विदेशी मुद्रा व्यापार का परिचय

ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?

ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?
पर इसी ट्रेड के लिए Zerodha में क्लीयरिंग चार्ज कुछ भी नहीं है।

DP Charges क्या होता है?

स्टॉक मार्केट में जब हम इनवेस्टमेंट करते हैं तो हमें कई तरह के चार्जेज देने होते हैं। कई बार कुछ चार्ज के बारे में हमें ठीक से पता नहीं होता। हम आज कि इस पोस्ट में ऐसे ही एक चार्ज को जानेंगे जिसे DP Charges कहा जाता है। हम जानेंगे कि DP Charges क्या होते हैं यह हमें कैसे देना होता है और डीपी चार्जेज कितना होता है। तो आप इस बेहद इंपोर्टेंट टॉपिक को आखिर तक देखे और डीपी चार्जेज को अच्छे से समझे।

नमस्कार दोस्तो आपका स्वागत ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? है हमारी वेबसाइट the-gyan.in पर। आइए चलते हैं पहले सवाल पे डीपी चार्जेज क्या होते हैं।

DP Charges क्या है?

दोस्तो DP Charges का पुरा नाम होता है डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट चार्जेस। और डीपी चार्जेज को समझने से पहले हमें depositary को समझना होगा। स्टॉक मार्केट में डिपॉजिटरी का मतलब होता है वह जगह जहां पर हमारे शेयर्स डिपॉजिट होते हैं। जब हम किसी भी ब्रोकर के प्लेटफॉर्म से शेयर डिलिवरी पर बाय करते हैं तो वह शेर डिजिटली हमारे डीमैट एकाउंट में सेव होते हैं और डीमैट एकाउंट सिर्फ और सिर्फ एक डिपॉजिटरी ही ओपन कर सकती हैं।

दोस्तो इंडिया में सिर्फ दो ही डिपॉजिटरी हैं जो डीमैट अकाउंट प्रोवाइड करती हैं। एक का नाम है सीडीएसएल यानी सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड और दूसरी का नाम है एनएसडीएल यानी नैशनल सिक्युरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड। हम चाहे किसी भी ब्रोकर के जरिए इनवेस्टमेंट करें हमारा डीमैट एकाउंट इन्हीं दो डिपॉजिट्रीस में से किसी एक में होगा।

दोस्तो जब हम शेयर्स बाय करते हैं तो हमारे शेयर्स इन्हीं दो डिपॉजिटरी के डीमैट अकाउंट में से होते हैं और जब हम अपने डीमैट एकाउंट में होल्ड के शेयर्स को सेल करते हैं तो हमारे शेयर्स यही से सेल होते हैं। यानी कि हमारे बाय करने से लेकर सेल करने के टाइम तक हमारे शेयर्स इन डिपॉजिटरी के डीमैट अकाउंट में होते हैं। और अगर हम जिस भी ब्रोकर के जरिए शेयर्स बाय करते हैं उस ब्रोकर के बिजनेस बंद हो गया तो घर सीडीएसएल से या एनएसडीएल के अपने डीमैट एकाउंट से अपने शेयर ऐक्सेस कर सकते हैं।

Parts of DP Charges

दोस्तो डीपी चार्जेज में डिपॉजिटरी के अलावा अगर ब्रोकर चाहें तो वो भी कुछ फीस add करके ले सकता है। क्योंकि ब्रोकर को भी अपनी डिपॉजिटरी को कई तरह की फीस की पेमेंट करनी होती है और अगर ब्रोकर्स की ब्रोकरेज चार्जेज कम हैं तो फिर डीपी चार्जेज के जरिए अक्सर ऐसे ब्रोकर कुछ फीस लेते हैं।

इसका मतलब है दोस्तो डीपी चार्जेज के दो भाग होते हैं:

पहला चार्ज जो डिपोजिटरी चार्ज करती है और वो हमें हर ब्रोकर के पास देना ही होता है और दूसरा चार्ज ब्रोकर का चार्ज जो ब्रोकर टू ब्रोकर अलग अलग होता है।

DP Charges में कितनी फीस देनी होती है?

आइए हम देखते हैं कि आखिर हमें DP Charges में कितनी फीस देनी होती है। दोस्तो डीपी चार्ज हमेशा तभी लगता है जब हम अपनी होल्डिंग्स यानी डीमैट अकाउंट के शेयर सेल करते हैं। और ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? पर कंपनी पर सेलिंग डे का सीडीएसएल हमसे 5 रुपये 50 पैसे चार्ज करती है और एनएसडीएल हमसे 4 रुपये 50 पैसे पर कंपनी पर सेलिंग डे का चार्ज लेती है। यानी कि अगर हमारा डीमैट एकाउंट सीडीएसएल में है तो एक दिन में हमें एक कंपनी के शेयर सेल करने पर 5 रुपये 50 पैसे सीडीएसएल को देने होंगे।

यहां पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम एक कंपनी के एक दिन में एक शेयर सेल करे या 1000 शेयर्स सीडीएसएल हमसे हर कंपनी के शेयर्स पर 5 रुपये 50 पैसे ही चार्ज करेगी।

डिपॉजिटरी के अलावा हर ब्रोकर के चार्ज अलग अलग हो सकते हैं। आइए हम कुछ ब्रोकर्स की टोटल डीपी चार्जेस को देखते हैं।

ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?

