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अगर खुद निवेश कर रहे हैं

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बीच में न रोकें एसआईपी:
अक्सर देखा गया है कि बाजार में गिरावट आने पर निवेशक एसआईपी रोक देते हैं या पैसा निकाल लेते हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि गिरते बाजार के साथ शेयर भी सस्ते होते हैं और आपको कम पैसे में ज्यादा यूनिट मिलते हैं। फिर जब बाजार चढ़ता है तो आपकी यूनिटों की कीमत बढ़ जाती हैं, इसलिए एसआईपी बीच में रोकना आपके लिए घाटे का सौदा साबित होता है।

10 लाख रुपये इनवेस्ट करना चाहते हैं? जानिए नीरज चोकसी की क्या है सलाह

Neeraj Choksi ने कहा कि निवेशकों को कम से कम 5 साल तक शेयरों में पैसे बनाए रखना चाहिए। इससे पैसा डूबने की आशंका कम हो जाती है

चोकसी ने कहा कि लोग म्यूचुअल फंड्स की कई स्कीमों में इनवेस्ट करते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। एक निवेशक के लिए 4-5 स्कीमें पर्याप्त हैं।

बाजार में उतार-चढ़ाव के बीच भी निवेश किया जा सकता है। इसकी वजह यह है कि निवेश के लिए सही समय की पहचान करना किसी के लिए मुमकिन नहीं है। अगर आप पहली बार शेयरों में निवेश कर रहे हैं तो आपको धीरे-धीरे शेयरों में पैसे लगाना चाहिए। यह कहना है कि एनजे इंडिया इनवेस्ट (NJ India Invest) के को-फाउंडर नीरज चोकसी (Neeraj Choksi) का। एनजे इंडिया इनवेस्ट इंडिया का सबसे बड़ा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर है।

चोकसी ने शेयर बाजार की मौजूदा स्थिति के बारे में मनीकंट्रोल से खुलकर बातचीत की। उन्होंने यह भी बताया कि निवेशकों को किस तरह की निवेश रणनीति अपनानी चाहिए।

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चोकसी ने कहा कि निवेशकों को कम से कम 5 साल तक शेयरों में पैसे बनाए रखना चाहिए। इससे पैसा डूबने की आशंका कम हो जाती है। दूसरा, निवेशकों को फ्लेक्सीकैप फंड में निवेश करना चाहिए। साल में एक बार या हर छह महीने पर अपने पोर्टफोलियो की रीबैलेंसिंग जरूरी है।

निवेश के दूसरे विकल्पों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, गोल्ड म्यूचुअल फंड्स और सॉवरेन गोल्ड फंड की वजह से गोल्ड में निवेश करना आसान हो गया है। लेकिन, बतौर फाइनेंशियल एसेट्स निवेशकों को कमोडिटीज और फाइनेंशियल एसेट्स में निवेश की सलाह नहीं दी जा सकती। कमोडिटीज का नेचर बहुत साक्लिकल है, जिससे इसमें सही समय पर एंट्री और एग्जिट अगर खुद निवेश कर रहे हैं मुश्किल होता है। रियल एस्टेट में लिक्विडिटी नहीं है।

चोकसी ने कहा कि लोग म्यूचुअल फंड्स की कई स्कीमों में इनवेस्ट करते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। एक निवेशक के लिए 4-5 स्कीमें पर्याप्त हैं। आपका मकसद डायवर्सिफिकेशन होना चाहिए। डायवर्सिफिकेशन के लिए कई स्कीमों में निवेश करने के बजाय आपको स्कीम के मैनेजमेंट स्टाइल को देखना चाहिए। उदाहरण के लिए लार्जकैप, मिडकैप, एक्टिव फंड्स, स्मार्ट बीटा फंड्स आदि की मदद से आप डायवर्सिफिकेशन कर सकते हैं। इससे आपकी एक स्कीम का पोर्टफोलियो दूसरी स्कीम के पोर्टफोलियो से मैच नहीं करेगा।

उन्होंने कहा कि किसी स्कीम में निवेश करने से पहले आपको यह देख लेना चाहिए कि उसमें निवेश से आपका मकसद पूरा होता है या नहीं। आपको फंड हाउस के इनवेस्टमेंट प्रोसेस को भी देखना चाहिए। अगर आपको कोई फंड अपने हिसाब से सही लगता है तो इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह नया है या पुराना है।

जानिए म्यूचुअल फंड से जुड़े हर सवाल का जवाब

​निवेशक म्यूचुअल फंड में क्यों निवेश कर रहे हैं?

