संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं

तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती
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विभिन्न प्रकार के प्रतिभागी शेयर बाजारों में काम करते हैं। कुछ लोगों को लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं , जबकि कुछ मिनटों के संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं भीतर अपनी स्थिति बंद कर देते हैं। व्यापारी एक छोटे निवेश क्षितिज के साथ तकनीकी चार्ट और उपकरणों का उपयोग करते हुए निवेश करते हैं। मोमबत्ती चार्ट सबसे लोकप्रिय व्यापारिक उपकरणों में से एक है। रंग – कोडित छड़ द्वारा गठित विभिन्न पैटर्न भविष्य में कीमत के बदलाव के लिए एक उत्कृष्ट संकेत हैं। तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती एक तेजी अल्पकालिक उत्क्रमण पैटर्न है।
तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती पैटर्न पहली छड़ी के साथ विक्रेताओं से प्रभावित और दूसरी खरीदारों के प्रभुत्व से दो दिनों में बनाई है। यह एक प्रवृत्ति के उलट को चिह्नित करता है और ऊपर की ओर अल्पकालिक बदलाव के लिए एक संकेत है। तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती पैटर्न आम तौर पर नीचे की कीमत बदलाव की एक व्यापक प्रवृत्ति से पहले है। यह संकेत देता है कि बेचे जाने वाले शेयरों की आपूर्ति अधिकतम सीमा तक पहुंच गई है और धीरे-धीरे खरीददारों ने शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए बाजार पर हावी होना शुरू कर दिया है
तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती पैटर्न लगातार दो मोमबत्तियों द्वारा बनता है। पहली मोमबत्ती उच्च के पास खुलती है और औसत या बड़े आकार की व्यापार सीमा के साथ कम के पास बंद हो जाती है। चूंकि पहली मोमबत्ती नीचे की ओर बदलाव का प्रतीक है, यह लाल रंग में है। लाल मोमबत्ती के बाद एक हरे रंग की होती है, लेकिन कुछ अच्छे संकेतकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
एक तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती पैटर्न में, दूसरी मोमबत्ती एक अंतर के साथ खुलती है। अंतराल का गठन केवल स्टॉक्स में संभव है अगर एक दिन का उद्घाटन मूल्य पिछले दिन से कम या अधिक हो सकता है। एक तेज तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती पैटर्न में दूसरी मोमबत्ती एक अंतर के साथ खुलता है, जिसका अर्थ है कि उद्घाटन मूल्य पिछले दिन के समापन मूल्य से कम है। हालांकि, दूसरी छड़ी पहले दिन की शुरुआती कीमत के पास बंद होनी चाहिए। दूसरी हरी मोमबत्ती को कम से कम पिछले दिन की लाल मोमबत्ती के आधे हिस्से को एक स्पष्ट तीखी रेखा पैटर्न के लिए ढक लेना चाहिए।
व्यापार कैसे करें:
तेज तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती पैटर्न प्रवृत्ति उत्क्रमण का एक संकेतक है। हालांकि, खरीद संकेत देने के लिए केवल तीखी पंक्ति वाली पैटर्न पर भरोसा करना पर्याप्त नहीं हो सकता है। पैटर्न को अन्य संकेतकों के साथ देखा जाना चाहिए जो खरीद संकेत की पुष्टि करते हैं। दूसरी मोमबत्ती को तीखी पंक्ति वाली पैटर्न बनाने के लिए पहली मोमबत्ती का केवल आधा हिस्सा ढकना होगा। पूरी लाल मोमबत्ती को ढकना अनिवार्य नहीं है। इसका मतलब है कि बैल पहले दिन के नुकसान को पूरी तरह से उत्क्रमण करने में सक्षम नहीं थे। जब आरएसआई स्टोकेस्टिक या एमएसीडी की तरह अन्य तकनीकी संकेतक, एक तीखी पंक्ति वाली पैटर्न के गठन के रूप में एक ही समय में एक तेज विचलन दिखाए, तो ऊपर की ओर प्रवृत्ति जारी रहने संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं की अधिक संभावना है।
ध्यान में रखना एक और सरल लेकिन महत्वपूर्ण पहलू व्यापार की मात्रा है। यदि दूसरे दिन की मात्रा औसत से अधिक है, तो यह नीचे की प्रवृत्ति के संभावित अंत का एक मजबूत संकेत है।
पैटर्न निगलना:
तीखी पंक्ति वाली पैटर्न एक तेज उत्क्रमण पैटर्न है, लेकिन अगर दूसरी मोमबत्ती पहली मोमबत्ती के उद्घाटन स्तर से ऊपर बंद हो जाती है, तो यह एक तेज निगलने वाले पैटर्न में बदल जाता है। एक तेज निगलने वाले पैटर्न में, हरी मोमबत्ती जो लाल मोमबत्ती का अनुसरण करती है इसे पूरी तरह से ढक लेती है, एक तीखी पंक्ति वाली पैटर्न में आधी व्याप्ति के विपरीत। तेज निगलने वाला पैटर्न एक तीखी पंक्ति वाली पैटर्न की तुलना में मूल्य उत्क्रमण का एक मजबूत सूचक है। बैल दूसरे दिन तेज निगलने वाले पैटर्न के मामले में अधिक प्रभावी होते हैं क्योंकि दूसरी मोमबत्ती एक अंतर के साथ खुलती है लेकिन पहली मोमबत्ती के उद्घाटन मूल्य से ऊपर बंद होती है पूरी तरह से इसे निगलकर। यह तेज निगलने वाले पैटर्न के बारे में पता करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह तीखी पंक्ति वाली पैटर्न के बहुत समान है। दूसरे दिन एक थोड़ा मजबूत संग्ठन एक तेज निगलने वाले पैटर्न को एक तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती पैटर्न में बदल सकते हैं।
तीखी पंक्ति वाली मोमबत्ती पैटर्न मूल्य उत्क्रमण के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है। कई अवसरों पर, यह भीड़ क्षेत्रों में पाया जाता है जिसमें दोनों लाइनों की छोटी श्रेणियां होती हैं। भेदी लाइनों के आधार पर व्यापार से बचें यदि वे एक भीड़ क्षेत्र में बनते हैं। तीखी पंक्ति वाली पैटर्न पर केवल तभी व्यापार करें अगर वे चार्ट पर स्पष्ट रूप से दिखाई दें।
अटल टनल के उद्घाटन के बाद हिमाचल में दो जनसभाओं को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
'चीन-भारत सीमा पर लद्दाख में जारी गतिरोध के मद्देनजर अटल सुरंग का उद्घाटन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश में तीन अक्टूबर को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अटल सुरंग रोहतांग का उद्घाटन करने के बाद राज्य में दो जनसभाओं को संबोधित करेंगे. मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सोमवार को इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि समारोह में कोविड-19 से जुड़े सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी सुरंग का उद्घाटन करेंगे. यह समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है.
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उन्होंने बताया कि चीन-भारत सीमा पर लद्दाख में जारी गतिरोध के मद्देनजर अटल सुरंग का उद्घाटन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है. सुरंग के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री मोदी तीन अक्टूबर को कुल्लू जिले के मनाली स्थित सेंटरफॉर स्नो एंड एवलांच संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं स्टडी इस्टैबलिशमेंट (एसएएसई) के हेलीपैड पर सुबह सवा नौ बजे उतरेंगे. वह 10 मिनट के लिए सीमा सड़क संगठन के अतिथि गृह में रूकेंगे और वहां संगठन के अधिकारियों से बातचीत करेंगे.
ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री 9.2 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का उद्घाटन सुबह 10 बजे से 11:45 के बीच, मनाली में उसके दक्षिणी सिरे से करेंगे. यहां से वह लाहौल-स्पीति की लाहौल घाटी में स्थित सुरंग के उत्तरी छोर तक यात्रा करेंगे. मुख्यमंत्री ने बताया कि लाहौल घाटी में प्रधानमंत्री हिमाचल सड़क परिवहन निगम की बसों को हरी झंडी दिखाकर उन्हें सुरंग के मनाली स्थित उत्तरी छोर के लिए रवाना करेंगे.
उन्होंने बताया कि फिर प्रधानमंत्री लाहौल के सिसु में करीब 200 लोगों की एक सभा को संबोधित करेंगे. ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री दक्षिणी छोर पर लौट कर मनाली के सोलांग नाला के पास 200 लोगों की एक और सभा को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री एसएएसई के हेलीपैड से करीब 2:20 अपराह्न पर लौट जाएंगे. मुख्यमंत्री ने बताया कि सुरंग के निर्माण में करीब 3,300 करोड़ रुपये का खर्च आया है.
कश्मीर पर प्लान पक्का कर चुकी है मोदी सरकार? पढ़ें ये 10 बड़े संकेत
कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे में मोदी सरकार की कश्मीर नीति को लेकर भी विपक्षी खेमे सवाल उठाने लगे हैं. जिसके बाद मोदी सरकार और सेना की तरफ से कश्मीर को लेकर सख्त रणनीति के संकेत मिल रहे हैं.
