इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार

कम निवेश पर अधिक रिटर्न की संभावना, पैसा खोने का कम जोखिम
यूटिलिटी न्यूज़ डेस्क . इक्विटी की समझ रखने वाले लोग अक्सर निवेश के सही अवसर की तलाश में रहते हैं। इक्विटी में लंबी अवधि में महंगाई को मात देने की क्षमता होती है, यही वजह है कि लोग इसकी तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं। इसके अलावा इक्विटी में भविष्य की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की क्षमता भी होती है। चाहे निवेश म्युचुअल फंड के माध्यम से हो या प्रत्यक्ष स्टॉक या दोनों के मिश्रण से, इक्विटी में नए निवेशकों के लिए सीधे शुरुआत करने के लिए सही कंपनी का चयन करना मुश्किल होता है।
प्रत्यक्ष शेयरों में निवेश करने के लिए कंपनी की वित्तीय स्थिति, इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार इसकी व्यावसायिक संभावनाओं, मूल्यांकन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि की समझ की आवश्यकता होती है। ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ निवेश का सबसे आसान तरीका है। ईटीएफ एक विशिष्ट इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, जिसे एक्सचेंज पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है। ईटीएफ की पेशकश म्यूचुअल फंड कंपनियां करती हैं।
आप एक छोटे से निवेश से शुरुआत कर सकते हैं
Nifty 50 ETF की खास बात यह है कि इसे बहुत ही कम राशि से शुरू किया जा सकता है। आप ईटीएफ की एक यूनिट को कुछ सौ रुपए में खरीद सकते हैं। उदाहरण के लिए- एनएसई पर आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ रु। 185 पर ट्रेड करता है। इस प्रकार आपको रु। 500-1000 का निवेश किया जा सकता है और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ की इकाइयां खरीद सकते हैं।
आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं। ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत रहेगी। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ की ट्रैकिंग त्रुटि - अंतर्निहित सूचकांक से फंड रिटर्न के विचलन का एक उपाय - 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ ब्रह्मांड में सबसे कम है। सीधे इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार शब्दों में कहें तो यह संख्या जितनी कम होगी, उतना अच्छा होगा।
बड़ी कंपनियों में निवेश
निफ्टी 50 सूचकांक में बाजार पूंजीकरण के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इसलिए निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश निवेशक को शेयरों और क्षेत्रों में एक उत्कृष्ट विविधीकरण प्रदान करता है। यह सूचकांक के पथ का अनुसरण करता है। आप बाजार के समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ की इकाइयां खरीद और बेच सकते हैं। इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए शुरुआती बिंदुओं में से एक है।
पोर्टफोलियो विविधीकरण जोखिम को कम करता है
एक विविध पोर्टफोलियो निवेशक के लिए जोखिम कम करता है। स्टॉक निवेश के मामले में ऐसा नहीं है, क्योंकि बाजार की अस्थिरता कंपनियों की एक टोकरी की तुलना में एकल स्टॉक की कीमत को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है। निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंतर्निहित सूचकांक में अस्थिरता को दोहराएगा। ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको केवल एक डीमैट खाते की जरूरत है। जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
निवेश सस्ता है
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता है। चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को निष्क्रिय रूप से ट्रैक करता है और इंडेक्स घटकों के बीच सीमित या कोई मंथन नहीं करता है, इसलिए लागत कम होती है। एक्सपेंस रेशियो या दूसरे शब्दों में कहें तो फंड चार्जेज सिर्फ 2 से 5 बेसिस प्वाइंट्स हैं। एक आधार अंक एक प्रतिशत का सौवां हिस्सा होता है।
कम जोखिम पर वर्षों तक बाजार को समझने का अवसर
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश करके, आप बिना अधिक जोखिम उठाए वर्षों से बाजार की गतिशीलता को समझना शुरू कर सकते हैं। जब आप बाज़ार को चलाने वाले विभिन्न कारकों से खुद को परिचित करते हैं, तो आप अपनी जोखिम लेने की क्षमता, लक्ष्य, समय सीमा और निवेश योग्य बढ़त के आधार पर छोटे और मिडकैप स्टॉक या म्यूचुअल फंड पा सकते हैं। तो आप Nifty-50 ETF के जरिए अपनी बाजार निवेश यात्रा शुरू कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड की लगातार दूसरे महीने लिवाली, अप्रैल में शेयरों में किये 5,526 करोड़ रुपये निवेश
