मगरमच्छ संकेतक क्या है?

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भालचंद्र नेमाड़े को सुनते हुए ‘नाकोहस’ कहानी की याद
परसों की ही तो बात है. राजकमल प्रकाशन का स्थापना दिवस समारोह था, उसमें भालचंद्र नेमाड़े को हिंदी में भारतीय संस्कृति की बहुवचनीयता पर बोलते हुए सुना तो मुझे पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘नाकोहस’ याद आई. अकारण नहीं था. मृदुला गर्ग ने उस कहानी के अपने दूसरे पाठ के बाद उसके ऊपर लिखते हुए लिखा था कि उसमें ‘भयंकर समय की पदचाप’ है. किसी भी रचना की प्रासंगिकता यही होती है कि वह अपने देशकाल से भिन्न देशकाल में आपको बेसाख्ता याद आ जाए. है न, मौका था जयंती का याद आ गई कहानी ‘नाकोहस’.
संयोग से एक दुस्वप्न से उचटी नींद से आरम्भ हुई इस कहानी की शुरुआत में एक ऐसे चौक का वर्णन आता है जहाँ मंदिर और मस्जिद का संयुक्त संस्करण है. गलियां संकरी जरूर हो गई हैं लेकिन वे उस तक पहुँचती हैं. अब भी पहुँचती हैं. उन्हीं गलियों में भय के संकेतक के साथ सुकेत की नींद खुल जाती है. उस दिन नेमाड़े कह रहे थे कि जिसे हम संस्कृति कहते मगरमच्छ संकेतक क्या है? हैं, परम्परा का नाम देते हैं वह दरअसल गलियों के सिकुड़ते जाने का नाम नहीं है बल्कि तमाम संकटों के बावजूद चौक तक आने वाले रास्तों का खुले, बने रहने का नाम है. कहानी मगरमच्छ संकेतक क्या है? ‘नाकोहस’ के आरम्भ में यह उम्मीद बाक़ी है. आखिर दुस्वप्न ही तो है.
गैर-विनाशकारी परीक्षण नियंत्रण
गैर विनाशकारी परीक्षण हमारी भाषा की मूल भाषा में लिखा जाता है गैर-विनाशकारी परीक्षण जैसे कि तन्य, मरोड़, यांत्रिक परीक्षण लागू नहीं किया जा सकता है, भाग की अखंडता के आधार पर क्षतिग्रस्त नहीं है, सतह पर जांच की गई सामग्री या सामग्री का पता लगाने के लिए एक प्रकार की परीक्षा है।
गैर-विनाशकारी परीक्षण, जो सामग्री की अखंडता को परेशान किए बिना परीक्षा का एक रूप है, निरीक्षण किए जाने वाले सामग्री की सतह पर दोष और दोषों की पहचान करता है।
इसी समय, इस सामग्री में एकीकृत एक और सामग्री की मात्रा को इस विधि द्वारा मापा जा सकता है। या धातु की सतहों पर पेंट की मोटाई निर्धारित की जा सकती है। संक्षेप में, गैर-विनाशकारी परीक्षण विधियों द्वारा नियंत्रित सामग्री को नुकसान पहुंचाए बिना इस सामग्री की गतिशील और स्थिर संरचनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।
प्रैक्टिकल वॉच टू टिप्स टिप्स
जब हम एक घड़ी चुनते हैं, तो घड़ी की गुणवत्ता उपयोगकर्ता के लिए मगरमच्छ संकेतक क्या है? बहुत चिंता का विषय है। इसलिए, जब लोग घड़ियों को खरीदते हैं, तो वे हमेशा उत्कृष्टता और अच्छे चयन के लिए प्रयास करते हैं। लेकिन मैं संतोषजनक गुणवत्ता वाली घड़ी कैसे चुन सकता हूं?
घड़ी की उपस्थिति को बाहरी आवरण, क्रिस्टल, डायल और घंटे और मिनट के हाथों से देखा जा सकता है। मामले में कोई फफोले और स्पष्ट खरोंच नहीं होना चाहिए, और किनारों और कोनों को सममित होना चाहिए; पीछे के कवर और ऊपरी मामले के बीच पेंच संयुक्त तंग होना चाहिए; दो घड़ी के छल्ले और मामले के बीच की दूरी समान होनी चाहिए, और बहरे को बढ़ने के लिए छेद मामले की पूंछ पर केंद्रित होना चाहिए। पक्षपाती नहीं, छेद की गहराई उचित है, ताकि अंगूठी गिरना आसान न हो; दर्पण मगरमच्छ संकेतक क्या है? में कोई दोष और खरोंच नहीं होना चाहिए, पारदर्शी और उज्ज्वल; तीन सुइयों को सही ढंग से स्थापित किया गया है, सुई और सुई, दर्पण और डायल में सही सुरक्षा मंजूरी होनी चाहिए; डायल और पॉइंटर कोटिंग में एक अच्छा खत्म, कोई निशान नहीं है, और डायल स्केल लाइन या चमकदार बिंदु पूरा हो गया है; सिर और मामले के बीच 0.1-0.3 मिमी का अंतर है।
भालचंद्र नेमाड़े को सुनते हुए ‘नाकोहस’ कहानी की याद
परसों की ही तो बात है. राजकमल प्रकाशन का स्थापना दिवस समारोह था, उसमें भालचंद्र नेमाड़े को हिंदी में भारतीय संस्कृति की बहुवचनीयता पर बोलते हुए सुना तो मुझे पुरुषोत्तम अग्रवाल की कहानी ‘नाकोहस’ याद आई. अकारण नहीं था. मृदुला गर्ग ने उस कहानी के अपने दूसरे पाठ के बाद उसके ऊपर लिखते हुए लिखा था कि उसमें ‘भयंकर समय की पदचाप’ है. किसी भी रचना की प्रासंगिकता यही होती है कि वह अपने देशकाल से भिन्न देशकाल में आपको बेसाख्ता याद आ जाए. है न, मौका था जयंती का याद आ गई कहानी ‘नाकोहस’.
संयोग से एक दुस्वप्न से उचटी नींद से आरम्भ हुई इस कहानी की शुरुआत में एक ऐसे चौक का वर्णन आता है जहाँ मंदिर और मस्जिद का संयुक्त संस्करण है. गलियां संकरी जरूर हो गई मगरमच्छ संकेतक क्या है? हैं लेकिन वे उस तक पहुँचती हैं. अब भी पहुँचती हैं. उन्हीं गलियों में भय के संकेतक के साथ सुकेत की नींद खुल जाती है. उस दिन नेमाड़े कह रहे थे कि जिसे हम संस्कृति कहते हैं, परम्परा का नाम देते हैं वह दरअसल गलियों के सिकुड़ते जाने का नाम नहीं है बल्कि तमाम संकटों के बावजूद चौक तक आने वाले रास्तों का खुले, बने रहने का नाम है. कहानी ‘नाकोहस’ के आरम्भ में यह उम्मीद बाक़ी है. आखिर दुस्वप्न ही तो है.
#4. Sample Registration System (SRS) Report के अनुसार, 2018-20 में भारत में किस राज्य का लिंगानुपात सबसे कम था -
भारत के महापंजीयक द्वारा जारी नमूना पंजीकरण प्रणाली सांख्यिकीय रिपोर्ट 2020 के अनुसार, उत्तराखंड का जन्म के समय लिंग अनुपात 844 पर देश में सबसे खराब पाया गया।
कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (CIAL) ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संचालित होने वाले हवाई अड्डों की 5 से 15 मिलियन यात्री श्रेणी में एयरपोर्ट सर्विस क्वालिटी अवार्ड-2022 जीता है।
#6. किस राज्य मगरमच्छ संकेतक क्या है? को वानिकी विश्वविद्यालय (UoF) अधिनियम -2022 के तहत भारत का पहला और दुनिया का तीसरा वानिकी विश्वविद्यालय मिलेगा -
तेलंगाना विधान सभा और परिषद ने वानिकी विश्वविद्यालय (UoF) अधिनियम-2022 को मंजूरी दे दी है। यह भारत का पहला और दुनिया का तीसरा वानिकी विश्वविद्यालय होगा।
विटामिन एंजेल्स इंडिया ने देश में कुपोषण को दूर करने के लिए ‘राष्ट्रीय पोषण माह 2022’ (पोषण माह 202के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (UNICEF) भारत के साथ साझेदारी की घोषणा की।
#8. किस देश ने चंद्रमा के निकट दुर्लभ लूनर क्रिस्टल और परमाणु ऊर्जा स्रोत की खोज की है -
चीन में शोधकर्ताओं ने चंद्रमा के निकट ज्वालामुखी के मलबे के बीच एक नए प्रकार के क्रिस्टल की खोज की है, साथ ही एक संभावित ईंधन स्रोत की भी खोज की है, जो पृथ्वी पर स्वच्छ और कुशल ऊर्जा के उत्पादन में क्रांति लाने में मदद कर सकता है। चीनी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, इस छोटे पारदर्शी क्रिस्टल का नाम चेंजसाइट- (Y) है। जो एक अरब वर्ष से अधिक पुराना है और यह मानव के बाल जितना चौड़ा है।
आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने भारत को खिलौना हब बनाने के उद्देश्य से, स्वच्छ भारत मिशन शहरी-2.0 के तहत अनूठी प्रतियोगिता ‘स्वच्छ टॉयकाथॉन’ (Swachh Toycathon) की शरुआत की है। इसके तहत प्रतिभागियों को सूखे कचरे (अपशिष्ट) से खिलौने तैयार करने होंगे। आई टी-गांधीनगर का सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग इस प्रतियोगिता का नॉलेज पार्टनर है। जो प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की मदद करेगा।