बाजार में गिरावट है. इसलिए इक्विटी म्यूचुअल फंडों का रिटर्न भी कमजोर है. हालांकि, कई निवेशक अब भी म्यूचुअल फंडों में पैसा लगा रहे अगर खुद निवेश कर रहे हैं हैं. उन्हें भरोसा है कि बाजार में तेजी आने पर म्यूचुअल फंडों का रिटर्न बढ़ेगा. पहले भी ऐसा हो चुका है. बेशक लंबी अवधि में अन्य एसेट क्लास के मुकाबले अगर खुद निवेश कर रहे हैं इक्विटी म्यूचुअल फंड अच्छा रिटर्न देते हैं. लेकिन, छोटी अवधि में इनके साथ अस्थिरता भी होती है. छोटी अवधि में ये निगेटिव रिटर्न भी दे सकते हैं.

​क्या सभी म्यूचुअल फंड शेयरों में निवेश नहीं करते हैं?

शेयरों में निवेश करने वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड के अलावा डेट म्यूचुअल फंड भी होते हैं. ये डेट इंस्ट्रूमेंट या फिक्स्ड इनकम प्रतिभूतियों में पैसा लगाते हैं. इसके अलावा हाइब्रिड स्कीमें भी हैं. ये डेट और इक्विटी में मिलाजुलाकर पैसा लगाती हैं. इसी तरह सोने में निवेश करने वाले गोल्ड फंड, विदेश में पैसा लगाने वाली इंटरनेशनल स्कीमें और किसी खास सेक्टर पर दांव लगाने वाले थीमैटिक/सेक्टर फंड भी होते हैं.

​स्कीम का चुनाव किस तरह करना चाहिए?

आपको अपने लक्ष्य, बचे हुए समय और अपनी रिस्क प्रोफाइल को देखकर म्यूचुअल फंड स्कीम का चुनाव करना चाहिए. उदाहरण के लिए अगर आप छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप जोखिम नहीं ले सकते हैं. यही कारण है कि आपको अपना पैसा फिक्स्ड डिपॉजिट या डेट म्यूचुअल फंड स्कीम में लगाना चाहिए. अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप थोड़ा जोखिम ले सकते हैं. यही वजह है कि अगर बाजार में उठापटक से निवेश के रास्ते में कुछ अड़चन आती हैं तो वह लंबी अवधि में उसकी भरपाई कर लेता है. इसी के चलते लंबी अवधि के लक्ष्यों को पाने के लिए इक्विटी म्यूचुअल फंडों का सुझाव दिया जाता है.

​क्या निवेश करने में समय का ध्यान रखना जरूरी है?

इक्विटी और डेट स्कीमें कई तरह की होती हैं. यह जरूरी है कि आप ऐसी डेट स्कीम चुनें जो आपके निवेश के नजरिये से मेल खाती हो. उदाहरण के लिए अगर निवेश का नजरिया कुछ महीनों का है तो लॉन्ग ड्यूरेशन स्कीम में पैसा नहीं लगाया जा सकता है. कुछ महीनों के लिए अपना पैसा लगाने की खातिर अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन स्कीम सही है. इसी तरह लार्जकैप स्कीमों में मल्टीकैप स्कीम की तुलना में कम जोखिम होता है. यही वजह है कि लार्जकैप स्कीमों में उन निवेशकों को पैसा लगाने का सुझाव दिया जाता है जो बहुत जोखिम नहीं ले सकते हैं. वहीं, जो निवेशक थोड़ा जोखिम ले सकते हैं, उन्हें मल्टीकैप स्कीमें चुननी चाहिए. आक्रामक निवेशक मिडकैप और स्मॉलकैप स्कीमें चुन सकते हैं.

​क्या अब आप निवेश के फैसले खुद ले सकते हैं?