म्यूचुअल फंड की लगातार दूसरे महीने लिवाली, अप्रैल में शेयरों में किये 5,526 करोड़ रुपये निवेश
नयी दिल्ली, नौ मई म्यूचुअल फंड इकाइयों ने अप्रैल महीने में शेयरों में 5,526 करोड़ रुपये निवेश किये। यह लगातार दूसरा महीना है जब उन्होंने बाजार में कुछ सुधार देखने के बाद शेयरों में पैसा लगाया है।
इनवेस्ट 19 के संस्थापक और सीईओ (मुख्य इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार कार्यपालक अधिकारी) कौशलेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा कि कई वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां क्षेत्र में आ रही हैं, इससे उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ी है। ऐसे में आने वाले महीनों में म्यूचुअल फंड का निवेश बढ़ेगा।
बजाज कैपिटल के मुख्य शोध अधिकारी आलोक अग्रवाल ने भी कहा कि तेजी का रुख बना रहेगा क्योंकि वित्त वर्ष 2020-21 के वित्तीय परिणाम के बाद मूल्यांकन कुछ नीचे आया है और कीमतों में सुधार से निवेशकों को शेयर बाजारों में निवेश का अवसर मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा मार्च से बांड पर प्रतिफल नरम होने से भी इस रुख को गति मिल रही है। निवेशक अधिक रिटर्न की उम्मीद में शेयरों में निवेश कर रहे हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़े के अनुसार म्यूचुअल फंड ने अप्रैल महीने में शुद्ध रूप से 5,526 करोड़ रुपये निवेश किये। यह मार्च में किये गये 4,773 करोड़ रुपये के निवेश से कहीं अधिक है।
म्यूचुअल फंड द्वारा दस महीनों में इस प्रकार का यह पहला निवेश है।
सेबी के पास उपलब्ध आंकड़े के अनुसार इस निवेश से पहले, म्यूचुअल फंड जून 2020 से शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे थे।
सेंगर ने कहा, ‘‘हमने पिछले महीने म्यूचुअल फंड के शेयरों में निवेश में 15.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के देखते हुए निवेशकों ने जोखिम कम करने के लिये इक्विटी म्यूचुअल फंड का सहारा लिया।’’
बजाज कैपिटल के मुख्य अनुसंधान अधिकारी आलोक अग्रवाल ने कहा कि म्यूचुअल फंड प्रवाह सामान्य तौर पर निवेशकों के संबंधित म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश को प्रतिबिंबित करता है।
घरेलू निवेशक जुलाई 2020 से इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं से पैसा निकाल रहे थे। इस साल मार्च पहला महीना था, जब स्थिति बदली।
मार्च में एसआईपी (सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) यानी हर महीने निश्चित राशि का निवेश बढ़कर 9,182 करोड़ रुपये पहुंच गया जो इससे पूर्व माह में 7,528 करोड़ रुपये था। इसीलिए म्यूचुअल फंड की तरफ से शेयरों में मार्च महीने में अधिक निवेश देखने को मिला।
उन्होंने कहा कि हालांकि अभी आंकड़ा नहीं आया है लेकिन इक्विटी म्यूचुअल फंड योजनाओं में शुद्ध प्रवाह अप्रैल में भी जारी है। इसी का नतीजा है कि म्यूचुअल फंड का शुद्ध रूप से इक्विटी निवेश बढ़ा है।
शेयरखान बाई बीएनपी परिबा के निवेश समाधान प्रमुख गौतम कालिया ने कहा, ‘‘अप्रैल महीने में कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़े। इससे बाजार में कुछ सुधार देखने को मिला। लेकिन इसके तुरंत बाद तेजी से सुधार हुआ। म्यूचुअल फंड इकाइयों ने अप्रैल में इस गिरावट का उपयोग इक्विटी निवेश बढ़ाने में किये।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।
बच्चों की शिक्षा के लिए निवेश का बेहतर विकल्प है Mutual Funds, जानिए कौन सा है सही
बच्चों की शिक्षा के लिए निवेश (Investment for Education) करने जा रहे हैं। आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता तथा लक्ष्य अवधि के अनुसार फंड्स का चयन करना चाहिए। म्यूचुअल फंड्स ( Mutual Funds)बेहतर विकल्प हो सकता है। यहां जानिए यह कैसे चुनें। तीन शीर्ष इक्विटी फंड्स का इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार उल्लेख किया गया है जिन पर आप विचार कर सकते हैं।
Updated Nov 11, 2022 | 08:14 PM IST
बच्चों की शिक्षा के लिए म्यूचुअल फंड्स में भी निवेश कर सकते हैं।
