भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार

सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है?

सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है?
वहीं कई रूसी बैंक चीनी मुद्रा में भी लेनदेन कर रहे हैं. इसके साथ ही कई देश व्यापारिक मुद्रा के रूप में डॉलर को हटाने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिकी प्रतिबंधों से प्रभावित केवल रूस, ईरान और वेनेजुएला ही नहीं, कई दूसरे देश भी डॉलर से दूर हटे रहे हैं. यूरोपीय संघ, कुछ अमेरिका के सहयोगी और नाटो सदस्यों सहित कई देशों ने चीन के साथ युआन में व्यापार को लेकर समझौते किए हैं. इनमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और तुर्की शामिल हैं.

10 अप्रैल को खत्म सप्ताह में दो अरब डॉलर बढ़कर 476.5 अरब डॉलर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

वैश्विक बाज़ार में डॉलर का वर्चस्व

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख के अंतर्गत वैश्विक बाज़ार में डॉलर के वर्चस्व और उसकी भूमिका पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

अमेरिकी डॉलर निस्संदेह वैश्विक वित्तीय प्रणाली का प्रमुख चालक है। केंद्रीय बैंकों के लिये प्रमुख आरक्षित मुद्रा से लेकर वैश्विक व्यापार एवं उधार लेने हेतु मुख्य साधन के रूप में अमेरिकी डॉलर विश्व भर के बैंकों और बाज़ारों के लिये महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। वर्ष 2017 में जारी एक शोध पत्र के मुताबिक कुल अमेरिकी डॉलर का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका से बाहर मौजूद है। यह आँकड़ा विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के लिये डॉलर के महत्त्व को स्पष्ट करता है। हालाँकि गत वर्षों में कई देशों की सरकारों ने डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करने का प्रयास किया है, उदाहरण के लिये वर्ष 2017 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रुसी बंदरगाहों पर अमेरिकी डॉलर के सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है? माध्यम से व्यापार न करने का आदेश दिया था। परंतु जानकारों का मानना है कि डी-डॉलराइज़ेशन या वैश्विक बाज़ार में अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व में कमी निकट भविष्य में संभव नहीं है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में डॉलर

  • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा वह मुद्रा होती है जिसे दुनिया भर में व्यापार या विनियम के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है। अमेरिकी डॉलर, यूरो और येन आदि विश्व की कुछ महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्राएँ हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा को आरक्षित मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है।
    • संयुक्त राष्ट्र (UN) ने दुनिया भर की 180 प्रचलित मुद्राओं को मान्यता प्रदान की है और अमेरिकी डॉलर भी इन्हीं में से एक है, परंतु खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश का प्रयोग मात्र घरेलू स्तर पर ही किया जाता है।
    • विश्व भर के बैंकों की डॉलर पर निर्भरता को वर्ष 2008 के वैश्विक संकट में स्पष्ट रूप से देखा गया था।
    • आरक्षित मुद्रा के रूप में
      • अंतर्राष्ट्रीय क्लेम को निपटाने और विदेशी मुद्रा बाज़ार में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से दुनिया भर के सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है? अधिकांश केंद्रीय बैंक अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार रखते हैं।
      • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा है। आँकड़ों के मुताबिक, 2019 की पहली तिमाही तक विश्व के सभी ज्ञात केंद्रीय बैंकों के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 61 प्रतिशत हिस्सा अमेरिकी डॉलर का है।
      • अमेरिका डॉलर के बाद यूरो को सबसे लोकप्रिय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा माना जाता है, विदित हो कि वर्ष 2019 की पहली तिमाही तक विश्व के सभी केंद्रीय बैंकों के कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 20 प्रतिशत हिस्सा यूरो का है।
      • गौरतलब है कि वर्ष 2010 से जापानी येन (Yen) की आरक्षित मुद्रा के रूप में भूमिका में 5.4 प्रतिशत की गिरावट सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है? आई है, जबकि चीनी युआन (Yuan) और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है, यद्यपि यह अभी मात्र 2 प्रतिशत का ही प्रतिनिधित्व करता है।

