान नहीं खरीद रहे होंगे, लेकिन पिछले एक साल में अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपये के मूल्य में लगभग 10% की गिरावट अभी भी आपको चिंतित करेगी क्योंकि अधिकांश फॉरेन बिल अभी भी प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष तौर पर डॉलर में होते हैं. अनौपचारिक रूप से, डॉलर राजा है और यह एक ऐसी चीज है जिसका सिक्का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में चलता है. यह सच है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से उस देश की तरफ पूंजी का फ्लो ज्यादा होता है और इससे डॉलर और मजबूत होता है लेकिन इस मामले में इतना ही सबकुछ नहीं है. इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जिस पर ध्यान देना जरूरी है.

एक्सचेंज रेट और इकनॉमी में गहरा नाता

2013 में उन्होंने जो ट्वीट किए थे, आपको सिर्फ उसको देखना चाहिए जो आज के संदर्भ में भी काफी हद तक सही हैं. लेकिन अगर आप एक एक्सपोर्टर हैं, तो चीजें साफ साफ दिख सकती हैं क्योंकि बिल आप अमेरिकी डॉलर में भर रहे हैं. उदाहरण के लिए सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट जो वॉल स्ट्रीट या सिलिकॉन वैली के क्लाइंट को डॉलर की मजबूती सेवाएं दे रहा है उसके बिल से भी सब समझ में आ जाएगा.

वास्तव में, आप तर्क दे सकते हैं कि एक हेल्दी एक्सचेंज रेट पॉलिसी ऐसी है कि यह एक्सपोर्टर्स का जोश कम नहीं करती है क्योंकि लंबे समय में, एक अर्थव्यवस्था की वैश्विक ताकत इस बात से निर्धारित होती है कि वह कितना एक्सपोर्ट कर सकती है और, विशेष रूप से नेशनल इनकम (GDP) में इसका क्या हिस्सा रहता है. कितना कम वो इंपोर्ट करते हैं ताकि व्यापार घाटा और इसके भी ज्यादा, चालू खाता घाटा यानी CAD (जिसमें रेमिटेंस और पर्यटन आय भी शामिल है) व्यापक रूप से बढ़ ना जाए.


रुपए में उठापटक की वजह क्या?

चालू वित्तीय साल 2022-23 की अप्रैल-जून तिमाही में भारत का करेंट अकांउट डेफिसिट 23.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.8%) दर्ज किया गया जो जनवरी-मार्च तिमाही में 13.4 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 1.5%) से ज्यादा) है. एक साल पहले के नंबर से यह 6.6 बिलियन डॉलर (जीडीपी का 0.9%) ज्यादा है.

आप पहली तिमाही में जो CAD है उसका ठीकरा यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए तनाव पर फोड़ सकते हैं और फिर एक साल पहले के सरप्लस घाटा को कोविड -19 महामारी से जुड़ी कम आर्थिक गतिविधियों का नतीजा बता सकते हैं लेकिन एक सामान्य तथ्य यहां पर यह है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में भी ज्यादा संभावनाएं नहीं हैं. कमजोर भारतीय रुपये के कारण पहली तिमाही जितना व्यापक घाटा भले ही ना हो लेकिन घाटा बढ़ा ही है.

फिर भी इस बात को दिमाग में रखना महत्वपूर्ण है कि हेल्दी फॉरेन एक्सचेंज पॉलिसी ऐसा कुछ नहीं है कि लंबी अवधि में यह प्रतिस्पर्धा की क्षमता को प्रभावित करती है. आप सिर्फ चीन पर नजर डालें, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ लगातार संघर्ष में रहता है और चीनी सरकार अपनी करेंसी ‘रेनमिनीबी’ को कमजोर बनाए रखती है.

डॉलर की मजबूती

doller vs rupee

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। आज 1 डॉलर तब मिलेगा जब 82.38 रुपये दिए जाएंगे। आप कहेंगे कि डॉलर से आप के ऊपर तो कुछ भी फर्क नहीं पड़ता तो चिंता की क्या बात है? आपका 100 रुपया आज भी 100 रुपया है। उससे उतना ही सामान और सेवा खरीदी जा सकती है जितनी पहले मिलती थी तो चिंता की क्या बात? लेकिन यहीं आप ग़लत हैं। हकीकत यह है कि जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो भले ही आप चिंता करे या न करे,भले ही आपने जीवन में कभी डॉलर न देखा हो, मगर आप और हम जैसों आम लोगों पर ही असर पड़ता है।

भारत में सब कुछ तो पैदा नहीं होता। अपनी कई बुनियादी जरूरतों के लिए डॉलर की मजबूती भारत विदेशों पर निर्भर है। विदेशी व्यापार डॉलर में होता है। क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को ही देखिये। भारत की जरूरत का तकरीबन 85 फीसदी बाहर से आयात होता है। जब तेल की खरीदारी डॉलर में होगी तो इसका मतलब है कि बाहर से डॉलर की मजबूती तेल मंगाने पर आपको ज़्यादा रुपया देना होगा। इससे क्या होगा। आपके देश में तेल के दाम बढ़ंगे। तेल यानी पेट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़गें तो आपको ज़्यादा रुपया चुकाना पड़ेगा। साथ ही अन्य सामानों पर भी महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ेगी तो इसका सबसे ज्यादा असर उन्हीं 90 प्रतिशत कामगारों पर पड़ेगा जो महीने में 25 हजार रुपये से कम कमाते हैं। यानी डॉलर के मुकाबले जब रुपया गिरता है तो आम आदमी की कमर तोड़ने वाले महंगाई अर्थव्यवस्था के गहरी जड़ों में समाने लगती हैं।

रुपए की गिरावट पर बोले आनंद महिंद्रा – डॉलर मजबूत हो गया, लेकिन अमेरिका का प्रभाव दुनिया में घटा

रुपए की गिरावट पर बोले आनंद महिंद्रा – डॉलर मजबूत हो गया, लेकिन अमेरिका का प्रभाव दुनिया में घटा

महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन (फोटो: पीटीआई)

वैश्विक कारणों के चलते भारतीय रुपए पर लगातार दबाव बना हुआ है, जिसके कारण भारतीय रुपए अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80 रुपए के स्तर तक पहुंच गया है। इसी पर महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने ट्विटर पर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि शक्तिशाली डॉलर और ताकतवर हो गया है, लेकिन पूरे विश्व में अमेरिका के प्रभाव में घटा है। डॉलर अभी भी दुनिया की सबसे सुरक्षित मुद्रा बनी हुई है। डॉलर के मुकाबले अन्य देशों मुद्राओं के अवमूल्यन के मामले में हम (भारत) बीच में है।

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