बच्चों की शिक्षा मंहगी होती है। भारत तथा विदेश में शिक्षा की उच्च लागत के कारण परिवार की बचतों पर चोट पहुंच सकती है। कई माता-पिता अपने बच्चे की शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण (एजुकेशन लोन) लेते हैं। लोन के अलावा, म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) ऐसा अन्य क्षेत्र है जिस पर अपने बच्चे की शिक्षा की फंडिंग करने के लिए विचार कर सकते हैं। म्यूचुअल फंड्स में एक अच्छी निवेश योजना से आपको अपने बच्चे को सर्वश्रेष्ठ संभावित शिक्षा दिलाने के जीवन के महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिल सकती है। बच्चों की शिक्षा के उद्देश्य से निवेश के लिए (Investment for Education) सही म्यूचुअल फंड कैसे चुने, आइये आपको यह जानकारी देते हैं।
जब बात म्यूचुअल फंड के बारे में की जाती है, तो विविध विकल्प उपलब्ध होते हैं। लेकिन, आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता तथा लक्ष्य अवधि के अनुसार फंड्स का चयन करना चाहिए। बच्चों की शिक्षा एक दीर्घकालिक लक्ष्य (15-18 वर्ष) होता है जिसके लिए आदर्श रूप से आपके बच्चे की छोटी आयु से ही प्लानिंग की शुरूआत की जानी चाहिए। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए इक्विटी फंड्स निवेश के लिए आदर्श विकल्प होते हैं। यहां पर उन तीन शीर्ष इक्विटी फंड्स का उल्लेख किया गया है जिन पर आप विचार कर सकते हैं।
डायवर्सिफाइड ब्लूचिप इक्विटी फंड्स
डायवर्सिफाइड ब्लूचिप इक्विटी फंड अनेक दीर्घकालिक लक्ष्यों जैसे बच्चों की शिक्षा और सेवा निवृत्ति के लिए आदर्श हो सकते हैं। इस निवेश स्कीम के अंतर्गत ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है जो संबंधित सेक्टर्स में अग्रणी हैं, और इस प्रकार से आपको विकासशील अर्थव्यवस्था के लाभ मिल जाते हैं। किसी खास उद्योग पर फोकस करने वाली स्कीमों की तुलना में डायवर्सिफाइड फंड्स में जोखिम एलिमेंट कम होते हैं। इक्विटी स्कीमों के ऐतिहासिक परफॉर्मेंस के आधार पर, आप अपने निवेश पर लगभग 12% दीर्घकालिक सीएजीआर की उम्मीद कर सकते हैं।
फ्लेक्सीकैप इक्विटी फंड्स
जैसा कि नाम से पता लगता है, इन स्कीमों में अग्रणी लार्ज, मिड तथा स्मॉल-कैप कंपनियों में निवेश किया जाता है। मार्केट कैप साइज के अनुसार, इन फंड्स के अंतर्गत निवेश अनुपातों को एडजस्ट किया जा सकता है, और इस प्रकार आप मार्केट की स्थिति के अनुसार सर्वश्रेष्ठ संभावित रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं। इस फंड की दीर्घकालिक सीईएजीआर 9% और अधिक की है।
बैलेंस्ड एडवेंटेज फंड्स
ये फंड हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स होते हैं जो जारी मार्केट दशाओं के आधार पर इक्विटी और डेट में आवंटन को परिवर्तित करने में समर्थ होते हैं। साथ ही इन्हें डायनामिक एसेट एलोकेशन फंड्स भी कहा जाता है, और इनसे दोनो एसेट श्रेणियों के सर्वश्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं। उनके ऐतिहासिक परफॉर्मेंस को देखते हुए, आप स्कीमों की इस श्रेणी से दीर्घकालिक 8-12% की सीएजीआर की उम्मीद कर सकते हैं।
फंड्स को चुनते समय विचारणीय फैक्टर्स
उपयुक्त फंड्स को चुनते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखने से सहायता मिलेगी। सही फंड को चुनने में सहायता करने के लिए आइये कुछ महत्वपूर्ण पैरामीटर्स पर विचार करते हैं।
परफॉर्मेंस ट्रैक रिकार्ड:-
फंड्स को चुनते समय, कम से कम 5 वर्ष के ट्रैक रिकार्ड पर विचार करें। लेकिन, दीर्घकालिक ट्रैक रिकार्ड और भी अच्छा रहता है क्योंकि इससे निवेशकों को रिटर्न की भावी दर का अंदाजा लगाने में और पिछले मार्केट चक्रों के दौरान इसमें फेरबदल करने की योग्यता में सहायता मिलती है।
व्यय अनुपात
यह प्रशासनिक तथा प्रचालन लागतों को कवर करने के लिए फंड द्वारा निवेशकों से वसूली जाने वाली प्रतिशत-आधारित फीस है। किसी फंड का व्यय अनुपात इसके नेट रिटर्न्स को प्रभावित करता है। निम्न व्यय अनुपात से आपके पोर्टफोलियो में अधिक यूनिट्स आ सकेंगे जिससे आपके रिटर्न्स में बढ़ोतरी होगी। दीर्घकाल में, इन अतिरिक्त यूनिट्स से संबंधित कम्पाउंडिंग लाभ से आपके रिटर्न्स में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी हो सकती है।
फंड मैनेजर की निवेश शैली