अगर आपका जवाब हां में है तो आप आगे बढ़ सकते हैं. नहीं तो आपको म्यूचुअल फंड एडवाइजर की सलाह लेनी चाहिए. कई निवेशकों को यह बात पसंद नहीं आती है. लेकिन, हम मानते हैं कि बिना किसी मदद के उन्हीं निवेशकों को पैसा लगाना चाहिए जो म्यूचुअल फंड में निवेश के बारे में अच्छी तरह समझते हैं. दूसरों को एडवाइजर की मदद से ही निवेश करना चाहिए. कई निवेशक बाजार में मुश्किल समय के दौरान अपना धैर्य खो देते हैं. म्यूचुअल फंड एडवाइजर की सलाह से ऐसी स्थितियों से निपटने में मदद मिलती है.

SIP Investment Tips: SIP शुरू करते समय रखें इन बातों का खयाल, वरना झेलना पड़ सकता है भरी नुकसान

SIP Investment Tips: वैसे तो सिप में निवेश करना ज्यादातर फायदे का सौदा ही साबित होता है, लेकिन कई बार कम जानकारी के कारण एसआईपी निवेशक कुछ गलतियां कर बैठते हैं। अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने जा रहे हैं तो इन गलतियों से जरूर बचें-

Updated: October 08, 2021 04:33:09 pm

(SIP Investment Tips), नाई दिल्ली. सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी एसआईपी (SIP) म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे पॉपुलर तरीका हो गया है। एसआईपी उन लोगो के लिए बेहतर है जो शेयर बाजार की पेचीदगियों से खुद को दूर रखना चाहते हैं और जो मार्केट के जोखिम से बचना चाहते हैं।

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आपको बता दें कि एसआईपी से आप अपनी पसंद के म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में अपनी सुविधा के हिसाब से नियमित रूप से एक निश्चित धनराशि जमा कर सकते हैं। आज– कल लोग फंड्स की बदलती नेट असेट वैल्‍यू (NAV) के आधार पर अपने निवेश को संतुलित कर अच्‍छा पैसा बनाते हैं।


हमेशा बाजार के उछाल पर न करे निवेश:
शेयर बाजार में जब उछाल होता है तो कई निवेशक फायदा उठाने के लिए म्यूचुअल फंड में बिना सोचे निवेश करना शुरू कर देते हैं। लेकिन बाजार हमेशा स्थिर नहीं रहता, कभी ऊपर तो कभी नीचे होता रहता है। इसलिए बाजार देखकर कभी निवेश ना करें.
म्यूचुअल फंड में निवेश हमेशा अनुशासन और धैर्य से करना चाहिए, इसलिए सिस्टेमेटिक निवेश योजना के जरिये आप एक निश्चित अंतराल में थोड़ी-थोड़ी रकम किसी फंड में डाल सकते हैं। ये आपके बाजार को जोखिम से बचाता है।


गिरते बाजार पर क्या करें:
ऐसे कई निवेशक हैं, जो बाजार नीचे आने पर अगर खुद निवेश कर रहे हैं एसआईपी रोक देते हैं और बाजार बढ़ते समय निवेश शुरू करते हैं. यह निवेश के बुनियादी सिद्धांत ‘बाय लो एंड सेल हाई’ के बिल्कुल उलट है। यह फैसला आपको घाटे अगर खुद निवेश कर रहे हैं में डाल सकता है। गिरते बाजार के समय भी निवेश जारी रखकर इस गलती से बच सकते हैं। बाजार की चाल का आकलन करने के बजाय निवेश अवधि के साथ मेल खाते फंड्स की कैटेगरी में निवेश करना चाहिए। इस तरह, आप निवेश की गई पूंजी को खोए बिना सही फंड चुन सकते हैं।


कम एनएवी का सस्ते फंड से मतलब नहीं:
कई खुदरा निवेशक कम एनएवी (Low NAV) को सस्‍ते फंड के तौर पर लेते हैं और उनमें एसआईपी के जरिये निवेश करके ज्यादा रिटर्न की उम्‍मीद करते हैं।

