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ईश्वर के दलाल

ईश्वर के दलाल
गुलामगिरी में महात्मा ज्योतिबा फूले ने तत्कालीन समाज में व्याप्त सभी समस्याओं को स्थान देते हुए सामाजिक मान्यताओं पर कटाक्ष किया। उन्होंने वर्णभेद, धर्मभेद, जातिभेद, लिंगभेद आदि के केंद्र में मौजूद ब्राह्मणवादी रूढ़िवादी विचारों पर प्रहार किए

ज्योतिबा फूले की ‘गुलामगिरी’ हमेशा एक प्रासंगिक किताब रहेगी

गुलामगिरी में महात्मा ज्योतिबा फूले ने तत्कालीन समाज में व्याप्त सभी समस्याओं को स्थान देते हुए सामाजिक मान्यताओं पर कटाक्ष किया। उन्होंने वर्णभेद, धर्मभेद, जातिभेद, लिंगभेद आदि के केंद्र में मौजूद ब्राह्मणवादी रूढ़िवादी विचारों पर प्रहार किए

जातिवादी, विभेदकारी और शोषणकारी व्यवस्था के ख़िलाफ़ आधुनिक भारत में पहली मुखर आवाज़ उठाने वाले थे- ज्योतिबा फूले। उन्होंने समाज में स्थापित ब्राह्मणवादी संरचना के हर तत्व के खिलाफ़ अपना विरोध दर्ज किया। इस बात की तस्दीक़ उनकी लिखी गई किताब ‘गुलामगिरी’ में होती है जिसमें उन्होंने धार्मिक और जातिवादी अवधारणा को अपने तर्कों से ग़लत सिद्ध कर दिया। साथ ही समाज में यह स्थापित किया कि वे तमाम ग्रन्थ ईश्वर ने नहीं बल्कि उन मनुष्यों ने रचे, जिन्होंने संसाधनों पर कब्ज़ा करके मूल निवासियों को दास बना लिया है और यह सब कुछ उस शोषण को वैध घोषित करने और अपनी सत्ता की सर्वोच्चता बनाए रखने के लिए किया गया था। उन्होंने ईश्वर पर सवाल दागते हुए कहा, ईश्वर अगर सबका स्वामी है तो भेदभाव क्यों करता है और पुरोहितों की सत्ता के ख़िलाफ़ कहा कि ईश्वर और भक्त के बीच दलाल का क्या काम है। यही कारण है कि फूले भारतीय सामाजिक व्यवस्था में जातिवादी शोषण के ख़िलाफ़ क्रांति के अग्रदूत माने जाते हैं।

गुलामगिरी : ब्राह्मणवाद पर प्रहार

सनातन परंपरा में ईश्वर के उद्धव और धरती पर उनके जीवन की गाथाएं प्रचलित हैं। ये तमाम ग्रन्थ ईश्वरीय अवतारों की बात करते हैं, जिन्होंने ‘राक्षसों’ और ‘अधर्मियों’ का संहार किया और ब्राह्मणों को भयमुक्त किया। इन ग्रन्थों में ब्राह्मण हमेशा सद्चरित, उदार और लोकहित की चिंता करने वाले बताए गए। मनुस्मृति के पहले अध्याय में प्रकृति के निर्माण, चार युगों, पेशे और ब्राह्मणों की महानता का वर्णन है। इन सब के माध्यम से जनता के मन में वैचारिकी के आधार पर कब्ज़ा करने की कोशिश की गई। ये ‘नैरेटिव’ गढ़कर ब्राह्मणवादी सांस्कृतिक उपनिवेशवाद स्थापित किया गया। अपनी किताब गुलामगिरी में ज्योतिबा फूले इन सारे नैरेटिव्स को ध्वस्त कर देते हैं। वह बताते हैं कि मत्स्य, कच्छप और वानर जैसे अवतारों की मनुष्यों से तुलना अवैज्ञानिक है। यह संभव ही नहीं है। न ही इनमें लेशमात्र भी सच्चाई है। ज्योतिबा फूले ने वर्णीय संरचना पर भी आघात किया और बताया कि यदि ब्राह्मण ब्रह्मा के मुख से पैदा हुए हैं तो क्या उनके मुख में योनि थी? क्या रजोधर्म के समय उनके ईश्वर के दलाल मुख से रक्तस्राव होता था?