क्लियरिंग चार्ज आप अपने ब्रोकर को पे(pay) करते है, क्योकि ब्रोकर क्लीयरिंग एजेंसी को नियुक्त करके आपके ट्रेड सेटल करता है, और उनको कुछ चार्जेस देता है। क्लियरिंग प्रोसेस एक बैक ऑफिस का प्रोसेस होता है, जिसमे ब्रोकर के शेयर बेचने पर पैसे मिलने का सेटलमेंट और शेयर खरीने पर उन शेयर्स की डिलीवरी को एक्सचेंज के क्लीयरिंग मेकेनिस्म के द्वारा सेटल किया जाता है।

क्लियरिंग प्रोसेस में ध्यान रखा जाता है कि ट्रेड्स का सेटलमेंट ब्रोकिंग हाउस और एक्सचेंज के साथ आसानी से हो जाये।

हर ब्रोकर को यह चुनना होता है कि वो अपने ट्रेड्स खुद क्लियर करे या फिर किसी प्रोफेशनल क्लियरिंग मेंबर (PCM) से इस काम को करवाये। इक्विटी डिलीवरी ट्रेड के लिए कोई क्लियरिंग चार्जेस नहीं लगते है क्योंकि हर ब्रोकर को खुद अपने डिलीवरी ट्रेड्स क्लियर करने होते है।

Zerodha में क्लीयरिंग चार्जेस जीरो है:

शेयर मार्केट में ब्रोकर क्या है? ब्रोकरेज चार्जेस की गणना किस प्रकार की जाती है?

शेयर मार्केट में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर की खरीद बेच होती है जिसके लिए हमारे पास डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट का होना आवश्यक है परंतु हमें पता होना चाहिए कि हम सीधे तौर पर शेयर मार्केट (Share Market) में शेयर की खरीद बेच नहीं कर सकते हैं इसके लिए हमें एक माध्यम की आवश्यकता होती है जिसे ब्रोकर (Broker) कहा जाता है। ब्रोकर द्वारा हमें इंटरनेट पर एक ब्रोकिंग प्लेटफार्म प्रदान किया जाता है जिसकी मदद से हम शेयर संबंधित लेन देन कर पाते हैं।

ब्रोकर(Broker) एक वित्तीय माध्यम बिचौलिया अथवा एजेंट होता है जिसके माध्यम से हम शेयर मार्केट में शेयर को खरीद बेच कर पाते हैं। ब्रोकर हमें विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे Stocks Futures तथा derivative की खरीद बेच में मदद करता है।

शेयर ब्रोकर क्या है?

ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?

वे शुल्क जो ब्रोकर द्वारा अपनी सुविधाओं के एवज में लिया जाता है उसे ब्रोकिंग चार्जेस कहते हैं सभी ब्रोकरो के चार्ज एक से नहीं होते हैं यह इस पर भी निर्भर करते हैं कि किस प्रकार के ट्रांजैक्शन हमारे द्वारा किए जाते हैं यह शुल्क ब्रोकर द्वारा समय समय पर घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।

भारत में ब्रोकर द्वारा बता दो प्रकार के प्लान प्रदान किए जाते हैं

  1. Monthly Unlimited trading plan इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को एक निश्चित मासिक राशि शुल्क के रूप में ब्रोकर(Broker) को प्रदान की जाती है इसके तहत वे एक माह में असीमित stocks तथा securities की खरीद बेच कर सकते हैं।
  2. Flat per trade brokerage इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को प्रति सौदा के हिसाब से ब्रोकर को शुल्क चुकाना पड़ता है।

ट्रेडिंग हेतु ब्रोकरेज चार्ज की गणना किस प्रकार की जाती है?

ब्रोकर(Broker) शुल्क या ब्रोकरेज की गणना शेयर की खरीद बेच पर कुल कीमत के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में तय की जाती है यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है

  • Intraday Trading जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर की खरीद तथा बेच एक ही दिन में की जाती है उस स्थिति में व्यक्ति द्वारा किए गए सौदे पर Intraday Trading शुल्क चुकाया जाता है।

जैसे किसी व्यक्ति द्वारा शेयर को खरीद कर उसी दिन ट्रेडिंग सेशन की समाप्ति के पूर्व शेयर को बेच दिया जाता है एसएसबी में ब्रोकर(Broker) शुल्क की गणना इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत की जाती है इस स्थिति के लिए बेचे गाए और खरीदे गाए शेयर की संख्या समान होना आवश्यक है। इस प्रकार के सौदे पर ब्रोकर द्वारा लगाया गया intraday Trading शुल्क 0.01% से 0.05% के मध्य खरीद बेच किए गए शेयर की संख्या पर आधारित होता है। Intraday ब्रोकिंग शुल्क की गणना के लिए शेयर की बाजार कीमत को शेयर की संख्या तथा इंट्राडे शुल्क प्रतिशत ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? के साथ गुणा कर की जाती है

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुल्क के अलावा अन्य कौन-कौन से शुल्क होते हैं?