      डॉलर के विकास की कहानी

      • उल्लेखनीय है कि पहला अमेरिकी डॉलर वर्ष 1914 में फेडरल रिज़र्व बैंक द्वारा छापा गया था। 6 दशकों से कम समय में ही अमेरिकी डॉलर एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के रूप में उभर कर सामने आ गया, हालाँकि डॉलर के लिये इतने कम समय में ख्याति हासिल करना शायद आसान नहीं था।
      • यह वह समय था जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पछाड़ते हुए विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रही थी, परंतु ब्रिटेन अभी भी विश्व का वाणिज्य केंद्र बना हुआ था क्योंकि उस समय तक अधिकतर देश ब्रिटिश पाउंड के माध्यम से ही लेन -देन कर रहे थे।
        • साथ ही कई विकासशील देश अपनी मुद्रा विनिमय में स्थिरता लाने के लिये उसके मूल्य का निर्धारण सोने (Gold) के आधार पर कर रहे थे
        • इस व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स समझौते के नाम से जाना जाता है।

        निष्कर्ष

        अरबों डॉलर के विदेशी ऋण और घाटे की वित्तीय व्यवस्था के बावजूद वैश्विक बाज़ार को अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर विश्वास है। जिसके कारण अमेरिकी डॉलर आज भी विश्व की सबसे मज़बूत मुद्रा बनी हुई है और आशा है कि आने वाले वर्षों में भी यह महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा की भूमिका अदा करेगी, हालाँकि गत कुछ वर्षों में चीन और रूस जैसे देशों ने डॉलर के समक्ष कई चुनौतियाँ पैदा की हैं। आवश्यक है कि चीन और रूस जैसे देशों की बात भी सुनी जानी चाहिये और सभी हितधारकों को एक मंच पर एकत्रित होकर यथासंभव संतुलित मार्ग की खोज करने का प्रयास करना चाहिये।

        प्रश्न: वैश्विक वित्तीय प्रणाली में डॉलर की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये।

        आखिर, अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार जमा क्यों करता है रिजर्व बैंक, क्या आप जानते हैं?

        विदेशी मुद्रा भंडार

        नई दिल्ली : किसी भी देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार उतना ही आवश्यक है, जितना कि किसी घर में सोना का जमा होना जरूरी है. विदेशी मुद्रा भंडार जमा रहने के बाद कोई भी आवश्यक वस्तुओं का आसानी से आयात करने में सक्षम होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक संकट की स्थिति या आड़े वक्त में ठीक उसी तरह काम करता है, जिस तरह किसी घर में पैसों की कमी होने या विपत्ति के समय में सोना या गहना काम आता है. श्रीलंका की विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने का ही नतीजा है कि उसे आज आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. महंगाई चरम पर है और दूसरे देशों से आवश्यक वस्तुओं का आयात पूरी तरह से प्रभावित है. विदेशी मुद्रा भंडार जमा करने की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के कंधों पर होती है.

        क्या है विदेशी मुद्रा भंडार

        विदेशी मुद्रा या विदेशी मुद्रा भंडार अनिवार्य रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित के रूप में रखी गई संपत्ति है, जिसका इस्तेमाल आर्थिक संकट या आड़े वक्त में किया जाता है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल विनिमय दर का समर्थन करने और मौद्रिक नीति बनाने के लिए किया जाता है. भारत के मामले में विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर, सोना और विशेष आहरण अधिकारों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कोटा शामिल है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वित्तीय प्रणाली में मुद्रा के महत्व को देखते हुए अधिकांश भंडार आमतौर पर अमेरिकी डॉलर में रखे जाते हैं. कुछ केंद्रीय बैंक अपने अमेरिकी डॉलर के भंडार के अलावा ब्रिटिश पाउंड, यूरो, चीनी युआन या जापानी येन को भी अपने भंडार में रखते हैं.

        बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रकार के लेनदेन अमेरिकी डॉलर में तय किए जाते हैं. आयात का समर्थन करने के लिए किसी भी देश के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना आवश्यक है. अगर किसी देश के पास विदेशी मुद्रा या उसके पास डॉलर नहीं होगा, तो वह आवश्यक वस्तुओं का दूसरे देशों से आयात नहीं कर सकता है, जैसा कि श्रीलंका के साथ हुआ. श्रीलंका में आर्थिक संकट आने के पीछे विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आना है. कोरोना महामारी के दौरान उसका पर्यटन उद्योग सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है? बुरी तरह से प्रभावित हुआ. विदेश पर्यटकों के आगमन थम जाने से श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी आ गई, जिसकी वजह से वह अपने देश की जनता की रोजमर्रा की वस्तुओं का आयात करने में विफल हो गया. इसलिए महंगाई चरम पर पहुंच गई.