जावेद अख़्तर
- 29 मई 2017,
- (अपडेटेड 29 मई 2017, 10:51 AM IST)
बंटवारे के बाद से ही कश्मीर भारत-पाकिस्तान के लिए रिश्तों में खटास और विवाद का मुद्दा रहा है. देश से लेकर राज्य में सत्ता परिवर्तन हुए, लेकिन हालात आज भी काबू में नहीं हैं. 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी तो कश्मीर नीति पर सख्ती के संकेत मिले. हालांकि पिछले कुछ वक्त में कश्मीर के हालात काफी तनावपूर्ण हैं. पत्थरबाजी की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे में मोदी सरकार की कश्मीर नीति को लेकर भी विपक्षी खेमे सवाल उठाने लगे हैं. जिसके बाद मोदी सरकार और सेना की तरफ से कश्मीर को लेकर सख्त रणनीति के संकेत मिल रहे हैं.
मोदी सरकार की सख्त नीति के 10 संकेत
1. गृहमंत्री राजनाथ की प्रतिज्ञा
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर समस्या को हल करने का दावा किया है. उन्होंने आजतक से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा है कि मोदी सरकार कश्मीर समस्या का स्थायी समाधान निकालेगी और इसके लिए उनका प्लान तैयार है.
2. पहली बार आर्मी चीफ का सख्त बयान
आर्मी चीफ बिपिन रावत ने पहली बार सीधे तौर पर कश्मीर में पत्थरबाजी करने वालों पर अटैक किया है. उन्होंने एक इंटरव्यू में पत्थरबाजों को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि वो पत्थर की जगह हथियार चलाएं, ताकि मैं जो करना चाहूं वो कर सकूं.
साथ ही उन्होंने कहा कि जब पत्थर और बम फेंके जाएंगे तो मैं अपने जवानों से केवल इंतजार करने और मरने के लिए नहीं कह सकता. आर्मी चीफ ने पत्थरबाजों से निपटने के लिए मानव ढाल बनाने के कदम को भी सही ठहराया.
3. गोगोई का सम्मान कर सेना का मनोबल बढ़ाना
कश्मीर में पत्थरबाजों से निपटने के लिए एक युवक को जीप से बांधकर ढाल की तरह इस्तेमाल करने वाले मेजर लितुल गोगोई का सेना ने सम्मान किया. सेना ने अपने इस कदम से न सिर्फ पत्थरबाजों के इरादों को पस्त करने की दिशा में एक कदम उठाया बल्कि जवानों का भी हौसला बढ़ाया.
गोगोई के अलावा कश्मीर निवासी लेफ्टिनेंट उमर फयाज की शहादत के बाद घाटी के नौजवानों को सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की गई. सेना ने घाटी में एक स्कूल का नाम बदलकर शहीद लेफ्टिनेंट उमर फयाज के नाम पर रखा, साथ ही उनके परिवार को 75 लाख रुपये का चेक दिया गया.
जून, 2016 में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन में हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वॉय और टॉप कमांडर बुरहान वानी को ढेर किया. जिसके बाद घाटी में तनाव की स्थिति पैदा हो गई और पत्थरबाजी की घटनाओं में तेजी आ गई. वानी के बाद अब 27 मई त्राल में हिजबुल मुजाहिदीन के टॉप कमांडर सब्जार अहमद भट को भी सेना ने मार गिराया. सब्जार बुरहान वानी के बचपन का दोस्त था और उसे बुरहान के उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया जाता था.
5. कश्मीर पर बात नहीं करना
मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ 'आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते' की नीति को अपनाया. कश्मीर मसले पर भारत पाकिस्तान से बातचीत के न्यौते भी ठुकरा चुका है.
6. पाकिस्तान की चौकियां ध्वस्त करना
सीमापार से नापाक हरकतों का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब भारतीय सेना ने एलओसी के पास पाकिस्तानी बंकरों को ध्वस्त कर दिया. इन बंकरों के जरिए पाकिस्तानी आर्मी आतंकवादियों को कवर देती है. भारत ने इस अटैक का वीडियो भी जारी किया, जिससे पाकिस्तान के साथ सख्ती से निपटने के संकेत दिए.
7. अलगाववादियों से एकदम बातचीत नहीं
केंद्र सरकार ने अप्रैल, 2017 में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कश्मीर में हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाओं को रोकने के लिए वो अलगाववादियों के साथ कोई बातचीत नहीं करेगी. केंद्र सरकार ने कहा कि वो मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से बातचीत करने के लिए तैयार है. वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आजतक को दिए इंटरव्यू में भी कहा कि कश्मीर समस्या पर किसी के साथ किसी शर्त के साथ बातचीत नहीं की जाएगी.
8. हुर्रियत नेताओं पर कार्रवाई
हाल ही में आजतक ने 'ऑपरेशन हुर्रियत' के नाम से एक स्टिंग ऑपरेशन किया था. इस ऑपरेशन में हुर्रियत के नेता कैमरे पर पत्थरबाजों को पाकिस्तान से फंडिंग की बात कबूलते हुए नजर आए थे. जिसके संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं बाद उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया गया.
9. कश्मीर में टूरिज्म को बढ़ावा
पाकिस्तान और अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ ही मोदी सरकार कश्मीर में रोजगार को बढ़ावा देकर वहां के हालात पर काबू करने की योजना पर काम करती दिख रही है. हाल ही में पीएम मोदी ने जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर देश की सबसे लंबी टनल का उद्घाटन किया. इसके अलावा चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाया जा रहा है. इसकी ऊंचाई एफिल टावर से करीब 35 मीटर अधिक होगी. साल 2019 तक इसके तैयार हो जाने की उम्मीद है. इस टनल और पुल की मदद से सैलानियों का कश्मीर जाना बेहद आसान हो जाएगा.
10. सेना में भर्तियां
कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं को नौजवान अंजाम देते हैं. हाल ही में वहां के स्कूली छात्र भी पत्थरबाजी करते हुए नजर आए. ऐसे में सरकार संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं उन्हें रोजगार देकर मुख्यधारा से जोड़ने की कोशिश कर रही है. इसका रिजल्ट भी कश्मीर में देखने को मिला. हाल ही में वहां हुई सुरक्षाकर्मियों की भर्ती में बड़ी संख्या में नौजवानों ने हिस्सा लिया.
अटल टनल के उद्घाटन के बाद हिमाचल में दो जनसभाओं को संबोधित करेंगे प्रधानमंत्री मोदी
'चीन-भारत सीमा पर लद्दाख में जारी गतिरोध के मद्देनजर अटल सुरंग का उद्घाटन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है.'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल प्रदेश में तीन अक्टूबर को सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अटल सुरंग रोहतांग का उद्घाटन करने के बाद राज्य में दो जनसभाओं को संबोधित करेंगे. मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सोमवार को इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि समारोह में कोविड-19 से जुड़े संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर बनी सुरंग का उद्घाटन करेंगे. यह समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है.
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उन्होंने बताया कि चीन-भारत सीमा पर लद्दाख में जारी गतिरोध के मद्देनजर अटल सुरंग का उद्घाटन सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है. सुरंग के उद्घाटन के लिए प्रधानमंत्री मोदी तीन अक्टूबर को कुल्लू जिले के मनाली स्थित सेंटरफॉर स्नो एंड एवलांच स्टडी इस्टैबलिशमेंट (एसएएसई) के संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं हेलीपैड पर सुबह सवा नौ बजे उतरेंगे. वह 10 मिनट के लिए सीमा सड़क संगठन के अतिथि गृह में रूकेंगे और वहां संगठन के अधिकारियों से बातचीत करेंगे.
ठाकुर संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं ने बताया कि प्रधानमंत्री 9.2 किलोमीटर लंबी इस सुरंग का उद्घाटन सुबह 10 बजे से 11:45 के बीच, मनाली में उसके दक्षिणी सिरे से करेंगे. यहां से वह लाहौल-स्पीति की लाहौल घाटी में स्थित सुरंग के उत्तरी छोर तक यात्रा करेंगे. मुख्यमंत्री ने बताया कि लाहौल घाटी में प्रधानमंत्री हिमाचल सड़क परिवहन निगम की बसों को हरी झंडी दिखाकर उन्हें सुरंग के मनाली स्थित उत्तरी छोर के लिए रवाना करेंगे.
उन्होंने बताया कि फिर प्रधानमंत्री लाहौल के सिसु में करीब 200 लोगों की एक सभा को संबोधित करेंगे. ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री दक्षिणी छोर पर लौट कर मनाली के सोलांग नाला के पास 200 लोगों की एक और सभा को संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं एसएएसई के हेलीपैड से करीब 2:20 अपराह्न पर लौट जाएंगे. मुख्यमंत्री ने बताया कि सुरंग के निर्माण में करीब 3,300 करोड़ रुपये का खर्च आया है.