फंड के मैनेजमेंट के लिए फंड मैनेजर्स उत्तरदायी होते हैं तथा इसकी परफॉर्मेंस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्कीम को चुनने से पहले, अपने फंड मैनेजर और उसकी निवेश विचार प्रक्रिया की जानकारी प्राप्त कर लें। आप मार्केट तथा उम्मीदों के संबंध में उनकी सामान्य कमेंट्री को जानने के लिए फंड हाउस की फैक्टशीट्स को भी देख सकते हैं। इंटरव्यूज़ तथा न्यूज पोर्टल्स अन्य साधन हैं जिनसे आप फंड मैनेजर के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
हर मां-बाप अपने बच्चे को हर सर्वश्रेष्ठ चीज को, विशेष रूप से शिक्षा प्रदान करने की कोशिश करते हैं। सिस्टेमैटिक निवेश योजना (एसआईपी) के माध्यम से निरन्तर निवेश करना उस सम्पदा का सृजन करने का आदर्श तरीका है जिससे शिक्षा लागतों को कवर किया जा सकता है। जैसे जैसे हर वर्ष आपकी आय बढ़ती है, अपने निवेश को भी बढ़ाने पर विचार करें। इससे आपको समय पर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी, और साथ ही भावी जीवन के लक्ष्यों के लिए प्रारम्भिक बढ़त भी प्राप्त हो जाएगी।
(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
Nifty 50 ETF: निवेश के लिए एक बेहतर तरीका
कई निवेशक जिन्हें इक्विटी के बारे में पूरी समझ नहीं हैं, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि सही निवेश के मौके आने पर शुरुआत कैसे करें। लोग इक्विटी की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पछाड़ने की संभावना होती है।
Published: November 11, 2022 10:29:32 am
कई निवेशक जिन्हें इक्विटी के बारे में पूरी समझ नहीं हैं, वे अक्सर आश्चर्य करते हैं कि सही निवेश के मौके आने पर शुरुआत कैसे करें। लोग इक्विटी की ओर आमतौर पर इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि इसमें लंबी अवधि में मुद्रास्फीति को पछाड़ने की संभावना होती है। इसके अलावा, हमारे सभी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इक्विटी एक्सपोजर के तत्व की आवश्यकता होती है, चाहे वह म्यूचुअल फंड के माध्यम से हो या सीधे स्टॉक या इन दोनों के मिले जुले माध्यम से हो। लेकिन, अगर आप इक्विटी में नए हैं और सीधे शेयरों के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो निवेश करने के लिए सही कंपनी पर निर्णय लेना आसान नहीं है और इससे पहले आपको कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाओं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियों आदि को समझने की जरूरत है। यहां पर निफ्टी 50 ईटीएफ सामने आता है। ईटीएफ, जो एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है, इससे एक्सचेंजों पर स्टॉक की तरह कारोबार किया जाता है, लेकिन इसे एक म्यूचुअल फंड हाउस द्वारा ऑफर किया जाता है।
बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर
ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ बहुत कम राशि में भी एक्सपोजर देगा। ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपए में खरीद सकते हैं। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपए की कीमत पर ट्रेड करता है। इस प्रकार आप 500 से 1000 रुपए तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ की इकाइयां खरीद सकते हैं। आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं। ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के विचलन का एक पैमाना है - 0.03 फीसदी है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है। सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितना कम है, उतना बेहतर।
सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां होती है शामिल
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। इसलिए, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण प्रदान करता है, क्योंकि यह सूचकांक की राह पर चलता है। आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ के यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं। इस संबंध में, निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टॉक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक स्टार्टिंग पॉइंट में से एक है। एक विविध पोर्टफोलियो किसी निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है, जो कि किसी स्टॉक में निवेश करने के मामले में नहीं होता है, क्योंकि यहां बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव कंपनियों के एक बास्केट की तुलना में किसी एक स्टॉक की कीमत को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। साथ ही, निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंतर्निहित सूचकांक में उतार-चढ़ाव की नकल करेगा। केवल ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है, जिनके पास डीमैट खाता नहीं है वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं।
Mutual Fund में SIP करते हैं तो जान लें टैक्स के ये नियम
म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर निवेशकों को लाभांश और पूंजीगत लाभ पर टैक्स का भुगतान करना होता है। टैक्स की दर म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचने की अवधि से निर्धारित की जाती है।
SIP म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे प्रचलित तरीका है। (Photo: Pixabay)
पिछले कुछ सालों में म्यूचुअल फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प साबित हुआ है। म्यूचुअल फंड में निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के मुकाबले कहीं अधिक रिटर्न मिलता है। इसके साथ ही आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में भी सहायता करता है। यदि आप भी एक अनुशासित निवेशक की तरह म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) जरिए निवेश करते है तो आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि म्यूचुअल फंड पर कब, कैसे और कितना टैक्स लगता है।
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद निवेशकों को दो तरीकों से रिटर्न मिलता है। पहला लाभांश (Dividend) के रूप में और दूसरा पूंजीगत लाभ ( Capital Gain) के रूप में, लाभांश किसी भी कंपनी द्वारा मुनाफे में से निवेशकों को दिया गया एक हिस्सा होता है। म्यूच्यूअल फंड में निवेशकों को उनकी यूनिट्स के आधार पर लाभांश का लाभ मिलता है। पूंजीगत लाभ, किसी भी निवेशक द्वारा अपनी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स को बेचकर कमाए गए मुनाफे को कहते हैं।
लाभांश (Dividend) पर टैक्स: 2020 से पहले लाभांश पर किसी भी तरह का कोई कर नहीं लगता था। कंपनियां डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स (DDT) देती थीं। 2020 के बजट में केंद्र सरकार के द्वारा लाभांश पर कर लगाया गया। इसे निवेशकों के इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार लगाया जाता है।
ABP-C Voter Survey: गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में सौराष्ट्र में कैसा रहेगा बीजेपी, कांग्रेस, आप का हाल- जानिए क्या इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार कहता है एबीपी और सी-वोटर का सर्वे
24 घंटे बाद मंगल ग्रह होने जा रहे वक्री, इन राशियों पर पड़ेगा विशेष प्रभाव, खुल सकते हैं किस्मत के नए द्वार
इक्विटी फंड पर टैक्स: टैक्स के लिहाज से उन म्यूचुअल फंडों को इक्विटी फंड कहा जाता है जिन्होंने अपने पूरे पोर्टफोलियो का 65% इक्विटी या शेयरों में निवेश किया हुआ है। अगर किसी इक्विटी फंड की यूनिट को एक साल से पहले बेच दिया जाता है तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है। इस पर 15 फीसदी टैक्स और 4 फीसदी सेस लगता है। यदि किसी इक्विटी फंड की यूनिट को 1 साल के बाद बेचा जाता है तो उस पर हुए लाभ को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है। इस पर 10 फीसदी और 4 फीसदी सेस लगता है। यहां निवेशक के लिए फायदे की बात यह है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स तभी लगता है जब किसी निवेशक को एक वित्त वर्ष की अवधि में 1 लाख से ज्यादा का मुनाफा हुआ हो।
डेट फंड पर टैक्स: डेट फंड उन म्यूचुअल फंड को कहते हैं जिन्होंने अपने पोर्टफोलियो का 65 फीसदी से कम हिस्सा इक्विटी व शेयरों में लगाया हो। यदि आप डेट फंड की यूनिट्स को 3 साल की अवधि से पहले बेचते हैं इसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन माना जाता है। निवेशकों के इनकम टैक्स के स्लैब के हिसाब से इसकी गणना की जाती है। यदि आप 3 साल के बाद डेट फंड की यूनिट्स को बेचते है तो फिर आपको 20 फीसदी की दर से टैक्स के साथ सेस और सर चार्ज भी देना होगा।
SIP पर कैसे लगता है टैक्स: एसआईपी के जरिए कोई भी निवेशक छोटी-छोटी राशि से महीने, तिमाही, छमाही और वार्षिक आधार पर निवेश करता है। टैक्स इस बात पर निर्भर इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार करता है कि निवेश आपने इक्विटी फंड में किया है या फिर किसी और फंड में। इसके बाद निर्धारित दर के मुताबिक टैक्स लगता है। एसआईपी की हर किस्त नया निवेश मानी जाती है।