लाभ पद्धति

जनियें, जैविक खेती से जुङी कुछ महत्त्वपूर्ण बातें!
जैविक खेती पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इसमें रासायनिक उर्वरकों और रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता है।
जैविक खेती मे जैव पदार्थों को सङा-गलाकर के तैयार की गई ऐसी खाद जिसमे की सूक्ष्म जीवों की संख्या एवं पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रर्याप्त मात्रा मे होती है ऐसे खादों को प्रयोग करके जैविक खेती करते हैं।
दिखते ही तुरंत तोड़ लेना इन 8 पौधों के पत्ते, डायबिटीज, किडनी पथरी, खून की कमी, गठिया जैसे 20 रोग होंगे खत्म
प्रकृति में कई ऐसे पेड़-पौधे मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल सदियों से एक औषधि के रूप में किया जाता आ रहा है।
दिखते ही तुरंत तोड़ लेना इन 8 पौधों के पत्ते, डायबिटीज, किडनी पथरी, खून की कमी, गठिया जैसे 20 रोग होंगे खत्म
सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए हर बार दवा का सेवन सही नहीं होता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि बहुत ज्यादा दवाओं के सेवन से शरीर के कई अंगों पर बुरा असर पड़ता है। प्रकृति में कई ऐसे पेड़-पौधे मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल सदियों से एक औषधि के रूप में किया जाता आ रहा है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही पौधों के बारे में बता रहे हैं जिनके पत्तों के इस्तेमाल से आप कई गंभीर समस्याओं से राहत पा सकते हैं।
नीम के पत्ते
नीम इस धरती पर स्वास्थ्य का सबसे बड़ा खजाना हैं। इस पेड़ के हर हिस्सा के इस्तेमाल कई दवाओं को बनाने में किया जाता है। नीम मसूड़ों की सूजन को खत्म करता है। यह डायबिटिज के मरीजों में शुगर को नियंत्रित करता है। नीम के पत्तों में एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह त्वचा और बालों से जुड़े रोगों को भी ख़त्म करते हैं।
तुलसी के पत्ते
तुलसी का इस्तेमाल दवाइयों में भी किया जाता है। आयुर्वेद में इसके कई सारे फायदे बताये गए हैं। तुलसी में एंटीबैक्टीरियल गुण होने की वजह से ये आपकी सर्दी खांसी को जड़ से खत्म कर देती है। इसके लिए आपको रोज सुबह तुलसी का एक पत्ता खाना होगा। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबायोटिक गुण होने से ये शरीर के इम्युनिटी सिस्टम को बेहतर बनाता है।
चांगेरी के पत्ते
इस पौधे के पत्तों का कई दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है। इसके पत्ते एसिडिक प्रकृति के होते हैं, जो सूजन को खत्म करते हैं। इसके पत्तों को रस पीने से मूत्राशय की सूजन दूर होती है और इसके साथ-साथ बुखार से भी राहत मिल जाती है। अगर आपको भी कोई त्वचा से जुड़ा रोग है, तो इसे इस्तेमाल करें। इसे चोटिल हिस्से पर लगाने से घाव की जलन और दर्द दोनों ही दूर हो जाते हैं।
पान के पत्ते
एक अध्ययन के अनुसार, पान में एक कण होता है जो क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया से लड़ने में मदद करता है। इस तरह इसका इस्तेमाल अस्थि मज्जा कैंसर के इलाज में किया जा सकता है। इससे पाचन को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है। यह शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों और खनिजों को अवशोषित करने में भी मदद करता है। जो लोग बढ़ते वजन से परेशान हैं, अगर वे इसका सेवन करते हैं, तो वे बढ़ते वजन से छुटकारा पा सकते हैं।