        भारत ने श्रीलंका को दिया सहयोग

        आलम यह कि आर्थिक संकट के इस दौर में भारत में पेट्रोलियम पदार्थ और खाद्य पदार्थों के अलावा दूसरे प्रकार की सहायता भी उपलब्ध कराई है. वहीं, अगर उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत होता, तो संकट के इस दौर में उसका आवश्यक वस्तुओं का आयात प्रभावित नहीं होता और देश में महंगाई चरम पर नहीं पहुंचती.

        इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि विदेशी मुद्रा भंडार घरेलू स्तर पर मौद्रिक और आर्थिक नीतियां तैयार करने में सरकार और रिजर्व बैंक के लिए अहम भूमिका निभाता है. विदेशी पूंजी प्रवाह में अचानक रुकावट आ जाने की वजह से हमारी आर्थिक और मौद्रिक नीतियां प्रभावित होने के साथ ही आम जनजीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है. इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर घर में जब पैसे और पूंजी या फिर आमदनी में कमी आ जाती है या किसी की नौकरी अचानक छूट जाती है, तो सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है? घर में रखा हुआ सोना ही आड़े वक्त में काम आता है. सोना या गहनों को बेचकर घर का मुखिया परिवार की जरूरतों को पूरा करता है और स्थिति सामान्य होने के बाद वह फिर उतने ही या उससे अधिक सोने का भंडारण कर लेता है. नकदी विदेशी मुद्रा जमा करने से इस तरह की चुनौतियों से सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है? निपटने में आसानी होती है और यह विश्वास दिलाता है कि बाहरी झटके के मामले में देश के महत्वपूर्ण आयात का समर्थन करने के लिए अभी भी पर्याप्त विदेशी मुद्रा होगी.

        मई के आखिर सप्ताह में 3.854 अरब डॉलर बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार

        बता दें कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 27 मई को समाप्त हुए सप्ताह में 3.854 अरब डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर हो गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में हुई बढ़ोतरी के कारण हुई है. इससे पिछले सप्ताह, विदेशी मुद्रा भंडार 4.230 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर हो गया था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में वृद्धि होना है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक है. आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 3.61 अरब डॉलर बढ़कर 536.988 अरब डॉलर हो गई.

        Prabhat Khabar App :

        देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट और राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

        विदेशी मुद्रा के मुद्रा व्यापार के सिस्टम के बारे में जानें

        यदि आप फाइनैंस के छात्र हैं और अगर आप दुनिया के सबसे उत्साही बाजार में प्रतिस्पर्धी बने रहना चाहते हैं तो यह आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि आपको विदेशी मुद्रा के मुद्रा व्यापार का गहरा ज्ञान हो। बहुत से लोग सोचते हैं कि विदेशी मुद्रा बाजार में व्यापार करना आसान है लेकिन विदेशी मुद्रा की दुनिया में प्रतिस्पर्धी बने रहना इतना आसान नहीं है जितना यह दिखता है। आपको साइट से विश्वसनीय सूचना की विशाल राशि इकट्ठा करने की जरूरत है जो कि आपको रेखांकन और चार्ट के रूप में कुछ महत्वपूर्ण उपकरण उपलब्ध कराती है। कुछ अन्य चीजों है जो कि आपको विदेशी मुद्रा प्रणाली की मुद्रा विनिमय का अध्ययन करते हुए ग़ौर करनी चाहिए, इस प्रकार हैं:

        आप को कई कारणों के लिए उच्च गुणवत्ता विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली लेने की जरूरत है:

        • एक व्यापार प्रणाली है जिसको पूर्णता के साथ बनाया गया है, आपका समय बचा सकती है। अगर आप आपके लिए एक अच्छी व्यापार प्रणाली को देख रहे हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि जिस तरह से आप चाहते हैं कि यह काम करे वास्तव में यह उसी तरह से काम करे।
        • एक अच्छी और विश्वसनीय व्यापार प्रणाली आपको उपयोगी जानकारी प्रदान कर सकती है और यह वास्तव में अधिकतम लाभ प्राप्त करने के अवसरों में वृद्धि कर सकती है।

        कुछ महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा के मुद्रा मिथकों से सतर्क रहें

        यदि आप विदेशी मुद्रा साहित्य के शौकीन हैं और यदि आप विदेशी मुद्रा चर्चा संगोष्ठी में नियमित रूप से जाते हैं तो आपको जल्दी ही एहसास हो जाएगा कि वहाँ कुछ चीजें हैं जो वास्तव में विदेशी मुद्रा कारोबार में काम नहीं करती हैं। वहाँ कई विदेशी मुद्रा मिथक हैं जो कि विदेशी मुद्रा के मुद्रा बाजार में लम्बी अवधि से हैं, लेकिन यह मिथक बिल्कुल सच नहीं हैं।उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

        • 85% लोग विदेशी मुद्रा में अपने निवेश खो देते हैं यदि वे इस रोबोट एक्स की मदद नहीं लेते।यह पूरी तरह से एक गलत अवधारणा है क्योंकि वहाँ विदेशी मुद्रा व्यापार में जादू की गोलियां हैं और हर रोबोट के कुछ गुण और दोष हैं।
        • विदेशी मुद्रा व्यापार सीधे आपकी मानसिक दशा से संबंधित है। यह भी एक गलत अवधारणा है क्योंकि आप केवल अपनी मानसिक दशा की मदद से ही विदेशी मुद्रा का खेल नहीं जीत सकते। विदेशी मुद्रा के कारोबार में बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए आपके पास डेमो खाते, विश्वसनीय प्रणाली और महत्वपूर्ण उपकरण के होने की जरूरत है।

        भारत में तेजी से बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार के क्या हैं कारण ?

        एक विविध संघीय जनतंत्र होने के बावजूद बीते छः वर्षों में पूरे भारत के लिए सीमलेस, सम्मिलित एवं पारदर्शी व्यवस्थाएँ तैयार करने पर बल दिया गया है। जहाँ पहले भारत में अप्रत्यक्ष कर ढाँचे का एक बहुत बड़ा जाल फैला हुआ था, वहीं अब जीएसटी के रूप में केवल एक ही अप्रत्यक्ष कर प्रणाली पूरे देश के व्यापार संस्कृति का एक हिस्सा बन चुकी है।

        आपको याद होगा, दिनांक 25 सितम्बर 2019 को न्यूयॉर्क में ब्लूम्बर्ग वैश्विक व्यापार फ़ोरम 2019 में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विदेशी निवेशकों को निमंत्रण देते हुए कहा था कि वे भारत में अपने निवेश को बढ़ाएँ क्योंकि विकास ही आज भारत की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। आज भारत की जनता उस सरकार के साथ खड़ी है जो व्यवसाय का माहौल सुधारने के लिए बड़े से बड़े और कड़े से कड़े फ़ैसले लेने में पीछे नहीं रहती है।

        यूरोपीय संघ ने स्थापित की इंस्टेक्स वित्तीय प्रणाली

        ऊर्जा की काफी ज्यादा जरूरत वाले यूरोपीय संघ ने अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए ईरान के साथ ऊर्जा व्यापार के लिए एक इंस्टेक्स वित्तीय प्रणाली स्थापित की है. वहीं ईरान ने भी चीन के साथ ऐसी ही व्यवस्था की है. अमेरिकी नीतियों से नाखुश सऊदी अरब भी चीन के साथ युआन में व्यापार करने के लिए बातचीत कर रहा है. शीत युद्ध के दिनों में जब भारत के अमेरिका के साथ शत्रुतापूर्ण संबंध थे, वह रूस के साथ रुपये में व्यापार होता था. अब एक बार फिर से रूस से ऊर्जा की खरीद के लिए भारत ने रूस के साथ समझौता करने के लिए कदम बढ़ाया है.