फूले बताते हैं कि ब्राह्मणों के ये ग्रन्थ भेदभावपूर्ण हैं क्योंकि इनमें भारत से इतर रहने वाले मनुष्यों जैसे अंग्रेजों के बारे में कोई विवरण नहीं है। यह समूची मानव जाति के बारे में कैसे नियम तय कर सकते हैं, अगर सबको स्वयं में शामिल ही नहीं कर सकते। इन सभी तर्कों का कोई वैज्ञानिक काट उपलब्ध नहीं था, आज भी नहीं है लेकिन, फिर भी ब्राह्मणवादी भेदभाव मौजूद हैं। आज भी निचले स्तर के कामकाज जैसे सीवर आदि की सफ़ाई करने वाला शख्स दलित औ पिछड़ा ही होता है। आज भी पितृसत्ता और महिला शोषण मौजूद है। दलितों के साथ भेदभाव के कितने ही उदाहरण रोज़ अखबारों में आते हैं, इसलिए फूले की यह क़िताब आज भी प्रासंगिक हैं। इसे पढ़ा जाना चाहिए ताकि इन शोषणों की अवैज्ञनिकता को खारिज़ किया जा सके।

गुलामगिरी में महात्मा ज्योतिबा फूले ने तत्कालीन समाज में व्याप्त सभी समस्याओं को स्थान देते हुए सामाजिक मान्यताओं पर कटाक्ष किया। उन्होंने वर्णभेद, धर्मभेद, जातिभेद, लिंगभेद आदि के केंद्र में मौजूद ब्राह्मणवादी रूढ़िवादी विचारों पर प्रहार किए

‘गुलामगिरी’ के केंद्र में पृष्ठभूमि की समस्याएं

गुलामगिरी में महात्मा ज्योतिबा फूले ने तत्कालीन ईश्वर के दलाल समाज में व्याप्त सभी समस्याओं को स्थान देते हुए सामाजिक मान्यताओं पर कटाक्ष किया। उन्होंने वर्णभेद, धर्मभेद, जातिभेद, लिंगभेद आदि के केंद्र में मौजूद ब्राह्मणवादी रूढ़िवादी विचारों पर प्रहार किए। समाज में आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक क्षेत्रों में उच्च जाती/ प्रभुत्व के कारणों के आधारों की विवेचना करते हुए उन्होंने कहा कि समाज की बागडोर ‘धर्म और संस्कृति’ द्वारा संचालित है। धर्म, जो कि उन ग्रन्थों से चलता है, जो अंधविश्वास औ भेदभाव को वैध ठहराता है इसलिए इन सबसे निपटने के लिए शिक्षा ही एकमात्र सशक्त हथियार है। उन्होंने कहा कि शूद्रों-अतिशूद्रों और पिछड़ों को वरिष्ठ वर्ग की गुलामी से मुक्ति के लिए शोषणमुक्त समाज की आवश्यकता है। इसके लिए ज्ञान-विज्ञान और ऐतिहासिक अर्थों की समझ ज़रूरी है।

ब्राह्मणों ने शिक्षा का अधिकार अपने पास रखा। खुद ग्रन्थ और इतिहास रचे। इसलिए दूसरे समूह इतिहास को ब्राह्मणों के चश्मे से देखते रहे हैं। इस शोषण को खत्म करने के लिए और ब्राह्मणवादी स्वार्थ से मुक्त होने के लिए वास्तविक इतिहास समझने की आवश्यकता है। ईश्वर के दलाल गुलामी से निकलने के लिए इतिहास का नए सिरे से शोध किया जाना चाहिए। इसलिए ही उन्होंने बहुजन अस्मिता संरक्षित करने के लिए सत्यशोधक समाज (1873) की नींव रखी। आज भी किसान और मज़दूर साहूकारों, मालिकों से शोषित हैं। आज भी शिक्षा व्यवस्था, अर्थव्यवस्था और न्यायव्यवस्था में दलितों का प्रतिनिधित्व कम या न के बराबर है। इसके कारण लगातार अर्थव्यवस्था में पूंजीवादी ताकतें मज़बूत होती जा रही हैं। जल, जंगल, ज़मीन से आदिवासियों को बेदखल किया जा रहा है। श्रमिक कानून श्रमिक हितों के ख़िलाफ़ हैं। ऐसे में, आज भी इन शोषणकारी नियमों के ख़िलाफ़ मज़बूत आवाज़ की आवश्यकता है, इसलिए गुलामगिरी आज भी प्रासंगिक है।

ज्योतिबा फूले के सवाल और वर्तमान

अपनी क़िताब में फूले ने कुछ ज़रूरी सवाल पूछे हैं। वे सवाल उस समय भी महत्वपूर्ण थे और आज भी हैं। मनुष्य और मनुष्य में भेद उस दौरान भी हो रहा था, आज भी है। 2014 के बाद से लगातार इस देश में अल्पसंख्यको के हितों को हाशिए पर धकेल दिया गया है। सार्वजनिक बहसों और नेताओं के भाषणों में उनकी ब्राह्मणवादी मंशा खुलकर सामने आई है। आज भी समाज पितृसत्तात्मक है, स्त्रियां दोयम दर्जे की समझी जाती हैं। घर से लेकर समाज में उन्हें भेदभाव और सर्विलांस से गुज़रना पड़ता है। उनके लिए अवसर सीमित हैं। घरेलू हिंसा से लेकर बलात्कार, यौन हिंसा से महिलाओं को दबाने का प्रयास लगातार हो रहा है। धर्म आज के उत्तर-आधुनिक विश्व में भी उन्हीं रूढ़िवादी मान्यताओं के साथ और शक्तिशाली होकर उभर रहा है। विश्व के अलग-अलग भागों में दक्षिणपंथी ताकतों का उभार और धर्म को लेकर उनका रवैया इसका स्पष्ट उदाहरण है। विश्व भर में इतने धर्म हैं और सबके प्रणेता पुरुष हैं। ज्योतिबा फूले का यह कहना आज भी प्रासंगिक है कि ‘इतने धर्मों की आवश्यकता क्या है।’ धर्मों की रूढ़ियों पर प्रहार करने औके लिए वैज्ञानिक प्रवृत्ति विकसित कर तर्कों से इन धार्मिक मान्यताओं को खारिज़ बहुत आवश्यक है।

हमेशा से मनुस्मृति और अन्य पुराण मिथकों और ग़लत इतिहास के माध्यम से जनता की मनोस्थिति तय करने का प्रयास करते हैं। सदियों से वे ऐसा करते आए। आज भी बड़े पैमाने पर जो ग्रन्थ और पुस्तकें रची जा रही हैं, मीडिया और संस्थान हैं, वे उन्हीं ढर्रों पर चलते हुए उन्हीं जातिवादी रूढ़ियों को पोषित कर रहे हैं। लेकिन ज्योतिबा फूले ने आधुनिक दौर की शुरुआत में इन कुरीतियों के ख़िलाफ़ जो बिगुल बजाया है, उससे पिछड़े और शोषित- दमित तबके प्रेरणा ले रहे हैं। असल में, गुलामगिरी हर उस समय में प्रासंगिक होगी, जहां मिथक रचकर नैरेटिव गढ़ने की कोशिश होगी,जहां रूढ़िवादी मान्यताओं और ईश्वर का भय दिखाकर शोषण होगा,जहां एक तबका सर्वशक्तिमान होगा और अन्य उसकी सेवा करेंगे, जहां समस्त संसाधनों पर कुछ लोगों का कब्जा होगा और एक बड़ा समूह संसाधन विहीन कर दिया जाएगा। ज्योतिबा फूले ने जनता के अधिकार की बात की, जो शिक्षा से संभव है, लोग तबतक दबाए और कुचले जाएंगे जबतक उन्हें अपने अधिकारों का पूरा ज्ञान नहीं होगा। फूले ने निजी स्तर पर भी महत्वपूर्ण सुधार किए, उन्होंने अपनी पत्नी सावित्री बाई को पढ़ाया और उनके साथ मिलकर अछूत लड़कियों के लिए पहला विद्यालय खोला। वे धार्मिक कर्मकांडों के ख़िलाफ़ थे, मानसिक- शारीरिक गुलामी के ख़िलाफ़ थे। अंधविश्वास,अज्ञानता, शोषण को वैज्ञानिक प्रवृत्ति से खारिज़ करती उनकी किताब ‘गुलामगिरी’ इसलिए ही आज भी प्रासंगिक है।

भरतपुर के इस हॉस्पिटल में PCPNDT टीम ने किया डिकाय ऑपेरशन state PCPNDT team proceeded decoy operation in Bharatpur, Trio arrested doing illegal fetal gender test

अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण करते दलाल सहित तीन गिरफ्तार

Media Kesari (मीडिया केसरी)

जयपुर/भरतपुर- 25 जुलाई। राज्य पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ (state PCPNDT team) ने ईश्वर के दलाल रविवार को भरतपुर के भुसावर में स्थित शकुन्तला हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में डिकाय कार्यवाही कर भ्रूण लिंग परीक्षण में लिप्त दलाल कुलदीप गुर्जर, अजीत सिंह एवं ईश्वर सिंह को गिरफ्तार किया। साथ ही काम में ली गयी सोनोग्राफी मशीन को जब्त कर लिया।

अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण करते दलाल सहित तीन गिरफ्तार

अध्यक्ष राज्य समुचित प्राधिकारी, पीसीपीएनडीटी सुधीर शर्मा के निर्देशन में राज्य स्तरीय टीम के द्वारा यह कार्यवाही की गयी है। कार्यवाही में दौसा पीसीपीएनडीटी समन्वयक भी शामिल थे।

अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण करते दलाल सहित तीन गिरफ्तार

शर्मा ने बताया कि मुखबिर के माध्यम से सूचना मिल रही थी कि दौसा, भरतपुर क्षेत्र में कुलदीप सिंह नामक एक दलाल भ्रूण लिंग परीक्षण के कार्य में लिप्त है। टीम ने मुखबिर की सूचना की पुष्टि के बाद डिकाय कार्ययोजना तैयार की। कार्ययोजना के अनुसार टीम ने दलाल कुलदीप से संपर्क किया। इस पर कुलदीप ने 55 हजार रूपये में भ्रूण लिंग परीक्षण करने पर सहमति जता और डिकाय गर्भवती महिला को हिंडौन सिटी में बुलाया।

अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण करते दलाल सहित तीन गिरफ्तार

उन्होंने बताया कि हिंडौन सिटी में कुलदीप ने एक अन्य दलाल अजीत 22 हजार रुपये की राशि देकर डिकाय गर्भवती महिला को साथ में भिजवा दिया। वहां से अजीत पहाडी रास्तों से भरतपुर के भुसावर में शकुन्तला हॉस्पिटल लाया और वहां बिना फार्म एफ भरे गर्भवती महिला की ईश्वर सिंह ने सोनोग्राफी की। साथ ही दवाईयां भी लिखीं। ईश्वर सिंह एक फीजियोथैरेपिस्ट है उसके पास सोनोग्राफी कार्य की अनुमति एवं योग्यता नहीं थी। इस पर डिकाय टीम ने कार्यवाही करते हुये दलाल कुलदीप गुर्जर, अजीत सिंह एवं ईश्वर सिंह को गिरफ्तार किया। उल्लेखनीय है कि उक्त सेंटर पर डॉ. इंद्रजीत सलूजा को सोनोग्राफी की अनुमति प्रदान थी लेकिन मौके पर फीजियोथैरेपिस्ट ईश्वर सिंह सोनोग्राफी कर रहा था।

SEX रैकेट का राजधानी में भंडाफोड़: पांच युवतियां और एक दलाल गिरफ्तार…ग्राहक बनकर पहुंची पुलिस नजारा देख रहा गई दंग… आपत्तिजनक समान भी बरामद…

रायपुर 30 जून 2021। राजधानी में देर रात रेड कार्रवाई करते हुए पुलिस ने एक पुरुष दलाल ईश्वर के दलाल सहित एक महिला और चार युवतियों को गिरफ्तार किया है। पकड़ी गई सभी युवतियां रायपुर के अलग-अलग क्षेत्र की रहने वाली है। घटना टिकरापारा ईश्वर के दलाल थाना क्षेत्र के ईश्वर नगर नहरपारा की है। दरअसल टिकरापारा पुलिस को सूचना मिली […]

रायपुर 30 जून 2021। राजधानी में देर रात रेड कार्रवाई करते हुए पुलिस ने एक पुरुष दलाल सहित एक महिला और चार युवतियों को गिरफ्तार किया है। पकड़ी गई सभी युवतियां रायपुर के अलग-अलग क्षेत्र की रहने वाली है। घटना टिकरापारा थाना क्षेत्र के ईश्वर नगर नहरपारा की है।

दरअसल टिकरापारा पुलिस को सूचना मिली थी कि, ईश्वर नगर नहरपारा के एक मकान में कुछ दिनों से संदिग्ध युवतियों और युवकों का आना-जाना लगा हुआ। इस शिकायत के बाद टिकरापारा ईश्वर के दलाल पुलिस के एक जवान को ग्राहक बनाकर मंगलवार की रात करीब साढ़े 10 बजे मौके पर भेजा गया। जवान ने यहां पर पुरुष दलाल जागेश्वर साहू से सौदा तय किया, जिसके बाद जवान के इशारा करने पर पुलिस की टीम ने मकान में दबिश दी। टीम जब मौके पर पहुंची तो मकान के अंदर का नजारा देखकर दंग रह गई। मकान के अंदर एक महिला और चार युवतियां संदिग्ध स्थिति में थे। पुलिस ने सभी युवतियों को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही मकान के अंदर से कई आपत्तिजनक सामान भी बरामद किया है।

पकड़ी गई युवतियां रायपुर के गुढ़ियारी बाजारपारा, कचना हाउसिंग बोर्ड, ईश्वर नगर टिकरापारा और गोबरा नवापारा की रहने वाली है। वहीं पुरुष दलाल जागेश्वर साहू रावांभाटा का रहने वाला है। सभी आरोपियों के खिलाफ टिकरापारा थाने में पीटा एक्ट के तहत कार्रवाई कर आगे की जांच पुलिस कर रही है।

पृष्ठ : दो सौ बावन वैष्णवन की वार्ता.djvu/१७५

१५८ दोसौ वावन वैष्णवन की वार्ता फेरि तानसेन अमल-पानी लेन लागे। तव सुंदर गावन लागे। सो श्रीगोवर्द्धननाथजी मुसकाये । सो श्रीगोवर्द्धननाथजी के मुसकान के दरसन तानसेन कों भए। भावप्रकाश--सो या वार्ता में बह जताए, जो - पुष्टिमार्ग में जा भांति श्रीगोवर्द्धननाथजी प्रसन्न रहे सोई कर्तव्य है । पुष्टिमार्गीय को सोई धर्म है । सो तानसेन श्रीगुसांईजी के ऐसे कृपापात्र भगवदीय हते । तातें इनकी वार्ता कहां ताई कहिए । वार्ता ॥११३॥ अब श्रीगुसांईजी को सेवक एक दलाल बनिया, राजनगर कौ, तिनकी वार्ता को भाष कहत है- भावप्रकाश-ये सात्विक भक्त हैं । लीला में इनको नाम 'स्नेहलता' है। ये मनसुखा गोप की भतीजी है । तातें उनके भावरूप हैं । सो यह राजनगर में एक द्रव्यपात्र वनिया के जन्म्यो । सो वह बनिया दलाली करत हतो। पाछे यह लरिका वरस वीस को भयो तव याको व्याह भयो । फेर केतेक दिन पाछे याके माता-पिता मरे । तव यह दलाली करन लाग्यो । सो याके गांठि मे निन्यानवे हजार रुपैया हते । परि यह बनिया लोभी हतो । सो कहतो, जो - लाख रुपैया होइ तो आछो । तातें द्रव्य को संग्रह करे । खानपान में हु संकोच करे । सो वारह आना नित्य कमावे । सो आठ आना सो जमा करे । और बाकी चार आना में निर्वाह करे । ऐसें करत केतेक दिन पाछे श्रीगुसांईजी राजनगर असारुवा में भाईला कोठारी के इहां पधारे । सो ता समै यह बनिया भाईला कोठारी के पास कछु काम को आयो हतो । सो इन श्रीगुसांईजी की दरसन पायो। तब भाईला कोठारी को ईश्वर के दलाल या बनियाने पूछयो, जो- यह कौन हैं ? कहां रहत है ? और इन की नाम कहा है ? तव भाइला कोठारीने कह्यो, जो ये श्रीगुसांईजी साक्षात् ईश्वर हैं। श्रीगोकुलाधिपति हैं। इनको नाम श्रीविठ्ठलनाथजी है । और हम सब इनके सेवक हैं। तब यह बनिया कह्यो, जो- हम हू को इनके सेवक करावो तो आछौ । हम हू इनके सेवक होइंगे। तब भाईला कोठारी ने श्रीगुसांईजी सों विनती कीनी, जो - महाराज ! यह वनिया सेवक होने की कहत हैं। तब श्रीगुसांईजी आप या बनिया की ओर मुसिक्याइ कै देखे । तब या बनियाने बिनती कीनी, जो - महाराज ! कृपा करि अपनो सेवक कीजिए तो

कार्यक्रम आयोजि

एक संवाददाता, पलवलमाल गोदाम रोड स्थित मुस्कान गार्डन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री करणसिंह दलाल थे। मंच.

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