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शेयर मार्केट से शेयर की खरीदी कैसे करे?

शेयर मार्केट से शेयर की खरीदी कैसे करे?
बीते वर्षों में अमेरिकी बाजार में भारतीय बाजार की तुलना में कम वोलैटिलिटी देखी गई है. काफी बार रिटर्न के मामले में भी US के बाजार का प्रदर्शन भारतीय बाजार से बेहतर रहा है. रुपये के डॉलर की शेयर मार्केट से शेयर की खरीदी कैसे करे? तुलना में कमजोर होने का भी निवेशकों को फायदा मिल सकता है.

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अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?

अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?

जबरदस्त रिटर्न के लिए अच्छी और मुनाफा बनाने वाली कंपनी की तलाश हर निवेशक को होती है. हो सकता है ऐसे में आपका मन टेस्ला, अमेजन या नेटफ्लिक्स जैसी कंपनी पर आया हो जो भारतीय बाजार नहीं बल्कि US के बाजार में निवेश के लिए मौजूद है. आइए ऐसे में समझते हैं एक भारतीय निवेशक के लिए अमेरिकी बाजार में निवेश से जुड़े विभिन्न पहलुओं को-

अमेरिका में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज के ऐलान के बाद S&P 500 इंडेक्स अप्रैल में पहली बार 4,000 का स्तर पार कर गया.

कितना बड़ा है US स्टॉक मार्केट?

अमेरिकी शेयर बाजार दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट है. US के दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डैक में अमेजन, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, इत्यादि विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर लिस्टेड हैं. अमेरिकी बाजार से जुड़े विभिन्न इंडेक्स जैसे S&P 500 इंडेक्स, डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज और नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्सों का इस्तेमाल निवेशकों की दृष्टि से US और विश्व की अर्थव्यस्था को समझने के लिए किया जाता है. साथ ही दुनिया के दूसरे बाजारों पर भी इनकी दिशा का बड़ा असर होता है. दूसरे देशों की कंपनियां भी विभिन्न वजहों से अपनी लिस्टिंग US बाजार में करवाती है.

निवेशक हमेशा रिस्क को कम करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न सेक्टर और अलग अलग तरह के स्टॉक्स रखना चाहते हैं. इस दृष्टि से किसी भी बाहरी बाजार में निवेश नए विकल्पों को खोल देता है. US बाजार में कई दूसरे देशों की कंपनियों भी खुद को लिस्ट करवाती है.

कैसे कर सकते हैं निवेश शुरु?

US बाजार में निवेश के दो रास्ते हैं.

पहला तरीका सीधे निवेश का है. इसमें निवेशक भारतीय बाजार की तरह ही ब्रोकर के साथ रजिस्ट्रेशन कर स्टॉक्स में खरीद बिक्री कर सकता है. आजकल भारतीय ब्रोकरेज कंपनियां भी अमेरिकी ब्रोकरेज हाउस के साथ करार कर निवेशकों को आसान निवेश की सुविधा देती हैं. निवेशक जरूरी पैन कार्ड, घर के पते को सत्यापित करने वाले ID के साथ सीधे अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी के साथ भी बाजार में व्यापार के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.

दूसरा तरीका म्यूचुअल फंड के रास्ते निवेश का हो सकता है. भारत में अनेकों म्यूचुअल फंड US बाजार आधारित फंड चलाते हैं. ऐसे फंड या तो सीधा अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं या ऐसे बाजारों से जुड़े दूसरे म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इस प्रक्रिया में किसी अलग तरह के रजिस्ट्रेशन और बाजार के गहरी समझ की जरूरत नहीं है.

पैसों के लेनदेन की क्या है प्रक्रिया?