रक्षा उपकरणों के मामले में 'विश्व गुरु' बनेगा भारत! विदेशी कंपनियां भी दे रहीं बड़ा संकेत
भारत में बदलते बिजनस माहौल को देखते हुए विदेशी कंपनियां भी भारत की कंपनियों के साथ मिलकर रक्षा उपकरण बनाने का संकेत दे रही हैं। वहीं भारत ने इस मामले में स्वदेशीकरण की योजना तैयार कर ली है।
आजादी के बाद से भारत को चीन संकेत एक लंबी स्थिति के उद्घाटन का संकेत देते हैं और पाकिस्तान से कई बार युद्ध लड़ना पड़ा। भारत हथियारों और अन्य रक्षा उपकरणों के लिए विदेश पर ही निर्भर था। ऐसे में हथियारों की खरीद में बड़ी पूंजी खर्च करनी पड़ी थी। हालांकि अब स्थिति एकदम से बदल रही है। आने वाले समय में दुनियाभर में अग्रणी रक्ष उपकरण का निर्यातक बन सकता है। गुजरात के वडोदरा में प्रधानमंत्री मोदी ने सी295 के प्लांट का उद्घाटन कर दिया है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि अगले दो साल में देश का रक्षा उत्पादन 25 अरब डॉलर का हो सकता है।
पहली बार यूरोप के बाहर तैयार होंगे मालवाहक विमान
वायुसेना में इस्तेमाल होने वाले एवरो HS748 की जगह पर वडोदरा की फैक्ट्री में तैयार होने वाले विमानों को तैनात किया जाएगा। टाटा और एयरबस के जॉइंट वेंचर द्वारा सी295 सामान वाहक विमान तैयार किए जाएंगे। टाटा और एयरबस ने गुजरात सरकार के साथ 22 हजार करोड़ की डील पर साइन किए हैं। रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा था कि पहली बार है जब कि यूरोप के बाहर भी माल वाहक विमान तैयार किए जाएंगे।
हर हफ्ते बनेगा एक विमान
प्रधानमंत्री ने कहा था कि सी295MW से भारतीय वायुसेना के क्षमता में बढ़ोतरी होगी। आने वाले समय में भारत यात्री विमानों का भी निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि देश में विमानों के निर्माण के लिए माहौल तैयार हो रहा है। एयरबस के सीसीओ के मुताबिक आने वाले समय में हर हफ्ते एक विमान डिलिवर किए जाने की तैयारी है। उन्होंने कहा, भारत में मेक इन इंडिया से वह काफी प्रभावित हैं और आने वाले समय में नए प्रोजेक्ट पर भी विचार किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए रास्ता खोलकर भारत ने बिजनस का माहौल काफी सुधारा है। वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डुइंग बिजनस रैंकिंग में भी भारत ने पांच स्थान का सुधार दर्ज किया है। दक्षिण अफ्रीका, रूस और स्वीडन की कंपनियां भी भारत की कंपनियों के साथ साझेदारी करके भारत में अपना प्लांट लगाने को तैयार हैं।
स्वेदेशीकरण की लंबी लिस्ट
अप्रैल में रक्षा मंत्री ने तीसरी स्वदेशीकरण सूची जारी की थी। इसमें 101 उपकरणों के नाम थे। क्रमबद्ध तरीके से इन उपकरणों को 2027 तक स्वदेशी बनाने की योजना है। पहली सूची में 101 उपकरण, दूसरी में 108 और तीसरी में 101 उपकरण शामिल थे। इन 310 उपकरणों का स्वदेशीकरण किया जाएगा और अंतरराष्ट्रीय मानकों का भी ध्यान दिया जाएगा ताकि इनका निर्यात भी सुगम हो सके। तीसरी सूची में हल्के टैंक, माउंटेड आर्टी गन सिस्टम (155एमएमX 52सीएएल), पिनाका एमएलआरएस के लिए गाइडेड एक्सटेंडेड रेंज (जीईआर) रॉकेट, नौसेना के उपयोग के लिए हेलीकॉप्टर (एनयूएच), नई पीढ़ी की अपतटीय पेट्रोल पोत (एनजीओपीवी), एमएफ स्टार (जहाजों के लिए रडार), मध्यम रेंज की पोत-रोधी मिसाइल (नौसेना संस्करण), अत्याधुनिक हल्के टॉरपीडो (शिप लॉन्च), उच्च सहनशील स्वायत्त अंडरवाटर वाहन, मध्यम ऊंचाई की अधिक सहनशक्ति मानव रहित हवाई वाहन(मेल यूएवी), विकिरण रोधी मिसाइल और लॉटरिंग युद्ध सामग्री शामिल हैं।