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इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है

क्या है Nrml में Zerodha?

इसे सुनेंरोकेंअगर आप शेयर को खरीद कर रखना चाहते हैं, तो आप प्रोडक्ट टाइप में CNC डालते हैं और अगर इंट्राडे ट्रेड करना चाहते हैं, तो NRML या MIS डालते हैं। ऑर्डर बुक में आप अपने ऑर्डर पर नज़र रख सकते हैं। ओपन ऑर्डर को ऑर्डर बुक में मॉडिफाई बटन दबा कर बदल सकते हैं। ऑर्डर पूरा होने के बाद सौदे की जानकारी ट्रेड बुक में देख सकते हैं।

स्विंग ट्रेडिंग कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंSwing Trading Kaise Kare? स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आपको एक स्ट्रेटेजी बनानी होगी कि आप किस कंपनी के शेयर खरीदेंगे और कितने दिन तक के लिए ट्रेडिंग करेंगे . तो सबसे पहले स्विंग ट्रेडिंग के लिए शेयर को चुनने कि स्ट्रेटेजी बनाना सीखते है ताकि हम आसानी से स्विंग ट्रेडिंग करना सीख सके.

क्या सरकारी कर्मचारी इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंहाँ। सरकारी कर्मचारी एक पंजीकृत ब्रोकर के माध्यम से स्टॉक बाजार में व्यापार कर सकता है। वह आईपीओ में भी निवेश कर सकता है, लेकिन वह शेयर बाजार में इंट्राडे ट्रेड या सट्टा गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकता।

ट्रेडिंग कैसे करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट के लिए इंटरनेट कनेक्शंस पहली आवश्यकता है। सबसे पहले ब्रोकर के पास शेयर ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। उसके बाद सेविंग अकाउंट(Saving Account) और डिमैट अकाउंट(Demate Account) को शेयर ट्रेडिंग अकाउंट से लिंक करना होगा। आमतौर पर ब्रोकर्स के पास इसके लिए बैंकों का एक पैनल होता है।

ज़ेरोधा में आईओसी क्या है?

इसे सुनेंरोकेंIOC एक “पीरियड” ऑर्डर है जो डे ट्रेडर द्वारा उपयोग किया जाता है। इसमें ट्रेडर यह तय करता है कि ऑर्डर को कब तक एक्टिव रखना है। इसको “जीरो पीरियड” ऑर्डर भी कह सकते हैं क्योंकि निवेशक द्वारा ऑर्डर प्लेस करने और ऑर्डर एक्सीक्यूट करने में कुछ ही समय का अन्तर होता है। यह ट्रेड करने का सबसे तेज़ तरीका है।

ज़ेरोधा में ब्रोकरेज शुल्क कैसे जांचें?

इसे सुनेंरोकेंजेरोधा में इक्विटी फ्यूचर्स के इंट्राडे शुल्क इक्विटी इंट्राडे के समान ही है। इसलिये जेरोधा, आपके प्रत्येक निष्पादित ऑर्डर पर 0.03% या रु 20 (दोनों में से जो भी कम हो) चार्ज करता है। इसके अलावा, आपको इस फ्यूचर ट्रेडिंग में ब्रोकरेज और लेनदेन शुल्क पर 18% जीएसटी का इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है भी भुगतान करना पड़ता हैं।

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इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है

ठाणे इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है के 33 वर्षीय वकील मिलन धनाले अब पांचवें ब्रोकर से जुड़े हैं। वह कहते हैं, 'जब मैंने आठ साल पहले निवेश शुरू किया था तो ब्रोकरेज दरें काफी अधिक थीं। इसलिए, हर बार जब कोई ब्रोकर कुछ बेहतर दर की पेशकश करता, मैं उसी के साथ जुड़ जाता था।' धनाले का ट्रेडिंग अकाउंट अब दिल्ली की एसएएस ऑनलाइन के साथ है जो 9 रुपये प्रति सौदे का शुल्क (चाहे लॉट आकार कुछ भी हो) वसूलती है। धनाले जैसे निवेशक अपनी ट्रेडिंग लागत घटाने को इच्छुक हैं और वे पारंपरिक रूप से संपूर्ण सेवा मुहैया कराने वाले ब्रोकरों को छोड़कर डिस्काउंट ब्रोकरों के साथ जुड़ रहे हैं। इस बदलाव की वजह से बेंगलूरु की फर्म जीरोधा जैसे डिस्काउंट ब्रोकरों के ग्राहकों की संख्या पिछले साल दोगुनी होकर 1,19,000 (एनएसई के दिसंबर आंकड़े के अनुसार) तक पहुंच गई।