ब्रोकर के सभी चार्ज

  • Transaction Charges शेयर मार्केट(Share Market) में शेयर की खरीद बेच के दौरान स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शुल्क लिया जाता है जिसे ट्रांजैक्शन चार्जेस कहा जाता है यह ट्रांजैक्शन चार्ज मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई तथा मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बीएसई द्वारा लिए जाते हैं।
  • Security Transaction charges यह शुल्क सौदे (trade) में उपयुक्त securities की कीमत के आधार पर लगाया जाता है।
  • Commodity transaction charges यह शुल्क स्टॉक एक्सचेंज में commodity derivative के सौदे (trade) पर लगाया जाता है।
  • Stamp duty (स्टांप शुल्क) यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा securities इसकी trading पर लगाया जाता है।
  • GST (goods and service tax)वस्तु एवम सेवा कर यह शुल्क केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजैक्शन चार्जेस तथा ब्रोकिंग शुल्क पर लगाया जाता है। वर्तमान में यह 18% है।
  • SEBI turnover charges यह शुल्क बाजार नियामक संस्था सेबी द्वारा सभी प्रकार के वित्तीय लेन देन जैसे stocks तथा सभी securities (debt को छोड़कर आदि पर लगाया जाता है।
  • DP( Depository Participants)

ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?

लिक्विड बीस /लिक्विड ETFs के लिए सभी चार्जेस इक्विटी ट्रेड्स के तरह ही होते हैं। लेकिन लिक्विड बीस /लिक्विड ETFs के लिए कोई STT चार्ज नहीं होते है। इसमें कोई एंट्री / एग्जिट लोड नहीं होते है, क्योंकि यह फंड सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड होता है।

लिक्विड बीस /लिक्विड ETFs में टर्नओवर (क्वान्टिटी * प्राइस) पर 0.00345% का ट्रांसक्शन चार्जेस होता है। साथ में ट्रांसक्शन चार्ज पर 18% GST, SEBI चार्ज रु 10/करोड़ और कॉरेस्पोंडेंस एड्रेस पर स्टेट (state) के अनुसार स्टाम्प ड्यूटी होता है।

Zerodha में जभी भी आप लिक्विड बीस से एग्जिट करते है, जो आपके डीमैट में है, तब उसपर रु 8+GST का DP चार्ज लिया जाता है। जबकि लिक्विड ETFs से एग्जिट करने पर रु 13.5+GST का DP चार्ज लगाया जाता है।

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  • क्या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स(ETFs) में सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन्स टैक्स लगता है ?
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ध्यान दें: हिंदी सपोर्ट पोर्टल आपकी सुविधा के लिए है, लेकिन टिकेट बनाते समय कृपया अंग्रेजी का प्रयोग करें।

चेक बाउंस होने पर क्या चार्जेस लगते हैं

डिजिटल क्रांति के इस युग में, भुगतान करने के लिए सबसे पसंदीदा साधनों में से एक चेक है। हालांकि, कई उदाहरण हैं, जहां एक प्रतिकूल स्थिति पैदा होती है, विशेष रूप से व्यापार की दुनिया में, जब चेक बाउंस के कारण वित्तीय लेनदेन को स्वीकार नहीं किया जाता है। भारत की सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक चेक बाउंस है , जोकि जारीकर्ता के लिए संकटपूर्ण परिणाम पैदा कर सकता हैं। जैसे कि व्यवसाय की दुनिया में अपना नाम खराब करना और पेयी के साथ अपनी विश्वसनीयता खो देना जिसके नाम पर चेक ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं? भेजा गया था । नीचे वर्णित कुछ प्रमुख तरीके हैं, जिसमें बाउंस चेक भुगतानकर्त्ता को प्रभावित कर सकता है:

सिविल और आपराधिक आरोप

यदि आप भाग्यशाली हैं तो आप बाउंस चेक के लिए बैंक को केवल एक छोटा सा जुर्माना दे सकते हैं। हालांकि, अगर पीड़ित पक्ष फैसला करता है, तो बाउंस चेक जारी करने वाले पक्ष के खिलाफ एक सिविल या आपराधिक मामला भी दर्ज किया जा सकता हैं। यदि भुगतानकर्ता शुल्क देना चाहता है तो परक्राम्य उपकरण अधिनियम 1881, जोकि चेक बाउंस के मामले में लागू किया जा सकता है।

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