अग्रणी सूचक

दृष्टि आईएएस ब्लॉग
सूचकांक किसी देश या समाज की प्रगति का मूल्यांकन करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम होते हैं। ये सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विकास के गणित को निर्धारित मानकों के आधार पर अग्रणी सूचक अंको में प्रदर्शित करते हैं। सूचकांक प्रगति को मापने के लिए तुलनात्मक अवसर भी प्रदान करते हैं। हालांकि इनपर एकपक्षीय या एकआयामी होने का आरोप भी लगता रहा है। हाल ही में जारी मानव विकास सूचकांक इस बार चर्चा में है। मानव विकास सूचकांक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा जारी किया जाता है। यह सूचकांक 1990 से जारी किया जा रहा है। इस वर्ष यह सूचकांक इसलिए चर्चित है क्योंकि इस सूचकांक में पिछले 32 वर्षों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गयी है। चिंता का एक बिंदु यह भी है कि वैश्वीकरण के इस दौर में यह गिरावट सतत विकास लक्ष्यों के भी प्रतिकूल है। इस वर्ष 2021 के लिए 191 देशों का मानव विकास सूचकांक जारी किया गया है। मानव विकास सूचकांक के 3 मानक हैं- शिक्षा, स्वास्थ्य और आय तथा मानव विकास। सूचकांक की गणना 4 संकेतकों- जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय द्वारा की जाती है। इसकी गणना 0 और 1 के बीच की जाती है। संकेतक में जो देश अंक एक के जितना पास रहता है वह मानव विकास में उतने उच्च स्तर पर होता है। शिक्षा जहाँ ज्ञान से जुड़ी हुई है वहीं स्वास्थ्य लंबे और स्वस्थ जीवन तथा आय सभ्य जीवन स्तर से जुड़ी हुई है।
यूएनडीपी संयुक्त राष्ट्र की विभिन्न एजेंसियों जैसे यूनेस्को तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे-ओईसीडी, वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ आदि से आंकड़ों का संकलन करता है अग्रणी सूचक और इस सूचकांक का प्रकाशन करता है। इस वर्ष मानव विकास सूचकांक की थीम- “अनसर्टेन टाइम्स, अनसैटल्ड लाइफ: सेविंग आवर फ्यूचर इन ए ट्रांसफॉर्मिंग वर्ल्ड” है।
भारत की स्थिति-
मानव विकास सूचकांक में भारत की स्थिति चिंताजनक है। विकास के तमाम दावों के बावजूद सूचकांक में भारत अपने पड़ोसी अग्रणी सूचक अग्रणी सूचक देशों से भी बहुत पीछे है। यूएनडीपी द्वारा 2022 में प्रकाशित मानव विकास सूचकांक, 2021 में अग्रणी सूचक भारत का स्थान 132वां है। भारत का एचडीआई मूल्य 0.633 रखा गया है जो कि 2020-21 के सूचकांक 131 एवं एचडीआई मूल्य 0.645 से कम है। पिछले वर्ष के सूचकांक के मुकाबले इस वर्ष भारत के मानव विकास में गिरावट आई है। भारत को प्राप्त मानव विकास सूचकांक मूल्य को मध्यम मानव विकास की श्रेणी में रखा जाता है।
सूचकांक में गिरावट के कारण-
हाल ही में जारी सूचकांक में भारत के नीचे फिसलने का मुख्य कारण जीवन प्रत्याशा में आई कमी है। 69.07 के मुकाबले अब जीवन प्रत्याशा 67.2 वर्ष हो गयी है। हालांकि जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट भी दर्ज की गई है, जो 2019 में 72.8 वर्ष से घटकर 2021 में 71.4 वर्ष हो गया है। यदि हम भारत में मानव विकास सूचकांक में निचले पायदान पर होने के कारणों की जांच करें तो इसके मुख्य कारण भारत के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के गिरावट में मिलता है। स्वास्थ्य में प्रमुख कारण जीवन प्रत्याशा में आई कमी, शिक्षा में नामांकन दर और शिक्षा की आवश्यक अवधि में कमी तथा जीवन स्तर के स्तर पर गुणात्मक जीवन स्तर का ना होना है। भारत में स्कूली शिक्षा का अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष और स्कूली शिक्षा का औसत वर्ष 6.7 साल है। नीति आयोग के स्कूली शिक्षा गुणवत्ता सूचकांक (School Education Quality Index) रैंकिंग के अनुसार, देश भर में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में भारी अंतर पाया गया है। यह अंतर एक राष्ट्र के लिए शैक्षिक क्षेत्र की सामूहिक कमजोरी का सूचक है।