अमेरिकी बाजार में निवेश के लिए भारतीय करेंसी को US डॉलर में बदलना होता है. फॉरेन एक्सचेंज संबंधी गतिविधि होने के कारण यहां RBI के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के नियमों का पालन जरूरी है. नियमों के तहत एक व्यक्ति बिना विशेष अनुमति के एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 डॉलर यानी करीब 1 करोड़ 80 लाख रूपये भारतीय सीमा के बाहर निवेश कर सकता है.

किसी भी बाजार में निवेश से बनाए पैसे पर भारत सरकार टैक्स लगाती है. नियमों के अनुसार अवधि के मुताबिक शार्ट या लांग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगाया जा सकता है. हालांकि डिविडेंड पर टैक्स US गवर्नमेंट लगाती है.

ADR Full Form in Hindi

ADR व GDR में क्या अंतर है या ADR क्या होता है इसके बारे में बताने से पहले हम आपको इसका पुरा नाम क्या होता है इसके बारे में बता रहे है.

ADR Full Form – American Depository Receipt

हिंदी में आप ADR को अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीद कह सकते है व यह एक प्रकार का परक्राम्य प्रमाण पत्र होता है जिसको US बैंक के द्वारा issue किया जाता है.

ADR क्या है

जैसे की हमने आपको बताया की यह परक्राम्य प्रमाण पत्र होता है और इसको US बैंक के द्वारा issue करवाया जाता है और इसके माध्यम से यूएस स्टॉक मार्केट में विदेशी कंपनियों के व्यापार की प्रतिभूतियों का प्रतिनिधित्व करने वाले US $ को दर्शाया जाता है इनके पास अंतर्निहित शेयर की संख्याओं के खिलाफ एक दावा करने की भी शक्ति होती है ADR के माध्यम से अमेरिकी निवेशक गैर-अमेरिकी कंपनियों में भी निवेश किया जा सकता है एवं ऐसी स्थितियों में लाभांश का भुगतान ADR धारकों को अमेरिकन डॉलर के रूप में किया जाता है.

डिपॉजिटरी रसीद को कुछ परिस्थितियों में अलग अलग नाम से भी जाना जाता है जैसे की किसी भारतीय कंपनी की सिक्युरिटीज को अमेरिका के शेयर मार्किट में सूचिबंध किया जाता है तो उसको अमेरिकी डिपॉजिटरी रसीद कहा जायेगा वही इसको अमेरिका के आलावा अन्य किसी भी देश में इस सिक्युरिटीज को ख़रीदा या बेचा जाएगा तो उसको ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीद कहा जायेगा.

American Depository Receipt

हम आपको ADR के बारे में कुछ जरुरी जानकारी उदाहरण के साथ में बता रहे है ताकि आपको ADR के शेयर मार्केट से शेयर की खरीदी कैसे करे? बारे में जानकारी प्राप्त हो सके की यह क्या होता है.

  • यह अमेरिकी US बैंक के द्वारा जारी किया गया negotiable प्रमाण पत्र होता है.
  • यह अमेरिका के स्टॉक एक्सचेंज में उपलबध सेक्युरिटी होती है ताकि कोई भी अमेरिका का नागरिक अथवा निवेशक किसी भी भारतीय कंपनी की सिक्युरिटीज को भारतीय स्टॉक में आये बिना अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से उसको खरीद सकता है.
  • अगर भारत को कोई भी कंपनी अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में सूचिबंध होने की इच्छुक हो तो उसके लिए उसे ADR जारी करना अनिवार्य है.
  • यह भारतीय कंपनी के लिए अमेरिकी शेयर मार्केट से शेयर की खरीदी कैसे करे? स्टॉक मार्किट में पूंजी जुटाने के लिए एक बेहतरीन तरीका है.
  • उदहारण के तौर पर मान लीजिये की कोई अमेरिका का निवेशक भारत की HDFC बैंक के शेयर खरीदना चाहता है तो उसको शेयर के लिए भारत में आकर निवेश करने की आवश्यकता नहीं होती क्युकी वह ADR के माध्यम से अमेरिका से ही इसमें निवेश कर सकता है.
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