सदाबहार के पत्ते
इस पौधे पर गुलाबी और सफेद रंग के छोटे-छोटे फूल आते हैं। इन फूलों का पारंपरिक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विन्डोलिन नामक तत्व पाया जाता है, जो ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने में सहायक है। इसके अलावा इसमें विनब्लास्टिन और विनक्रिस्टिन तत्व भी पाए जाते हैं, जो कैंसर विरोधी हैं। एक नई रिसर्च के अनुसार, इस पौधे में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और उन्हें उसी क्षण नष्ट करने में सहायक हैं। सदाबहार का पौधा किस तरह से फायदेमंद है, चलिए जानते हैं।
अमरूद के पत्ते
अमरूद की पत्तियों के कई स्वास्थ्य लाभ हैं जिसके बारे में हमें पता ही नहीं है। यह आपकी कई बीमारियों में आराम पहुंचा सकती है। इसमें ऐसे चमत्कारी गुण हैं। अमरूद के पत्तों में मौजूद यौगिक ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट की दर को कम करने में मदद करते हैं। इन हरे पत्तों से आपको गठिया, कोलेस्ट्रॉल, पेट दर्द, उल्टी आदि से बचने में मदद मिलती है। अगर आप डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं, तो आपको अमरूद के पत्तों को किसी भी कीमत पर अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
बेल के पत्ते
बेल का फल कैल्शियम, फास्फोरस, प्रोटीन, फाइबर और आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्वों का भंडार है। इसके अलावा इसमें विटामिन बी और सी की भी अच्छी मात्रा पाई जाती है। दरअसल यह एक जड़ी बूटी है जिसका हर अंश शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है। इसमें एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल गुण भी होते हैं जो विभिन्न रोगों से बचाते हैं। नियमित रूप से बेल का सेवन करने से पाचनक्रिया मजबूत बनती है और पेट की सफाई भी होती है। इससे पेट के कीड़ों को खत्म किया जा सकता है। इसमें फेरोनिना तत्व पाया जाता है जो डायरिया का उपचार में सहायक है।
पुनर्नवा के पत्ते
पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि सावधानी से भोजन करने और व्यायाम के साथ जड़ी बूटी का सेवन बीमारी के बढ़ने की गति को धीमी कर सकती है और बीमारी के लक्षणों से निजात दिला सकती है। वैज्ञानिक अध्ययनों में दावा किया गया है कि पुनर्नवा जैसे पारंपरिक औषधीय पौधे पर आधारित औषधि का फार्मूलेशन किडनी की बीमारी में रोकथाम में कारगर हो सकता है और बीमारी से राहत दिला सकता है।
लाभ पद्धति
आईआईटी: सूरज की रोशनी से पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदला, बन सकता है सस्ते ईंधन का विकल्प
नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। आईआईटी जोधपुर के शोधकतार्ओं ने एक नई पद्धति विकसित करते हुए सूरज की रोशनी से पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदला है। यहां नैनोकम्पोजिट कैटेलिटिक मटीरियल्स का विकास किया गया है जो आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस से अधिक शुद्ध हाइड्रोजन के उत्पादन में सहायक हैं। इस पद्धति में एक सस्ता, सरल ट्रांजिशन मेटल पर आधारित रीसाइक्लिबल कैटेलिस्ट का उपयोग किया गया।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (आईएएनएस)। आईआईटी जोधपुर के शोधकतार्ओं ने एक नई पद्धति विकसित करते हुए सूरज की रोशनी से पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बदला है। यहां नैनोकम्पोजिट कैटेलिटिक मटीरियल्स का विकास किया गया है जो आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस से अधिक शुद्ध हाइड्रोजन के उत्पादन में सहायक हैं। इस पद्धति में एक सस्ता, सरल ट्रांजिशन मेटल पर आधारित रीसाइक्लिबल कैटेलिस्ट का उपयोग किया गया।
आईआईटी जोधपुर के मुताबिक ग्रीन और सस्टेनेबल ऊर्जा का एकमात्र भावी स्रोत हाइड्रोजन आधारित ऊर्जा है। लेकिन चूंकि 90 प्रतिशत से अधिक हाइड्रोजन का स्रोत पेट्रोलियम फीडस्टॉक है इसलिए यह महंगा पड़ता है और आम आदमी की पहुंच से बाहर है। आईआईटी जोधपुर की शोध टीम हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए एक व्यावहारिक स्रोत की खोज में लगी रही है। अब आईआईटी जोधपुर की टीम द्वारा विकसित टेक्नोलॉजी के परिणामस्वरूप सूरज की रोशनी के अलावा किसी बाहरी ऊर्जा स्रोत की जरूरत नहीं होगी।
शोध की अहमियत बताते हुए प्रोजेक्ट के मुख्य परीक्षक आईआईटी जोधपुर में रसायन विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राकेश के. शर्मा ने कहा, हमने ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए स्वदेशी सस्टेनेबल कैटलिस्ट का विकास किया है। यह हमारी अगली पीढ़ी की खुशहाली के लिए इनोवेशन का नया मानक है।
शोध टीम ने सूरज की रोशनी में अधिक हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने वाले 100 से अधिक कैटलिस्ट कम्बिनेशन का परीक्षण कर कैटलिस्ट के पांच सेट विकसित किए। ये कैटलिस्ट कचरा जल, खारा जल और ब्रैकिश पानी के साथ अपना काम करते हैं। ये रीसाइक्लिबल हैं और कई बार उपयोग किए जा सकते हैं। इस शोध की कुछ मुख्य विशेषताएं हैं। इनमें से एक यह है कि यह 7.5 घंटे लगातार शुद्ध हाइड्रोजन का उत्पादन करता है।
डॉ. राकेश के शर्मा के अलावा इस शोध टीम के अन्य सदस्य हैं आईआईटी जोधपुर की डॉ. किरण शेजले (पीएचडी छात्रा), डॉ. देविका लैशराम (पीएचडी छात्रा), भागीरथ सैनी (पीएचडी छात्र) और डॉ. कृष्णप्रिया (पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता)। टीम ने कैटलिस्टों की एक सीरीज विकसित की है जिससे सामान्य परिवेश में हाइड्रोजन उत्पादन करने में सक्षमता मिलेगी। इस शोध का व्यावहारिक लाभ उद्योग जगत, ऑटोमोबाइल और ऊर्जा क्षेत्रों को मिलेगा।
आईआईटी जोधपुर के मुताबिक यह प्रक्रिया सरल है और सूरज की रोशनी के वाइड स्पेक्ट्रम पर सफलतापूर्वक काम करती है। इसमें हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए किसी ऊर्जा लाभ पद्धति स्रोत की जरूरत नहीं है। इस तरह तैयार हाइड्रोजन अधिक सस्ता और शुद्ध होने से वाहनों में सीधे ईंधन के रूप में इसका उपयोग बढ़ेगा। परिणामस्वरूप जीवाश्म ईंधन का उपयोग और फिर प्रदूषण भी कम होगा।
आईआईटी ने बताया कि इस अभिनव अनुसंधान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा आईआईटी जोधपुर का आर्थिक योगदान रहा है। इसके साथ ही, शोधकर्ता एक प्रोटोटाइप विकसित करने के बाद उपभोक्ताओं के लिए बड़े स्तर पर हाइड्रोजन उत्पादन सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखते हैं।
सर्दियों में इन 5 तरीकों से करें तुलसी की पत्तियों का सेवन, दूर रहेंगी कई समस्याएं
सर्दियों में तुलसी का सेवन स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों को कम कर सकता है। आइए जानते हैं सेवन का तरीका क्या है?
Written by: Kishori Mishra Updated at: Nov 30, 2022 13:47 IST
आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में तुलसी का विशेष महत्व होता है। इसका इस्तेमाल कई तरह की आयुर्वेदिक औषधि का लाभ पद्धति निर्माण करने के लिए किया जाता है। सर्दियों में रोजाना तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से आप गले की खराश, कफ, सिरदर्द इत्यादि को कम कर सकते हैं। इसके अलावा तुलसी से तैयार काढ़ा पीने से सर्दियों में आपकी इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है। आज हम इस लेख में सर्दियों में तुलसी की पत्तियां खाने के तरीकों के बारे में जानेंगे। आइए जानते हैं तुलसी की पत्तियों का कैसे करें सेवन?
सर्दियों तुलसी की पत्तियों का सेवन करने के फायदे
- रोजाना तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से ओरल हेल्थ को बेहतर कर सकते हैं।
- तुलसी की पत्तियों की मदद से सर्दी-जुकाम की परेशानी कम हो सकती है।
- बुखार को कम करने मे तुलसी की पत्तियां मददगार हो सकती हैं।
- तुलसी की पत्तियों के सेवन से सिरदर्द की परेशानी को कम किया जा सकता है।
- मेटाबॉलिज्म दुरुस्त करने के लिए तुलसी की पत्तियों का सेवन करें।
- तुलसी की पत्तियां स्किन से एक्ने, पिंपल्स और झुर्रियों की परेशानी को कम कर सकता है।
तुलसी की पत्तियों का कैसे करें सेवन?
तुलसी की चाय
सर्दियों में तुलसी की पत्तियों का सेवन आप चाय के रूप में कर सकते हैं। इसके लिए आपको किसी विशेष तरीकों को अपनाने की जरूरत नहीं है। जब भी आप चाय बनाने जा रहे हों, तो इसमें तुलसी की कुछ पत्तियों को डाल दें। यह चाय का स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ आपके स्वास्थ्य के लिए भी काफी हेल्दी हो सकता है।
तुलसी और अदरक
सर्दियों में तुलसी और अदरक का भी सेवन किया जा सकता है। यह काफी प्रभावी है। इसके लिए तुलसी की पत्तियों को रस में थोड़ा सा अदरक का रस मिक्स करके इसे गर्म कर लेँ। अब एक गिलास गर्म पानी के साथ इसका सेवन करें। इससे काफी लाभ मिलेगा। इसके अलावा आप इसका काढ़ा भी तैयार कर सकते हैं।
काली मिर्च के साथ तुलसी
सर्दियों में काली मिर्च के साथ तुलसी का सेवन करें। इसके लिए तुलसी का रस लें। इसे हल्का सा गर्म करें। अब इसमें काली मिर्च पाउडर को मिक्स कर लें। अब इसका सेवन करें। इससे गले की खराश और खांसी से छुटकारा मिल सकता है।
सुबह खाली पेट खाएं तुलसी की पत्तियां
सर्दियों में सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियों का सेवन किया जा सकता है। यह आपके स्वास्थ्य के लिए काफी हेल्दी हो सकता है। इसके लिए तुलसी की कुछ पत्तियां लें। सुबह इसे चबा-चबाकर खाएं। इसके बाद 1 गिलास गुनगुना पानी पी लें। यह काफी प्रभावी होता है।
तुलसी और अदरक का काढ़ा
सर्दियों में तुलसी और अदरक से तैयार काढ़े का सेवन करेँ। यह खांसी, सर्दी-जुकाम से आराम दिला सकता है। इसका सेवन करने के लिए 1 कप पानी लें। इसमें तुलसी की कुछ पत्तियां और अदरक को कद्दूकस करके लाभ पद्धति डालें। अब इस पानी को अच्छी तरह से उबाल लें। इसके बाद इसका सेवन करें। इससे शरीर की गर्माहट बनी रहेगी। साथ ही आपको सर्दियों में होने वाली समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
सर्दियों में तुलसी की पत्तियों का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी हो सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आपकी परेशानी काफी ज्यादा बढ़ रही है तो इस स्थिति में एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। साथ ही तुलसी से एलर्जी की परेशानी है तो इसके सेवन से परहेज करें।