बता दें कि किसी फंड की एनएवी ज्‍यादा या कम होने के कई कारण हो सकते हैं। किसी फंड की एनएवी उसके असेट अंडर मैनेजमेंट की मार्केट प्राइस पर निर्भर करती है। अच्छे मैनेजर्स वाले फंड की एनएवी दूसरे फंड्स के मुकाबले ज्‍यादा तेजी से बढ़ेगी, इस ही तरह नए फंड की एनएवी पुराने फंड के मुकाबले कम होगी क्‍योंकि नए फंड को ग्रोथ के लिए कम समय मिला है।

ऐसे में निवेशकों को म्‍यूचुअल फंड में सिप के जरिये निवेश करते समय उसकी एनएवी पर ज्‍यादा ध्‍यान देने की जरूरत नहीं है। निवेशक को कंपनी के पिछले प्रदर्शन पर ध्‍यान देना चाहिए और भविष्‍य की योजनाओं पर फोकस करना चाहिए।


लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट पर दें ध्यान:
म्यूचुअल फंड में निवेश से अच्छा रिटर्न की उम्मीद जल्दी न करें, किसी साल आपको अच्छा रिटर्न मिले और किसी साल कम रिर्टन, ऐसे में निवेश न रोकें। दरअसल म्यूचुअल फंड के जरिये शेयरों में निवेश से अच्छे रिटर्न के लिए 5 से 7 साल के समय की जरूरत होती है। देखा गया है कि लंबे समय तक शेयरों में निवेश अच्छा रिटर्न देता रहा है, इसलिए खराब रिटर्न पर अपना पैसा तुरंत न निकालें।

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बीच में न रोकें एसआईपी:
अक्सर देखा गया है कि बाजार में गिरावट आने पर निवेशक एसआईपी रोक देते हैं या पैसा निकाल लेते हैं। यहां ध्यान रखने वाली बात ये है कि गिरते बाजार के साथ शेयर भी सस्ते होते हैं और आपको कम पैसे में ज्यादा यूनिट मिलते हैं। फिर जब बाजार चढ़ता है तो आपकी यूनिटों की कीमत बढ़ जाती हैं, इसलिए एसआईपी बीच में रोकना आपके लिए घाटे का सौदा साबित होता है।


टारगेट कर करें निवेश:
म्यूचुअल फंड के तहत निवेश करने से पहले आपके अपने टारगेट साफ होने चाहिए कि आप किस काम के लिए पैसा इकट्ठा कर रहे हैं। तभी आप सही फंड चयन कर अगर खुद निवेश कर रहे हैं सकेंगे, जो लोग बिना टारगेट निवेश करते है वे अक्सर गलत फंड में अपना पैसा लगा देते हैं।

स्थिरता रखें:
फंड के मामले में दूसरों की देखा-देखी या खरीद-बिक्री न करें इस से आपको नुकसान हो सकता है, हर किसी के वित्तीय लक्ष्य और स्थितियां एक जैसी नहीं होती हैं। इसलिए अपने टारगेट और जेब के हिसाब से निवेश करें, कई बार हम फंड के पिछले प्रदर्शन के आधार पर निवेश करते हैं लेकिन ध्यान रखें कि फंड का रिटर्न बदलता रहता है. फंड का मूल्य हर तिमाही में बदलता है।

अगर जमीन में निवेश का बना रहे हैं प्‍लान तो पहले इन तीन मानकों पर करें मूल्यांकन

शहरी निवेशकों के लिए जमीन खरीदने के मायने बिल्कुल अलग हैं। जमीन के एक हिस्से को एक डेवलपर काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहा है और मार्केटिंग के तरीकों से खरीदारों को साधने में लगा है। यह ट्रेंड देखने लायक है। इसमें चुनौतियां भी हैं और अवसर भी।

जेएनएन, नई दिल्ली: भारत में जमीन या अचल संपत्ति में निवेश अनादि काल से निवेशकों के पोर्टफोलियो में रहा है। जब हम जमीन में निवेश की बात करते हैं तो देश की बहुसंख्यक आबादी जो किसान के रूप में गांवों में रहती है, उन्हें नहीं भुलाया जा सकता है। बाकी जो लोग खेती नहीं करते हैं, वे भी किसी न किसी तरह से कृषि से जुड़े हुए हैं। बाजार के निवेश विशेषज्ञ आशुतोष बिश्नोई कहते हैं कि अब शहरी निवेशकों के लिए जमीन खरीदने के मायने बिल्कुल अलग हैं। जमीन के एक हिस्से को एक डेवलपर काफी बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहा है और मार्केटिंग के तरीकों से खरीदारों को साधने में लगा है। यह ट्रेंड देखने लायक है। इसमें चुनौतियां भी हैं और अवसर भी।

