क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता

Cryptocurrency में पैसा लगाने वालों को एक और झटका! क्रिप्टो ट्रांजैक्शन पर 28% GST लगाने की तैयारी
GST on crypto! जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक कब होगी, फिलहाल इसकी तारीख का ऐलान नहीं किया गया है. इससे पहले, सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी और NFTs से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स का ऐलान किया था.
GST on cryptocurrencies! देश में क्रिप्टो निवेशकों को एक और झटका लग सकता है. गुड्स एंड सर्विसेज टैकस (GST) काउंसिल क्रिप्टोकरेंसीज पर 28 फीसदी टैक्स लगाने पर विचार कर रही है. यह टैक्स रेट लॉटरी, कैसिनो और बेटिंग पर लगता है. रिपोटर्स के मुताबिक, अगर जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में यह प्रस्ताव आता है, तो क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन (माइनिंग, खरीद-बिक्री) पर 28 फीसदी का भारी-भरकम लग सकता है. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक कब होगी, फिलहाल इसकी तारीख का ऐलान नहीं किया गया है. इससे पहले, सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी और NFTs से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स का ऐलान किया था.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी और क्रिप्टो एसेट्स अलग-अलग क्लासीफाई किया गया है. फरवरी में बजट 2022-23 के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो ट्रांजैक्शन से होने वाली इनकम पर 30 फीसदी टैक्स का एलान किया था. इसमें 1 फीसदी टीडीएस (Tax Deduction at Source) भी शामिल है. 1 अप्रैल से क्रिप्टो की कमाई पर टैक्स का यह प्रावधान लागू हो गया है.
जानकारी के मुताबिक, 28 फीसदी का GST 30 फीसदी के क्रिप्टो इनकम टैक्स से अलग होगा. इसके अलावा, एक तय लिमिट से ज्यादा ट्रांजैक्शन करने पर 1 फीसदी का TDS काटने पर भी विचार किया जा रहा है. वहीं, किसी दोस्त या रिलेटिव को क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल असेट गिफ्ट करने पर भी टैक्स लायबिलिटी बनेगी. वर्चुअल डिजिटल असेट पर टैक्स लागू करने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में नया सेक्शन 115BBH को जोड़ा गया था.
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ग्लोबल रेग्युलेशन की जरूरत
पिछले महीने अमेरिका के दौरे पर गई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है. यह बहुत बड़ा मार्केट हो गया है. ऐसे में अब एक ग्लोबल रेग्युलेशन की जरूरत है, ताकि इसके चलते होने वाले किसी तरह की मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग को रोका जा सके. यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता है.
बता दें, बजट में क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स जरूर लगाया गया था. लेकिन, अभी तक किसी तरह के डिजिटल एसेट को रेग्युलेट नहीं किया गया है. वित्त मंत्री ने साफ-साफ कहा था कि टैक्स लगाने का मतलब क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी दर्जा देना नहीं है.
क्रिप्टोकरेंसी होगी रेग्यूलेट, टेरर फंडिंग रोकने को सरकार ने कसी कमर
केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेट करने के लिए बिल लाने की तैयारी में है. इस खबर के सामने आने के बाद से ही एक के बाद एक सभी क्रिप्टोकरंसी क्रैश होने लगी है. इनमें निवेश करने वालों में इस बात को लेकर आशंका थी कि अब उनके पैसे का क्या होगा. सूत्रों का कहना है कि सरकार पूरी तरह से इस पर बैन नहीं लगाएगी. इसके जरिए होने वाले हवाला और टेरर फंडिंग को रोकने के लिए इसे रेग्युलेट किया जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 को इसी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा. संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होगा. इन खबरों की वजह से Bitcoin का भाव गिरकर एक महीने के निचले स्तर पर आ गया है.
सूत्रों का कहना है कि आरबीआई के क्रिप्टोकरंसी को लेकर चिंता जाहिर करने के बाद केंद्र सरकार ने इसे रेग्युलेट करने की तैयारी शुरू कर दी है. सूत्रों ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी को वैध करेंसी की मान्यता नहीं दी जाएगी क्योंकि यह असल करेंसी और देश के टैक्स सिस्टम के लिए खतरा है. रेगुलेशन मैकेनिज्म तय होने के बाद क्रिप्टोकरेंसी का गलत इस्तेमाल नहीं हो पाएगा. सरकार को इस बात की फिक्र है कि क्रिप्टो का इस्तेमाल हवाला या टेरर फंडिंग में ना किया जाए.
कितना बड़ा क्रिप्टोकरंसी का बाजार
एक अनुमान की बात करें तो दुनिया भर में 7 हजार से ज्यादा अलग-अलग क्रिप्टोकरंसी मौजूद हैं. 2013 में दुनिया में सिर्फ BitCoin के नाम से पहली क्रिप्टोकरंसी थी. इसे साल 2009 में लॉन्च किया गया था. क्रिप्टोकरंसी को लेकर कई शेयर मार्केट ब्रोकर जेरोधा के फाउंडर ने भी कई सवाल उठाए हैं.
क्रिप्टो करेंसी हमारे युवाओं क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता को बर्बाद कर सकता है, प्रधानमंत्री मोदी का अहम बयान
पीएम मोदी ने सिडनी डायलॉग को संबोधित करते हुए कहा कि हमें यह कोशिश करनी होगी कि क्रिप्टो करेंसी और बिटकॉइन गलत हाथों में न जाए, यह युवाओं को बर्बाद कर सकता है
Photo Courtesy: Aajtak
नई दिल्ली। क्रिप्टो करेंसी को लेकर इन दिनों भारत में चर्चाएं गरम है। बिटकॉइन जैसे डिजिटल करेंसी को लेकर केंद्र सरकार का स्टैंड भी तेजी से बदल रहा है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर बड़ा बयान दिया। पीएम मोदी ने चिंता जताते हुए कहा है कि यह हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है। प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इसी हफ्ते एक संसदीय समिति ने क्रिप्टो करेंसी को वैधता देने की सिफारिश की है।
पीएम मोदी गुरुवार को डिजिटल माध्यम से सिडनी डायलाग को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने क्रिप्टो करेंसी के भविष्य को लेकर चिंता जताई। प्रधानमंत्री ने कहा कि, 'क्रिप्टो करेंसी या बिटकॉइन का उदाहरण ले लीजिए। सभी लोकतांत्रिक देशों को इस पर मिलकर काम करना होगा। यह बहुत जरूरी है कि साथ हम यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में ना जाए। यह हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है।'
Take crypto-currency or bitcoin for example.
It is important that all democratic nations work together on this and ensure it does not end up in wrong hands, which can spoil our youth: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) November 18, 2021प्रधानमंत्री मोदी यहां "India's Technology: Evolution and Revolution" विषय पर बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि समुद्र से लेकर साइबर तक नए-नए खतरे उभरे हैं। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टेक्नालॉजी एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। यह भविष्य की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने की कुंजी है। प्रौद्योगिकी और डेटा आज नए हथियार बन गए हैं। डिजिटल युग हमारे चारों ओर सब कुछ बदल रहा है। इसने राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज को फिर से परिभाषित किया है।'
बता दें कि हाल ही में पीएम मोदी कि अध्यक्षता में क्रिप्टो करेंसी को लेकर उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। वहीं इस हफ्ते सोमवार को वित्त मामलों के लिए गठित संसद की स्थायी समिति ने भी क्रिप्टो करेंसी को लेकर चर्चा हुई थी। हालांकि, इस बैठक में यह निष्कर्ष निकल कर सामने आया कि केंद्र सरकार का मानना है कि क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन इसका रेगुलेशन जरूरी है।
क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं
केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा. The post क्रिप्टोकरेंसी पर लगाए गए तीस प्रतिशत कर के क्या मायने हैं appeared first on The Wire - Hindi.
केंद्र सरकार द्वारा वर्चुअल डिजिटल एसेट्स से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर को हितधारकों ने निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. इनका मानना है कि आने वाला दौर डिजिटलीकरण और टेक्नोलॉजी का है, ऐसे में अगर भारत ने इसके लिए अनुकूल माहौल तैयार नहीं किया तो यह कुछ प्रमुख व्यवसायों और निवेशकों को खो देगा.
(प्रतीकात्मक इलस्ट्रेशन: रॉयटर्स)
भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन के कर निहितार्थ के बारे में काफी अनिश्चितता के बाद केंद्र सरकार ने अंततः 2022-23 के केंद्रीय बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (वीडीए) से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत के समग्र कर की घोषणा की.
क्रिप्टो रिसर्च एजेंसी क्रेबैको (CREBACO) ने बताया है कि 30% टैक्स लागू होने के बाद पहले दो दिनों में भारतीय एक्सचेंज में इसके वॉल्यूम में लगभग 55% की और डोमेन ट्रैफिक में 40% से अधिक की गिरावट देखी है. यह कई मायनों में इस बात का संकेत है कि भारतीय क्रिप्टो स्पेस नए क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता कर दिशानिर्देशों पर कैसे प्रतिक्रिया दे रहा है.
दूसरी ओर, भारत सरकार ने ग्यारह क्रिप्टो एक्सचेंज से चुकाई नहीं गई जीएसटी के 95.86 करोड़ रुपये (958 मिलियन डॉलर) की वसूली की है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने कई क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे कॉइन डीसीएक्सम बाई यूकॉइन, कॉइन स्विच कुबेर, अनकॉइन और फ्लिटपे (Coin DCX, Buy Ucoin, Coin Switch Kuber, Unocoin , Flitpay) द्वारा बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी का पता लगाया था. हालांकि, ज़ानमाई लैब्स बड़ी चोरी का पता लगा था, जहां वज़ीरएक्स नाम का एक क्रिप्टो एक्सचेंज संचालित होता था.
जीएसटी की वसूली और क्रिप्टो लेनदेन से होने वाली आय पर 30% कर ने भारत में क्रिप्टो टैक्स पर चल रही बहस को बढ़ाया ही है.
30 प्रतिशत कर का नियम 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी हुआ है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22 की अवधि) के लिए क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन पर भी कर लगाया जाएगा. इसके लिए आयकर अधिनियम, 1961 में एक नई धारा 115 BBH जोड़ी गई है.
वीडीए पर लगे अन्य करों में ट्रांसफर पर एक प्रतिशत टीडीएस, कोई बुनियादी छूट नहीं, किसी नुकसान पर कोई सेट-ऑफ नहीं, होल्डिंग अवधि के बावजूद कोई इंडेक्सेशन लाभ नहीं है और उपहार का लगने वाला टैक्स भी शामिल हैं.
भारत में स्टॉक और इक्विटी फंड से होने वाले लाभ पर 10-15 प्रतिशत और गैर-इक्विटी विकल्प, संपत्ति और सोने पर 20 प्रतिशत या मामूली दर से कर लगाया जाता है. वर्चुअल संपत्तियों पर इतनी ऊंची दर पर टैक्स लगाने को उद्योग के हितधारकों ने आक्रामक कदम माना है.
वीडीए पर लगे नए कर में क्रिप्टो संपत्तियां जैसे बिटकॉइन, डॉगकोइन आदि, नॉन-फंजीबाल टोकन (एनएफटी) और ऐसी कोई भी संपत्ति जो भविष्य में विकसित हो सकती है, शामिल हैं. गौर करने वाली बात यह है कि महज क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों पर टैक्स लगाने से वे भारत में वैध नहीं हो जाते हैं. यहां परिभाषा, कराधान और गणना (computation) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टता का व्यापक अभाव है.
यहां तक कि कुछ समय पहले भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी केंद्र से यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार या वर्चुअल डिजिटल मुद्रा वैध है या नहीं.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत में वीडीए को विनियमित करने वाला एक कानून पेश किया जाएगा – लेकिन तब जब उनके विनियमन पर वैश्विक सहमति बन जाएगी. सरकार क्रिप्टोकरेंसी के संबंध में कानून पर काम कर रही है, लेकिन इसे तैयार होने में समय लग सकता है.
क्रेबैको के अनुसार, 105 मिलियन से अधिक लोग, जो भारत की कुल आबादी का 7.90 प्रतिशत है, वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी के मालिक हैं, जिनकी कुल संपत्ति 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है. उच्च कर दर बड़े निवेशकों को प्रभावित नहीं करेगी, जो थे पहले से ही 30 प्रतिशत टैक्स ब्रैकेट में थे लेकिन छोटे निवेशक और छात्र, जो अब तक क्रिप्टो निवेश पर टैक्स फ्री रिटर्न का लाभ ले रहे थे, अब प्रभावित होंगे.
देश के प्रमुख डिस्काउंट स्टॉक ब्रोकर ज़ेरोधा के संस्थापक और सीईओ नितिन कामथ का मानना है कि ‘अन्य टोकन या कटौती के खिलाफ नुकसान को सेट-ऑफ करने के विकल्प के बिना 30% टैक्स टर्नओवर में गिरावट का कारण बन सकता है.’
1 जुलाई 2022 से नफे या नुकसान की स्थिति में किसी रेजिडेंट सेलर द्वारा वीडीए के ट्रांसफर पर एक प्रतिशत कर कटौती (टीडीएस) लागू होगा. हालांकि यह कटौती कुल देयता (liability) के साथ एडजस्ट हो जाती है और टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय बाद में रिफंड का दावा किया जा सकता है. लेकिन हितधारकों की शिकायत है कि प्रावधान लिक्विडिटी को प्रभावित कर रहा है और ऐसे व्यापारी, जो ऐसी संपत्ति की लगातार खरीद-बिक्री में शामिल होते हैं, बड़े पैमाने पर प्रभावित होंगे. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यापारी एक वर्ष में 300 बार ट्रेड कर रहा है, तो उसकी पूरी पूंजी टीडीएस में लॉक हो सकती है.
इस प्रावधान को विभिन्न कारणों से सबसे अधिक समस्याग्रस्त माना जा रहा है. पूंजी का ऐसे लॉक हो जाना और अनावश्यक अनुपालन आवश्यकताओं को बढ़ाने के अलावा यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि ‘ट्रांसफर’ के दायरे में क्या-क्या आता है.
उल्लेखनीय है कि क्रिप्टो को न केवल खरीदा और बेचा जाता है, बल्कि एयरड्रॉप, फोर्किंग, स्टेकिंग, पी2पी लेंडिंग और वॉलेट ट्रांसफर के माध्यम से भी लेन-देन होता है. इसे वस्तुओं और सेवाओं के बदले भुगतान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करने की आवश्यकता है कि क्या ट्रांसफर के ये सभी तरीके उन ट्रांसफर जिन पर टीडीएस कटौती लागू होगी, के दायरे में आएंगे.
2022-23 के केंद्रीय बजट में कहा गया है कि टीडीएस काटने और जमा करने की जिम्मेदारी खरीदार पर होगी. हालांकि, खरीदार के पास विक्रेता डेटा जैसे पैन आदि की अनुपलब्धता सरीखी लॉजिस्टिक कठिनाइयों के कारण यह जिम्मेदारी एक्सचेंज पर आ सकती है.
भारत में वीडीए पर टैक्स देते समय अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी भी व्यय के लिए कोई कटौती की अनुमति नहीं होगी. इसी तरह, ऐसी संपत्ति के ट्रांसफर से लाभ कमाने वाले व्यक्ति पर कर लगाते समय किसी भी छूट पर विचार नहीं किया जाएगा, चाहे उनकी आय या उम्र कुछ भी हो.
हितधारकों ने इन टैक्स प्रावधानों को निवेशकों को हतोत्साहित करने वाला बताया है. ऐसा कहा जा रहा है कि इंडेक्सेशन जैसे उपायों के माध्यम से निवेशकों को इस तरह के निवेश को लंबी अवधि के लिए प्रोत्साहित करने के बजाय सरकार एक प्रतिशत टीडीएस के नियम के जरिये बार-बार व्यापारियों को सजा-सी दे रही है.
ओकेएक्स डॉट कॉम (OKX.com) के सीईओ जय हाओ के अनुसार, ‘क्रिप्टोकरंसी एसेट्स से 30% पर लाभ का कर सभी हितधारकों को समान रूप से खुश नहीं क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता कर सकता है. उच्च कर निवेशकों को क्रिप्टो को निवेश के तरीके के रूप में चुनने के लिए हतोत्साहित कर सकते हैं और इससे भारत में क्रिप्टो परिसंपत्तियों को बड़े पैमाने पर जनता द्वारा अपनाए जाने में भी देरी हो सकती है.’
उद्योग से जुड़े पर्यवेक्षकों को डर है कि इस तरह के कदम से उद्योग या तो अंडरग्राउंड हो जाएगा, या भारत से बाहर थाईलैंड, यूएई और जापान जैसे देशों, जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी हब बनने के लिए अपनी कर दरों को कम कर दिया है, में स्थानांतरित हो जाएगा. डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी आगे चलकर अर्थव्यवस्था के हर पहलू को परिभाषित करेगी, और यदि भारत सुगम शासन के माध्यम से इस तरह के नवाचारों को अपनाने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान नहीं करता है, तो यह प्रमुख व्यवसायों और निवेशों को खो सकता है.
(वैशाली बसु शर्मा रणनीतिक और आर्थिक मसलों की विश्लेषक हैं. उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट के साथ लगभग एक दशक तक काम किया है.)
बिटकॉइन की चुनौती और डिजिटल करेंसी
भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल करेंसी जारी करने पर विचार कर रहा है। डिजिटल करेंसी हमारे नोट की तरह ही होती है। अंतर यह होता है कि यह कागज पर छपा नोट नहीं होता है बल्कि यह एक नंबर मात्र होता है जिसे आप अपने मोबाइल अथवा कम्प्यूटर पर संभाल कर रख सकते हैं। उस नंबर को किसी के साथ साझा करते ही उस नंबर में निहित रकम सहज ही दूसरे व्यक्ति के पास पहुंच जाती है। जैसे आप अपनी जेब से नोट निकाल कर दूसरे को देते हैं उसी प्रकार आप अपने मोबाइल से एक नंबर निकाल कर दूसरे को दे कर अपना पेमेंट कर सकते हैं।
डिजिटल करेंसी के पीछे क्रिप्टो करेंसी का जोर है। क्रिप्टो करेंसी का इजाद बैंकों के नियंत्रण से बाहर एक मुद्रा बनाने की चाहत को लेकर हुआ था। कुछ कंप्यूटर इंजीनियरों ने मिलकर एक कठिन पहेली बनाई और उस पहेली को उनमें से जिसने पहले हल कर लिया उसे इनाम स्वरूप एक क्रिप्टो करेंसी अथवा बिटकॉइन या एथेरियम दे दिया। उस बिटकॉइन के निर्माण का खेलने वाले सभी ने अनुमोदन कर दिया कि यह नंबर फलां व्यक्ति को दिया जाएगा। इसी प्रकार नये बिटकॉइन बनते गए और इनका बाजार में प्रचलन होने लगा।
क्रिप्टो करेंसी केंद्रीय बैंकों के नियंत्रण से पूर्णतया बाहर है। जैसे यदि गांव के लोग आपस में मिलकर एक अपनी करेंसी बना लें तो उस पर सरकार का नियंत्रण नहीं रहता है। वे आपस में पर्चे छाप कर एक-दूसरे से लेनदेन कर सकते हैं जैसे बच्चे आपस में कंचे के माध्यम से लेनदेन करते हैं। क्रिप्टो करेंसी का नाम ‘इंक्रिप्टेड’ से बनता है। जिस कम्प्यूटर में यह करेंसी रखी हुई है अथवा जो उस कम्प्यूटर का मालिक है उसका नाम इंक्रिप्टेड या गुप्त है। किसी को पता नहीं लग सकता है कि वह करेंसी किसके पास है। इस करेंसी को बनाने का उद्देश्य था कि सरकारी बैंकों द्वारा कभी-कभी अधिक मात्रा में नोट छाप कर बाजार में डाल दिए जाते हैं जिससे महंगाई बहुत तेजी से बढ़ती है। लोगों की सालों की गाढ़ी कमाई कुछ ही समय में शून्यप्राय: हो जाती है। जैसे यदि आप 100 रुपए के नोट से वर्तमान में 5 किलो गेहूं खरीद सकते हैं। महंगाई तेजी से बढ़ने के बाद उसी 100 रुपये के नोट से आप केवल 1 किलो गेहूं खरीद पायेंगे। ऐसी स्थिति वर्तमान में ईरान और वेनेजुएला जैसे देशों में है। इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिए इन इंजीनियरों ने क्रिप्टो करेंसी का क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता आविष्कार किया, जिससे कि बैंकों द्वारा नोट अधिक छापे जाने से उनकी क्रिप्टो करेंसी की कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़े।
केंद्रीय बैंकों द्वारा क्रिप्टो करेंसी का विरोध तीन कारणों से किया जा रहा है। पहला यह कि अर्थव्यवस्था केंद्रीय बैंक के नियंत्रण से बाहर निकलने को हो जाती है। जैसे यदि देश में महंगाई अधिक हो रही है और रिजर्व बैंक ने मुद्रा के प्रचलन को कम किया तो क्रिप्टो करेंसी का चलन बढ़ सकता है और सरकार की नीति फेल हो सकती है। दूसरा विरोध यह है कि क्रिप्टो करेंसी फेल हो सकती हैं। जैसे यदि कम्प्यूटर का नंबर हैक हो जाये अथवा क्रिप्टो करेंसी बहुत बड़ी संख्या में बनाई जाने लगे तो आज जिस बिटकॉइन को आप ने एक लाख रुपये में खरीदा है, वह कल पांच हजार रुपये का हो सकता है। तीसरा विरोध यह कि क्रिप्टो करेंसी का उपयोग आपराधिक गतिविधियों को सपोर्ट करने के लिए किया जा सकता है। बीते समय में अमेरिका की एक तेल कंपनी के कम्प्यूटरों को अपराधियों ने हैक कर लिया। उन कम्प्यूटरों को वापस ठीक करने के लिए कंपनी से भारी मात्रा में रकम क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से वसूल कर ली। यद्यपि उसमें से कुछ रकम को पुलिस वापस वसूल कर सकी लेकिन बड़ी रकम आज भी वसूल नहीं हो क्रिप्टो करेंसी को रोका नहीं जा सकता सकी है। इसलिए अपराधियों के लिए क्रिप्टो करेंसी सुलभ हो जाती है क्योंकि वह अपनी अापराधिक गतिविधियों से अर्जित गैर-कानूनी आय को सरकारी नज़र की पहुंच के बाहर रख सकते हैं। इसलिए यदि केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है और अर्थव्यवस्था सही चल रही है तो क्रिप्टो करेंसी उसे अस्थिर बना सकती है।
दूसरी तरफ यदि बैंक गैर-जिम्मेदार है, जैसे महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है तो क्रिप्टो करेंसी लाभप्रद हो जाती है। उस परिस्थिति में व्यापार करना कठिन हो जाता है। आज आपने किसी व्यापारी से एक बोरी गेहूं का सौदा 1,000 रुपये में किया। कल उस 1,000 रुपये की कीमत आधी रह गयी। बेचने वाले ने सौदे से इनकार कर दिया। आप यह सौदा क्रिप्टो करेंसी में करते तो यह कठिनाई नहीं आती। अतः यदि केंद्रीय बैंक द्वारा बनाई गई मुद्रा अस्थिर हो तो क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से व्यापार सुचारु रूप से चल सकता है। यदि वेनेजुएला की मुद्रा का मूल्य तेजी से गिर रहा है तो वहां के व्यापारी क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से आपस में व्यापार कर सकते हैं और इस समस्या से बच सकते हैं। मूल बात यह है कि यदि केंद्रीय बैंक जिम्मेदार है तो क्रिप्टो करेंसी अस्थिरता पैदा करती है लेकिन यदि केंद्रीय बैंक गैर-जिम्मेदार है तो क्रिप्टो करेंसी लाभप्रद हो सकती है।
इस स्थिति में कई केंद्रीय बैंकों ने डिजिटल करेंसी जारी करने का मन बनाया है। डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में समानता यह है कि दोनों एक नंबर होते हैं जो आपके मोबाइल में रखे जा सकते हैं। लेकिन क्रिप्टो करेंसी की तरह डिजिटल करेंसी गुमनाम नहीं होती है। रिजर्व बैंक द्वारा इसे उसी तरह जारी किया जाएगा जैसे नोट छापे जाते हैं। रिजर्व बैंक जान सकती है कि वह रकम किस मोबाइल में रखी हुई है। इसलिए डिजिटल करेंसी केंद्रीय बैंक के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार से हमारी रक्षा नहीं करती है। नोट छापने की तरह केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी भी भारी मात्रा में जारी करके महंगाई पैदा कर सकती है। लेकिन फिरभी मुद्रा को सुरक्षित रखने में डिजिटल करेंसी मदद करती है क्योंकि आपको नोटों को आग, पानी और चोरों से बचाना नहीं है। यदि कभी आप अपनी करेंसी का नंबर भूल जायें अथवा आपका मोबाइल चोरी हो जाये तो आपकी पहचान करके उसे वापस प्राप्त करने की व्यवस्था की जा सकती है।
डिजिटल करेंसी का हमें स्वागत करना चाहिए विपरीत इसके कि यह केंद्रीय बैंक के गैर-जिम्मेदाराना आचरण से हमारी रक्षा नहीं करती है। केंद्रीय बैंक के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को इस प्रकार के तकनीकी आविष्कारों से नहीं रोका जा सकता है। उसे ठीक करने का कार्य अंततः राजनीति का है और उस व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए। लेकिन डिजिटल करेंसी के माध्यम से नोट को छापने और रखने का खर्च कम होता है और आपस में लेनदेन भी सुलभ हो सकता है इसलिए हमें डिजिटल करेंसी का स्वागत करना चाहिए।