फुल-सर्विस ब्रोकर यानी ब्रोकरेज की संपूर्ण सेवा मुहैया कराने वाली फर्म आपसे जो ब्रोकरेज शुल्क वसूलती है वह आपके द्वारा किए जाने वाले कुल कारोबार के प्रतिशत में लिया जाता है। अगर आपके सौदों में लॉट आकार बहुत बड़ा है तो ब्रोकरेज शुल्क भी अधिक हो सकता है। अगर आप बार-बार ट्रेडिंग करते हैं तो भी ब्रोकरेज अधिक लग सकता है। दूसरी तरफ जीरोधा जैसे डिस्काउंट ब्रोकर 20 रुपये प्रति ट्रेडिंग का एक समान शुल्क वसूलते हैं, चाहे लॉट का आकार कुछ भी हो। चेन्नई में सॉफ्टवेयर उद्योग पेशेवर रह चुके 41 वर्षीय राजेश गणेश कहते हैं, 'आप सौदे में चाहे 10 शेयर खरीदें या 1,000 शेयर, डिस्काउंट ब्रोकर आपसे सिर्फ 20 रुपये ही वसूलेंगे। कारोबारियों को इससे बहुत ज्यादा फर्कपड़ जाता है।'

चूंकि वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) सेगमेंट में कारोबारी लेवरेज्ड सौदे करते हैं, इसलिए उनका कारोबार और ब्रोकरेज शुल्क भी फुल-सर्विस ब्रोकर के शुल्क मॉडल में काफी अधिक होती है। इस उदाहरण के जरिये समझिए। मान लीजिए कि कोई कारोबार ट्रेडिंग के लिए एक लाख रुपया लगाता है। ब्रोकर आपको इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए 6 गुना रकम यानी 6 लाख रुपये का कारोबार करने देगा। एक औसत कारोबारी कई बार खरीदारी और कई बार बिक्री करता है जिसका मतलब है कि एक दिन में उसका कारोबार लगभग 24 लाख रुपये हो सकता है। संपूर्ण सेवा वाला ब्रोकर उसके कारोबार के 0.3 फीसदी का शुल्क वसूल सकता है। इस दर पर उसका ब्रोकरेज शुल्क एक दिन में लगभग 720 रुपये होगा। लेकिन एसएएस ऑनलाइन का 999 रुपये प्रति महीने का अनलिमिटेड ट्रेडिंग का ऑफर बहुत बचत करा देता है। धनाले कहते हैं, 'एफऐंडओ सेगमेंट में कम ब्रोकरेज शुल्क का बड़ा फायदा यह भी है कि आप बाजार में मामूली उतार-चढ़ाव के बाद भी सौदे का निपटान कर सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।'

जीरोधा के सह-संस्थापक एवं ट्रेडिंग प्रमुख निखिल कामत कहते हैं, 'कम लागत की वजह से निवेशक डिस्काउंट ब्रोकरों की ओर खिंचते हैं। तकनीकी नवीनता और आसान कारोबार की वजह से भी युवा, प्रौद्योगिकी-प्रेमी निवेशक इसे पसंद करते हैं।' ब्रोकिंग कंपनी काइट नाम से वेब-आधारित प्लेटफॉर्म की पेशकश करता है। गणेश कहते हैं, 'यह प्लेटफॉर्म सौदों का बेहद तेजी के साथ क्रियान्वयन करता है।'

सौदा पूरा होने की गति अहम होती है। वह कहते हैं, 'मान लीजिए कि इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है मैंने बाजार भाव पर कोई सौदा किया। सौदा जल्द पूरा नहीं हुआ और बाजार मेरे तय किए भाव से आगे-पीछे चला गया तो सौदे का मूल्य बढऩे से मुझे कई हजार रुपये की चोट लग सकती है।' कई बार संपूर्ण सेवा प्रदाता ब्रोकर को छोड़ डिस्काउंट ब्रोकर के पास इसलिए भी पहुंचा जाता है क्योंकि संपूर्ण ब्रोकर के रिलेशनशिप मैनेजर निवेशकों को दिन के टिप्स के आधार पर बार-बार सौदे करने को कहते हैं और सही साबित नहीं होने पर ग्राहक का नुकसान बढ़ जाता है। लेकिन डिस्काउंट ब्रोकर किसी तरह इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है की सलाह मुहैया नहीं कराते हैं और निवेशकों को अपने ही शोध एवं ज्ञान के आधार पर निवेश का निर्णय लेना होता है।

भारत में 5 अच्छे ट्रेडिंग ऐप – Best Trading App In India

भारत में शीर्ष 5 अच्छे ट्रेडिंग ऐप

यदि आप ट्रेडिंग में नए हैं और सर्वोत्तम डिस्काउंट ब्रोकर में खाता खोलने के लिए भ्रमित हैं, तो हमने प्रतिष्ठित मोबाइल ट्रेडिंग डिस्काउंट ब्रोकरों की तुलना नीचे की है कृपय सही निर्णय लें. ट्रेडिंग खाता खोलते समय, जिन प्रमुख बातों पर विचार किया जाना है, उनमे उनके ब्रोकरेज शुल्क, ऐप उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस और अध्ययन सामग्री हैं.

हमारे पास भारत में कई स्टॉक ब्रोकर आवेदन हैं. ब्रोकरेज शुल्क में कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं है लेकिन प्रौद्योगिकी और बाजार का अध्ययन करने की क्षमता में बहुत बड़ा अंतर है. हम आपको अपने सर्वश्रेष्ठ ब्रोकर के लिए अच्छी तुलना दे रहे हैं.

आप को अगर खता खोलते वक़्त कोई भी मदत लगेगी तो हमें बेहिचक संपर्क करे – Whatsapp 820 8493 820

भारत में टॉप 5 ट्रेडिंग ब्रोकर्स – Best Trading App in India

अपस्टॉक्स (Upstox)

भारत का सबसे अच्छा ट्रेडिंग App Upstox है. Upstox सबसे तेजी से बढ़ने वाले ब्रोकर्स इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है में से एक है. अपस्टॉक्स एक भारतीय वित्तीय निजी कंपनी है, जिसका स्वामित्व मुंबई स्थित आरकेएसवी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड के पास है. श्री रवि कुमार, श्री रघु कुमार और श्री श्रवि विश्वनाथ कंपनी के सह-संस्थापक हैं. यह रतन टाटा द्वारा समर्थित है. –क्लिक कर के मुफ्त में खाता खोले–

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जेरोधा ब्रोकिंग लिमिटेड

Zerodha Broking Ltd. एक भारतीय वित्तीय सेवा कंपनी है, जिसकी स्थापना 2010 में नितिन कामथ ने की थी, कंपनी का मुख्यालय बेंगलुरु में है. 2020 तक, Zerodha सक्रिय ग्राहक आधार द्वारा भारत में सबसे बड़ा खुदरा स्टॉक ब्रोकर था, और भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में दैनिक खुदरा संस्करणों के 2% से ऊपर का योगदान देता है.

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5पैसा.कॉम

5paisa.com भी भारत में सबसे तेजी से बढ़ती ब्रोकरेज फर्म है, 5 paisa.com में वे आपको एक ही स्थान पर सभी के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दे रहे हैं. यह 1995 में निर्मल जैन द्वारा स्थापित एक भारतीय कंपनी IIFL (India Infoline) के स्वामित्व में है

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इंडिया इंफ़ोलिन (IIFL)

IIFL होल्डिंग्स लिमिटेड (पूर्व में इंडिया इंफोलाइन लिमिटेड) एक भारतीय विविध वित्तीय सेवा कंपनी है जिसका मुख्यालय मुंबई में है. बाजार पूंजीकरण के मामले में भारत में शीर्ष स्वतंत्र वित्तीय सेवा फर्म के रूप में. 1995 में स्थापित यह भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी भी है.

1.फ़्री ब्रोकरेज * एक महीने के लिए.
2.गेट फ्री इनवेस्टमेंट सब्सक्रिप्शन ₹ 3,998.
3.ZERO डीमैट एएमसी एक साल के लिए.
4. इंट्राडे इंट्राडे 0.025%.
5. इक्विटी फ्यूचर्स 0.025%.
6. इक्विटी विकल्प ₹ 25 प्रति लॉट.
8.Currency वायदा 0.025% या 20 प्रति लॉट.
9. कोई भी भौतिक दस्तावेज आवश्यक नहीं है.

एंजल ब्रोकिंग

एंजेल ब्रोकिंग दिनेश इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज शुल्क क्या है ठक्कर द्वारा 1987 में स्थापित एक भारतीय स्टॉकब्रोकर फर्म है. कंपनी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया, नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड और मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया लिमिटेड की सदस्य है. 2018 मै एंजेल ब्रोकिंग एक आईपीओ के लिए दायर किया गया था. ओर आईपीओ की कीमत 600 करोड़ की थी.

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सेबी के नए मार्जिन नियम आज से लागू, यहां जानिए अपने हर सवाल का जवाब

कैश मार्केट में मार्जिन से जुड़े ने नियम 1 सितंबर से लागू हो गए हैं. सेबी ने इसे कुछ समय टालने की अपील ठुकरा दी है

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सेबी मार्जिन के दो तरह के नियमों को लागू करना चाहता है. पहला नियम कैश मार्केट में अपफ्रंट मार्जिन से संबंधित है.

मैं मार्जिन को पूरी तरह से नहीं समझता, क्या मुझे इसके बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मार्जिन का मतलब उस रकम से है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में होती है. सामान्य रूप से निवेशक को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जमा रकम से शेयर खरीदने की इजाजत होनी चाहिए. लेकिन, व्यवहार में मामला थोड़ा अलग है. कई ब्रोकिंग कंपनियां अपने क्लाइंट को शेयर खरीदने के लिए रकम उधार देती हैं. इसे लिवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग कहते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में यह ज्यादा देखने को मिलता है.

फिर, 1 सितंबर से क्या बदलने जा रहा है?
पहले हम यह समझते हैं कि शेयरों की डिलीवरी किस तरह होती है. अभी बाजार में डिलीवरी के लिए टी+2 (ट्रेडिंग प्लस दो दिन) मॉडल का पालन होता है. इसका मतलब है कि अगर आप सोमवार को शेयर खरीदते या बेचते हैं तो यह बुधवार को डेबिट या क्रेडिट होगा. इसी तरह शेयर का पैसा भी बुधवार को आपके अकाउंट में आएगा या उससे जाएगा. इस मॉडल में ब्रोकर्स क्लाइंट के अकाउंट में पैसा नहीं होने पर भी शेयर खरीदने की इजाजत देते हैं. यह इस शर्त पर किया जाता है कि आप पैसा टी+1 या टी+2 दिन में चुका देंगे.

अब सेबी ने जो नया नियम बनाया है, उसमें ब्रोकर को सौदे की कुल वैल्यू का 20 फीसदी क्लाइंट से अपफ्रंट लेना होगा. इसका मतलब यह है कि सौदे के वक्त क्लाइंट (रिटेल निवेशक) को 20 फीसदी रकम चुकाना होगा. उदाहरण के लिए अगर रिटेल निवेशक रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक लाख रुपये मूल्य के शेयर खरीदता है तो ऑर्डर प्लेस करने से पहले उसके ट्रेडिंग अकाउंट में कम से कम 20,000 रुपये होने चाहिए. बाकी पैसा वह टी+1 या टी+2 दिन में या ब्रोकर के निर्देश के मुताबिक चुका सकता है. सेबी के नए नियम के मुताबिक शेयर बेचते वक्त भी आपके ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन होना चाहिए.

शेयर बेचने के लिए मेरे ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन क्यों होना चाहिए?
सेबी ने सोच-समझकर यह नियम लागू किया है. इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. मान लीजिए आप सोमवार को 100 शेयर बेचते हैं. ये शेयर आपको अकाउंट से बुधवार को डेबिट होंगे. लेकिन, अगर आप मंगलवार (डेबिट होने से पहले) को इन शेयरों को किसी दूसरे को ट्रांसफर कर देते हैं तो सेटलमेंट सिस्टम में जोखिम पैदा हो जाएगा.

ब्रोकिंग कंपनियों के पास ऐसा होने से रोकने के लिए हथियार होते हैं. 95 फीसदी मामलों में ऐसा नहीं होता है. सेबी ने यह नियम इसलिए लागू किया है कि 5 फीसदी मामलों में भी ऐसा न हो.

यह नियम कुछ ज्यादा सख्त लगता है, क्या इसका कोई दूसरा तरीका नहीं है?
इसका दूसरा तरीका है. सेबी ने बगैर मार्जिन शेयर बेचने की इजाजत दी है. लेकिन, इसमें शर्त यह है कि ब्रोकर के पास ऐसा सिस्टम होना चाहिए, जिसमें शेयर बेचने के दिन वह शेयरों को क्लाइंट के अकाउंट से अपने अकाउंट में ट्रांस्फर कर लें. लेकिन, इसमें कुछ ऑपरेशनल दिक्कतें हैं.

इस नियम का बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
विश्लेषकों और इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए नियमों से ट्रेडिंग वॉल्यूम घटेगा. लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि पिछले 25 साल में जब भी नए नियम लागू किए गए, बाजार ने उसके हिसाब से खुद को ढाल लिया. नए नियम बाजार में जोखिम घटाने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए लागू किए जाते हैं.

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