Real estate sector will be strengthened by increasing the limit of tax benefit on home loan

यदि आप ऐसी जमीन खरीद पर विचार करने के इच्छुक हैं तो आगे बढ़ने से पहले जिस जमीन को आप खरीदने जा रहे हैं, उसका मूल्यांकन तीन बुनियादी मानकों पर किया जाना चाहिए। यह मानक सेफ्टी, लिक्विडिटी और रिटर्न हैं।

सेफ्टी: सुरक्षा के तहत जो जमीन आप खरीदने जा रहे हैं उसका मालिकाना हक विक्रेता के पास होना चाहिए। इस पर अच्छी तरह से गौर करें। यदि आप जमीन खुद के इस्तेमाल के लिए खरीदने की योजना बना रहे हैं तो इसे अच्छी तरह से समझें।

पेशकश का न्यूनतम मूल्य 830.63 रुपये प्रति शेयर है।

लिक्विडिटी: जो लोग रियल एस्टेट निवेश से तत्काल और बहुत जल्दी लिक्विडिटी चाहते हैं, तो उनको रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (आरईआइटी) में निवेश पर विचार करना चाहिए। ये ट्रस्ट मूल रूप से एक विशेषज्ञ रियल एस्टेट पोर्टफोलियो मैनेजर द्वारा फंड की तरह प्रबंधित होते हैं और इन्हें स्टाक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध किया जाता अगर खुद निवेश कर रहे हैं है।

रिटर्न: बहुत से लोग आपको बताने वाले मिल जाएंगे कि जमीन में निवेश सबसे अच्छा रिटर्न देता है, जो हमेशा सच नहीं होता है। यदि आप एक किसान बनकर जमीन खरीदने का विचार कर रहे हैं तो आपको अपने प्लान पर बहुत सावधानी से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। जमीन से दूसरे प्रकार का रिटर्न किराया या रेंट होता है। यह एक अच्छा सौदा हो सकता है बशर्ते आपको एक स्थिर, भुगतान करने वाला और ईमानदार किरायेदार मिल जाए।

निष्कर्ष: ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आपको उस ब्रांडेड जमीन के आफर को स्वीकार करना चाहिए, जो आपके पास आया आया है? इस मामले में आपको खुद से सवाल पूछना चाहिए कि एक ब्रांडेड चीज (जमीन) खरीदने के लिए मैं जो प्रीमियम चुका रहा हूं, उसके बदले में मुझे क्या मूल्य मिल रहा है? यह एक ऐसा स्व-मूल्यांकन होगा जो आपको सवालों के जवाब तक ले जाएगा।

दूसरों की सलाह से बाजार में करते हैं निवेश, ये गलतियां फायदे की जगह करा देंगी तगड़ा नुकसान

सेबी से लेकर शेयर बाजार तक निवेशकों को सलाह देते हैं कि सिर्फ जानकारों की सलाह पर ही कोई फैसला लें और निवेश से पहले सोच विचार करें, अनजाने लोगों से एसएमएस, व्हाट्सएप के जरिये मिली सलाह से आप बड़ा नुकसान उठा सकते हैं.

दूसरों की सलाह से बाजार में करते हैं निवेश, ये गलतियां फायदे की जगह करा देंगी तगड़ा नुकसान

TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा

Updated on: Apr 10, 2022 | 9:21 AM

किसी भी निवेश (Investment) से जुड़ा फैसले लेने की लिये सलाह दी जाती है कि पहले किसी जानकार से पूछताछ करें और उससे राय लें. हालांकि इसके बाद भी कई बार लोग या तो नुकसान उठा लेतें हैं या फिर रिटर्न (Return) उतना नहीं मिलता जितना आपको मिलना चाहिये. स्टॉक मार्केट (stock market) में एक्सपर्ट्स से राय लेने के बाद भी नुकसान उठाने की कई वजह होती हैं. आज हम आपको ऐसी ही कुछ वजहों के बारे में बता रहे हैं, जिनका जिक्र खुद बाजार के दिग्गज जानकार समय समय पर करते रहे हैं. अगर आप भी चाहते हैं कि आपका निवेश लगातार बढ़ता रहे तो न केवल आप जानकारों के संपर्क में रहें साथ ही इन टिप्स का फायदा भी उठाएं

निवेश सलाहकार की भी जानकारी लें

स्टॉक्स में निवेश के मामले में सबसे ज्यादा अगर खुद निवेश कर रहे हैं नुकसान लोग तब उठाते हैं जब वो गलत सलाहों पर भरोसा कर लेते हैं. ऐसे में अपने स्तर पर जानना जरूरी होता है कि आप किस से निवेश सलाह ले रहे हैं. कोशिश करें कि बाजार के स्थापित सलाहकार, ब्रोकिंग फर्म या फिर किसी जानकार से ही कोई राय लें. वहीं इन एक्सपर्ट्स की पिछले सलाहों के प्रदर्शन पर नजर दौड़ाएं. और ऐसे सलाहकार को चुनाव करें जिसने भले ही काफी ऊंचे रिटर्न न दिये हों लेकिन जिसके अधिकांश सलाहों के प्रदर्शन की दिशा सही रही हो. इसके अलावा अन्य सेवाओं और सलाहों की भी जांच करें

सलाह को समझें

सलाह पर आंख बंद कर भरोसा नहीं करना चाहिये. निवेश सलाहों को अपने स्तर पर समझना जरूरी है. आप रिसर्च रिपोर्ट को पढ़ें, सलाह के साथ दी गई सावधानियों को समझें, अगर स्टॉप लॉस दिया गया है तो उसका पालन करें. ये जानें की निवेश के लिये समय सीमा क्या रखी गई है. रिसर्च रिपोर्ट में सलाह से जुड़े जोखिम भी बताए जाते हैं. उन्हें भी समझें और संतुष्ट होने पर ही निवेश का फैसला लें.

निवेश सलाहों पर लगातार अपडेट रहें

मीडिया या ब्रोकिंग फर्म की साइट्स से मिल रही सलाहों पर ज्यादातर निवेशक इसलिये नुकसान उठा लेते हैं क्योंकि वो एक बार निवेश कर आगे के अपडेट पर ध्यान नहीं देते. निवेश एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है और गंभीर निवेश सलाहकार अपनी सलाहों की समीक्षा करते रहते हैं. इसके साथ ही वो स्टॉक्स के लक्ष्य में बदलाव कर सकते हैं. यहां तक कि स्थितियां बदलने पर वो निवेश सलाह में भी बदलाव कर सकते हैं. ऐसे में अगर आप किसी दिग्गज एक्सपर्ट की सलाह पर निवेश करते हैं तो आगे अपने निवेश की समीक्षा करते रहे और एक्सपर्ट्स की आगे की सलाहों पर भी नजर रखें. ऐसा न हो कि एक्सपर्ट की सलाह के बाद आप स्टॉक में निवेश कर दें और रूस यूक्रेन जैसे अचानक आने वाले संकट के दौरान एक्सपर्ट्स के स्टॉक से सीमित मुनाफे के साथ निकलने की सलाह को अनदेखा कर नुकसान करा लें. या फिर पैनिक सेलिंग के बीच नुकसान दर्ज कर स्टॉक से बाहर निकल जाएं. जबकि एक्सपर्ट स्टॉक में बने रहने की सलाह दे रहा हो

सलाह का समय भी अहम

अधिकांश ब्रोकिंग फर्म अपनी रिपोर्ट जारी करने का समय भी रिपोर्ट के साथ देती हैं. वहीं निवेश सलाहकार आपको निवेश सलाह मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए ही देते हैं. ध्यान रखें कि निवेश का फायदा तब ही मिलता है जब उसे एक्सपर्ट्स की सलाह के साथ ही किया जाए. दरअसल किसी बड़ी ब्रोकिंग फर्म के द्वारा किसी स्टॉक में निवेश की सलाह के साथ स्टॉक में गति देखने को मिलने लगती है. अगर आप कुछ समय बाद निवेश करते हैं तो संभव है कि आप अनुमानित रिटर्न का कुछ हिस्सा गंवा दें.

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