भारत में मानव विकास के निचले स्तर पर होने के अन्य कारण भी हैं जैसे -- गरीबी दर, भुखमरी व पर्यावरणीय मुद्दे। कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फ द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित वैश्विक भुखमरी सूचकांक (GHI) 2021 में भारत का स्थान 116 देशों में से 101वाँ है जो कि 2020 में 90वां था। यह स्थान इंगित करता है कि हम खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद वितरण के स्तर पर सक्षम तंत्र का निर्माण नहीं कर पाए हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव (OPHI) द्वारा वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 के अनुसार, 109 देशों में भारत की रैंक 66वीं है जो कि वैश्विक नेतृत्व करने के आकांक्षी राष्ट्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
आंतरिक असमानता भी भारत के मानव विकास में बाधक है। मानव विकास की गिरावट में महिला-पुरुष असमानता एक प्रमुख कारण है। यदि हम अवसर, उपलब्धि और सशक्तिकरण के स्तर पर देखें तो ज्यादा असमानता दिखाई देती है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर सशक्त नहीं हो पायी हैं। विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने वर्ष 2022 के लिये अपने वैश्विक लैंगिक अंतराल (Global Gender Gap-GGG) सूचकांक में भारत को 146 देशों में से 135वें स्थान पर रखा है।
सुधार के उपाय
हाल ही में जारी सूचकांक में यूएनडीपी ने कहा मानव विकास में गिरावट सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी हुई है। शीर्ष के 10 देशों में से 9 देशों में गिरावट दर्ज की गई है। यदि हम वैश्विक स्तर पर कारणों को देखें तो दुनिया कई संकटों का सामना कर रही है जिसमें प्रमुख है वैश्विक महामारी कोविड-19। इसके अतिरिक्त ऊर्जा संकट , युद्ध और तनाव तथा पलायन की स्थितियां भी मानव विकास में आई गिरावट के प्रमुख कारण हैं।
यूएनडीपी ने भारत के संदर्भ में कुछ सकारात्मक बातें भी कही है। यूएनडीपी ने बताया कि भारत समावेशी विकास की ओर बढ़ रहा है। स्वच्छ पानी, स्वच्छता, सस्ती स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच में सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त कमजोर वर्गों तक सामाजिक सुरक्षा तक पहुंच को बढ़ावा मिला है। यदि हम आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 2020-21 के मुकाबले 2021-22 में सामाजिक सेवा क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में 9.8% की वृद्धि दर्ज की गई है। सूचकांक में सुधार हेतु भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी आधारभूत जरूरतों की उपलब्धता और उनकी पहुँच के लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधान तथा कार्य करना होगा। चूँकि यूएनडीपी अग्रणी सूचक मानव विकास सूचकांक के निर्धारण के लिए वैश्विक स्तर के आंकड़ों को आधार बनाता है इसलिए भारत को बहुआयामी सुधार और मानक के अनुरूप संसाधनों के वितरण की आवश्यकता है।
यूएनडीपी के प्रशासक अचिम स्टेनर ने प्रकाशित रिपोर्ट में स्पष्ट कहा कि, ‘‘संकट-दर-संकट से उबरने के लिए दुनिया हाथ पांव मार रही है। अनिश्चितता से भरी इस दुनिया में, हमें आम चुनौतियों से निपटने के लिए परस्पर वैश्विक एकजुटता की एक नयी भावना की आवश्यकता है।’’
विमल कुमार
विमल कुमार, राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। अध्ययन-अध्यापन के साथ विमल विभिन्न अखबारों और पत्रिकाओं में समसामयिक सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर स्वतंत्र लेखन और व्याख्यान के लिए चर्चित हैं। इनकी अभिरुचियाँ पढ़ना, लिखना और यात्राएं करना है।
ये खिताब हासिल करने वाली दुनिया की पहली कंपनी बनी Flipkart
भारत का स्वदेशी ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस फ्लिपकार्ट (Flipkart) दुनिया की पहली कंपनी बन गई है जिसे प्रतिष्ठित ट्रांसपोर्टेड एसैट प्रोटेक्शन एसोसिएशन – फैसिलिटी सिक्योरिटी रिक्वायरमेंट मल्टी-साइट (TAPA FSR) सर्टिफिकेट दिया गया है. यह सम्मान कंपनी की भारत स्थित 75 फुलफिलमेंट सेंटर्स को TAPA APAC द्वारा दिया गया है.