        भारत के लिए रूस ऊर्जा का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है. प्रतिदिन 900,000 बैरल से अधिक के दो-तरफा व्यापार के साथ, रूस भारत की ऊर्जा की मांग का पांचवां हिस्सा पूरा कर रहा है. इसने भारत के अब तक के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता इराक और सऊदी अरब को पीछे धकेल दिया है. ऐसा लगता है कि यूक्रेन युद्ध ने भारतीय नीति-निर्धारकों को निर्भीक कर दिया है जिससे वह रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार का लेनदेन कर रहे हैं.

        पेट्रोलियम पदार्थों की नहीं बढ़ी कीमत

        इस साल जुलाई में भारतीय रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 के प्रावधानों में एक महत्वपूर्ण बदलाव कर एक्जिम व्यापारियों को रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने, चालान और भुगतान का निपटान करने का निर्णय लिया. पहले फेमा के तहत विदेशी मुद्राओं में लेनदेन अनिवार्य था. रूस से रुपये में तेल खरीदने का भारत का निर्णय दो बिन्दुओं पर आधारित है. पहला रूसी तेल को कीमतों में काफी छूट के साथ खरीदना, जिससे भारत में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत नहीं बढ़ी और भारतीय उपभोक्ताओं के लिए डीजल, पेट्रोल के नाम स्थिर रहें.

        डॉलर की कीमत बढ़ने से रुपये में व्यापार करके देश में सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है? उसके भंडार को बचाए रखना भी भारत की कोशिश है. दूसरा, रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमत में जोरदार वृद्धि हुई है जिससे किसी भी तरह का निर्यात महंगा हो गया है. 2012 के बाद से एक दशक में रुपये के मुकाबले डॉलर में 40 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.

        यूएस फेड ने चार बार बढ़ाई ब्याज दरें

        यूएस फेड इस साल पहले ही चार बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है. इससे न केवल आयात महंगा हो गया है, बल्कि ऐसी स्थिति भी पैदा हो गई है जहां जमा डॉलर अमेरिका जा रहा है. अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन की हाल की दिल्ली यात्रा के दौरान इन मुद्दों पर चर्चा हुई और अमेरिका ने भारत की चिंता को स्वीकार किया. इसी का नतीजा है कि G7 के नियम का पालन करने के लिए भारत में रूसी ऊर्जा की आपूर्ति की सीमा को निर्धारित नहीं किया गया है. भारत रूस से जितना चाहे उतना तेल खरीद सकता है.

        रूस, चीन और भारत जैसे देशों के बीच व्यापार ने एक बार फिर ब्रिक्स की अपनी अलग मुद्रा की संभावना को बढ़ा दिया है. तीनों देश ब्रिक्स में हैं मगर भारत ने इसका यह कहते हुए विरोध किया है कि उसकी निर्यात से 60 फीसदी कमाई डॉलर में है जबकी आयात में उसका 85 फीसदी हिस्सा जाता है. पांच देशों के समूह की पिछली बैठकों में भारत ब्रिक्स मुद्रा के प्रस्ताव सबसे आसान विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली क्या है? को लेकर उत्साहित नहीं था. तब चीन ने युआन को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करने की पेशकश की थी.

        आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो चुका था ब्रिटेन

        इसका मतलब यह हो सकता है कि 1944 की ब्रेटन वुड्स सहमति पर दबाव बन जाए. इस सहमति के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रिटेन की वित्तीय मुद्रा पाउंड स्टर्लिंग को डॉलर में बदल दिया गया क्योंकि तब ब्रिटेन आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो चुका था. अगर अमेरिकी डॉलर में कोई आमूल-चूल परिवर्तन नहीं किया जाता तब हो सकता है वह भी अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में अपने आखिरी दिन देख रहा हो.

        रिजॉल्यूशन प्लान के बाद भी जेट एयरवेज की नहीं बन रही बात, बेच सकती है 11 एयरक्रॉफ्ट

        रिजॉल्यूशन प्लान के बाद भी जेट एयरवेज की नहीं बन रही बात, बेच सकती है 11 एयरक्रॉफ्ट

        बजट को लेकर आज से वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण शुरू करेंगी बैठक, यहां जानें पूरा शेड्यूल

रेटिंग: 4.85
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 81
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *