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करेंसी ट्रेड

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जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (Representative Image)

OSTTRA की इंडियन यूनिट विश्व भर में पोस्ट-ट्रेड उत्पाद मुहैया कराएगी

लंदन स्थित कंपनी OSTTRA अपने भारतीय परिचालन (Indian operations) का इस्तेमाल निवेश बैंकरों, हेज फंड, परिसंपत्ति प्रबंधकों, प्राइम ब्रोकर्स और अन्य संस्थागत निवेशकों के लिए मुद्रा करेंसी ट्रेड और प्रतिभूति बाजारों में पोस्ट-ट्रेड समाधान (सॉल्यूशन) प्रदान करने के लिए करेगी, जो भू-राजनीतिक तनाव और कोविड -19 के बाद की परिस्थितियों के बीच विश्व भर में उतार-चढाव का सामना कर रहे हैं।

OSTTRA, एसएंडपी ग्लोबल और सीएमई की एक संयुक्त उद्यम है, जो पोस्ट-ट्रेड समाधान प्रदान करता है। गुरुग्राम में इसका सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है।

OSTTRA में विदेशी मुद्रा और प्रतिभूति प्रभाग के प्रमुख जोआना डेविस ने 'बिजनेस स्टैंडर्ड' को बताया, "मुद्रा बाजार, इक्विटी (नकद और डेरिवेटिव दोनों) को लेकर कंपनी के सभी नवाचार, नए उत्पाद गुरुग्राम में हमारे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस से निकल बाहर आ रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि कंपनी की गुरुग्राम इकाई में भी बडी टीम -ऑपरेशन (operations) की तैनाती है। डेविस ने कहा, “हम भारत से पूरी दुनिया में अपने ग्राहकों को सपोर्ट कर रहे हैं। गुरुग्राम में हमारी टीम के सदस्य पूरी दुनिया में ग्राहकों से बात करते हैं और उनकी परिचालन (operational) संबंधी समस्याओं का समाधान करते हैं। भारतीय टीम बेहद प्रभावी है। इसलिए, भारत से वैश्विक स्तर पर OSTTRA के बिजनेस को बढावा देने के लिए हमने प्रौद्योगिकी (technology) और संचालन (operations) को लेकर यहां दो अलग टीमें बनायी है ।"

गुड़गांव केंद्र ने एक उत्पाद बनाया है जो प्रतिभागियों (participants) को वायदा बाजार में लेनदेन की प्रगति को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है।

उन्होंने कहा, "हमने सीएमई, यूएस-आधारित वैश्विक डेरिवेटिव मार्केट प्लेस और यूरोप-आधारित डेरिवेटिव्स के लिए वैश्विक एक्सचेंज -यूरेक्सेस के लिए सीसीपी कनेक्टिविटी का निर्माण किया है। हम वर्तमान में सिंगापुर एक्सचेंज लिमिटेड के लिए इसका निर्माण कर रहे हैं।"

डेविस ने कहा कि कोविड -19 के प्रकोप और रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण उपजे भू-राजनीतिक तनाव के बाद वायदा बाजारों में जोखिम बढ़ गया है।

उन्होंने कहा, "उन जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए, गुरुग्राम केंद्र ने वायदा बाजारों में वास्तविक समय (रियल टाइम) में ट्रेड को ट्रैक करने और निश्चितता और सटीकता बढ़ाने के लिए एक उत्पाद बनाया है। "हम इस उत्पाद को बेचने के लिए सभी बाजार सहभागियों (participants) से बात कर रहे हैं । इस उत्पाद को OSTTRA ETD (एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव क्लाइंट लिंक) कहा जाता है।"करेंसी ट्रेड

कोविड -19 और भू-राजनीति के अलावा, दुनिया भर के बाजार सहभागियों को नए नियमों को पूरा करना होगा। उदाहरण के लिए, यूएस में फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन ने अनिवार्य किया है कि निष्पादन के 90 मिनट के भीतर एक ट्रेड (व्यापार) को क्लियर किया जाना चाहिए।

डेविस ने कहा, "हम वास्तविक समय (रियल टाइम) में ट्रेड की सुविधा प्रदान करते हैं। हमें 90 मिनट की आवश्यकता नहीं है, हम इसे पांच मिनट में कर सकते हैं।" करेंसी ट्रेड ये सभी उत्पाद या तो नए हैं या गुड़गांव केंद्र द्वारा मुद्रा और प्रतिभूति बाजारों में OSTTRA के वैश्विक ग्राहकों के लिए अपग्रेड किए गए हैं ।

क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency)

डेविस ने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी मुद्रा क्षेत्र (currency space) में एक नया अवसर है और हमारी टीम इसके लिए तैयार है। इसको लेकर भारत में एक टीम भी बनायी है, जैसे हम किसी अन्य करेंसी ट्रेड को निष्पादित करते हैं उसी तरह से क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेड को भी निष्पादित करने की क्षमता हमने विकसित कर ली है ।"

हालांकि, संस्थागत निवेशकों की तरफ से क्रिप्टो में ट्रेडिंग वॉल्यूम बहुत कम है। "अगर मुझे क्रिप्टो व्यापार करने वाले संस्थागत निवेशक मिलते हैं, तो मैं उनके लिए उसी तरह से से काम कर सकता हूं जैसे मैं आज एनडीएफ (नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड) के लिए करता हूं। वर्तमान में, संस्थागत निवेशकों की रुचि क्रिप्टो में बहुत कम है। बाजार मानकीकृत नियमों की प्रतीक्षा कर रहा है जो संस्थागत निवेशकों को क्रिप्टो में पूरे दिल से व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।"

OSTTRA ने पहले कहा था कि वह गुरुग्राम इकाई में 2023 में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर 400 और 2024 तक 600 करेगी । इस बाबत डेविस ने कहा "हमारे पास पहले से ही केंद्र में 300 लोग काम कर रहे हैं और हम इस संख्या को पूरा करने की दिशा में अग्रसर हैं।"

Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस

अगर आप क्रिप्टो करेंसी में निवेश की योजना बना रहे हैं तो इनकी ट्रेडिंग के लिए लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.

Crypto Currency में निवेश का है इरादा, तो जान लें इनकी ट्रेडिंग पर लगती है कौन-कौन सी फीस

जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो इसे बेच सकते हैं. (Representative Image)

Trading in Crypto Currencies: दुनिया भर में निवेशकों के बीच क्रिप्टो करेंसी में निवेश को लेकर आकर्षण बढ़ रहा है. इसमें क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज के जरिए ट्रेडिंग होती है. इस एक्सचेंज पर मौजूदा मार्केट वैल्यू के आधार पर क्रिप्टो करेंसीज को खरीदा-बेचा जाता है. जहां इनकी कीमत मांग और आपूर्ति के हिसाब से तय होती है. जिस तरह से स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं, वैसे ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर एक निश्चित प्राइस पर क्रिप्टो करेंसी खरीद सकते हैं और जब मुनाफा मिले तो बेच सकते हैं. स्टॉक एक्सचेंज की तरह ही क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज पर भी ट्रेडिंग के लिए फीस चुकानी होती है. इसलिए अगर आपने क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो पहले इनकी ट्रेडिंग पर लगने वाली तीन तरह की ट्रांजैक्शन फीस के बारे में जरूर जान लें.

एक्सचेंज फीस

  • क्रिप्टो खरीद या बिक्री ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक्सचेंज फीस चुकानी होती है. भारत में अधिकतर क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज का फिक्स्ड फीस मॉडल है, लेकिन ट्रांजैक्शन की फाइनल कॉस्ट उस प्लेटफॉर्म पर निर्भर होती है जिस पर ट्रांजैक्शन पूरा हुआ है. ऐसे में इसे लेकर बेहतर रिसर्च करनी चाहिए कि कौन सा क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज सबसे कम ट्रांजैक्शन फीस ले रहा है.
  • फिक्स्ड फीस मॉडल के अलावा क्रिप्टो एक्सचेंज में मेकर-टेकर फी मॉडल भी है. क्रिप्टो करेंसी बेचने वाले को मेकर कहते हैं और इसे खरीदने वाले को टेकर कहते हैं. इस मॉडल के तहत ट्रेडिंग एक्टिविटी के हिसाब से फीस चुकानी होती है.

नेटवर्क फीस

  • क्रिप्टोकरेंसी माइन करने वालों को नेटवर्क फीस चुकाई जाती है. ये माइनर्स करेंसी ट्रेड शक्तिशाली कंप्यूटर्स के जरिए किसी ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करते हैं और ब्लॉकचेन में जोड़ते हैं. एक तरह से कह सकते हैं कि कोई ट्रांजैक्शंन सही है या गलत, यह सुनिश्चित करना इन माइनर्स का काम है. एक्सचेंज का नेटवर्क फीस पर सीधा नियंत्रण नहीं होता है. अगर नेटवर्क पर भीड़ बढ़ती है यानी अधिक ट्रांजैक्शन को वेरिफाई और वैलिडेट करना होता है तो फीस बढ़ जाती है.
  • आमतौर पर यूजर्स को थर्ड पार्टी वॉलेट का प्रयोग करते समय ट्रांजैक्शन फीस को पहले से ही सेट करने की छूट होती है. लेकिन एक्सचेंज पर इसे ऑटोमैटिक एक्सचेंज द्वारा ही सेट किया जाता है ताकि ट्रांसफर में कोई देरी न हो. जो यूजर्स अधिक फीस चुकाने के लिए तैयार हैं, उनका करेंसी ट्रेड ट्रांजैक्शन जल्द पूरा हो जाता है और जिन्होंने फीस की लिमिट कम रखी है, उनके ट्रांजैक्शन पूरा होने में कुछ समय लग सकता है. माइनर्स को इलेक्ट्रिसिटी कॉस्ट और प्रोसेसिंग पॉवर के लिए फीस दी जाती है.

वॉलेट फीस

  • क्रिप्टो करेंसी को एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. यह करेंसी ट्रेड वॉलेट एक तरह से ऑनलाइन बैंक खाते के समान होता है जिसमें क्रिप्टो करेंसी को सुरक्षित रखा जाता है. अधिकतर वॉलेट में क्रिप्टो करेंसी के डिपॉजिट और स्टोरेज पर कोई फीस नहीं ली जाती है, लेकिन इसे निकालने या कहीं भेजने पर फीस चुकानी होती है. यह मूल रूप से नेटवर्क फीस है. अधिकतर एक्सचेंज इन-बिल्ट वॉलेट की सुविधा देते हैं.
  • क्रिप्टो वॉलेट्स सिस्टमैटिक क्रिप्टो करेंसी खरीदने का विकल्प देते हैं और इसके इंटीग्रेटेड मर्चेंट गेटवे के जरिए स्मार्टफोन व डीटीएस सर्विसेज को रिचार्ज कराया जा सकता है.
    (Article: Shivam Thakral, CEO, BuyUcoin)
    (स्टोरी में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दिए गए सुझाव लेखक के हैं. फाइनेंशियल एक्सप्रेस ऑनलाइन इनकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता. निवेश से पहले अपने सलाहकार से जरूर परामर्श कर लें.)

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1914 में छपा था पहला डॉलर, जानें क्‍या है दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी का इतिहास

डॉलर मौजूदा समय में विश्व की सबसे मजबूत करेंसी मानी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि हर देश की करेंसी अलग-अलग होती है। लेकिन दुनिया में ट्रेड करने के लिए किसी एक करेंसी की जरूरत थी। ये डॉलर से पूरी होती है।

1914 में छपा था पहला डॉलर, जानें क्‍या है दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी का इतिहास

रुपये ने डॉलर तोड़ा अपना पिछला रिकॉर्ड कर 79.99 के निचले स्तर पर पहुंच गया है।

डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी अब तक के सबसे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है। मंगलवार को बाजार खुले तो 1 डॉलर 80 रुपए से भी ऊपर हो गया। वैसे ग्राफ देखें तो इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी से अधिक गिर चुका है। माना जा रहा है कि रुपए में एक बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है, क्योंकि फिलहाल अमेरिकी करेंसी ने यूरो को भी पीछे छोड़ दिया है। अपने जन्म के बाद ये पहला मौका है जब यूरो डॉलर से पिटा। ऐसे में रुपए को लेकर वैश्विक बाजार बहुत ज्यादा आशान्वित नहीं है।

डॉलर मौजूदा समय में विश्व की सबसे मजबूत करेंसी मानी जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि हर देश की करेंसी अलग-अलग होती है। लेकिन दुनिया में ट्रेड करने के लिए किसी एक करेंसी की जरूरत थी। ये डॉलर से पूरी होती है। ऐसे में हर देश के पास डॉलर का एक फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व रहता है, जिसका इस्तेमाल कर के वह देश की जरूरत की चीजों को आयात करता है। इस सारे खेल में सबसे अधिक फायदा होता है अमेरिका को, क्योंकि वह अपने डॉलर से किसी भी देश से अपनी जरूरत की कोई भी चीज खरीद सकता है। अपनी जरूरतों के लिए उसे सिर्फ कुछ अतिरिक्त डॉलर छापने होंगे।

अमेरिका की करेंसी की मजबूती का इतिहास पुराना है। डॉलर पहली बार 1914 में छपा था। अमेरिका में फेडरल एक्ट लागू होने के साथ केंद्रीय बैंक के रूप में फेडरल रिजर्व की स्थापना हुई। उसके 1 साल बाद करेंसी की प्रिंटिंग शुरू हुई। फेडरल बैंक ने एंड्रयू जैक्सन की तस्वीर के साथ 10 डॉलर मूल्यवर्ग में पहली बार नोट जारी किया था। उसके 3 दशक बाद डॉलर आधिकारिक तौर पर दुनिया की रिजर्व करेंसी बन गई।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक पहले विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों ने अमेरिकी सप्लाई के बदले में सोने का भुगतान किया था। उसके बाद अमेरिका सोने का सबसे ज्यादा स्टोरेज करने वाला देश बनव गया। लड़ाई खत्म हुई तो गोल्ड स्टैंडर्ड को खत्म करने के लिए देशों ने अपनी करेंसी को डॉलर के सामने सरेंडर कर दिया। अमेरिका में पहली पेपर करेंसी का इस्तेमाल 1690 में उस समय हुआ था, जब मैसाचुसेट्स बे कॉलोनी ने कॉलोनियल नोट जारी किए थे। इन नोटों का इस्तेमाल सैन्य अभियानों के लिए फंडिंग के तौर पर होता था। अमेरिका ने 1785 में आधिकारिक तौर पर डॉलर के सिंबल को अपनाया। तब से ये लगातार चलन में है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुसार सभी विदेशी बैंकों के करेंसी भंडार में 59 फीसदी हिस्सा अमेरिकी डॉलर में है। हालांकि अमेरिका की इस करेंसी की मजबूत स्थिति के बावजूद एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी नहीं है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की करेंसी की लिस्ट में यह 10वें नंबर पर है। इस लिस्ट में पहले नंबर पर कुवैती दीनार है। लेकिन फिर भी डॉलर के बगैर कुछ नहीं।

International Trade Settlement in Rupee: रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार की अनुमति देना अहम फैसला, दुनिया में बढ़ेगी भारतीय करेंसी की साख

International Trade Settlement in Rupee रुपये की लगातार गिरती कीमत और बढ़ते व्यापार घाटे के दबाव के बीच आरबीआइ के इस फैसले का दूरगामी महत्व है। इससे एक अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में रुपये की स्वीकार्यता भी बढ़ेगी।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में करने की अनुमति देना (International Trade Settlement in Rupee) एक सामयिक और दूरगामी महत्व का फैसला है। विशेषज्ञों के अनुसार, मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 11 जुलाई, 2022 को आरबीआइ ने बैंकों से रुपये में निर्यात-आयात के भुगतान के लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने के लिए कहा था। आरबीआइ के इस फैसले का उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देने के साथ घरेलू मुद्रा में वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहन करना है। यह बात आरबीआइ के पूर्व कार्यकारी निदेशक जी पद्मनाभन ने कही है।

डिजिटल उधारी पर अत्यधिक ब्याज लेने और कर्ज वसूली मामले पर आरबीआइ सख्त। फाइल फोटो।

बढ़ेगी रुपये की साख

आईएमसी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि करेंसी ट्रेड आरबीआइ द्वारा रुपये में भुगतान की अनुमति देना निश्चित रूप से एक कदम आगे का फैसला है। उधर डीबीएस बैंक की वरिष्ठ अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक राधिका राव ने कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निपटान मुद्रा के रूप में रुपये की भूमिका को स्थापित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, "यह रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में एक बहुत ही सामयिक और मजबूत कदम है।" राव ने हालांकि यह भी कहा कि इस घोषणा को रुपये को मजबूत बनाने के उपाय के रूप में नहीं देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह फैसला एक निश्चित दिशा में घरेलू मुद्रा को आगे बढ़ाने के बजाय रुपये के उपयोग का विस्तार करने के बारे में है।

How different is Digital Currency from UPI, Paytm, PhonePe and Google Pay

कैसे काम करेगी ये व्यवस्था

आरबीआइ द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि रुपया चालान प्रणाली को लागू करने से पहले अधिकृत डीलर (एडी) बैंकों को आरबीआइ के विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी। किसी भागीदार देश का बैंक एक विशेष आईएनआर वोस्ट्रो खाता खोलने के लिए भारत में किसी एडी बैंक से संपर्क कर सकता है। एडी बैंक, रिजर्व बैंक से अनुमति मांगेगा। पद्मनाभन ने कहा कि इस अनुमोदन प्रक्रिया के साथ केंद्रीय बैंक इस बात पर नजर रखना चाहता है कि वास्तव में ये खाते आयात-निर्यात को रुपये में सेटल करने के लिए खोले जा रहे हैं या नहीं। खाता कौन खोल रहा है? कौन सा देश खाता खोल रहा है? किस तरह के लेन-देन हो रहे हैं? शुरुआत में आरबीआइ इन सभी चीजों पर नजर रखना चाहेगा।

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