इस प्रकार, मल्टीसाइट ‘ए’ सर्टिफिकेट हासिल करने वाली फ्लिपकार्ट दुनिया की इकलौती कंपनी है जिसे "एलीवेटेड सिक्योरिटी प्रोटेक्शन" दिया गया है. यह सर्टिफिकेशन द्वारा स्वीकृत स्वतंत्र ऑडिट निकायों (Independent Audit Bodies - IABs) – डीएनवी के साथ काम करने के उपरांत मिला है, और यह फ्लिपकार्ट द्वारा अपनी साइटों पर प्रभावी तरीके से प्रोग्राम मैनेजमेंट एवं निर्बाध ऑपरेशंस के लिए अपनी वर्कफोर्स के मोबीलाइज़ेशन के चलते हासिल किया गया है.
फ्लिपकार्ट ने अपने फुलफिलमेंट सेंटर्स पर सिक्योरिटी एवं सस्टेनेबिलिटी सुनिश्चित करने के लिए 2017 से ही TAPA FSR मानक को लागू किया हुआ है. कॉर्म्स को सुगम, भरोसेमंद तथा किफायती बनाने के लिए उद्देश्य से, यह सर्टिफिकेशन बेहतर एंड-टू-एंड सप्लाई चेन सॉल्यूशंस प्रदान करने के लक्ष्यों को मान्यता देता है. The TAPA FSR A मल्टी साइट सर्टिफिकेशन में सभी साइटों पर बेहतर आईटी एवं साइबर सिक्योरिटी मॉडयूल्स शामिल हैं.
इस घोषणा के बारे में, हेमंत बद्री ने कहा, "फ्लिपकार्ट की 75 सप्लाई चेन साइटों के लिए TAPA-FSR का मल्टी-साइट सर्टिफिकेशन प्राप्त करना वाकई उत्साहवर्धक है. इस सम्मान को हासिल करने वाले दुनियाभर में इकलौते मार्केटप्लेस होने के नाते यह ग्लोबल स्टैंडर्ड्स एंड सर्टिफिकेशंस के जरिए रिस्क मैनेजमेंट बेंचमार्किंग के लिए हमारी प्रतिबद्धता दोहराता है. समूची वैल्यू चेन में जोखिम घटाने के पहलुओं काम करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत के प्रमुख स्वदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफार्म होने के नाते, हमें यकीन है कि यह उपलब्धि कई एंड टू एंड सप्लाई चेन कंपनियों को भी अपने स्तर पर सुरक्षित एवं लचीला नेटवर्क स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगी. इससे न सिर्फ सुरक्षा को प्रमुखता मिलेगी बल्कि देश में इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को और भी मजबूत बनाने में आवश्यक मदद मिलेगी."
टोनी लुग, चेयरमैन, TAPA APAC ने कहा, "TAPA APAC बोर्ड फ्लिपकार्ट को अपने फुलफिलमेंट सेंटर्स पर 2017 से TAPA FSR A मानकों का पालन करने के उनके शानदार सफर पर बधाई देता है. यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए उनके परिचालनों अग्रणी सूचक की कुशलता और निवेश का सूचक है. अपने ग्राहकों के लिए कंपनी जो मूल्य प्रदान करती अग्रणी सूचक है ताकि उनहें सुरक्षित तरीके से बिज़नेस का लाभ मिले, और साथ ही, अपने कर्मचारियों के अग्रणी सूचक लिए जिन मूल्यों को इसने अपनाया है, वे वाकई सराहनीय हैं. फ्लिपकार्ट ने उद्योग में अपनी अग्रणी भूमिका बना ली है जो भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र में भविष्य के विकास को ध्यान अग्रणी सूचक में रखकर मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है."
TAPA मानकों का फ्लिपकार्ट द्वारा अनुपालन इसके लचीलेपन तथा बिजनेस सस्टेनेबिलिटी नीतियों को दर्शाता है और यह मजबूत सप्लाई चेन तैयार करने के लिए इसके प्रयासों का भी सूचक है. फ्लिपकार्ट अपने ग्राहकों तथा हितधारकों के लिए मूल्य सृजन करने, उनमें विस्तार करने तथा पूरे इकोसिस्टम को समर्थ बनाकर दायित्वपूर्ण तरीके से बिज़नेस ग्रोथ को बढ़ावा देती है.
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